RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
क्योंकि श्वेता और उसकी दोनो साथियों के लौटने का समय होने वाला था, उसे उसकी गाड़ी के पास होना ज़रूरी था…
कुछ देर में ही प्राची श्वेता को लेकर जा चुकी थी, पीछे की तरफ कोई लाइट की व्यवस्था भी नही थी, सो अब रात के अंधेरे में मोहिनी को अकेले में डर सा लगने लगा,
इधर उसका मन अपने देवर की तरफ लगा हुआ था, रह-रहकर उसके मन से हुक उठ रही थी, जिसे वो कड़ा जी करके दबाने की कोशिश कर रही थी…,
उनका दिल अपने बेटे जैसे देवर की वो हालत देखकर भर उठता, जब नही रहा गया तो वो फिर से उसी खिड़की के पास चली आई…
इस समय अंकुश बिना कपड़ों के ही बेहोशी की हालत में पड़ा था, पूरे बिस्तेर पर वीर्य और उन रंडियों के कामरस के जगह जगह धब्बे ही धब्बे नज़र आ रहे थे,
जहाँ-तहाँ कमरे के फर्श पर वीर्य से भरे हुए कॉनडम्स भी पड़े हुए थे, ये सब देखकर मोहिनी को घिन सी आने लगी…!
उसकी इस दयनीय अवस्था को देखकर उनकी आँखें फिर से भर आई, और हमेशा सबका भला चाहने वाली भाभी के मुँह से श्वेता और उसके साथियों के लिए गालियाँ निकलने लगी,
वो उन्हें कोसते हुए बोली – भगवान करे इन हराम्जादि रंडियों के कीड़े पड़ें…!
जिस विंडो से वो अंदर देख रही थी, उसमें लोहे की ग्रिल लगी हुई थी, जिस’से अंदर जाने की कोई संभावना बन नही सकती थी, लेकिन उनका मन अपने लाड़ले के पास जाने के लिए बैचैन होने लगा…!
वो दूसरी साइड वाली विंडो की तरफ चल पड़ी, उसके पास जाकर उसके फ्रेम में अपनी उंगलियों के पोरों से वो उसे सरकाने का निरर्थक प्रयास करने लगी…!
आदमी जब कुछ करने की ठान लेता है, तो उसका दिमाग़ हर वो संभावना तलाश करने में जुट जाता है, जिस’से उसका काम बन सके…,
खिड़की के स्लाइड को खोलने की धुन में उनकी निगाहें इधर-उधर भटकने लगी, शायद कोई ऐसी चीज़ मिल जाए जिससे इसे ज़ोर देकर खिसकाया जा सके…
लेकिन एक तो अंधेरा, सामने की लाइट वहाँ तक इतनी नही आ रही थी कि कोई चीज़ आसानी से नज़र आजाए…!
वो वहीं ज़मीन पर बैठकर हाथों से ज़मीन को टटोल-टटोल कर ऐसी किसी चीज़ की तलाश करने लगी…!
कहते हैं ना, कि हिम्मते मर्दे, मददे खुदा…! इसी कोशिश में उनके दिमाग़ में ये बात आई, कि उसके बॅग में खजर है, जो चलते समय प्राची ने सेल्फ़ डिफेन्स के लिए दिया था!
उन्होने उसे फ़ौरन निकालकर उसकी नोक को विंडो के फ्रेम के अंदर घुसाने की कोशिश की, लेकिन उसके बीच में इतनी जगह नही थी कि वो आसानी से घुस सके,
फिर उन्होने सोचा कि अगर इसके मूठ पर किसी पत्थर से ठोका जाए तो शायद काम बन सकता है, लेकिन फ़ौरन ही उन्होने ये विचार त्याग दिया, क्योंकि ठोकने से आवाज़ पैदा होगी, जो सामने बैठे लोगों तक पहुँच सकती है…!
अब करें तो क्या..? कुछ नही सूझा तो वो उसकी मूठ पर अपनी हथेली से हल्के हल्के चोट करने लगी.., खंजर की नोक उन्हें थोड़ी सी दरार के अंदर जाती दिखी…
ये देखकर उनका उत्साह बढ़ गया, और वो उसपर अपनी हथेली से ज़ोर-ज़ोर से वार करने लगी, नाज़ुक बदन मोहिनी की हथेली में दर्द होने लगा, लेकिन उन्होने इसकी परवाह किए बिना वो अपने प्रयास में जुटी रही…!
यहाँ तक कि उनकी हथेली से खून निकलने लगा, लेकिन धुन की पक्की भाभी ने उसकी नोक को दरार के बीच में फँसा कर ही दम लिया…!
अब वो उसको झटके दे-देकर उसके लॉक को तोड़ने की कोशिश में जुट गयी, अथक प्रयास के बाद एक कट्ट की आवाज़ के साथ उसका लॉक टूट गया,
ये देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा, बिना समय गँवाए, उन्होने उसे स्लाइड किया, लगभग आधी विंडो खुल चुकी थी जिससे एक सामान्य कद काठी का इंसान उसके अंदर आसानी से जा सकता था…
भाभी का शरीर भी ज़्यादा भारी भरकम नही थी, सो वो थोड़े से प्रयास से अंदर कूद गयी…!
