RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दीदी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए भाभी से कहा – वाह भाभी, अपनी बेहन को बचाना चाहती हो, आप तो ऐसे बोल रही हो जैसे मे रोज़ गान्ड ही मराती हूँ..हां !
मेने बीच में कूदते हुए कहा – कोई बात नही दीदी, तुम भी दिखा दो इन दोनो बहनों को कि तुम किसी से कम नही हो…!
दीदी ने मेरे कूल्हे पर एक चपत लगते हुए कहा – बहुत चालू है तू, दो दो गान्ड एक साथ मारना चाहता है, फिर हँसते हुए मेरे लौडे को सहला कर बोली –
चल ठीक है, तू भी क्या याद करेगा.., मारले अपनी बेहन की कुँवारी गान्ड, आगे की सील भी तेरे से ही तुडवाई थी मेने, आज पीछे का ढक्कन भी खोल दे…!
रामा दीदी ने अपना गाउन निकाल कर निशा के मुँह पर फेंक मारा, मात्र एक ब्रा और पैंटी में उसका दूधिया भरा हुआ बदन देख कर जहाँ मेरी आँखें चमक उठी,
वहीं भाभी उसके बदन को सहलाते हुए बोली – वाउ रामा, क्या मस्त माल हो गयी हो यार, काश मेरे भी लल्ला जैसा एक तगड़ा मोटा सा लंड होता तो मे तुम्हारी इस मक्खन जैसी गान्ड का परोथन उड़ा देती, कहते हुए उन्होने दीदी की गान्ड को मसल दिया…!
फिर निशा से बोली – अब तू क्या टुकूर-टुकूर देख रही है, चल तू भी अपनी तैयारी शुरू कर, अगला नंबर तेरा भी है..!
उधर निशा अपने कपड़े निकालने लगी इधर मेने दीदी की गान्ड को सहलाते हुए उसके दोनो चिकने मुलायम थिरकते चुतड़ों पर एक-एक थप्पड़ मार कर जंग का एलान कर दिया और उसकी गान्ड को जीभ से चाटने लगा…!
दीदी बोली – भाई मेरी एक रिक्वेस्ट मानेगा, पहले एक बार मेरी चूत चोद कर ठंडा कर्दे, उसके बाद जो तेरे जी में आए करना…!
मेने दीदी की पैंटी को गान्ड की दरार से एक साइड में करते हुए कहा – मंजूर है,
मेरी प्यारी दीदी कुछ माँगे और मे ना कर दूं, ऐसा भला कभी हो सकता है, इतना बोलकर मेने अपनी जीभ से उसकी गान्ड के कत्थ्यि रंग के छोटे से छेद को चाट लिया…!
जीभ लगते ही उसने अपनी गान्ड को कसकर भींच लिया, और सिसकते हुए बोली – सीईईई…आअहह.. मेरा प्यारा भैया…अपनी बेहन की कितनी फिकर करता है…, हआयईए…रीए…चाट भाई.., बहुत अच्छा लग रहा है..,
मे उसकी गान्ड के उभारों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगा, वो मज़े से अपनी गान्ड हिलाने लगी..,
तभी निशा ने मेरी जाँघो के बीच लेटकर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और वो उसे चूसने लगी…
मेने दीदी को अपने मुँह पर बिठा रखा था, गान्ड चाटने के बाद मेने अपने मुँह में उसकी चूत की फांकों के भर लिया और एक बार ज़ोर्से चूसा…!
रामा दीदी का मज़े से बुरा हाल होने लगा, और वो लंबी-लंबी साँस लेकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी..!
उधर निशा ने मेरे लंड को चूस-चुस्कर लोहे जैसा सख़्त कर दिया था, दीदी की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी थी..,
बस लल्ला अब शुरू करदो, बहुत हुई चुसम-चुसाई.., बहुत लंबा सफ़र है आगे, भाभी ने किसी रेफरी की तरह अपना फ़ैसला सुना दिया…
उनकी बात मान कर मेने दीदी की टाँगों को अपनी जांघों पर रख कर निशा की लार से तर अपने लंड को दीदी की रस से लबालब चूत में पेल दिया…!
एक ही झटके में तीन चौथाई तक लंड लेकर रामा बुरी तरह सिसक पड़ी, एक मीठे दर्द की कराह उसके मुँह से निकल पड़ी… आआहह…. सस्स्सिईइ…. उउउफफफ्फ़… धीरी…री…
उसकी चुचियों को सहलाते हुए मेने अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और फिरसे एक और धक्का लगाकर पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया…!
