RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरी इस बात पर निशा समेत हम तीनो खिल-खिलाकर हँसने लगे, ये देखकर प्राची की सारी शंकाए दूर हो गयी और वो भी हमारे साथ शामिल हो गयी..!
निशा प्रेग्नेन्सी की वजह से कुछ टॉनिक लेती थी, जिसके असर से उसे जल्दी नींद आने लगी, तो उसे भाभी ने रूचि के कमरे में सोने भेज दिया…!
फिर वो प्राची की कमर में चिकोटी काट’ते हुए बोली- क्यों छुटकी क्या कहती है, जीत की खुशी मनाई जाए, हो जाए एक बार थ्रीसम लल्ला के साथ…!
झेन्प्ते हुए प्राची ने भी हामी भर दी, फिर क्या था वो दोनो घोड़िया एक साथ मेरे उपर टूट पड़ी……….
दूसरे दिन सूवा 9 बजे से ही पंचायत घर पर लोग जमा होने लगे…!
मामला था – पूर्व सरपंच रामसिंघ के बेटे का चक्कर रामदुलारी के टोले की एक लड़की से चल रहा था, भेन्चोद लड़का भी बाप के पदचिन्हों पर चल रहा है..
हमारे कॉलेज में एक कहावत थी – “अनाड़ी का चोदना, चूत का सत्यानास”
लड़की पेट से हो गयी, जब ये बात रामदुलारी को पता लगी, वो तो रामसिंघ से खाए हुए धोखे की वजह से खार खाए बैठी थी.., फिर क्या था, उछाल दी उसने ये बात पूरे गाओं में…!
अब लड़का था शादी-सुदा, लेकिन दुलारी ने हाथ रख दिया लड़की के परिवार वालों पर, कहने लगे जी इसे लड़की के साथ शादी करनी पड़ेगी…
उधर लड़का सीधा नाट गया जी, कहने लगा – ये झूठा इल्ज़ाम लगा रही है मुझे बदनाम करने के लिए, मेरा इसके साथ कोई लेना देना नही है…!
पंचायत घर ज़्यादा बड़ा नही था, हां उसके सामने का मैदान ज़रूर अच्छा ख़ासा था, जिसमें गाओं के ज़्यादातर लोग जमा थे,
दो कमरों के आगे के वरॅंडा में सरपंच के लिए एक कुर्सी डाल दी गयी थी, जिसपर भाभी बैठ गयी, मे उनके बाजू में किसी सेवक की तरह खड़ा हो गया..
सामने एक बड़े से तखत पर बाबूजी, चाचाओं और रामसिंघ समेत गाओं के और भी मुआजिद लोग बैठे थे…!
दोनो पक्षों की बातें सुनी गयी, जो लगभग वही थी जो पहले से ही वो कहते आ रहे थे…!
भाभी ने धीमी आवाज़ में कहा – लल्ला, तुम क्या सोचते हो, क्या फ़ैसला होना चाहिए इसका…?
मे – अभी तक दोनो तरफ से यही सॉफ नही है, कि ग़लती किसकी है तो फ़ैसला किस बात का, और कैसे होगा…?
भाभी – तो अब क्या करें..? ये तो बड़ा जटिल मामला है..
मेने कहा – बस आप देखती जाओ मेरा कमाल ये कह कर मेने उँची आवाज़ में कहा –
सरपंच चाहती हैं कि वो एक बार दोनो तरफ के फरीख से अलग अलग बात करके सच्चाई पता की जाए, उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है,
तो पहले चाचा रामसिंघ जी और उनके बेटे से बात होगी, उसके बाद लड़की के परिवार वालों के साथ…
मेरी बात सुनकर रामसिंघ और उनका लड़का उठकर हमारे पास आए, उन्हें लेकर मे और भाभी एक कमरे में चले गये…!
मेने लड़के से कहा – हां भाई..! अब हमें तो तुम सच सच बताओ बात क्या है..?
वो – अरे भाई वकील साब, वो साली मेरे उपर ग़लत-सलत आरोप मढ़ रही है, मे बीवी बच्चे वाला आदमी भला उस साली च**** के पीछे पड़ूँगा…?
