RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
5 मिनट में ही रजनी का जिश्म अकड़ने लगा और जोर-जोर के झटके खाने लगा। उसके साथ ही उसका पानी मेरे होंठों पर महसूस होने लगा। मैंने सिर उठाकर रजनी की तरफ देखा तो उसने दोनों हाथों से अपनी ही चुचियों को जोर से पकड़ रखा था, और अपनी आँखें बंद की हुई थी। मैं उठकर उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को एक बार फ़िर चूमने लगा।
उसने आँखें खोलकर मुझे देखा और हल्के से मुश्कुराई। उसके मुश्कुराते होंठों को अपने होंठों में जकड़कर किस करने लगा। मेरे होंठों पे लगा उसके कुंवारेपन का पानी जब उसे महसूस हुआ तो उसने अपना चेहरा पीछे करके मेरे होंठों को देखा और फ़िर अजीब सी नजरों से मुझे देखने लगी, मगर उसने कुछ कहा नहीं। चन्द लम्हे मुझे देखने के बाद उसने अपनी जबान बाहर निकाली और मेरे होंठों पे लगी अपने पानी के चन्द कतरों को अपनी जबान की नोक से सॉफ करने लगी।
मेरे होंठों पे लगे पानी के कतरे उसकी जबान की नोक पर जा हो चुके थे। मैंने फौरन ही उसकी जबान को अपने होंठों में ले लिया, और उसे चूसने लगा। वो भी भरपूर तरीके से मेरे होंठों को चूस रही थी। मैं अब फ़िर चाह रहा था कि वो जल्द से जल्द गरम हो जाए ताकी मैं अपने काम को आगे बढ़ा सकूँ, और उसके लिए जरूरी था कि मैं अब फ़िर से रजनी की गर्दन पर आ जाऊूँ। मैंने उसकी गर्दन पर अपनी जबान को रगड़ना शुरू कर दिया।
वो फ़िर से मेरे नीचे मचलने लगी। उसने अपनी बाहों का घेरा मेरे ऊपर सख़्त कर दिया। मेरी कुछ देर की मेहनत से अब रजनी एक बार फ़िर पीक पॉइंट पर पहुँच चुकी थी। मैं अब रजनी की टाँगों के बीच आ गया और अपने नाग को उसकी रानी पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मेरे इस तरह रगड़ने से रजनी की बेचैनी बढ़ने लगी। उसने मुझे रहम तलब नजरों से देखकर, अपनी रानी को मेरे नाग पर मारने लगी।
मैंने उसकी दिली ख्वाहिश को पूरा करने का सोचा और अपने नाग को उसकी रानी के मुँह पर सेट किया। मुझे अंदाज़ा था कि यह रजनी का पहली बार है, और मैं रजनी को तकलीफ नहीं देना चाहता था, और वैसे भी मैं प्यार का कायल था।
रजनी की रानी अपने ही आँसू से भीगी हुई थी, जिसके कारण मेरे थोड़े से जोर देने से ही मेरे लण्ड का कैप अंदर दाखिल हो गया। रजनी ने एक झटका खाया और उसका मुँह थोड़ा सा खुल गया। मेरा 9…” लबाई और 3…” की मोटाई का लण्ड इस तरह आसानी से लेना रजनी के बस की बात नहीं थी। उसकी उभरी हुई गुलाबी चूत मेरे लण्ड को बर्दास्त करने की हिम्मत नहीं रखती थी। लेकिन मुझे इस बात का भी अंदाज़ा था कि रजनी की बर्दास्त की क्षमता में कोई कमी नहीं। वो लड़ाई की कला में माहिर थी, और कितनी ही बार मैंने उसे ना काबिल बर्दास्त चोटों का सामना करते हुए देखा था।
मैं इसी असमंजस में था कि रजनी ने मुझे देखकर कहा-“क्या सोच रहे हो राज?”
मैंने मुश्कुराकर उसको देखा और कहा-“तुम्हें बहुत तकलीफ होगी…”
रजनी ने मुश्कुराते हुए कहा-“मैं बर्दास्त कर लूँगी। तुम मुझे कमजोर समझते हो क्या? तुम अपना काम जारी रखो, मजा खराब हो रहा है…”
रजनी की बात सुनकर मैं उसपर झुक गया, उसके होंठ अपने होंठों में भर लिए, और उनको चूमने लगा। लिप किसिंग से मैं इस बात का भी फायदा उठना चाह रहा था कि रजनी की किसी तेज चीख को कंट्रोल कर सकूँ, ताकी रजनी की चीख कहीं रूम से बाहर ना जाए, और बाहर खड़े गार्ड तक रजनी की आवाज ना पहुँचे। दो मिनट तक मैं रजनी को किस करता रहा। जब मैंने महसूस किया कि रजनी की ध्यान मेरी लिप-किस की तरफ हो रही है तो मैंने अचानक से एक झटका मारा, जिसके कारण मेरा लण्ड 3…” तक रजनी के अंदर चला गया।
रजनी एक लम्हे के लिए तड़प गई, और उसकी घुटी-घुटी सी चीख मेरे लबों में ही दब गई। मैंने उसके होंठों से अपने होंठ हटाये तो रजनी गहरी-गहरी साँस लेने लगी।
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