RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अंदर कहीं चिड़ियाँ सी चह-चहाईं.., कोई दो मिनट के इंतेजार के बाद दरवाजा खुला…, और उसी के साथ साथ सामने का दृश्य देख कर उन दोनो के मूह भी खुले रह गये……!
दरवाजे के बीचो-बीच लीना खड़ी थी, इस समय वो बिना किसी मेक-अप के थी.., लेकिन फिर भी उसकी सुंदरता में कोई खास कमी नही थी.., उपर से उसके कपड़े….,
हाईए…देखना इन दोनो में से किसी का खड़े खड़े ही पानी ना निकल जाए…!
निहायत ही छोटा सा शॉर्ट, जो मुश्किल से उसके उभरे हुए चुतड़ों को ढक पा रहा था.., इतना टाइट कि आगे से उसकी चूत की मोटी-मोटी फाँकें साफ-साफ अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही थी…!
उनके बीच की दरार…उउउफफफ्फ़…, युसुफ की देख कर हालत ही खराब होने लगी, उसके मूह में उसकी उन फांकों को चाटने के ख्याल से ही पानी भर आया…!
कमर में इतना नीचे बँधा था कि अगर उसकी चूत पर बाल होते तो शर्तिया उपर से दिखाई देते…!
और उसका टॉप…, मासा-अल्लाह.., उसके वक्षों को बा मुश्किल धक पा रहा था.., नीचे से इतना लूस, ऐसा लग रहा था, मानो उसे किन्ही दो खूँटियों के उपर ऐसे ही टाँग रखा हो…!
अगर कोई बैठकर झाँकने लगे तो उसकी ब्रा समेत चुचियों का पूरा जेओगराफिया पता कर सकता था…!
यही नही उपर उसका इतना चौड़ा गला कि उसकी पिंक ब्रा आधी तक दिख रही थी, उसके पुष्ट उरोजो की गहरी खाई देख कर वो दोनो पलक झपकाना ही भूल गये…!
टॉप के ढीले होने की वजह से उसका एक तरफ का शोल्डर बिल्कुल नंगा था, जिससे उसकी ब्रा की स्ट्रीप अलग ही दिख रही थी..,
कंधे तक के खुले रेशमी बालों के बीच उसका चाँद सा मुखड़ा जिस पर इस समय शरारत से भरपूर मुस्कराहट विद्यमान थी…!
अपनी नशीली आँखों से उन दोनो को घूरते हुए बोली - वेल कम दोस्तो.., मेरे घर में तुम दोनो का स्वागत है.., आओ..अंदर आओ.. इन शब्दों के साथ ही वो अपनी जगह पर पलट गयी.., !
उफफफ्फ़…क्या कयामत है याररर.., लगता है आज तो पानी निकल्वाकर ही रहेगी ये…, पीछे से उसके शॉर्ट का और ही बुरा हाल था.., इतना नीचा कि उसके कुल्हों की गोलाईयों की ढलान बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी..,
उसकी माइक्रो पैंटी की डोरी जो कमर के बंद से होती हुई उसकी गान्ड की दरार में घुसी पड़ी थी.., पीछे से साफ दिख रही थी कि वो अंदर किस जगह और कितनी सुरक्षित होगी…!
अपने गोल-गोल नितंबों को मटकाते हुए वो उन दोनो के आगे-आगे चल रही थी.., उसके पीछे आहें भरते हुए वो दोनो किसी चाबी लगे खिलौनों की तरह उसकी मटकती गान्ड के मज़े लेते हुए पॅंट में अपने-अपने लंड अड्जस्ट करते हुए चल पड़े…!
एक छोटी सी लॉबी पार करके वो एक हॉल नुमा कमरे में पहुँची जहाँ एक लोंग सोफा, दो चेर और एक सेंटर टेबल पड़ी हुई थी…!
सामने एक बेहद सुसज्जित शो केस में एक 44” का टीवी था जिस पर इस समय कोई हॉलीवुड मूवी चल रही थी..,
कुल मिलकर लीना यहाँ ऐश की जिंदगी बसर कर रही थी.., जिसके श्रोत का उन्हें अभी कुछ पता नही था…!
उसने लोंग सोफे की तरफ इशारा करके उन दोनो को बैठने के लिए कहा और खुद एक चेयर पर बैठ गयी.., जो सेंटर टेबल के उस पार ठीक उनके सामने थी…!
