RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मुझे तो अभी अपने दोस्त और दुश्मन का भी पता नहीं था। यह सब कुछ सोचने के बाद मैं अपने बिस्तर पर आ गया और सोने की कोशिस करने लगा। लेकिन नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी, और वक्त था कि गुजरने का नाम ही नहीं ले रहा था।
रात के किस पहर मैं सो गया, मुझे पता ही ना चला। सुबह सारा की आवाज पर मेरी आँख खुली। जो मेरे बेड के पैताने के पास खड़ी मेरा पैर हिला-हिलाकर मुझे आवाज दे रही थी-“छोटे साईं, छोटे साईं…”
मैंने एक झटके से आँखें खोलकर सारा की तरफ देखा। मुझको उठता देखकर वो मेरा पैर छोड़कर दूर हट गई। उसके चेहरे पर एक बड़ी ही खूबसूरत मुश्कुराहट थी। मैं आँखें मलते हुए उठा।
इस दौरान सार बड़ी शोख अंदाज में बोली-“बहुत गहरी नींद सोते हैं, छोटे साईं। कितनी देर से उठा रही हूँ…”
मैं उसकी तरफ देखकर हल्के से मुश्कुरा दिया और फ़िर एक नजर दीवाल घड़ी पर डाली जहाँ सुबह के 8:00 बज रहे थे। मैं वक्त देखकर चौंक गया, और सारा की तरफ देखकर बोला-“अभी तो सिर्फ़ 8:00 ही बज रहे हैं। तुमने मुझे इतनी जल्दी क्यों उठा दिया?”
उसने हैरत के मारे अपनी बड़ी-बड़ी आँखें कुछ और बड़ी करते हुए कहा-“इतनी देर तो हो गई है साईं। सलामू चाचा दो मर्तबा चक्कर लगा चुके हैं, और मैं भी अब दूसरी मर्तबा आपके लिए नाश्ता लाई हूँ। अम्मा कहती हैं कि जब नई-नई जवानी आती है तो बंदे को बड़ी गहरी नींद आती है, क्योंकी सारी रात उसे शैतानी ख्वाब जो तंग करते हैं…”
मैं उसकी बात सुनकर थोड़ा हैरान हुआ कि उसने कितनी गहरी बात और किस आसानी से कर दी थी। मुझे उसकी बात सुनकर एक शरारत सूझी-“अच्छा तुम्हारी अम्मा सिर्फ़ कहती हैं, या इसमें कुछ हकीकत भी है?”
उसने छूटते ही कहा-“साईं, बड़े बूढ़े जो कहते हैं, वो गलत नहीं होता। यह सब सच है…”
मैं-“अच्छा तो तुम्हें कभी आई है गहरी नींद? और तुमने देखे हैं शैतानी ख्वाब?” मैंने उसे गौर से देखते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर उसके गालों पर एक लाली सी फूट आई। मगर उसने फारी तौर पर कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने उसे देखते हुए कहा-“क्या हुआ सारा। क्या तुम अभी तक जवान नहीं हुई क्या?”
मेरी बात सुनकर वो शरमा सी गई, और सिर झुका कर अपने दुपट्टे को अपनी उँगली पर लपेटते हुए बोली-“कैसी बात कर रहे हैं छोटे साईं। क्या मैं आपको जवान नहीं लगती?”
मैं उसकी हालत देखकर महजूज हो रहा था। एक बार फ़िर उसे छेड़ते हुए बोला-“जवान तो लगती हो, पर तुमने बताया नहीं कि तुमने कभी शैतानी खवाब देखे हैं?”
उसके गालों की लाली कुछ और भर गई, और उसने गर्दन हिलाकर जवाब दिया-“देखे हैं…”
मैं-“अच्छा तो फ़िर क्या होता है शैतानी ख्वाबो में?” मैंने मुश्कुराते हुए एक बार फ़िर सवाल किया।
वो चौंक कर मुझे देखने लगी। उसकी आँखों में तश्नगी सॉफ दिख रही थी। एक लम्हे के लिए उसकी आँखों में मुझे मुहब्बत और तड़प का समुंदर हिलोरें मारता नजर आया। मगर बड़ी जल्दी ही उसने खुद को संभाल लिया और जल्दी से बात बदलते हुए बोली-“साईं, यह गाँव है। यहाँ लोग सवेरे ही उठ जाते हैं। आप जल्दी से नहा धोकर नाश्ता कर लें। सलामू चाचा आने वाले होंगे आपको लेने…” यह कहकर वो जल्दी से अलमारी की तरफ बढ़ गई और अलमारी खोलते हुए बोली-“मैं आपके दूसरे कपड़े निकाल देती हूँ…”
वहीं से उसने मुझे देखा तो मैं उसे अभी तक मुश्कुराकर शरारती नजरों से देख रहा था। उसने जल्दी से अपना चेहरा अलमारी की तरफ कर लिया। मैंने भी मजीद उसे तंग करना मुनासिब ना समझा और उठकर वाशरूम की तरफ बढ़ गया। मेरी नींद अभी पूरी नहीं हुई थी, मेरा सिर थोड़ा भारी भारी था। मैं शावर खोलकर उसके नीचे खड़ा हो गया। नीम गरम पानी ने मुझे कुछ फ्रेश कर दिया।
10 मिनट के बाद में फ्रेश होकर फारिग ही हुआ था कि बाहर से वाशरूम का दरवाजा बजा और सारा की आवाज आई-“छोटे साईं। मैंने आपके कपड़े निकाल दिए हैं। अगर आपको चाहिए तो बता दें…”
मैंने जवाबन कहा-“हाँ दे दो…” फ़िर आगे बढ़कर मैंने दरवाजा थोड़ा सा खोल दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर उससे कपड़े ले लिए। मैं कपड़े लेने के बाद जल्दी से बाहर आ गया। मैं वाशरूम से बाहर निकला तो सारा सोफे के पास रखी टेबल के करीब खाने के बर्तनों पर झुकी हुई थी। इस तरह उसे झुके देखकर मेरे जिश्म में करेंट सा दौड़ गया। उसकी भारी-भारी गाण्ड का रुख बिल्कुल मेरी तरफ था। इस तरह झुके होने से उसकी गाण्ड वाजेह तौर पर अपने उभारों और बीच की लकीर का नजारा दे रही थी। सारा ने वैसे ही झुके-झुके गर्दन मोड़कर मुझे आते देखा।
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