RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
10 मिनट में ही उनकी चूत ने अपना पानी फिरसे छोड़ दिया.., उसके बाद मेने उन्हें घोड़ी बना दिया, और पीछे से उनकी सुडौल गान्ड को मसलते हुए अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…!
अगले 10 मिनटों तक इसी तरह चोदने के बाद मेने भी अपना नल उनकी चूत के अंदर ही खोल दिया.., जिसकी गर्मी से वो तीसरी बार फिर एक बार झड़ने लगी..,
झड़ने के बाद मे उनके उपर ही पसर गया.., साँसों के जुड़ते ही, उनको बगल में पलट कर उनको गद्देदार गान्ड को सहलाने लगा…!
मे – भाभी एक बात कहूँ.., आपकी गान्ड बहुत सुंदर है.., मन करता है, एक बार अपना लंड इस गद्देदार गान्ड में डाल दूं..,
मेरी बात सुनकर वो एक झटके के साथ पलटकर मेरी तरफ मूह करके बोली – ना बाबा ना.., मेरी चुदि चुदाई चूत को ही इसने कीर्तन करवा दिया, गान्ड का ना जाने क्या हाल करेगा.., ये कहकर उन्होने मेरे आधसोए लंड को पकड़ कर मसल दिया…!
मेने भी उनकी गीली चूत में उंगली करते हुए कहा – क्या भाभी.., अपने नंदोई की इतनी सी भी सेवा नही कर सकती…?
नीलू – समझा करिए जीजा जी.., सच में आपका नाग बहुत मोटा और लंबा है.., चलो एक बार को मेने हिम्मत कर भी ली.., और मेरी गान्ड फट गयी तो.., यहाँ कोई और भी नही है मदद करने वाला…,
और दर्द सहन नही हुआ, मेरी चीखें निकली.., तो हॉस्पिटल का मामला है.., पोलीस आपको रेप के मामले में अंदर कर देगी.., इसलिए आप ये विचार फिलहाल त्याग दीजिए..
रातभर मेरी चूत है ना इसकी सेवा के लिए.., ये कहकर उन्होने मेरे खड़े हो चुके लंड को अपनी चूत की फांकों पर रगड़ना शुरू कर दिया…!
शायद आप सही कहती हो चलो ये ही सही, ये कहकर मेने उन्हें अपने उपर खींच लिया.., वो मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करके उसके उपर बैठने लगी…!
इस तरह उस रात 4 बजे तक नीलू ने जमकर अपनी चुदाई करवाई.., जब उनकी चूत सूजकर माल पुए जैसी हो गयी,,
अब उनमें एक बार भी लंड लेने की हिम्मत नही बची तब जाकर हम दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपटे सो गये…!
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मुंबई जुहू चौपाटी, शाम के वक़्त यहाँ कुछ ज़्यादा ही रौनक रहती है, लोग दिनभर की थकान और स्ट्रेस दूर करने अक्सर यहाँ चले आते हैं…!
अभी शाम होने में वक़्त था, दिन के लगभग 4 बजे होंगे.., भले ही दिसंबर का महीना था लेकिन गर्मी में कोई ज़्यादा राहत नही थी..,
समुंदर की लहरों के साथ बहती हवा शरीर को कुछ राहत दे देती थी..,
चौपाटी के मेन पिक्निक स्पॉट से हटकर छोटी-छोटी चट्टानों की तरफ एक युवक गुम-सूम सी अवस्था में समंदर की ओर बढ़ा चला जा रहा था..,
उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वो किसी सम्मोहन से बँधा समंदर की उच्छलती कूडती लहरों में खोया हुआ उनसे कुछ पाने की इच्छा लेकर उनकी तरफ बढ़ा चला जा रहा हो…!
थोड़ी देर में ही वो एक ऐसी चट्टान पर जा पहुँचा जिससे समंदर की तेज लहरें टकराकर अपना दम तोड़कर वापस लौट जाती थी, उसके कुछ ही पलों बाद वो फिरसे अपनी शक्ति बटोरकर उस चट्टान से आ टकराती..,
लेकिन चट्टाना के हौसले बुलंद देख वो अपना सिर पटक कर फिर वापस लौट जाती.., ये सिलसिला ना जाने कितनी सदियों से चला आरहा था..,
ना तो लहरें अपनी हिम्मत खोने को तैयार थी और चट्टान तो जैसे थामे ही बैठी थी कि आओ देखें किस्में कितना है दम…!
