RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
लेकिन नीलू भाभी की तरफ से कोई जबाब ना पाकर भाभी ने पलट कर उनकी तरफ देखा, वो निरंतर मुझे ही घूरे जा रही थी..,
ये देखकर भाभी के चेहरे पर स्माइल आ गयी, वो चुपके से उनके पीछे जेया पहुँची, और धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया..,
नीलू भाभी एकदम से उच्छल पड़ी, मानो किसी बिच्छू ने उन्हें डॅंक मार दिया हो.., उन्होने पलट कर भाभी की तरफ देखा और फिर अपनी नज़र झुका कर बोली – आपने कुछ कहा दीदी.., ?
भाभी उनके चेहरे पर नज़र गढ़ाए हुए मुस्करा कर बोली – कहा तो था लेकिन लगता है तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की बजाय कही और ही है..,
नीलू भाभी हकलाते हुए बोली – नही…वो..हां.., मे वो नंदोई जी को कसरत करते हुए देख रही थी, कितनी कसरत करते हैं, देखो तो दीदी कितना पसीना निकाल रहे हैं..,
भाभी – हां ! और ये आदत भी इन्हें मेने ही डलवाई है.., शुरू से ही मेने इनका खाने पीने का ख़याल रखा, लेकिन शुरू शुरू में मेहनत बिल्कुल नही करते थे ये..,
जब ये 6-7वी क्लास में ही थे तो इनके स्कूल में आन्यूयल गेम में इनका डील-डौल देखकर इनके टीचर्स ने इन्हें कबड्डी की टीम में रख लिया..,
फाइनल में इनकी क्लास का मुकाबला 8वी क्लास के साथ था, इनके टीम के और बच्चे सामने वाली टीम के सामने छोटे बच्चे जैसे ही थे,
सो पूरी टीम पस्त हो गयी लेकिन अंत तक लल्ला ने हार नही मानी, और अकेले के दम पर मॅच जितवा दिया..,
घर आकर जब रामा ने बताया, तभी से मेने इनको कसरत करने की आदत डाल दी और देखो अभी तक वही पड़ी हुई है.., क्यों तुम्हारे हिसाब से ये सब ठीक नही है क्या..?
नीलू भाभी तपाक से बोली – नही..नही…बहुत अच्छी आदत है ये तो, मे तो बस ये कह रही थी कि इतना पसीना बहाना क्या ठीक है..? देखो तो कैसा बाल्टी भर निकल रहा है…,
भाभी – अभी तुमने इनकी खुराक नही देखी है.., इसके बाद 1 लिटेर बादाम वाला दूध भी तो पीना है.., वो भी घी और दो अंडे डालके..,
तो उसे पाचाने के लिए मेहनत तो करनी चाहिए वरना खंखा चर्बी बढ़ेगी..,
वैसे तुम्हें कैसा लगा मेरे देवर का शरीर, कहीं से कोई कमी तो नज़र नही आई..?
नीलू – बिल्कुल भी नही, एकदम परफेक्ट बॉडी है जीजा जी की.., फिर नज़र झुका कर बोली – इनफॅक्ट कोई भी औरत ऐसा मर्द पाने की कामना ज़रूर करती होगी..,
भाभी ने चुटकी लेते हुए कहा – तो शायद इसलिए तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की तरफ नही था है..ना…!
नीलू – नही ऐसी बात नही है दीदी, आप तो मेरी टाँग खींचने लगी..,
भाभी – नही मेरी प्यारी भौजाई, मे तुम्हारी टाँग नही खींच रही, सच्चाई बयान कर रही हूँ, अभी अभी तो तुमने खुद ही कहा कि ऐसा मर्द पाने की हर औरत की कामना होती है…!
जानती हो इस मर्द को ऐसा बनाने में मेने खुद कितनी मेहनत की है…., और फिर भाभी ने नीलू को वो सच्चाई बताई, कि वो कैसे मेरे उपर सवार होकर मेरी मालिश किया करती थी.., और मेरे कॉलेज जाने तक करती रही थी..,
नीलू ये सच्चाई सुनकर सन्न रह गयी, फिर कुछ सोच कर हिचकते हुए बोली – दीदी इतनी उम्र तक जब आप इनकी मालिश करती रही थी तो आप अपनी भावनाओं पर काबू कैसे रख पाती होंगी..,
सच सच बताना दीदी, क्या आपका मन कभी नही भटका था इनकी चढ़ती जवानी देखकर..? आप भी तो उस वक़्त नयी नयी जवान थी..,
भाभी कुछ देर मौन रही, फिर एक प्यारी सी स्माइल अपने चेहरे पर लाकर बोली – क्या मे किसी आम औरत से अलग हूँ..?