बैठते हुए जानबूझकर उसने अपनी संगेमरमर जैसी चिकनी गोल मांसल जांघों के बीच गॅप बना रखा था जिसमें से उसकी चूत की मोटी-मोटी फाँकें उभरी हुई साफ-साफ नुमाया हो रही थी…!
बैठने के बाद उसका टाइट शॉर्ट उस जगह पर और ज़्यादा टाइट हो गया.., जिससे उसका मुलायम सॉफ्ट कपड़ा दोनो फांकों के बीच की दरार में धँस गया..,
कुल मिलाकर कपड़े के बबजूद उन दोनो को उसकी ढाई-तीन इंच लंबी चूत की शेप क्लियर दिखाई दे रही थी…!
उन दोनो का ध्यान अपनी जन्नत पर पाकर वो मन ही मन खुश हो रही थी.., उसे पता था कि किसी भी मर्द से काम निकलवाने का कॉन्सा सटीक तरीक़ा होता है…!
अपने चहरे पर स्माइल लाकर वो बोली – तुम दोनो को यहाँ तक पहुँचने में कोई तकलीफ़ तो नही हुई…?
उसकी आवाज़ सुनकर उन दोनो ने एक साथ झटके से अपने सिर उठाए.., एक साथ ही उनके मूह से निकला…ज.ज्ज..जीए…कोई खास नही..,
लीना – तो बताओ क्या लेना पसंद करोगे.., कुछ ठंडा.., गरम…?
एक बार उसके चेहरे पर नज़र डालकर उन दोनो की नज़रें झिजक के कारण फिर झुक गयी.., नज़र झुकाए हुए ही युसुफ ने कहा – जी मेडम जी, जो आप पिलाना चाहें...!
लीना – नही.. तुम लोग मेरे मेहमान हो, और मेहमान की इच्छा जानकार ही मेहमान नवाज़ी होती है.., बोलो क्या लोगे..?
युसुफ थोड़ी हिम्मत जुटाकर बोला – इक्च्छा तो हमारी कुछ और ही पीने की है, लेकिन आप पिलाएँगी नही…!
लीना – ऐसा क्यों सोचते हो..बोलो तो सही क्या पीना चाहते हो.., मेरे पास हर तरह की ब्रांड मिलेगी तुम्हें.., बिंदास कहो, क्या चाहिए तुम्हें..?
युसुफ भी पक्का खिलाड़ी था, वो थोड़ा धिठाई के साथ बोला – जो हम पीना चाहते हैं, वो तो आपके पास है, और आप इतनी दूर बैठी हैं… तो फिर..कैसे…???
लीना भी पूरी खेली खाई थी.., वो युसुफ की बात का मतलब अच्छे से समझ रही थी.., लेकिन बजाय गुस्सा दिखाने के उसने अपनी एक जाँघ उठाकर दूसरी के उपर रखते हुए कहा –
बड़े उस्ताद हो युसुफ मियाँ.., उंगली पकड़ने की बजाय सीधा हाथ ही थामना चाहते हो.., अभी तो चाय से काम चला लो.., उसके लिए तुम लोगों को थोड़ा इम्तिहान देना पड़ेगा..
मोटी-मोटी गुदाज जांघों के बीच दबाब पड़ने से उसका योनि प्रदेश कुछ और ज़्यादा ही फूल गया.., उस पर नज़र गढ़ाते हुए युसुफ बोला…
उसके लिए हम किसी भी इम्तिहान से गुजरने को तैयार हैं.., बोलो क्या करना होगा…!
उसकी बात पर मन ही मन मुस्काराकार लीना ने अपनी मैड को आवाज़ दी…लूसी ज़रा दो चाय लाना, साथ में कुछ स्नेक्क्स भी…!
चाय पीते हुए लीना ने कहा – मे तुम लोगों को दो पॅकेट दूँगी, जिन्हें तुम्हें हिना बार &क्लब के मालिक अब्बास अली को उसके ठिकाने पर पहुँचना है और उससे 10 लाख लेकर आने हैं…!
याद रखना, वो थोड़ा टेडा आदमी है.., अब तुम जानो ये काम कैसे करना है तुम जानो.., अगर तुम ये पॅकेट उसे देकर पेमेंट ले आए तो उसमें से 10% यानी 1 लाख तुम दोनो का इनाम…!
अब तक शांत बैठा संजू बोला – टेढ़े के लिए हम भी टेढ़े हैं, उसकी आप चिंता मत करो.., बस आप अपना प्रॉमिस याद रखना..!