दीदी के नाख़ून मेरी पीठ में गढ़ गये, अपने मुँह को मेरे कंधे में दबाकर वो सारे दर्द को पी गयी..,
अगले ही पल उसकी गान्ड हरकत करने लगी और मेने अपना काम शुरू कर दिया..,
5-7 मिनिट में ही वो भल-भला कर झड़ने लगी, लंबी-लंबी साँसें लेते हुए उसने मुझे अपने बदन से चिपका लिया…!
कुछ देर बाद मेने उसे पलटा दिया, भाभी ने नीचे से उठाकर तेल पकड़ा दिया जिसे मेने दीदी की गान्ड पर अच्छे से मला, अब उसकी गान्ड एक दम दमकने लगी थी…!
कुछ तेल की धार उसके छेद पर डालकर एक उंगली से अंदर तक चिकनाहट करदी…!
गान्ड में उंगली जाते ही दीदी सिहर उठी, सहमी सी आवाज़ में बोली – भाई रे, थोड़ा रहम करना, मेरी कुँवारी गान्ड है, फाड़ मत देना…!
मेने उसकी गान्ड को चिकनाते हुए कहा, तुम बिल्कुल चिंता मत करो, मे बड़े आराम से ही डालूँगा, तुम्हें पता भी नही चलेगा.., ये कहकर मेने उसके चूतरस से सना अपना लंड पकड़ कर उसकी गान्ड के छेद पर रख दिया…!
एक बार फिर उसकी गान्ड सिकुड़ी, मेने उसकी पीठ पर चूमते हुए कहा – थोड़ा इसे ढीला छोड़ो दीदी, वरना ज़्यादा तकलीफ़ होगी तुम्हें…!
मेरी बात मानकर उसने अपने गान्ड के छेद को ढीला किया, भाभी और निशा दम साधे किसी तमाशबीन की तरह ये सब देख रही थी…!
भाभी को तो पता था, कि आनेवाले पलों में रामा की गान्ड का क्या हाल होना है, लेकिन निशा पूरी तरह से अंजान थी…!
मेने हल्के से अपने लंड को दीदी की गान्ड में दबाया, तेल की चिकनाई की वजह से उसका सुपाडा आराम से अंदर समा गया…!
छेद को चौड़ा होते ही दीदी के मुँह से कराह निकली..आअहह…धीरे…, दर्द होता है री…,
मेने उसके कूल्हे को सहलाया और कहा – थोड़ा सहन तो करना पड़ेगा…!
ये कहकर मेने उसे और थोड़ा अंदर कर दिया.., लगभग चौथाई लंड से ही दीदी हिन-हिनाने लगी, दर्द उसकी आँखों में झलकने लगा, तकिये में मुँह देकर वो अपने दर्द को सहन करने की कोशिश करने लगी…!
तभी भाभी ने इशारा किया एक तेज झटका मारने का, बात भी सही थी, ऐसे धीरे-धीरे डालने से दर्द ज़्यादा देर तक रहने वाला था..,
सो मेने अपना लंड फिरसे सुपाडे तक निकाला, दीदी कुछ रिलॅक्स हुई…
लेकिन अगले ही पल मेने दम साधकर एक तगड़ा सा धक्का उसकी गान्ड में लगा दिया…, गान्ड को चर-चराता हुआ मेरा तीन-चौथाई लंड उसके अंदर चला गया…!
दीदी की तेज चीख से पूरा कमरा गूँज उठा…आर्ररिइ…मैया…मर् गाइ..र्रिि...
कम्बख़्त..कमीने…गान्डु निकाल अपना मूसल…मुझे नही मरानी…हाए रे दैयाअ..भेन्चोद ने फाड़ दी मेरी गान्ड…!
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे.., तभी भाभी से उसके होठों को अपने मुँह में भर लिया और चूस्ते हुए उसकी चूत को सहलाने लगी, मे थोड़ा रुका रहा…!
भाभी की दो उंगलियाँ दीदी की चूत में जाकर हरकत करने लगी, तरीक़ा कारगर रहा, दीदी की गान्ड का दर्द कम हुआ और वो भी भाभी के होठों को चूसने लगी..
तभी भाभी ने आँखों से मुझे इशारा कर दिया, और मेने उतने ही लंड को बाहर करके फिर अंदर कर दिया…!
