Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 02:01 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
एक अप्रत्याशित अनहोनी होने से बच गयी थी.., उपर आकर वो कितनी ही देर तक अपने डर पर काबू पता रहा.., फिर दोनो मिलकर वहाँ से थोड़ा हटकर एक चट्टान पर आकर बैठ गये…!

संयत होकर उस व्यक्ति ने उस युवक से पुछा.., कॉन हो तुम और ये शूसाइड क्यों करना चाहते थे…?

युवक – मेरी छोड़ो.., तुम बताओ, तुम कॉन हो और यहाँ क्या कर रहे थे, शुक्र है भगवान का वरना मेरी वजह से मौत के ग्रास बन जाते…?

व्यक्ति – मेरा नाम युसुफ है, यूपी के एक छोटे से गाओं का रहने वाला हूँ, गाँव में मेरे बूढ़े अम्मी-अब्बू, 4 बहनें जिनमें से एक का ही निकाह हो पाया है अब तक.., वहाँ बड़ी कुरबत की जिंदगी जी रहे हैं…!

मेने सोचा यहाँ मुंबई में आकर कुछ काम धाम करके घर पैसे भेजूँगा.., दो महीने हो गये लेकिन कोई काम नही मिला…!

हालात ये हैं कि जब किसी हिंदू के पास काम माँगने जाता हूँ, तो मुस्लिम नाम सुनकर काम देने को तैयार नही है.., और मुसलमान खुद ही इतने हैं कि उनके पास खुद कोई करने को काम नही है…!

जैसे तैसे कुछ मेहनत मज़दूरी करके अपना पेट भरने का जुगाड़ करने लगा.., लेकिन इतना नही कि घर कुछ भेज सकूँ..!

थक कर चोरी चकोरी करने की ट्राइ किया लेकिन अब तक कोई बड़ा हाथ नही मार पाया, उपर से पकड़े जाने का ख़तरा हर समय मंडराता रहता है.., बस किसी तरह से दिन कट जाता है…!

कभी-कभी तो भूखे पेट ही सोना पड़ जाता है, कभी-कभी सोचता हूँ कि बेकार ही यहाँ आया.., इससे अच्छा तो अपने गाओं में ही रहकर किसी के यहाँ खेत मज़दूरी कर लेता…!

भटकते हुए इधर निकल आया, समंदर की लहरों को देखकर यही सब सोच रहा था कि ना जाने मेरे परिवार का क्या हो रहा होगा.., बस इतनी सी कहानी है मेरी..,

अब तुम बताओ कुछ अपने बारे में.., लगता है.. तुम मुझसे भी ज़्यादा मुसीबत के मारे हो जो इतना बड़ा कदम उठा बैठे…!

वो युवक कुछ देर तक यूँही बैठा रहा.., युसुफ ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा.., युवक ने उसकी तरफ सूनी-सूनी निगाहों से देखा फिर अनायास ही उसकी आँखें नम हो गयी…!

युसुफ ने उसका कंधा थप-थपाकर कहा – बोलो दोस्त जो भी तुम्हारे दिल में है.., सुना है दुख बाँटने से कम हो जाते हैं…!

युवक – क्या बताउ दोस्त.., मेरी कहानी भी तुमसे कुछ हटके नही है.., और फिर मेरे दुख ऐसे हैं जो कम होने वाले नही हैं.. बस बढ़ते ही रहेंगे…!

अब तो दुखों के साथ साथ मेरा आत्म सम्मान भी इतना घायल हो चुका है.., कि जब भी उनसे टीस उठती है सहना मुश्किल हो जाता है…!

दिल के घाव दिनो-दिन नासूर बनते जा रहे हैं.., अपना सब कुछ खो चुका हूँ, सहन शक्ति जबाब दे चुकी है इसलिए मे अब अपनी जिंदगी ख़तम करने का फ़ैसला करके ही यहाँ आया था…!

लेकिन मेरी फूटी किस्मत, यहाँ भी तुमने मुझे बचा लिया..मरने भी नही दिया मुझे..,

युसुफ – आत्महत्या कायरता है दोस्त.., जो किसी समस्या का समाधान नही कर सकती..!

युवक उसकी बात सुनकर रो ही पड़ा और उसके गले से लिपटकर फफकते हुए बोला – मे कायर ही तो हूँ दोस्त.., समस्याओं से लड़ते-लड़ते थक चुका हूँ.., समाधान कहीं हो तो दिखे…?

युसुफ – हौसला रखो दोस्त.., हो सकता है हम दोनो मिलकर अपनी-अपनी समस्याओं का कोई हल निकाल सकें…!

युवक – तुम जाओ यहाँ से…मुझे अकेला छोड़ दो भाई.., कहीं ऐसा ना हो कि मेरी फूटी किस्मत की परच्छाई तुम्हारी समस्या और बढ़ा दे..,

युसुफ – मेरे सामने समस्याओ का पूरा पहाड़ खड़ा है.., तुम्हारी वजह से थोड़ी और बढ़ जायें तो भी क्या फरक पड़ने वाला है.., हां ये भी हो सकता है कि हम दोनो मिल बैठ कर कोई हल निकाल सकें…!