लीना – हां..हां.., क्यों नही.., चाहो तो उसमें से 1 लाख अपने निकाल कर ही देना मुझे….,
संजू – मे पैसे की बात नही कर रहा…, जो आपने कुछ देर पहले वादा किया था.. स्पेशल इनाम का हमारे लौटने के बाद…!
लीना खिल-खिलाकर हँसते हुए बोली – आई…शाबास…, तो संजू शिंदे को भी वो गिफ्ट चाहिए.., चलो तुम भी क्या याद करोगे.., किस रईस से पाला पड़ा है.., तुम दोनो की तमन्ना ज़रूर पूरी की जाएगी…
तुम्हरे आज के इम्तिहान में सफल होने की खुशी में मेरी तरफ से एक स्पेशल पार्टी तय.., जो खाना चाहो.., पीना चाहो…, और जो…भी…, आज रात लूसी भी हमारे जश्न में शामिल होगी…!
लीना ने लूसी की मोटी गान्ड दबाते हुए कहा – क्यों लूसी तुम्हें तो कोई प्राब्लम नही..?
आययईीी मेडम…जैसा आप कहो.., इतना कहकर लूसी अपनी गान्ड सहलाते हुए वहाँ से अपनी गान्ड हिलाती हुई किचन में भाग गयी…!
चाय नाश्ते के बाद उन दोनो ने लीना से पॅकेट लिए और विदा लेकर उसके फ्लॅट से निकल लिए…!
बाहर आकर संजू ने कहा – युसुफ भाई देखो तो सही ऐसा क्या इन पॅकेट में जिसकी कीमत 10 लाख रुपये है…!
युसुफ – अरे यार तू रहेगा पक्का भोन्दु ही.., अब क्लब वाले को सोना या हीरे मोटी तो भेजेगी नही.., कुछ ना कुछ नशे-पत्ते की ही चीज़ होगी.., चल देखते हैं.., इसको कैसे निपटाना है…!
और सुन.., जब तक कोई ऐसी वैसी प्राब्लम खड़ी ना हो तब तक भड़कने का नही.., समझा.., मौके के हिसाब से काम लेना है हमें..,
याद रहे ये अपना पहला ऐसा काम है जिसमें अच्छा ख़ासा धन के साथ साथ..दो दो मस्त जवानियाँ भोगने को मिलने वाली हैं..
इसलिए किसी भी सूरत में हमें फैल नही होना है.., बस थोड़ा अपने आप पर संयम रखना…ओके..
संजू – अरे यार युसुफ भाई तुम इतना डरते काहे को हो.., चलो देखते हैं क्या हालत बनते हैं वैसा ही करेंगे., आप फिकर मत करो.. सब ठीक ही होगा…!
युसुफ – खुदा करे सब ठीक ही हो.., इस तरह बातें करते हुए वो दोनो निकल पड़े अपनी मंज़िल की ओर…..!
हिना क्लब & बार, मुंबई की घनी आबादी के बीच.., दिन छिप्ते ही यहाँ नशेडियों की भीड़ जमा होने लगती है..,
अभी दिन छिप्ने में देरी थी इस वजह से बार अभी लगभग खाली ही था.., इक्का-दुक्का ग्राहक शांति से अपनी टेबल पर बैठा था..!
युसुफ और संजू सीधे रिसेप्षन काउंटर पर पहुँचे.., काउंटर पर बैठे आदमी ने उनसे सवाल किया – बोलो क्या चाहिए…?
युसुफ – हमें अब्बास भाई से मिलना है…
वो – काहे कू…?
यूसुस अपने हाथों में दबे पॅकेट्स की तरफ इशारा करते हुए – ये पॅकेट उनको देने का है…!
वो – क्या है इनमें…?
संजू – ओये स्याने.., ज्यास्ती सवाल जबाब नही करने का, उसकू बोल.., दो लोग मिलने को आएला हैं.., लीना मेडम ने पॅकेट भेजेला है, वो समझ जाएँगा…!
वो अकड़ कर बोला – ओये लौन्डे…, इधर ज्यास्ती नही बोलने का.., समझा क्या.., वरना बाद में पछ्ताने का भी समय नही मिलता…!
युसुफ ने बीच में कूदते हुए कहा – जाने दे भाई, छोकरा नादान है.., तुम अब्बास भाई को हमारे आने की खबर दो…!
