RE: Biwi ki Chudai बीवी के गुलाम आशिक
“अभी तुम्हे सम्हाल कर रहना चाहिए मोना के कदम इतने बहक रहे है और तुम हो की बात को बिल्कुल ही मजाक में ले रहे हो ..”
“क्या बहक रही है वो ,”
“वो अब्दुल के साथ घूम रही है ,कभी भी उसके साथ चले जाती है और ..”
“और ..”
“और कुछ नही ,तुम थोड़ा तो लगाम लगाओ यार ..”
“इतना तो तुम्हारे साथ भी करती थी तो क्या तुम्हारे साथ भी वो गलत थी ..”
“हम दोस्त है ..”
“वो भी तो दोस्त ही है ..”
“लेकिन फिर भी ..”
“तू कहना क्या चाहता है बे ..”
राज की बात से मेरा दिमाग पक गया था ,
“कुछ नही वो ..”
“वो क्या साफ साफ बोल दे मुझसे फटती है क्या ,या मोना से फटती है जो मुझसे बात करने चला आया है ..”
राज(मोना का कलीग ) थोड़ा बेचैन दिखा ..मुझे पता था की ये भी मेरे बीवी के आशिकों में एक है ..और मोना को लाइन मारने की भरपूर कोशिस में लगा हुआ रहता है लेकिन जब लोग असफल हो जाते है तो उनकी सफल लोगो से जलने लगती है और इस समय इस खेल में अब्दुल ने राज को पछाड़ दिया था ,मोना अब्दुल के साथ ही ना की राज के साथ ,राज की इतनी जली की वो मेरे ऑफिस तक पहुच चुका था …
“ऐसा नही है ..”
“तो प्रॉब्लम क्या है की तू इतना बताने के लिए मेरे ऑफिस तक आ गया है ,ऐसी क्या दोस्ती है तेरे और मोना के बीच और हम तो बस उस पार्टी में ही मिले थे उसके बाद से तो आज तक हम मिले नही फिर भी तू मेरे पास आ गया आखिर राज क्या है राज जी …”
उसे अपनी गलती का अहसास हो चुका था,वो बिना किसी तैयारी के ही मेरे पास आ गया था ,और मेरे चहरे का गुस्सा भी उससे छिपा नही था ..
“कुछ नही बस दोस्ती के नाते बता रहा हु ..”
“तेरी दोस्ती मोना से है ना की मुझसे “
“मोना को समझने की कोशिस की लेकिन वो संमझती नही ,”
मेरे होठो में एक व्यंगात्मक सी मुस्कान आ गई ..
“मुझे लगा की तुम्हे बता दु,लेकिन तुम भी कुछ नही सुनना चाहते खैर ओके बाय ..”
“रुक...मोना के खिलाफ मेरे कान भरने से पहले ये याद रखना की मैं उसे तुझसे ज्यादा जानता हु और उसपर भरोसा करता हु समझ गया …”
उसने बस मुझे एक नजर देखा और तुरंत ही बाहर चला गया ..