मे – देख भाई, आज के जमाने में इस तरह की बातें नही होती, वो जमाने गये जो सारे मसले पंचायत में ही हल होते थे…!
अभी तो बात अपने ही हाथ में है, अगर ये पोलीस या कोर्ट तक पहुँच गयी, तो दोनो की मेडिकल रिपोर्ट निकाली जाएगी, जिसमें डीएनए से तुरंत पता चल जाएगा कि उसके पेट में पल रहा बच्चा किसका है…?
वो लड़का – हां ! ऐसा भी कहीं होता है, कि जाँच से उसके बीज़ का पता चल जाए..?
मे – बिल्कुल, और अगर वो तेरा ही निकला तो फिर सोच ले कोर्ट जो फ़ैसला करेगा वो तुम लोगों को मानना ही पड़ेगा, इसलिए भलाई इसी में है कि जो सच है वो बता दे, हम कुछ ले देकर बात को रफ़ा दफ़ा कर सकते हैं…
रामसिंघ अपने लड़के की तरफ देखने लगा, वो अपनी गर्दन झुकाए बोला – हां..
वो.. ग़लती से हो गया.., पर इसमें मेरी सारी ग़लती थोड़ी ना है, वो भी तो इतने दिनो से मज़े कर रही थी मेरे साथ…!
मेने रामसिंघ से कहा – देखो चाचा , घर गाओं की बात है, किसी ग़रीब की लड़की का घर बस जाएगा, और आपकी भी बात बनी रहेगी, सो मेरे विचार से आप उसकी लड़की की शादी का जिम्मा ले लो..
उसी की बिरादरी में कोई अच्छा सा लड़का देख कर उसकी शादी करदो, खर्चा आप उठा लेना..
रामसिंघ ने फ़ौरन मेरी बात को मान लिया, फिर हमने लड़की के परिवार को अकेले में बुलाया, साथ में दुलारी भी आई और आते ही शुरू हो गयी अपनी राम कहानी लेकर..
मेने उसे शांत करते हुए समझाया – देखो भौजी…, मे जानता हूँ, ये बच्चा उसी लड़के का है, पर तुम खुद सोचो,
एक तो जात बिरादरी का मामला, दूसरा अगर उसको ज़बरदस्ती शादी के लिए कहा भी तो कोर्ट एक पत्नी होते हुए दूसरी की इज़ाज़त कभी नही देता है, जब तक कि पहली वाली से तलाक़ ना हो…!
मानलो तलाक़ भी दिलवा दी, तो पहली को घर से तो निकाल नही सकता, अब तुम खुद सोचो, कि तुम्हारे ही घर में तुम्हारी ही सौत लाकर बिठा दी जाए, तो क्या तुम उसे अपना लोगि..?
नही ना ! तो अब तुम खुद सोचो, क्या वो लड़की ऐसे में खुश रह पाएगी…?
तो मेरी राई है, कि हम कुछ भी करके उसकी शादी का खर्चा रामसिंघ से दिलवा देंगे, बस तुम लोग कोई अच्छा सा लड़का उसके लिए तलाश कर्लो…!
मेरी बात से लड़की के माँ-बाप राज़ी दिखाई देने लगे लेकिन दुलारी अभी भी भड़की हुई लग रही थी…
मे उसे अकेले एक कोने में ले गया, और सबकी नज़र बचाकर उसकी गान्ड को मसल्ते हुए कहा – भौजी ये मसला जाति दुश्मनी निकालने का नही है, बात बढ़ाने से लड़की की बदनामी होगी,
अभी तो बात गाओं तक ही सीमित है, इलाक़े में फैल गयी तो कोई भला आदमी शादी भी नही करेगा उसके साथ…!
उस लड़की का घर बस जाने दो, कोई अच्छा सा घर तलाश करो, दहेज की चिंता मत करना… रामसिंघ से हम फिर कभी बदला ले लेंगे, जिसमें मे आपका साथ दूँगा..
इस तरह दुलारी को पटा कर हम बाहर आए, और सभी लोगों के सामने उँची आवाज़ में मेने कहा –
भाइयो – ये हमारे गाओं और समाज की इज़्ज़त का मामला है, अब इसमें रामसिंघ के बेटे की ग़लती है, या वो लड़की ग़लत बयानबाज़ी कर रही है,
हम लोग इसी के पीछे पड़े रहे तो इससे हमारे गाओं की बदनामी आस-पास के इलाक़े में होगी, जो हम सबके लिए शर्म की बात होगी…!