दीदी के पटरी पर आते ही, मेने अपने लंड को पूरा अंदर करके हल्के-हल्के धक्कों से उसकी गान्ड की कुटाई शुरू कर दी, चूत और गान्ड दोनो के सेन्सेशन से दीदी को मज़ा आने लगा..,
उसकी चूत रस छोड़ने लगी, और वो फुल मस्ती में चूर अपनी गान्ड को खुद से हिला-हिलाकर चुदाई का मज़ा लेने लगी,
कसी गान्ड के छेद ने 10 मिनिट में ही मेरा पानी निकाल दिया, साथ ही वो भी झड़ने लगी, और औंधे मुँह बिस्तर पर पड़ी रह गयी..,
कुछ देर उसके उपर पड़े रहने के बाद मे उठकर बाथ रूम गया और अपने लंड की सफाई की…!
मेरे बाहर आते ही, भाभी ने मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया, और मेरा लंड चूसने लगी..,
उनके अचूक प्रयासों ने मेरे लौडे को फिर से खड़े होने पर मजबूर कर दिया, और वो 5 मिनिट में ही फिरसे फुफ्कार कर दूसरे छेद की खुदाई के लिए तैयार हो गया..!
अब निशा की बारी थी, लेकिन अभी भी उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी, भाभी ने उसे उकसाकर तैयार कर ही लिया…!
दीदी की टाइट गान्ड खोलने की वजह से मेरा लंड कुछ और ज़्यादा ही मोटा सा हो गया था…,
ढेर सारा तेल निशा की गान्ड में भरने के बाद भी उसे अपनी गान्ड का ढक्कन खुलवाने में हालत खराब हो गयी..
लंड के अंदर सरकते ही वो बुरी तरह हाए-तौबा मचाने लगी.., भाभी के प्रयासों से उसके क़िले को भी फ़तह कर ही लिया…
इस तरह अगले आधे घंटे और मेने मेहनत की और निशा की गान्ड का ढक्कन भी पूरी तरह से खोलकर में निढाल भाभी की बगल में ही पड़ा रह गया..,
दो-दो गान्ड का उद्घाटन करने से मेरा लंड पके फोड़े की तरह दुखने लगा था, भाभी के हाथ लगते ही मेरे मुँह से आहह…निकल गयी,
भाभी मेरे लंड का दर्द समझ गयी इसलिए उन्होने बड़े प्यार से बिना हाथ लगाए उसे पूचकार लिया, और उसकी बलाइयाँ लेने लगी…!
दिन बड़े खुशी-खुशी बीत रहे थे, मेने गुप्ता जी वाली ज़मीन में अपने बंगले का काम शुरू करा दिया था…!
लेकिन ये बात अभी घर में किसी को पता नही थी, मे उनको सर्प्राइज़ देना चाहता था..
समय और मौके के हिसाब से थोड़ा-बहुत समय अपने घर और गाओं के संबंधों को भी देता रहता था जिससे किसी को कोई शिकायत का मौका ना मिले…!
गाओं के विकास कार्य ग्राम पंचायत के सिस्टम के हिसाब से काफ़ी प्रोग्रेसिव थे, हमने गाओं में प्राथमिक चिक्त्सालय के लिए डिस्ट में अर्जी दे दी थी..
इसका लाभ ख़ासकर गाओं की गर्भवती महिलाओं को ज़्यादा मिलने वाला था...!
फिर एक दिन शाम को एक माल में मुझे मालती मिली, मेने उससे घर परिवार के बारे में पुछा, कोई बच्चा वग़ैरह हुआ कि नही ये जाना…
उसने बताया – कि अभी तो कोई बच्चा नही हुआ है, कोशिश तो बहुत की लेकिन सब भगवान की मर्ज़ी है.., वैसे भानु से उसे कोई तकलीफ़ नही है, वो अब मुझे बहुत प्यार करता है…!
फिर वो ज़िद करके मुझे अपने शहर वाले घर ले गयी, वहाँ उसने मुझे बियर ऑफर की, और हम दोनो बियर पीते-पीते बात चीत करते रहे,
वो मेरे एकदम सटके बैठी थी, तो जाहिर सी बात है, छेड़-छाड़ तो बनती ही थी..,
जब दो जवान जिस्म एक साथ हों, उपरे से बियर का सुरूर तो धड़कनें बढ़नी ही थी..
जब एक-एक बियर ख़तम हो गयी, तो वो मुझे अपने बेडरूम में ले गयी, और वहाँ उसने मेरे सारे कपड़े निकलवा दिए, और अपने कपड़े निकाल कर मेरे उपर सवार हो गयी…!