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रात के लगभग 1 बजे थे घना ठंड था जिससे हड्डियां भी कांप रही थी ,मेरे हाथो में बस एक टार्च था जिसे भी मैं जला नही रहा था,रम के चार पैक ने मुझमें थोड़ी गर्मी का संचार तो किया था लेकिन फिर भी हाथ पैर कांप ही रहे थे,मैंने अपनी बाइक उस गोदाम से थोड़ी ही दूर में खड़ा किया हुआ था ,मोबाइल साइलेंट में था , और अंधेरे में आंखों को अरजेस्ट करने की कोशिस करते हुए मैं दीवाल की मदद से कोई ऐसी जगह तलाश रहा था जिससे मैं उस गोदाम के अंदर जा सकू ,लगभग 10 एकड़ के फैलाव में फैले हुए उस विशाल खुले हुए गोदाम में 500 से ज्यादा अलग अलग किस्म की गाड़िया बिकने आयी हुई थी ,उठा डंप की गई थी ,मैं बेहद ही सावधानी के साथ दीवार फांद गया और अभी तक मैंने टार्च का उपयोग नही किया था ,मैं सारा गोदाम ही सुनसान था,गेट पर बने हुए एक छोटे से मकान में एक गार्ड सो रहा था ,वही बाकी के कर्मचारी भी बड़े बड़े रजाई ओढे घोड़े बेच कर सो रहे थे ,मेरे लिए वँहा स्वत्रन्त्र होकर घूमना आसान हो गया था ,लेकिन फिर भी मैं कोई रिस्क नही लेना चाह रहा था लेकिन फिर एक जगह जाकर मैं ठिठक गया,दो गार्ड पूरी मुस्तैदी से तैनात दिखाई दिए ये गोदाम के सबसे पीछे का हिस्सा था ,थोड़ी आग जला रखी थी जिससे उन्हें गर्मी मिलती रहे वही ओल्डमोंक की एक खाली बोतल से भी समझ आ रहा था की ये नशे में तो है लेकिन फिर भी पूरी तरह से सतर्क है …
ये ही इतना समझने को काफी था की जिस माल की तलाश में मैं यंहा पहुचा हु वो यंही रखा गया था…
मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई,जब मैंने पास ही खड़ी एक बड़ी सी गाड़ी को देखा ,लगभग 30 चक्कों की गाड़ी थी जिसमे महंगी कारो को ले जाया जाता है ,उसका यंहा होने का एक ही मतलब था की माल की डिलवरी यंही से होगी या इसी से होगी ,मैंने एक ट्रेकिंग डिवाइस निकाल कर उस ट्रक में ऐसे लगा दिया की किसी को दिखाई ना दे …
मैं जिस तरह से आया था चुप चाप उसी तरह से वापस भी चला गया,ये सब करने में मुझे मुश्किल से आधे घण्टे ही लगे थे …
1:30 हो चुका था..मैंने मोना को काल किया ..
“हल्लो कहा हो अभी ..”
उसकी सांसे थोड़ी तेज थी …
“मैं अभी ..आप कहा हो “
“मैं घर आने को अभी निकल रहा हु ,आधा घंटा लगेगा ..”
“ओह ..”उधर से आवाज बिल्कुल शांत सी आने लगी
“तुम कहा हो ..”
“मैं थोड़ी देर में आ जाऊंगी थोड़ा लेट हो गई आज ..”
“अब्दुल के साथ हो ..”मैंने तुरंत ही पूछ लिया
“हा ..मैं भी यंहा से निकल रही हु ..”
उसने के सपाट जवाब दिया और फोन रख दिया,मेरे होठो की मुस्कान और भी गाढ़ी हो चुकी थी …
मैं तुरंत ही अपनी गाड़ी को बिना स्टार्ट किये ही ढुलाते हुए उस गोदाम के गेट के पास लाया,
करीब 15 मिनट हुए थे की गेट खुला ,मैंने भी अपना हेलमेट पहन लिया था ,मेरी निगाह लगातार उस गेट पर ही थी ,एक महंगी गाड़ी वँहा से निकली जो की अब्दुल की गाड़ी थी ,मैं साफ देख सकता था की पीछे औरत बैठी थी और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था …
उस औरत को मैं पहचान सकता था ,पहचानता भी कैसे नही वो मेरी जान जो थी ,वही लंबे बाल जो अभी बिखरे हुए थे वो उसे सम्हाल रही थी ,मैं उस गाड़ी के पीछे हो गया लेकिन दूरी बनाये रखी,जबतक की गाड़ी भीड़ भाड़ वाले रोड में नही आ गई …
वो गाड़ी तेजी से चल रही थी जैसे उसे कही एक निश्चित समय में पहुचनी हो …
मोना अपने बालो को संवार थी ,वही वो अपने पर्स से दर्पण निकाल कर अपने होठो के साथ कुछ कर रही थी ,चलती हुई गाड़ी में वो अपना हुलिया ठीक कर रही थी जिसका मतलब साफ था की उसका हुलिया किसी ने पहले बिगड़ा था…
वो गाड़ी मेरे बंगले के पास आकर रुकी और मोना उतर कर गेट के पास रुकी अंदर देखा,मेरी गाड़ी नही होने के कारण शायद उसे थोड़ी शांति मिली हो ,मैं दूर ही खड़ा सब देख रहा था की वो अदंर चली गई ,थोड़ी देर बाद मैं भी घर पहुचा गया…
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