अब रोना छोड़ो.., और अपने बारे में बताओ…!

युवक कुछ देर के लिए शांत रहा फिर एक लंबी साँस छोड़कर बोला – ठीक है, अगर मेरे बारे में जान’ना ही चाहते हो तो सुनो….!

मेरा नाम संजू शिंदे है.., विदर्भ के एक छोटे से गाओं का रहने वाला हूँ.., मेरे पिता एक ग़रीब किसान थे.., बड़ी मुश्किल से साल भर की रोटी का जुगाड़ कर पाते थे..!

थोड़ा बहुत बचता था उसे गाओं का साहूकार कभी पिताजी द्वारा लिए गये कर्जे के सूद के तौर पर ले जाता था…!

परिवार में मेरे माँ-बाप के अलावा मे सबसे बड़ा, एक बेहन और उससे छोटा एक भाई था..,

जब मे 10थ में पढ़ता था तभी कुपोषण के शिकार अधिक मेहनत की वजह से मेरे पिता का देहांत हो गया.., घर की सारी ज़िम्मेदारी मेरी माँ पर आगयि…!

मेरी माँ उस वक़्त 32-33 साल की थी, दिखने में वो ठीक-ठाक ही लगती थी.., मेहनत के कारण उनका बदन एकदम कसा हुआ था.., खेतों में काम करने के बावजूद भी उनका रंग साफ ही था…!

गाओं के लोग अक्सर उनको ग़लत नज़र से ही ताड़ते थे.., हमेशा ही हमारी ग़रीबी का फ़ायदा उठाने के चक्कर में ही रहते थे…!

अपनी इज़्ज़त बचाने के साथ साथ माँ को दो वक़्त की रोटी भी जुटानी थी.., सो उन्होने मेरी आगे की पढ़ाई छुड़वा दी और मे उनके साथ खेतों में काम करके घर की परिस्थितियों से लड़ने में उनकी मदद करने लगा…!

ऐसे ही हालातों से लड़ते लड़ते किसी तरह हमने 5 साल निकाल दिए.., मेरी बेहन और छोटा भाई भी काम में हाथ बंटाने लगे.., नतीजा अब हमारी स्थिति पहले से सुधरने लगी…!

हमें लगने लगा कि अब हम अपने दुखों से छुटकारा पाते जा रहे हैं.., मेरी बहन अब जवान हो रही थी.., सोचा कुछ दिनो में कोई अच्छा सा घर देख कर उसकी शादी कर देंगे…!

छोटे भाई को खूब पढ़ा लिखा कर शहर भेज देंगे किसी अच्छी सी नौकरी के लिए.., लेकिन कहते हैं कि आदमी की सोचों से कई गुना तेज उसका वक़्त चलता है…!

मे अब 22-23 साल का हॅटा-कट्टा जवान हो चुका था, खूब मेहनत करता और भर पेट ख़ाता.., वाकी और कुछ सोचने विचारने का समय ही नही था मेरे पास…!

मे एक दिन खेती के लिए पास के कस्बे से बीज़ और खाद लेने गया हुआ था अपनी बैल गाड़ी लेकर…!

पीछे से गाओं के दबंग लोग जिनमें से एक दो मेरे हाथों मार भी खा चुके थे मेरी माँ और बेहन को छेड़ने के कारण.., वो लाला के साथ बासूली के बहाने आ गये…!

जब मेरी माँ ने कहा कि लाला जी.. हम तो आपका पूरा हिसाब कर चुके हैं.., तो उसने झूठे बही खाते दिखाकर पहले तो पैसों का दबाब डाला..,

फिर जब माँ ने कहा- ठीक है मे शाम को संजू को भेजती हूँ हिसाब करने तो वो लोग अभी के अभी चुकता करने पर अड़ गये..,

बसूली तो एक बहाना था, उसकी आड़ में वो लोग मेरी माँ के साथ बदतमीज़ी करने लगे..,


मेरी बेहन और छोटा भाई भी था उन्होने विरोध करना चाहा तो उन्होने मेरे भाई – बेहन को मजबूती से जकड लिया ..

और उनकी आँखों के सामने ही मेरी माँ को मादरजात नंगा कर दिया.., यही नही वो हरम्जादे बारी-बारी से मेरी माँ के साथ बलात्कार करते रहे..!

उनमें से जिन्होने मेरी बेहन को जकड़ा हुआ था उन्होने उसके साथ भी छेड़खानी शुरू करदी.., लेकिन उसने एक आदमी जो उसे मजबूती से पकड़े हुए था उसकी कलाई काट खाई…!

बिल-बिलाकर उसने उसे जैसे ही उसे छोड़ा वो वहाँ से जान बचाकर भाग निकली…!
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 02:01 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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