Chodan Kahani जवानी की तपिश
06-04-2019, 01:10 PM,
#23
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मेरे कंधे को थपक कर उसने बड़े प्यार से मेरे बाजू को पकड़कर मुझे बेड पर बिठा दिया और बड़ी ही अपनियत से कहा-“छोटे साईं, आप कितने भी बड़े हो जाओ, लेकिन मेरे लिए वही छोटे साईं ही हो। मुझे आपका कोई भी काम करके बहुत खुशी मिलेगी। मुझे यह सब करके ऐसा महसूस होता है कि आपके बाबा मुझे शाबासी दे रहे हों, और छोटे साईं आपकी खिदमत करने का मैंने आपके बाबा से वादा किया है। मैं मेरा अहलो--अयाल आपके गुलाम हैं। मुझे यह सब करने से अगर कभी आपने मना किया तो मैं मर जाउन्गा…” उसने अपने दोनों हाथ मेरे सामने बाँध लिए।


उसका प्यार और मुझसे इतनी मुहब्बत देखकर मैं कुछ बोल नहीं पाया। मैं वैसे ही लेट गया और सलामू मेरे दोनों जूते उतारकर धीरे-धीरे मेरे दोनों पैरों को मिलाने लगा। जिसके कारण मुझे बहुत ही सकून मिल रहा था मेरी आँखें खुद-ब-खुद बंद होने लगी, और मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही ना चला।

शायद कल से लेकर अब तक की थकावट और सलामू के इस तरह से पैर दबाने के कारण मुझे जो सकून मिला था, तो मैं सो गया। मैंने कपड़े भी चेंज नहीं किए। जब मेरी आँख खुली तो कोई मुझे आवाजें दे रहा था। जो मुझे कहीं दूर से सुनाई दे रही थी। मैं धीरे-धीरे शोर की तरफ लौटा तो मुझे सारा की आवाज सुनाई दे रही थी। जो मुझे जगा रही थी। मैंने आँख खोलकर सारा की तरफ देखा तो, वो मेरे बेड के करीब खड़ी मुझे देखकर मुश्कुरा रही थी। मैं उसे देखकर उठकर बैठ गया। अब जब मैंने दीवाल घड़ी पर नजर डाली तो वहाँ 8:00 बज रहे थे। इसका मतलब था कि में सिर्फ़ एक घंटा ही सोया था। लेकिन मेरा सिर में दर्द का दूर-दूर तक कोई नाम निशान ही नहीं था, और ना ही मुझे ऐसा महसूस होता था कि मेरी नींद पूरी ना हुई हो। मैं खुद को बिल्कुल फ्रेश महसूस कर रहा था।

इसी दौरान सारा शोख से लहजे में हँसते हुए बोली-“छोटे साईं, कितने घोड़े बेचकर सोये थे। सुबह के 8:00 बज रहे हैं। आपको पता है के आप कितना सोये हैं?” कल रात का खाना भी वैसा ही रखा है। लगता है कि सारी रात में आपकी आँख नहीं खुली…”

सारा की बात सुनकर मैं हैरान रह गया कि मैं कल शाम 7:00 बजे से सो रहा था। पहले तो कभी मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ था। मैं इतनी गहरी नींद और इतनी देर तक कभी नहीं सोया। शायद यह वो जेहनी थकान थी जो पिछले चन्द दिनों से मुझे सोने नहीं दे रही थी। और अब जब सोया तो पता ही नहीं चला कि मैं कितनी देर सोया था। मुझे लग रहा था कि अगर अब भी सारा मुझे ना जगाती तो शायद मैं अभी भी सोया ही रहता।

मैंने मुश्कुराकर उसे देखा और कहा-“पता ही नहीं चला मैं कैसे इतनी देर सोया रहा हूँ। शायद पिछले दिनों की थकावट थी…” मैं यह कहता हुआ उठकर वाशरूम की तरफ बढ़ गया। फ़िर वाशरूम के दरवाजे पर रुकते हुए मैंने सारा को देखा और कहा-“मेरे दूसरे कपड़े निकाल दो, इनकी तो पूरी क्रीज खराब हो चुकी है…”

सारा गर्दन हिलाती हुई अलमारी की तरफ बढ़ गई। मैं जब तक नहाकर फारिग हुआ तब तक सारा मेरे कपड़े निकाल चुकी थी और वो मैंने उससे थोड़ा सा दरवाजा खोलकर ले लिए थे। मैं चेंज करके बाहर निकला तो सारा उसी टेबल के सामने जहाँ मेरा नाश्ता पड़ा था बैठी हुई थी। मैं आगे बढ़कर सोफा पर बैठ गया और जल्दी-जल्दी नाश्ता करने लगा। सारा वहाँ बैठी मुझे देख रही थी। मगर मैंने आज उससे कोई बात नहीं।

शायद सारा से भी खामोशी बर्दास्त नहीं हो रही थी। आख़िरकार, वो बोल पड़ी-“छोटे साईं, कल आप बहुत परेशान लग रहे थे? कोई बात हुई थी क्या मर्दानखाने में जो आप पूछ रहे थे?”

मैंने नजरें उठाकर सारा की तरफ देखा तो वो सवालिया नजरों से मुझे देखे जा रही थी। मैं सोच में डूब गया कि सारा से वो बात करनी चाहिए या नहीं? और उसने कैसे अंदाज़ा लगाया कि मर्दानखाने में कोई बात हुई है, जिसके कारण मैं परेशान हूँ? कहीं सारा को इस सारे चक्कर का पता तो नहीं? कहीं सारा उस औरत को जानती तो नहीं? या उसने ही मुझसे बात करने के लिए सारा को कहा हो और वो मेरा रियेक्शन देखना चाहती हो कि वो सब देखकर अब मैं क्या करना चाहता हूँ?



मुझे इस तरह सोच में डूबा देखकर सारा ने कहा-“छोटे साईं आपके लिए एक पैगाम है और खत है मेरे पास…”

मैंने जल्दी से सारा को देखा और बोला-“किसका पैगाम?”

इस दौरान सारा अपने दुपट्टे को थोड़ा साइड पर करके अपने गिरेबान में हाथ डालकर एक लिपटा हुआ कागज निकाल रही थी। उसके इस तरह कगाज निकालने के दौरान जो उसने एक हाथ अपने मम्मे के नीचे रखकर उसे ऊपर की तरफ दबाव देकर दूसरे हाथ से वो कागज निकालने के दौरान उसके सफेद-सफेद गोरे-गोरे मम्मे का कुछ हिस्सा मुझे वाजेह तौर पर नजर आया था। मेरी आँखें सारा के मम्मे की जगह पर रुक हो गई थीं, जिसे सारा ने भी महसूस कर लिया और उसने जल्दी से अपने दुपट्टे से अपने सीने को ढक लिया।

मैंने उससे नजरें चुराते हुए एक बार फ़िर पूछा-“किसका पैगाम है मेरे लिए और यह खत किसने दिया है?” मैं खत को बड़ी हैरत से देख रहा था, जो अब मेरे हाथ में था। उसमें से सारा के बदन की सौंधी-सौंधी खुश्बू उठती हुई महसूस हो रही थी।

सारा-“बड़ी बीबी साईं का पैगाम है। उन्होंने कहा है कि आप उनसे मिलने से पहले कोई भी जल्दबाजी ना करें और ना ही कोई ऐसा कदम उठायें जिससे आपको किसी नुकसान का अंदेशा हो। सलामू पर पूरा भरोसा रखें और जो हो रहा है उसे खामोशी से देखते रहें…”
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