RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
उनके जाते ही भाभी ने मुझे किचन में बुलाया और प्यार से धमकाते हुए बोली – मेने थोड़ी छूट क्या दे दी, तुम तो उसे खुले आँगन में ही चोदने को तैयार हो गये…!
कुछ तो शर्म करो, अभी कोई आ जाए तो क्या सोचेगा, कि देखो कितना लंपट है ये आदमी, अपनी बीवी को फूला के रखा है और सलहज पे हाथ सॉफ कर रहा है, ये कहकर भाभी ने मेरे खड़े लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया…,
उसे ज़ोर्से मरोडते हुए बोली – ये कम्बख़्त भी कहीं भी मूह उठाकर खड़ा हो जाता है, थोड़ा ठंडा करके खा, बहुत रसीली चूत होगी नीलू की.., खूब गंगा स्नान कर लेना..,
ये कहकर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, और मेरे मूह से कराह निकल गयी..!
फिर उन्होने मुझे समझाते हुए कहा – नीलू बहुत मस्त औरत है, थोड़ा तड़पने दो उसको, इतना जल्दी मत दिखाओ, वरना वो समझेगी कि उसका नंदोई एकदम ठर्की आदमी है समझे..,
मुझे भी भाभी की बात सही लगी, मेने स्माइल देकर उन्हें अपनी बाहों में भर लिया, और उनके रसीले होठों का चुंबन लेकर बोला – जो हुकुम गुरुजी..,
भाभी – गुरुजी के चेले, और एक बात, नीलू को ये पता नही चलना चाहिए कि हम दोनो के संबंध किस हद तक हैं..! औरत के मूह में ताला नही होता..,
भाभी की बात गाँठ बाँधकर मे रज़ामंदी में सिर हिलाकर नहाने के लिए चला गया..!
उधर मेरे से अलग होकर नीलू भाभी लंबी-लंबी साँस भरते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर औंधे मूह गिर पड़ी..,
उनकी मुनिया पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, मेरे रोड जैसे सख़्त लंड की ठोकर पाकर वो झन-झना उठी थी, लेटे लेटे ही उन्होने अपना एक हाथ लेजाकर उसे ज़ोर्से रगड़ दिया..,
मे नहाने अपने कमरे में अटॅच्ड बाथरूम की तरफ बढ़ गया, उससे पहले वो कमरा था जो नीलू भाभी को रहने के लिए दिया था..,
दरवाजे के सामने से गुज़रते हुए मेरी नज़र उनके उपर पड़ी.., वो इस समय उल्टी लेटी हुई थी.., क्या मस्त उभरी हुई गान्ड थी उनकी, मानो दो कलश उल्टे करके रख दिए हों,
अपनी चूत को मसल्ते हुए उनके शरीर में थोड़ी हरकत भी हो रही थी, जिसके कारण उनके वो दोनो कलश हल्के हल्के हिल रहे थे…,
देखते ही मेरा बाबूराव फिरसे भड़क उठा.., वो मचलते हुए मानो कह रहा हो.., चल यार अंदर जाकर इस गान्ड में मुझे प्लॉट दिलादे.., जिंदगी भर तेरा एहसान मानूँगा..,
लेकिन भाभी की बात गाँठ बाँधते हुए मेने उसे ज़ोर्से दबाते हुए नीचे की तरफ किया, उसे समझाते हुए कि सबर कर मेरे शेर, ये गान्ड तेरी ही है.., मे आगे बढ़ गया…!
जैसे ही मे अपने कमरे में पहुँच, निशा नाश्ता लेकर अंदर ही अंदर इधर से उधर छोटे-छोटे कदमों से टहल रही थी..,
पहले उसकी नज़र मेरे चेहरे पर पड़ी, जो उत्तेजना से लाल हो रहा था, फिर जैसे ही उसने मेरे विशालकाय तंबू को देखा, मेरे सामने आकर उसे पकड़ते हुए बोली –
क्या बात है राजे, ये इतना क्यों भड़का हुआ है, कुछ गरमा-गरम चल रहा था क्या बाहर…, या दीदी ने छेड़ दिया है मेरे इस शेर को…!
मेने निशा के पेट पर हाथ फेरते हुए बोला – तुम्हारी भाभी ने इसे जगा दिया है.., अब साला ज़िद लेकर बैठ गया है कि उनकी गान्ड में डाल, अब तुम्ही बताओ यूँ तुम्हारी अमानत किसी को भी कैसे दे दूं…!
