Chodan Kahani जवानी की तपिश
06-04-2019, 01:09 PM,
#21
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैंने सलामू की बात सुनकर हल्के से सिर हिलाया और जीप की तरफ बढ़ गया। दोनों गार्ड आगे बढ़कर मेरे पैर छुये। सिंध में पीरों के मुरीद उनको सम्मान देने के लिए उनके पैर छूते हैं, चाहे वो बड़ा हो या फ़िर छोटा। मैंने उनको ऐसा करने से कुछ नहीं कहा।

फ़िर एक गार्ड ने आगे बढ़कर जल्दी से जीप का दरवाजा खोल दिया, और मैं आगे बढ़कर सामने वाली सीट पर बैठ गया। मेरे बैठते ही सलामू भी दूसरी तरफ से आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया, और दोनों गार्ड भी जल्दी से पिछली तरफ चढ़ गये। यह एक खुली विल्स जीप थी। अक्सर ऐसी जीप शिकार वगैरा के लिए इश्तेमाल होती है। ज़्यादा तर ऐसी जीप में दरवाजे भी नहीं होते। मगर कुछ जीप में साइड पर से छोटे-छोटे दरवाजे लगाए जाते हैं।

सलामू ने जल्दी से जीप आगे बढ़ा दी। हम लोग हवेली के बड़े दरवाजे से गुजरते हुए बाहर निकल आए। अब जीप गाँव के कच्चे पक्के रास्तों से होती हुई कब्रिस्तान की तरफ बढ़ रही थी, जो कि गाँव से कुछ ही दूर, गाँव से जरा हटकर था। मैं बड़े गौर से गाँव की तरफ देख रहा था, इतनी जल्दी वहाँ जैसे पूरा दिन ही निकल आया था। जबकी सर्दियाँ करीब थी सुबह और रात के वक्त हल्की सी ठंड महसूस होती थी। मगर गाँव के लोग माल मवेशी लेकर अपने घरों से निकल चुके थे। कुछ लोग खेतों पर भी काम कर रहे थे।

मैं बड़े गौर से गाँव की जिंदगी देख रहा था। यह एक छोटा सा गाँव था। दूसरे छोटे मोटे गाँव के मुकाबले में इसे बड़ा कहा जा सकता था। हम लोग बीच गाँव के एक छोटे से बाजार से गुजर रहे थे, जिसमें कुछ होटल्स और चन्द दुकानें खुली हुई थीं। हमारी जीप जहाँ से गुजर रही थी लोग हमें देखकर रुक जाते, या फ़िर बैठे हुए लोग खड़े हो जाते। मैंने महसूस किया था कि हमारे गुजरते ही वो एक दूसरे का ध्यान जीप में बैठे मेरी तरफ करवाते और दूर से ही अपने दोनों हाथ जोड़ देते।

जीप बहुत हल्की रफ़्तार से आगे बढ़ रही थी, जिसके कारण मैं उनके भाव और उनकी हरकतें वाजेह तौर पर देख सकता था। मैंने एक नजर सलामू की तरफ देखा तो वो भी यह सब कुछ देख रहा था। उसके होंठों पर एक मुश्कुराहट थी। इसी दौरान हम लोग गाँव से बाहर निकल आए थे। अब दूर खतों में कुछ लोग काम करते नजर आ रहे थे। हम थोड़ी ही देर में कब्रिस्तान पहुँच गये। वहाँ दुआ वग़ैरह करने के बाद हम लोग वापिस इसी जीप मैं औतक की तरफ चल दिए, जहाँ लोगों का बहुत भीड़ लगा हुआ था। औतक के बाहर बहुत सी बड़ी-बड़ी हर माडेल की गाड़ियाँ भी मौजूद थीं।


मेरे औतक पर पहुँचते ही वहाँ मौजूद लोगों में एक हलचल सी मच गई। बहुत से लोग मुझे देखने के लिए इकट्ठे हो गये थे। मैं सलामू के साथ जल्दी से बड़े हाल की तरफ बढ़ा। मैंने हाल के बाहर एक जगह जूते उतारे तो एक शख्स ने जल्दी से मेरे जूते उठाकर अपने सिर पर रख लिए। पहले तो मैं उसे ऐसा करते देखकर बड़ा परेशान हुआ, मगर बड़े हाल में बैठे बहुत से लोगों की नजरें मुझ पर थी। शायद वो मेरा अंदर आने के इंतजार कर रहे थे। मैंने सलामू की तरफ देखा तो उसने जल्दी से उस शख्स को जूते संभाल कर रखने का कहा। और साथ ही मुझे हाल कमरे में दाखिल होने का इशारा कर दिया।

मैं दिल पर पत्थर रखकर हाल कमरे में दाखिल हो गया। मेरे अंदर दाखिल होते बहुत से लोग मेरे स्वागत में खड़े हो गये। कुछ लोगों ने आगे बढ़कर मेरा हाथ थाम लिया और बारी-बारी मेरा हाथ चूमकर अपनी आँखों पर लगाने लगे। मैं उनको ऐसा करने से ना रोक पा रहा था, और ना ही मुझे यह सब कुछ पसंद था। मैंने बड़ी बेबस नजरों से सलामू की तरफ देखा तो उसने मुझे हौसला करने और कुछ ना करने का इशारा किया।

मैं वहाँ से चलता हुआ उस जगह पहुँचा जहाँ पीर जमाल शाह एक बड़े से रेशमी बिस्तर पर गाव तकिया लगाये बैठे थे। मैंने उनकी तरफ देखा तो वो भी मेरी ही तरफ मुखातिव थे। उनकी आँखों में नफरत और गुस्से की झलक सॉफ तौर पर नजर आ रही थी। मैंने उनकी नजरों को कोई अहमियत ना देते हुये एक तरफ लगे सफेद रंग के दूसरे रेशमी बिस्तर की तरफ कदम बढ़ा दिया। जहाँ पर टेक के लिए तो खूबसूरत रेशमी गाव तकिये पहले से ही मौजूद थे।

सलामू ने जल्दी-जल्दी लोगों को एक तरफ किया और मेरी वहाँ बैठने की जगह बनाई। मैं उस बिस्तर पर बैठ गया। बाकी लोग बिस्तर से हटकर नीचे लगे हुए कालीन पर बैठ गये। पूरे हाल कमरे में चारों तरफ लोगों के बैठने के लिए कालीन लगाए गये थे। उसके बाद ताजियत का शाम तक ना खतम होने वाला दौर शुरू हो गया। दिन कैसे गुजरा कुछ पता ही ना चला। बाबा की ताजियत के लिए बहुत से लोग वहाँ पर आए। अपने इलाके के आला अफ़सरान, पुलिस के आला औहदेदार, मिनिस्टर तक बाबा की ताजियत के लिए वहाँ पहुँचे हुए थे। मुरीदों की तो कोई इंतिहा ही नहीं थी। यह सब देखकर मैं हैरान था कि मेरा खानदान कितना मुअज्जिज खानदान है,


और लोग मेरे बाबा की कितनी इज़्र्जत करते थे। हर आँख नम थी, सिवाए पीर जमाल शाह की। मैं सारा दिन वक्त-बा-वक्त उसपर नजर रख रहा था।
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RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश - by sexstories - 06-04-2019, 01:09 PM

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