नीलू थोड़ा उत्साहित होते हुए बोली – तो क्या आप…ने…? मेरा मतलब कैसे सब कंट्रोल किया अपने उपर..?
भाभी – तुम अभी उस तरह की ज़िम्मेदारियों से गुज़री नही हो नीलू, तुम्हारी शंका निराधार नही है, कभी कभी तो लल्ला का वो हथियार एकदम तन्कर खड़ा ठीक मेरी नज़रों के सामने होता था..,
ऐसा लगता था मानो अंडरवेर फाड़कर सामने वाली की फाड़कर रख देगा.., ये कहकर वो खिल-खिला पड़ी.., फिर कंट्रोल करते हुए बोली –
लेकिन इनकी उम्र और अपनी ज़िम्मेदारियों ने मुझे कभी अपनी सीमायें लाँघने नही दिया..,
ये बात सुनकर नीलू की साँसें तेज-तेज चलने लगी, उसकी चूत में सुरसूराहट सी होने लगी.., अपने मनोभावों पर कंट्रोल रखते हुए वो बोली – लेकिन कॉलेज तक तो ये पूरे जवान हो गये होंगे, तब भी…!
भाभी ने गहरी नज़र से नीलू को घूरते हुए मुस्करा कर कहा – तुम इतना क्यों इंटेरेस्ट ले रही हो उनकी जवानी में, कहीं तुम्हारा मन तो नही आगया मेरे शेर की जवानी पर..,, आनन्न…बोलो..!
नीलू भाभी की बात सुनकर बुरी तरह झेंप गयी, अपनी नज़रें नीची करके मंद-मंद मुस्कराने लगी..!
भाभी ने उसे उकसाते हुए कहा – वैसे कोशिश कर सकती हो, रिस्ता भी बनता है नंदोई के साथ हसी मज़ाक, मौज मस्ती का.., एक बात मे तुम्हें बता दूँ, लल्ला का दिल भी बहुत बड़ा है,
सबके लिए प्यार है उनके दिल में.., और फिर अभी तो तुम्हारी ननद भी इस काबिल नही है, सांड फ्री है इस समय, तो मार सको तो मार लो मौके पे चौका..,
इतना कहकर भाभी ने ज़ोर्से नीलू की मखमल जैसी थिरकती गान्ड मसल दी और खिल-खिलाकर हस्ती हुई अपने काम में लग गयी…!
भाभी ने मज़ाक-मज़ाक में नीलू को हिंट दे दी थी, लेकिन नीलू अपनी ससुराल में सास-ससुर के रहते हुए ज़्यादा खुल नही पाई थी.., पर अब भाभी के खुले मज़ाक ने उसे आगे बढ़ने की हिम्मत दे दी थी..,
मेने अपनी कसरत पूरी कर ली थी, और अब अपना टॉप निकाल कर उसी से पसीना पोंच्छ रहा था, मौका ताडकर नीलू एक टवल लेकर मेरे सामने पहुँची और उसे मेरे हाथ में पकड़ाते हुए बोली…!
जो चीज़ जिस काम के लिए होती है, वो काम उसी से करना चाहिए जीजा जी..,
मेने तैलिया उनके हाथ से लेते हुए कहा – थॅंक्स भाभी, वैसे ये टी-शर्ट भी धुलने वाली है, तो सोचा इसी से पोन्छ लूँ.., ये कहते हुए मे टवल से अपना पसीना पोंच्छने लगा,
पसीना पोंचछते हुए मेरी नज़र उनके सुडौल चुचियों पर जम गयी, जो इस समय एक खुले गले की मिडी में कसे अपनी गहरी खाई दर्साते हुए बयान कर रहे थे कि दोनो तरफ की चट्टानें कैसी हैं....,
मेने उनपर नज़र गढ़ाए हुए द्विअर्थि मज़ाक करते हुए कहा – वैसे चीज़ों का सही सही इस्तेमाल करना तो कोई आपसे सीखे..,
मेरी नज़र और बात का मतलब समझते हुए वो पहले तो शरमा गयी, लेकिन पलट कर मज़ाक में ही जबाब देते हुए बोली…!
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