अपने बेटे जैसे लाड़ले देवर को पाल पोसकर एक अच्छे ख़ासे 6 फूटा मर्द बनाने में उन्होने जो मेहनत की थी, उसे यूँ हफ्तों के बीमार जैसी हालत में पाकर उनकी आँखें बरस उठी, शरीर की सारी हड्डियाँ दिखाई दे रही थी,
जो सीना, जांघें और बाजू अपनी भाभी के उपर छाने पर उसे किसी छोटी बच्ची की तरह ढक लिया करते थे, आज वही शरीर हड्डियों का ढाँचा नज़र आ रहा था…!
अपनी करुणा पर काबू करते हुए उन्होने उसे बंधन मुक्त किया, उसके सूखे, पपड़ी पड़े होंठों को अपनी जीभ से गीला किया,
उसकी नशे से बोझिल आँखें हल्के से खुली, और एक कराह के साथ ही फिरसे बंद हो गयी…!
भाभी ने उसे जैसे तैसे करके कपड़े पहनाकर उसके बदन को ढाका, और उसे सहारा देकर बेड पर बिठाया, उसका बदन किसी नशे में चूर शराबी की तरह इधर से उधर झूलने लगा…!
उन्होने उसके गाल थपथपाकर उसे जगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी आँखें नही खुली !
मोहिनी बैचैन हो उठी, वो सूबकते हुए बोली – उठ जा मेरे लाल, अपनी भाभी को यूँ निराश मत करो लल्ला…!
जब कोई चारा नही दिखा तो वो सोचने लगी, लगता है अब प्राची का ही इंतेज़ार करना पड़ेगा…!
कुछ देर वो उसे लिटाकर कमरे में इधर से उधर टहलने लगी.., मन नही माना, तो फिरसे कोशिश शुरू करदी, वो जल्द से जल्द उसे इस नरक से दूर ले जाना चाहती थी..!
उन्हें डर था कहीं प्राची के इंतेजार करने के बीच अगर यहाँ कोई आ धमका तो…
एक निर्णय लेकर उन्होने उसे अपनी पीठ पर लादा, और खिड़की तक किसी तरह घसीटते हुए लाई, फिर उसके पीछे जाकर उसकी जांघों के नीचे से हाथ फँसाकर पहले उसके पैर बाहर को लटकाए, और उसकी बगलों में हाथ देकर उसे बाहर की तरह उतारने लगी…
अंकुश के पैर ज़मीन से टच होते ही वो खुद विंडो पर चढ़ने लगी, इसी चक्कर में वो उनके हाथ से छूट गया, और वो बाहर ज़मीन पर धप्प की आवाज़ के साथ गिर पड़ा…!
मोहिनी भाभी ने झटपट बाहर आकर उसे अपने सहारे से खड़ा किया और आहिस्ता-आहिस्ता कोशिश करते हुए अंधेरे की तरफ बढ़ गयी…
अंकुश के गिरने की आवाज़ थोड़ी ज़्यादा थी जो रात के सन्नाटे की वजह से कुछ दूर तक चली गयी..,
उसी समय उन गुण्डों में से कोई एक शायद उस तरफ टाय्लेट वगैर के लिए निकला होगा, सो उस आवाज़ को सुन कर चोंक पड़ा…!
उसने उस आवाज़ की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए, जैसे ही वो उस तरफ पहुँचा, दूर से अंधेरे में उसे दो इंसानी साए नज़र आए,
मोहिनी भाभी अंकुश का एक बाजू अपने गले में डालकर उसे सहारा दिए हुए धीरे-धीरे लॉन की तरफ बढ़ रही थी…!
वो गुंडा, जैसे ही उनके कुछ करीब पहुँचा उसने आवाज़ दी – कॉन है वहाँ..?
उसकी आवाज़ सुनकर मोहिनी डर के मारे काँप उठी, वो उसे लिए हुए वहीं ठिठक गयी…!
फिर उसने अपना साहस बटोरकर खंजर पर अपनी पकड़ शख्त कर ली, सोचा अब जो होगा सो देखा जाएगा…!
पास आते ही वो बंदा समझ गया, कि कोई क़ैदी को बचाकर ले जाने की कोशिश कर रहा है, सो उसने अपनी गन निकाल कर उनपर तानते हुए चेतावनी भरे स्वर में कहा –
भागने की कोशिश भी मत करना, वरना भेजा उड़ा दूँगा…! आगे कदम बढ़ाता हुआ वो अब उनसे चन्द कदमों के फ़ासले पर ही था,
मोहिनी ने अंकुश का बॅलेन्स बनाकर उसे उसके पैरों पर खड़ा किया, और खुद उसके बगल से बिजली की तेज़ी से उस गुंडे की तरफ लपकी, पलक झपकते ही अपने हाथ में पकड़ा हुआ खंजर उन्होने उसकी छाती में पेवस्त कर दिया…!
झटके से उस गुंडे का बदन पीछे हटा, जिस’से उसका गन वाला हाथ उपर को उठ गया, और साथ ही उसकी उंगली भी ट्रिग्गर पर दब गयी,
ढाय… की आवाज़ रात के सन्नाटे को चीरती हुई दूर-दूर तक गूँज उठी,
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