Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:48 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
उन्होने सिसक कर अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और बोली – सस्सिईइ…आअहह… लेकिन अंकुश बाबू एक वादा करो मुझसे, ये बात किसी को पता नही लगनी चाहिए… वरना मे अपने बच्चों और दामाद की नज़रों में गिर जाउन्गि…!

मेने एक हाथ उनकी मांसल जांघों के बीच सरका दिया और उनकी मुनिया को सहलाते हुए कहा – ये बातें किसी को बताने के थोड़ी होती हैं…, इतना कहकर मेने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया.. और अपने कमरे की तरफ चल दिया…

वो मेरी गोद में मचलते हुए बोली – अभी रहने दो, शायद अभी संजू सोया नही होगा, मे थोड़ी देर से आ जाउन्गी,

मे – अरे आंटी ! शुभ काम में देरी नही होनी चाहिए, और वैसे भी मे कल गाओं जा रहा हूँ !

फिर उन्होने भी मेरी गर्दन में अपनी मांसल बाहों का हार पहना ही दिया और मेरे होठों को चूमकर अपनी रज़ामंदी दे दी…

कमरे में ले जाकर मेने उन्हें अपने पलग पर लिटा दिया, एक-एक करके उनके सारे कपड़े निकाल फेंके…

आंटी का बदन सही में अभी भी किसी 30-32 साल की औरत जैसा ही था, एक दम सुडौल कसा हुआ,

कहीं पर भी अतरिक्त फॅट नही , वो भी मेरे कपड़े अलग करके मेरे लंड पर भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी…, उनकी सुबह की अधूरी आस अब पूरी हो रही थी…

मेरे गरम लंड को मुट्ठी में कसते हुए बोली – आअहह…क्या मस्त हथियार है तुम्हारा…

सुबह तो बस हाथ में पकड़ कर फील ही कर पाई थी, लेकिन अभी अपनी आँखों से देखा है, सच में निशा बेटी बहुत खुश नसीब है…!

मेने उनकी सुडौल चुचि को मसल्ते हुए कहा – अभी तो ये आपके हाथों में है, जो चाहे कर लो…!

बड़ी कामुक स्माइल देकर उन्होने मेरी तरफ देखा, और हल्के से उसे अपनी जीभ की नोक से चाटा…

सुपाडे को खोलकर उसके पीहोल के चारों ओर जीभ फिराई, मेरे मुँह से सिसकी नकल गयी…!

फिर आंटी ने मेरी दोनो गोलियों को एक साथ अपने मुँह में भर लिया, उन्हें अच्छे से चूसने के बाद वो मेरे लंड को उपर तक चाटती चली गयी, और टॉप पर पहुँचते ही गडप्प से उसे अपने मुँह में भर लिया…

आंटी की इस कामुक अदा से मेरे होश गुम होने लगे…! वो उसे पूरे मन से चूस रही थी, कभी-कभी बाहर निकाल कर पूरी लार उसके उपर चुपड देती, और फिरसे हाथ से मुठियाने लगती…!

जिस तरह से आंटी मेरे लंड की सेवा कर रही थी वैसी आज तक किसी ने नही की थी,
अब मेरा संयम खोने लगा था, सो मेने आंटी को अपने उपर खींच लिया…!

वो अपनी गरम चूत को लेकर मेरे लंड पर बैठती चली गयी, मेरा मोटा ताज़ा लंड उनकी चूत में कसा हुआ जा रहा था…

आंटी ने कसकर अपने होठों को बंद कर लिया, और धीरे-धीरे करके मेरे पूरे लंड को अपनी चूत में समेटकर हाँफने लगी…

मेने उन्हें अपने उपर झुका लिया, और उनके होठों को चुस्कर उनकी चुचियों को मसल्ने लगा,

आआहह….अंकुश बाबू, वाकाई में बहुत जानदार लंड है तुम्हारा, पहली बार इतना कसा हुआ लग रहा है मेरी चूत में, अब चोदो मेरे रजाअ…

मेने उनकी चुचियों की घुंडीयों को उमेठते हुए कहा – कमान आपने संभाल रखी है, मे कैसे चोदु..?

सस्सिईइ….आअहह…ज़ोर्से नही….ये कहकर उन्होने धीरे-धीरे अपनी गान्ड को उपर उठाया, और फिरसे बैठने लगी, थोड़ी ही देर में उनकी गति बढ़ने लगी…!

