RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरे उपर बैठकर श्यामा ने इतनी तेज़ी से अपनी कमर चलाई कि नीचे से मे अपनी कमर उचकाना भूल गया गया, उसकी चुदाई की लगन देखकर मे मंत्रमुग्ध होकर बस मज़े लेता रहा..,
शयामा आज अपनी सारी अगली पिच्छली कसर निकाल लेना चाहती थी.., ना जाने वो कितनी बार झड़ी होगी..,
लेकिन चुदाई की रफ़्तार के आगे मेरा लंड भी एक बार झड़ने के बाद चूत के अंदर ही अंदर ढीला भी नही हो पाया कि फिर से अकड़ गया..,
श्यामा के उपर मानो चुदाई का भूत सवार हो, वो एक पल के लिए भी नही लगी कि वो झड़ने के बाद थकि हो, बस दे दनादन चक्रि की तरह अपनी कमर घुमाती चली जा रही थी..,
फिर जैसे ही वो अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाकर रुकी, मेने शयामा को कुतिया की तरह पीछे से पेलना शुरू कर दिया, और खूब पेला, फिर आख़िरकार अपना ढेर सारा पानी उसकी नन्ही सी चूत में उडेल दिया..,
शयामा औंधे मूह चारपाई पर पड़ी रह गयी, कुछ देर मे भी उसके उपर लेटा रहा, फिर उठकर उसकी गान्ड को सहलाकर अपने कपड़े पहन लिए..,
शयामा के शरीर को हिलाया तो वो कुन्मूनाकर सीधी हुई, अपनी बाहें फैलाकर मेरी तरफ बढ़ा दी.., मेने झुक कर उसे गले से लगा लिया..,
वो मेरे गले से लिपटकर बोली – धन्याबाद मालिक, आज आपका प्रसाद पाकर मे धन्य हो गयी..,
चोंक कर मेने उसे अलग किया और बोला – क्या मतलब..? कैसा प्रसाद..?
श्यामा मुस्करा कर बोली – वही जो अभी अभी ढेर सारा मेरे अंदर डाला है आपने.., मुझे पूरी उम्मीद है कि मे आपके बीज़ को पा चुकी हूँ..,
ये कहकर वो फिर एक बार मेरे गले में झूल गयी.., मेने उसकी छोटी सी गान्ड को कसकर दबाया और उसे नंगी ही चारपाई पर पड़ी छोड़कर उसके घर से निकल आया…!
श्यामा की चुदाई ने आज सच में मुझे निढाल सा कर दिया था.., और ये भी सच था कि आज से पहले कभी इतना मज़ा भी शायद ही आया होगा मुझे..,
एक नयी जवान प्यासी औरत की प्यास क्या होती है श्यामा ने मुझे जता दिया था…!
ना जाने क्यों, उसे तृप्त करके, उसकी इच्छा पूरी करके आज मुझे अपार सुख की अनुभूति हो रही थी..,
घर आते ही मेने वरामदे में पड़ी चारपाई पकड़ ली, और कुछ ही मिनटों में मे गहरी नींद में डूब गया…!
नींद में भी शयामा ने मेरा पीछा नही छोड़ा, उसकी चुदाई के सुखद अनुभव नींद में भी मेरे दिमाग़ पर हावी थे, श्यामा की कसी हुई चूत में फँसा हुआ मेरा खूँटा, उसका अचेत हो जाना..,
फिर उसके बाद लंड के बाहर खींचने पर होश आना.., उसके बाद की उसकी तेज़ी.., यही सब सपने में देख रहा था, नतीजा आप सब लोग जानते ही हैं, क्या हुआ होगा !
मेरा पस्त हुआ पड़ा लंड नींद में ही खड़ा हो गया,
मे चित्त पड़ा सो रहा था, पाजामे में फुल तंबू बन चुका था, यही नही सपने में हो रहे घटनाक्रम के साथ साथ वो ठुमके भी लगा रहा था..!
वहाँ से गुज़रते हुए नीलू भाभी की नज़र जब मेरे लौडे पर पड़ी, उनकी साँसें थम गयी, वो वही मेरी चारपाई के पास खड़ी होकर उसका ये कौतूहल देखने लगी…!
मेरे फुल खड़े लंड के ठुमके देखकर उनकी मुनिया गीली होने लगी.., ना जाने वो ये नज़ारा कितनी देर से देख रही थी..,
अपनी चूत की खुजली के वशीभूत होकर उनसे रहा नही गया, और चारपाई की पाटी पर बैठ गयी.., अभी वो मेरे लौडे को अपने हाथ में लेने के लिए हाथ आगे बढ़ा ही रही थी…,
कि पीछे से भाभी की आवाज़ ने उन्हें चोंका दिया.., वो फ़ौरन से पेस्तर चारपाई से उठ खड़ी हुई, और बिना कुछ कहे तेज-तेज कदमों से वहाँ से चली गयी..,!
जब भाभी मेरी चारपाई के पास आई, तब उन्हें पता चला कि असल माजरा क्या है..,
कुछ देर तो वो भी बड़ी प्यासी निगाहों से उसे देखती रही.., मेरे लंड के कौतुक देखकर उनकी मुनिया की प्यास भी भड़कने लगी..,
लेकिन वो जानती थी, कि नीलू की नज़र अभी भी यहीं पर लगी होगी, सो अपनी भावनाओं पर काबू रख कर उन्होने मुझे कंधे से हिलाया..,
लल्ला..ओ..लल्ला.., उठो…, जाओ जाकर अपने कमरे में सो जाओ..,
मे हड़बड़ा कर उठा, भाभी को जागते हुए देख बोला – क्या हुआ भाभी…?
भाभी ने आँखों के इशारे से बताया कि देखो तुम्हारा मूसल क्या कर रहा है..,
जब मेरी नज़र वहाँ गयी तो वो मुस्करा कर बोली – अभी तो नीलू की नज़र पड़ी है, वो तुम्हारे इस मूसल की दीवानी हो रही थी.., लेकिन सोचो, उसकी जगह कोई और आ जाए तो..?
जाओ, सोना है तो अपने कमरे में जाओ..,
वास्तविकता का भान होते ही मे झेंप कर उठ बैठा और चारपाई से उतरकर अपने कमरे की तरफ चल दिया.., पीछे खड़ी भाभी मंद-मंद मुस्करा रही थी…!
ऐसे ही दो दिन निकल गये, इन दो दिनो में नीलू भाभी ने मुझे सिड्यूस करने के भरसक प्रयास किए.., ज़रूरत से ज़्यादा टाइट कपड़े पहन कर अपने कूल्हे और उभारों को कुछ ज़्यादा ही उभार कर दिखाना..,
चलते-फिरते मेरे शरीर से टच करना, कभी कभार मेरे लौडे को छू लेना.., लेकिन मेने अपनी तरफ से उनकी हर कोशिश नाकाम कर दी..,
कुल मिलाकर उनकी तड़प बढ़ती ही जा रही थी, ऐसा भी नही था कि मेरी इक्षा नही थी उन्हें चोदने की लेकिन भाभी का कहा मानकर मे उन्हें और थोड़ा तड़पाना चाहता था..,
मेने आजकल कोर्ट जाना बंद किया हुआ था, निशा के दिन पूरे हो चुके थे, किसी भी वक़्त उसकी डेलिवरी हो सकती थी..,
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