RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
खाने के बर्तन मेरे सामने पड़े रहे, और मुझे अब खाना भी अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने हाथ बढ़ाकर पानी का ग्लास उठाया, और थोड़ा सा पानी पीकर वापिस रख दिया। मैंने सामने वाली टेबल से अपनी टांगे एक तरफ करते हुए सीधी की, और वहीं पर सोफा से टेक लगा ली। मेरे जेहन में एक बार फ़िर माँजी के दरीचे खुल गये। बाबा, अम्मा के साथ गुजरे हुए खुशियों के पल, बाबा की बातें जो उस वक्त मुझे समझ में नहीं आती थी। लेकिन आज कुछ-कुछ समझ में आने लगी थी।
एक दिन जब मैं और बाबा, एक वाटर-फ़िल्टर कंपनी को 10 वाटर फ़िल्टर प्लांट का आडटर देकर गाड़ी में आ रहे थे तो मैंने बाबा से पूछा था-“बाबा इतने वाटर फ़िल्टर प्लांट का आप क्या करेंगे? कोई नया बिज्निस स्टार्ट करने का इरादा है क्या?”
जिस पर बाबा ने मुझे देखकर मुश्कुराते हुए कहा था-“ऐसा ही समझ लो। लेकिन इस बिज्निस में से पैसे की आमदनी नहीं होनी…”
मैं-तो फ़िर? मैंने हैरत से बाबा को देखते हुए कहा।
बाबा-सिर्फ़ दुआयें और मुहब्बतें मिलनी हैं। जो एक दिन तुम्हारे काम आयेंगी।
मैं-“मैं समझ नहीं पाया बाबा…” मैंने मुश्कुराकर बाबा को देखते हुए कहा।
बाबा-बेटे हमारी जागीर में बहुत से छोटे मोटे गाँव आते हैं। उनमें से कितने ही गाँवो में पीने का मीठा और सॉफ पानी मौजूद नहीं है। मैंने यह तमाम फ़िल्टर वहीं लगवाने हैं ताकी गाँव के लोगों को सॉफ और मीठा पानी मिल सके।
मैं-लेकिन बाबा। नॉर्मेली जागीरदार तो इस तरह नहीं करते। आप भी तो जागीरदार हैं, फ़िर यह सब कुछ?
बाबा-तुम्हें किसने कहा कि जागीरदार इस तरह नहीं करते?
मैं-बाबा, जनरली मेरे साथ भी कुछ लड़के पढ़ते हैं, जो अपने गाँव के जागीरदारों के बेटे हैं। वो तो अपने गाँव के लोगों को अपना गुलाम समझते हैं, और बहुत बुरा सलूक करते हैं। और हाँ टीवी पर भी तो मुख्तलिफ प्रोग्राम्स वगैरा में दिखाते हैं की अन्द्रुन सिंध रहने वाले लोगों के साथ उनके वादरे वगैरा किया करते हैं…”
बाबा इस दौरान मुश्कुराते हुए मुझे देखते रहे-“तुम सही कह रहे हो। मैं इस बात से इनकार नहीं करूँगा कि ऐसा कुछ नहीं होता। जितना बुरा सोच सकते हो उससे भी बुरा होता है। मगर सब एक जैसे भी नहीं हैं। और असल बात यह है कि यह गाँव वाले एक लिहाज से हमारी रियाया हैं, और हम इनके बादशाह, या मालिक। अगर यही नहीं रहेंगे तो हमारी बादशाहत किस पर होगी? और हमने मरकर भगवान को भी तो मुँह दिखाना है…”
बाबा की बात सुनकर मुझे अपने बाबा पर फख्र सा महसूस होने लगा कि मेरे बाबा इतने अच्छे दिल के मालिक हैं। मैंने मुश्कुराकर बाबा के कंधे पर सिर रखकर कहा-“बाबा आप बहुत अच्छे हैं…”
बाबा-“और मुझसे भी अच्छा तुमने बनना है। एक दिन यह सब कुछ तुमने ही संभालना है…”
बाबा की बात सुनकर मैंने बाबा को तो कोई जवाब नहीं दिया मगर मेरे दिल में उस वक्त यही खयाल था कि ऐसा मोका कभी नहीं आएगा। मैं बाबा का यह खवाब पूरा नहीं कर पाऊूँगा तब तक, जब तक दादी मेरी माँ को उस हवेली में कबूल नहीं कर लेती। यह सब सोचते-सोचते पता नहीं कब मेरी आँख लग गई थी। कि मेरी आँख दीवार पर होने वाली वाकफे से टक-टक की आवाजों से खुल गई। मैंने जल्दी से रूम में चारों तरफ नजर दौड़ाई मगर रूम में कुछ नहीं था। इसी दौरान गौर करने से महसूस हुआ कि यह आवाज उस दीवार में से आ रही थी, जिसके साथ लगे सोफे पर मैं उसी दीवार के साथ सोया हुआ था।
पहले तो मैने दीवार घड़ी में वक्त देखा तो रात का एक बज चुका था। मुझे वहाँ सोये हुए तकरीबन 7 घंटे हो चुके थे। मुझे महसूस हुआ कि मेरी नींद शायद पूरी हो चुकी थी, क्योंकी मैं सरे शाम ही सो गया था। इसीलिए इस हल्की सी आवाज पर भी मेरी आँख खुल गई थी। मैंने दीवार से कान लगाकर कुछ सुनने की कोशिस की। ऐसा महसूस हुआ कि कोई चीज हर 3 से 5 सेकेंड के वाकफे के साथ दीवार से टकरा रही है। मगर मैं समझ नहीं पाया कि यह है क्या। मैंने सोचा कि देखना चाहिए कि यह क्या मुसीबत है? मैं उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ा। दरवाजा खोलकर मैंने राहदरी में देखा तो वो दूर-दूर तक सुनसान पड़ी हुई थी। मैंने उस तरफ देखा जिस तरफ से आवाज आ रही थी।
तो उस तरफ एक रूम का दरवाजा नजर आया, और उससे पहले एक बड़ी खिड़की मेरे रूम के दरवाजे से 10 फीट की दूरी पर मौजूद थी, और उसी खिड़की से हल्की सी रोशनी छनकर बाहर आ रही थी। मैं उस खिड़की की तरफ बढ़ गया, और उसके सामने पहुँचकर मैंने अंदर कुछ सुन-गुन लेने की कोशिस की, तो मैं चौंक गया। अंदर से सेक्स में डूबी हल्की-हल्की आवाजें बाहर तक आ रही थीं। यह आवाजें सुनकर में फौरन समझ गया कि दीवार पर होने वाली हल्की-हल्की आवाजें उन्हीं धक्कों की हैं जो कोई दबा के लगा रहा है, और उसके कारण शायद बेड दीवार से टकरा रहा था। जिसके कारण दीवार में से आवाजें आ रही थीं।
एक लम्हे के लिए मेरे जिश्म के तमाम बाल खड़े हो गये। लेकिन फ़िर जल्दी से मुझे खयाल आया कि यहाँ कौन हो सकता है? यह तो मर्दानखाना है। यहाँ किसी औरत का होना और वो भी इस वक्त? हैरत की बात थी। अब मेरा फितरती जासूस मुझे इस बात के लिए मजबूर कर रहा था कि मैं उसे देखूँ कि यह कौन है? और आज जबकी इस हवेली के मालिक के तदफीन को गुजरे 24 घंटे भी नहीं हुए। तो कौन ऐसा है जो आज के दिन इस मर्दानखाने में अय्याशी कर रहा है?
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