कुछ देर मे उसके साथ चुदाई का मज़ा लेता रहा, मालती को एक बार मेने जमकर चोदा.. वो नंगी मेरे उपर पड़ी थी..
फिर ना जाने उसे क्या हुआ कि वो मेरे कंधे से लगकर सुबकने लगी.., मेने उपकी गान्ड सहलकर पुछा - क्या हुआ मालती..? कोई प्राब्लम है अभी भी तो मुझे बताओ…!
उसने मुझे कसकर भींच लिया और अपनी सिसकियों के बीच बोली - आप कितने अच्छे हैं जीजू…, लेकिन मे..मे…
मेने उसे थोडा उपर उठाकर पुछा - हां बोलो.. तुम क्या.., और .. और.. ये मुझे क्या होता जा.. राहहा….
और फिर ना जाने क्यों मेरी आँखें बंद होती चली गयी, लाख कोशिश के बाद भी में बेहोश होता चला गया…!
पता नही मे कितनी देर बेहोशी में रहा, जब होश में आया तो किसी नयी जगह पर था जहाँ बाहर से चिड़ियों के चहचहाने के स्वर सुनाई दे रहे थे, ऐसा लगता था, जैसे ये जगह शहर से बाहर कोई फार्म हाउस जैसा हो…!
होश आते ही मेने अपनी जगह से उठने की कोशिश की तब पता चला कि मे बेड पर चित्त लेटा हुआ था, मेरे दोनो हाथ और पैर बेड के चारों छोरो पर बँधे हुए थे…!
मेने कसमसा कर अपने बंधन को मुक्त करने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नही हो पाया…!
ज़्यादा ज़ोर आज़माइश से मेरी कलाईयों में जलन सी होने लगी, वो रस्सी के घिसाब के कारण ज़ख्मी सी होने लगी…,
मेने अपनी कोशिश बंद करके पूरी ताक़त से चिल्लाना शुरू किया – कोई है यहाँ….?
कुछ देर बाद उस हॉल नुमा कमरे का दरवाजा खुला, और दो गुंडे टाइप के लोग अंदर आए और आते ही एक गुर्रा कर बोला – क्यों गला फाड़ रहा है…? चुप-चाप पड़ा रह..
मेने कहा – मे कहाँ हूँ, यहाँ कॉन लेकर आया है मुझे और क्यों…?
वोही आदमी फिर बोला – सबर कर सब पता चल जाएगा…!
फिर कुछ देर बाद जो शख्स उस कमरे में दाखिल हुआ, उसे देख कर मे बुरी तरह चोंक गया, और मेरे मुँह से निकला, तूमम्म्म…!
ये कोई और नही भानु ही था, जिसने मालती को चारा बनाकर एक बार फिर मेरे उपर घात करदी थी…!
भानु – हां मे, क्यों बेटा कैसा लग रहा है यहाँ बँधे पाकर, कोर्ट में मात देकर बड़ा खुश हो रहा था तू…!
मे – भानु, तेरी उस ग़लती को तो मेने माफ़ भी कर दिया था, लेकिन अब तूने फिरसे अपनी औकात दिखा दी, ये ग़लती तुझे बहुत भारी पड़ने वाली है कमीने…!
भानु – यहाँ तू सिर्फ़ फड़फड़ाने के अलावा और कुछ नही कर सकेगा, अब यहाँ से निकल पाएगा इस बारे में सोचना भी मत साले, अब यहाँ से सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरी लाश ही बाहर जाएगी, वो भी किसी गटर में.
उसकी बात सुनकर मेरे तिर्पान काँप गये, मुझे अपने मरने की फिकर नही थी, मेरे पीछे मेरे घरवालों का क्या होगा, ये सोचकर मेने हाथ पैर हिलाने की नाकाम कोशिश की…!
मेने भानु से पुछा – जब तू मुझे मारना ही चाहता है तो इस तरह बाँधने का क्या मतलब…?
भानु – कोई है जो तेरे गुनाहों की सज़ा अपने हिसाब से देना चाहता है, वरना मे तो तुझे यहाँ लाता भी नही, अपने घर में ही तेरा गेम बजा चुका होता…!
मे – कॉन है वो ? और मेने कॉन्सा गुनाह किया है जिसकी सज़ा मुझे मिलने वाली है…!
भानु – सबर कर, सब पता चल जाएगा कि तूने क्या-2 तीर मारे हैं, किस-किस को क्या-क्या दुख पहुँचाए हैं…!
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