चट्टान के ठीक नीचे अतः गहराई समेटे समंदर जिसका कोई ओर या छोर दिखाई नही पड़ता था.., जितनी दूर तक नज़र जा सकती थी, बस पानी ही पानी..,
सफेद-सफेद रूई जैसी लहरों से सुशोभित, सूरज की तेज किरणों के बीच चाँदी की प्लेटो जैसी चमचमाती लहरें आ रही थी…जा रही थी…!
युवक चलते-चलते चट्टान के अंतिम छोर पर जेया पहुँचा, इतना की अगर एक कदम और आगे बढ़ता कि सीधा समंदर की तेज लहरों के बीच,
जहाँ से निकलना किसी इंसान तो क्या, जल के किसी जीव के बस की बात भी नही थी..,
कुछ देर वो युवक अपनी आँखें बंद किए ना जाने क्या सोचता रहा, फिर उसने कुछ निर्णय लिया और समंदर की तेज लहरों के बीच छलान्ग लगाने के लिए अपना अगला कदम आगे बढ़ा दिया…!
उसी चट्टान की छोटी के साइड की ढलान पर एक और आदमी जिसकी उम्र कोई 30-32 साल की रही होगी बैठा समंदर की लहरों का मज़ा ले रहा था,
अपनी तरफ आते उस युवक जो उससे उम्र में 3-5 साल छोटा ही लग रहा था को उसने देखा.., उसकी अवस्था देखकर उसको शंका हुई..,
दीवानो की तरह बढ़े चले आ रहे युवक को देख वो सतर्क हो गया, क्योंकि वो जिस तरह से चोटी की तरफ बढ़ा चला आ रहा था, उससे सॉफ जाहिर था की वो समंदर की लहरों को देखने तो नही आ रहा है…!
वो फ़ौरन अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ.., जब युवक अपने अंतरद्वंद से लड़ रहा था तब तक वो उसके अत्यंत करीब जा पहुँचा..,
युवक पर ना जाने कैसा जुनून सवार था की उसे उस दूसरे व्यक्ति के आने की भनक तक भी नही लगी..,
फिर जैसे ही उसने समंदर की लहरों के बीच छलान्ग लगाने की कोशिश की, उस व्यक्ति ने समय रहते उसकी कलाई थाम ली..!
अचानक से किसी और के द्वारा उसकी कलाई पकड़े जाने पर उस छलान्ग लगते व्यक्ति के शरीर को एक तेज झटका लगा, वो उस व्यक्ति की तरफ घूमा.., साथ ही साथ अपनी कलाई छुड़ाने का प्रयास भी किया…!
इस आपा धापी में वो छलान्ग लगाने वाला व्यक्ति दूसरी तरफ आ गया और बचाने वाला चट्टान के किनारे की तरफ चला गया..,
उसकी कलाई इस झटके के साथ उसके हाथ से छूट गयी, लेकिन झोंक झोंक में वो बचाने वाला व्यक्ति चट्टान के नीचे की तरफ गिरने लगा..,
भाग्यबस चट्टान से गिरते ही उसके हाथ एक बाहर को निकला हुआ उस चट्टान का सिरा हाथ आ गया.., इधर जब उस युवक ने अपने बचाने वाले को ही समुंदर में गिरते देखा तो एक क्षण को तो वो सन्न खड़ा रह गया..,
लेकिन फिर जैसे ही देखा कि वो एक हाथ से ही चट्टान के नुकीले पत्थर को पकड़ कर लटका है.., उसने फ़ौरन नीचे लेट कर अपना हाथ लंबा करके उसे थामने की कोशिश की…!
जैसे तैसे करके उस लटके हुए व्यक्ति ने अपना दूसरा हाथ लंबा करके उसके हाथ को थाम लिया.., और पैर के पंजों को चट्टान की चिकनी सतह पर जमाते हुए वो उपर आ गया…!
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