ये सुनकर निशा के चेहरे पर एक शरारती स्माइल आ गयी, और उसे उमेठ्ते हुए बोली – अच्छा, जैसे मेरी इजाज़त के वगैर ये कहीं और मलाई नही ख़ाता हां..!
वैसे राजे, भाभी क्या चाहती हैं.., ? क्या उन्हें भी ये पसंद आगया है..?
मे – पसंद..! उनका बस चलता तो वहीं आँगन में ही इसे लेकर चूसने लगती.., वो तो शुक्र करो की भाभी ने हमें टोक दिया..,
निशा मेरे होठ चूस्ते हुए बोली – चलो वैसे भी आजकल इसके लिए एक चूत की कमी चल रही है.., आच्छा है स्वाद चेंज कर लेगा बेचारा मेरा पप्पू..,
इस बात पर हम दोनो ही ज़ोर-ज़ोर्से हँसने लगे, हमें ऐसे हँसते देखकर नीलू भाभी अपने कमरे से उठकर हमारे दरवाजे पर आ गयी, निशा को मेरा लंड हाथ में लिए और हँसते देखकर, शरमा कर वापिस भाग गयी…!
निशा ने अलग होते हुए कहा – बाप रे, भाभी ने हमें देख लिया.., लगता है कुछ ज़्यादा ही ज़ोर की खुजली हो रही है उनको..,
मे – लेकिन मे इतना जल्दी उनकी खुजली मिटाने वाला नही हूँ, थोड़ा और तड़पने दो उन्हें, अच्छी चीज़ इतनी आसानी से हासिल नही होनी चाहिए,
मेरी बात सुनकर निशा के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी, वो मेरे एकदम नज़दीक आकर मेरे गाल को किस करते हुए बोली –
इतना भी मत तड़पाना राजे, कि वो खुलेआम सबके सामने अपनी चूत खोलकर बैठ जाए.., इतना कहकर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, मे भी मुस्कुराता हुआ अपने कपड़े लेकर बाथ रूम में घुस गया…!
नाश्ते के बाद मे गाओं में चक्कर लगाने निकल गया, लोगों से मिलकर कुछ समस्याओं पर विचार विमर्श किया, कुछ का समाधान किया..,
लौटते वक़्त मे दुलारी के टोले से गुजर रहा था, तभी पास के हॅंड पंप से एक मिट्टी के मटके में पानी अपनी पतली सी कमर पर रखे, चोली का घूँघट निकाले एक औरत दुलारी के घर की तरफ जा रही थी..,
कमर पर मटका होने की वजह से उसकी पतली सी कमर टेढ़ी हो रही थी, पीछे से उसकी गान्ड जो कुछ और पीछे को निकल आई थी, रिदम के साथ मटक रही थी..,
आज सुबह से ही नीलू भाभी की वजह से मेरे दिमाग़ में सेक्स के कीड़े शांत नही हो पा रहे थे, उसकी पतली कमर के नीचे मटकती गान्ड देखकर मेरा नाग कपड़ों के अंदर ही सर-सराने लगा..,
मेने थोड़ा तेज कदम बढ़कर पीछे से उसे आवाज़ दी – अरे सुनो..!
मेरी आवाज़ सुनकर वो पलटी, उसके पलट’ते ही मेने पुछा – ये दुलारी भौजी घर पर हैं क्या..?
मुझे देखकर उसने अपना घूँघट उठाया और बोली – पंडितजी जीजी से ही काम रखते हो, हमें भी कभी-कभार याद कर लिया करो…!
उसे देखते ही मेने कहा – अरे श्यामा तुम, कैसी हो..?
वो थोड़ा दुखी स्वर में बोली – कैसी हो सकती हूँ, आपसे कुछ छुपा तो है नही.., आइए घर चलिए.., दुलारी जीजी किसी काम से गयी हैं आती ही होंगी…!
मेने कहा- तुम चलो मे अभी आता हूँ, ये कहकर मे थोड़ा वहीं खड़ा रह गया, जब वो अपने घर के अंदर चली गयी, मेने इधर-उधर नज़र मारी, और मे भी उसके घर के अंदर घुस गया…!
तबतक वो पानी से भरा मटका रसोई में रख चुकी थी, मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया, और मेरे लिए छप्पर के नीचे एक चौकी डाल दी..,
|