कुछ देर तक आंटी मेरे लंड पर उठक-बैठक करती रही.., लेकिन उनकी रफ़्तार से मेरा मन भरने वाला नही था…,

सो मेने उन्हें अपने नीचे लिया और उनकी टाँगों को अपने सीने से सटकर जो रफ़्तार दी.., आंटी की रेल बन गयी…,

अपने धक्कों को स्पीड देते हुए मेने कहा – आहह…आंटी क्या चूत है आपकी, पूरा कस लिया है इसने मेरे लंड कूओ…

आंटी सिसकते हुए बुदबुदाई..सस्सिईइ…आअहह…तो खोल दो इसे अच्छे से अपने इस मूसल सीई.., आआययईीी…म्म्माआ…धीरी…ईई…कहते हुए वो झड़ने लगी…

सुबह तक मेने आंटी के सारे दरवाजे खोल दिए…, एक बार जमकर उनकी चूत को बजाया, जिसमें वो तीन बार झड़ी, फिर एक बार उनकी गान्ड का भी ढक्कन खोल ही दिया…

हालाँकि गान्ड मरवाने में उन्होने काफ़ी नखरे किए, लेकिन जब एक सुलेमानी लंड किसी औरत को पसंद आ जाए, तो वो उसे किसी भी सूरत में खोना नही चाहती… चाहे उसके लिए उसे कोई भी बलिदान क्यों ना करना पड़े, ये तो केवल गान्ड की ही बात थी..., थोड़े दर्द के बाद मज़ा ही देने वाला था…!

आंटी बहुत देर तक अपनी महीनो पुरानी प्यास के बुझने के बाद की खुमारी में पड़ी रही…मेने भी उन्हें नही उठाया…!

जब सुबह मेरी नींद खुली तो वो मेरे बिस्तर पर नही थी…………..!

आज मुझे कोर्ट में कोई ज़्यादा काम नही था, सो दोपहर के बाद ही घर की तरफ निकल गया, जहाँ एक बहुत बड़ा सर्प्राइज़ मेरा इंतेजार कर रहा था…!

घर में घुसते ही सबसे पहले मुझे भाभी मिली जिन्होने मुझे देखकर एक रहश्यमयि मुस्कान दी, पूछने पर कुछ नही कहा – बस इतना इशारा किया कि अपनी निशा रानी से जाके पुछो…

निशा उस समय अपने कमरे में आराम कर रही थी, मेने जाकर अपना बॅग रखा और सीधा उसके उपर जंप लगा दी…!

उसने मुझे देखते ही घुड़क कर कहा – दूर हटो, ऐसे झपट्टा मारकर मत आया करो वरना वो नाराज़ हो जाएगा…!

मेने चोन्क्ते हुए कहा – ये मियाँ बीवी के बीच और कॉन आ गया जो नाराज़ हो जाएगा भाई…?

वो बड़ी प्यारी सी स्माइल देकर बोली – अब मे अकेली नही हूँ, मेरे साथ कोई और भी है समझे राजाजी…!

आज इसे हो क्या गया है, सर्प्राइज़ पे सर्प्राइज़ दिए जा रही है, हारकर मेने उसे गुदगुदाना शुरू किया…, वो खिल-खिलाकर मुझे रुकने के लिए बोलने लगी…

मेने कहा – तो सीधे सीधे बताओ, बात क्या है, किसके बारे में बोल रही हो..

उसने धीरे से मेरे सिर पर हाथ रख कर हिलाया और मुस्कराते हुए बोली – अब आप असली बाप बनाने वाले हो मेरे बुद्धू बलम…!

मेरा मुँह खुला का खुला रह गया, और फिर ज़ोर्से हुंकार सी भरते हुए चिल्लाया..ओ तेरी की, तो ये बात है…!

फिर मेने निशा को अपनी बाहों में भर लिया, और कमरे से बाहर आकर उसे लेकर पूरे आँगन में भागता रहा चिल्लाता रहा – याहूऊऊ….!

मेरी आवाज़ सुनकर भाभी, रामा दीदी और रूचि भी आ गयी, और वो भी मेरे साथ इस खुशी में शामिल हो गयी………….!

दूसरे दिन मेरा मन नही हुआ शहर जाने का, जो भी काम थे वो पोस्टपोन कर दिए, इतनी बड़ी खुशी मे अपने परिवार के साथ ही मनाना चाहता था..,

चाय नाश्ते के बाद मे भाभी के पास चला गया, जहाँ दीदी पहले से ही ज़मीन पर गद्दी डालकर बच्चे की मालिश कर रही थी, भाभी सिरहाने से टेक लेकर बैठी, दोनो आपस में बातें कर रही थी…!

मुझे देखते ही भाभी बोली – आओ लल्ला थोड़ा अपने बेटे के साथ खेल लिया करो, दूसरे के आने में तो अभी बहुत वक़्त है…!

मे दीदी के बाजू में बैठकर बच्चे को खिलाने लगा.., तभी भाभी बोली – अच्छा रामा ये बताओ तुम दोनो ने दिल्ली में कुछ मस्ती-वस्ति की या अब सुधर गये हो…

दीदी के मालिश करते हुए हाथ थाम गये, एक शर्म की लाली अपने चेहरे पर लेकर उसने भाभी की तरफ देखा..जो मंद-मंद मुस्करा रही थी…!