इसलिए सच्चाई जो भी हो हम उसपर बहस ना करते हुए पंचायत ये फ़ैसला लेती है कि लड़की के लिए उचित वर तलाश करके उसकी शीघ्र शादी करदी जाए…
दहेज और शादी में और जो भी खर्चा आएगा उसे हमारे पूर्व सरपंच श्री रामसिंघ जी अपनी तरफ से उठाएँगे..! अब आप लोग बताइए क्या ये सही फ़ैसला है या ग़लत…!
ज़्यादातर समझदार लोगों ने इस बात का समर्थन किया, और दोनो पक्षों की रज़ामंदी लेकर पंचायत ख़तम की………!
घर आकर भाभी ने मेरी बहुत तारीफ़ की और बोली – लल्ला जी… सच में तुमने आज मेरा दिल जीत लिया, वाह ! क्या फ़ैसला किया है, मे ये कभी नही कर पाती…!
मेने उनके दोनो चुतड़ों को अपने हाथों में कसकर अपने सीने से सटाते हुए कहा – कोरी तारीफ से काम नही चलेगा सरपंच साहिबा आज तो कुछ स्पेशल गिफ्ट देना होगा आपको…!
भाभी ने मेरा गाल काट लिया, और मेरे होठों को चूमकर बोली – सब कुछ तुम्हारा है मेरे राजा…जो चाहिए ले लो..
मेने उनकी रूई जैसी गुद-गुदि गान्ड की दरार में उंगली डालते हुए कहा – आज इसका मन है…! दोगि क्या…?
अपने चुतड़ों को कसकर भींचते हुए उन्होने मेरी उंगली को अपनी दरार में जप्त करते हुए कहा – डाल लो, एक दिन सारा काम निशा को ही करना पड़ेगा.. मुझे क्या..?
मेने कसकर भाभी की चूत को अपने लंड पर दबाते हुए कहा – मज़ाक कर रहा था, अपनी जान को दर्द हो वो काम में अब कभी नही करूँगा…!
वो मेरे होंठों पर टूट पड़ी, कुछ देर चुस्कर अपनी मुनिया को मेरे लंड के उपर रगड़ते हुए बोली – तुम्हारे लिए हर दर्द मंजूर है मेरे लाड़ले देवर…! बस हुकुम करो..
रहने दीजिए वरना सारे दिन निशा मुझे गालियाँ देगी.. ये कह कर मेने उनके ब्लाउस के उपर से ही भाभी की एक चुचि को दाँतों में दबाकर काट लिया…!
आअहह…बदमाश, अब ये क्या है..? अब छोड़ो, कोई आ जाएगा, चौड़े में खड़े हैं, दिन का मामला है..
मेने उन्हें नीचे उतारते हुए कहा – ठीक है, तो आज दोपहर को थ्रीसम करते हैं, चिकनी करके रखना..!
उन्होने मेरे लंड को मसल्ते हुए कहा – पक्का.. एक दम चिकनी चमेली मिलेगी तुम्हें.. जी भर कर चाटना, खूब रस पिलाउन्गी तुम्हें आज…!
हमारी ये रासलीला निशा जाने कब से देख रही थी, अपनी चूत को भींचते हुए बोली – चलो दीदी, दोनो एक साथ चिकनी करते हैं…!
भाभी ने कपड़ों के उपर से ही उसकी चूत मसलते हुए कहा – बड़ा जल्दी है चुसवाने की हां..! आज लल्ला नही मे तेरा रस पीउंगी.., बोल पिलाएगी ना…!
हइई….दीदी, सच में, आहह…सुनकर ही गीली हो गयी मे तो, वैसे भी राजे अब जमके चुदाई नही करते मेरी, तो फिर आपको ही ज़्यादा लेना पड़ेगा इनका,
ये कहकर वो भाभी के होठ चूसने लगी, वो दोनो एक दूसरे की चुतो को मसल्ते हुए किस में जुट गयी, मे धीरे से वहाँ से खिसक कर चाची के घर की तरफ निकाल लिया……..!
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