वो संजू की तरफ खा जाने वाली नज़र से घूरते हुए बोला – चल ठीक है.., तुम इधेर एच खड़ा रहने का, मे अभी बोलके आता…!
कोई दो मिनट बाद ही वो एक दरवाजे के पीछे से निकल कर आते ही बोला – जाओ तुम लोग, भाई अंदर ही बैठेला है.., और सुनो.., तुम लोग के पास कोई हथियार, वथियार तो नही…?
युसुफ ने ना में गर्दन हिलाई और संजू का हाथ पकड़ कर उस बंद दरवाजे की तरफ बढ़ गया…!
रास्ते में.., तू तो आते ही शुरू हो गया.., किसी दिन बेमौत मरवाएगा.. युसुफ ने उसे समझाते हुए कहा…
अभी संजू कोई जबाब देने ही वाला था कि तभी वो दोनो दरवाजे के उसपार जा पहुँचे.., अंदर एक ऑफीस नुमा कमरा था जहाँ एक सोफे के आगे एक टेबल था, साथ में दो चेयर पड़ी थी…!
सोफे पर एक मध्यम कद काठी का पक्के रंग वाला उमर कोई 40 साल जिसके नाक के पास एक चाकू का निशान था, लाल लाल आँखों वाला व्यक्ति जो शायद अब्बास ही था.. लगभग पूरे सोफे पर पसरा हुआ बैठा था…!
साथ की चेर्स पर दो और लोग भी थे, जो शायद उसके खास चम्चे होंगे…!
उन दोनो को देखते ही अब्बास बोला – आओ रे तुम लोग.., बैठो.., क्या लोगे.., विस्की, रम या देशी…?
युसुफ ने आगे बढ़कर उसे सलम्बलेकुम बोला और जाकर उसकी बगल में बैठते हुए बोला – नही भाई इस टेम हम लोग कुछ नही लेते..,
ये पॅकेट भेजे हैं लीना मेडम ने आपको देने के वास्ते..,
अब्बास पॅकेट टेबल पर रखवा कर बोला – माल तो अच्छा है कि नही..?
युसुफ – हमें नही पता भाई.., आप खुद ही चेक कर्लो…
अब्बास एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए बोला – देख अह्मेद एक पॅकेट खोल के चेक कर.., माल अच्छा होएंगा तभी..च लेगा अपुन.., वरना और बहुत हैं देने वाले...
आहेमद ने चाकू की नोक से पॅकेट की सील तोड़ी, जिसमें सफेद पाउडर की थैलियाँ भरी हुई थी, उनमें से एक थैली निकाल कर उसको खोला.. थोड़ा सा पाउडर एक 1000 के नोट पर रख कर उसने उसे सूँघा…!
माल तो कड़क है भाई.., लगता है इंपोर्टेड है…, इतना कहकर उसने वो नोट अब्बास को थमा दिया.., उसने भी चेक किया और बोला… सही बोला तू…इंपोर्टेड है…
लीना साली जैसी खुद कड़क है वैसा इच माल रखती है…, चल ठीक है.., वो ड्रॉस से 5 गॅडी निकाल कर ये छोकरा लोग को दे दे…!
युसुफ – 5 गड्डी मतलब…?
अब्बास – 5 पेटी… बोले तो 5 लाख…,
युसुफ – लेकिन मेडम तो 10 लाख बोली लाने को…!
अब्बास – आए स्याने.., 5 लाख बोला तो 5 लाख.., एक पैसा ज्यास्ती नही.., ये पकड़ और कट ले इधर से वरना.., पैसे भी जाएँगे और माल भी…, बोल देना अपनी मेडम को…इससे ज्यास्ती नही मिलेगा…!
अब्बास की धमकी भरी बातें सुनकर युसुफ को होठ खुश्क हो गये.., उसके मूह पर मानो ताला चिपक गया हो.., लेकिन तभी संजू बोल पड़ा…!
ये तो ग़लत बात है.., 10 लाख का माल 5 लाख में कैसे दे सकते हैं.., चलो युसुफ भाई माल उठाओ.., चलते हैं यहाँ से..., इतना कहकर उसने एक पॅकेट की तरफ हाथ बढ़ा दिया…!
इससे पहले की संजू पॅकेट से हाथ लगा पाता कि बाजू में खड़े अहेमद ने उसकी कलाई थाम ली, उसे मजबूती से पकड़ कर बोला – शेर के मूह से गोस्त निकालना चाहता है लौन्डे…!
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