अब ऐसे शरमाओ मत, 900 चूहे ख़ाके बिल्ली तप करने लगी क्या..?

एक शर्मीली मुस्कान के साथ दीदी ने अपनी नज़रें झुका ली, तभी मेने उसके एक चूतड़ पर हल्के से चपत लगाते हुए कहा –

आपको क्या लगता है भाभी, दीदी ऐसा कोई मौका गँवा सकती है..?

तभी दीदी ने मेरे हाथ पर थप्पड़ मारते हुए कहा – हट नालयक तू तो एक दम दूध का धुला है ना, जैसे तूने कुछ नही किया हन…!

दीदी एक गाउन पहने अपने घुटने मोड़ कर बैठी मालिश कर रही थी बच्चे की, पीछे से मेने उसकी गान्ड की दरार में अपनी उंगली चलते हुए कहा –
झूठ मत बोलो दीदी, भाभी इसने मेरे पहुँचते ही मेरे उपर धाबा बोल दिया, और फिर रात में भी आकर मेरा लंड चूसने लगी…!

भाभी – क्यों रामा, सबर नही हुआ होगा ना.., भाई के लंड की खुश्बू सूंघते ही झपट पड़ी होगी, इसमें तुम्हारी कोई ग़लती भी नही है वो साला है ही इतना मस्त की मे खुद ज़्यादा दिन सबर नही कर पाती…!

रामा की हम दोनो की बातें सुनकर झिझक ख़तम हो गयी, और वो मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में लेकर बोली – सही कह रही हो भाभी, मेरे भाई का हथियार राम दे उसे मिले..!

आप दोनो तो जब मन करता है ले लेती हो, तो भला में मुश्किल से हाथ आए मौके को कैसे गँवा देती, इतना कह कर वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी, हम दोनो भी उसका साथ देने लगे…!

तभी मेने अपने बेटे के गाल पर किस करके कहा – अच्छा भाभी ये बताओ, इसको भरपेट दूध पिलाती हो या नही, कम तो नही पड़ जाता…!

भाभी – अच्छा जी, देखा रामा अपने बेटे की कितनी परवाह है इन्हें, चिंता मत करो लल्ला इसकी माँ दुधारू गाय से कम नही है, ये सारा दूध पी भी नही पाता..,

मेरी चुचियाँ जब ज़्यादा भर जाती हैं, तो वैसे ही निकालना पड़ता है…!

मे – वेस्ट क्यों करती हो, रूचि को ही पिला दिया करो ना…, वैसे कैसा है आपका दूध, मुझे भी टेस्ट कराओ ना भाभी..?

भाभी – अरे इसमें पुच्छना कैसा, आ जाओ पीलो ये कहकर उन्होने अपने गाउन की डोरी खींच दी, दूध से लबालब भाभी की गोर-गोरी चुचियाँ देख कर मे उच्छल कर पलंग पर उनके बगल में जा बैठा…!

मेने अपने हाथ से उनकी भरी हुई चुचियों को सहलाया, तो भाभी बोली – दबाना मत लल्ला, वरना दूध निकल जाएगा, लो चूस लो इन्हें…!

मेने फ़ौरन अपना मुँह उनकी एक चुचि से लगा दिया, चूस्ते ही उनके मीठे दूध की धार मेरे मुँह में समा गयी.., मेने चटखारा लेकर कहा –

आअहहा…भाभी मज़ा आ गया, वास्तव में आपका दूध बहुत मीठा है, तभी भाभी ने रामा से कहा – तुम्हें भी पीना है अपनी भाभी का दूध…!

रामा दीदी भी उठकर दूसरी बाजू बैठ गयी, और दूसरी चुचि उसने अपने मुँह में भर ली…,

मज़े और प्यार की मिली-जुली लहर भाभी के बदन में दौड़ गयी, आँखें बंद करके वो अपने दोनो हाथ हम दोनो के सिरों पर फिराने लगी..,

तभी हमें निशा की आवाज़ ने चोंका दिया….!

अरे वाह ! क्या सीन है, एक नवजात बच्चे का हक़ मारकर भाई बेहन कैसे दूध पीने में लगे हुए हैं, फिर अपने सिर पर हाथ मारते हुए बोली – हाए राम क्या जमाना आ गया है देखो तो…!

उसकी बात पर हम सब हँसने लगे, भाभी बोली – आजा, तू भी पीले, जल क्यों रही है वहाँ खड़ी-खड़ी.., तेरी बेहन किसी गाय से कम दूध नही देती.. !

निशा भी लपक कर आ गयी, मुझे उसने परे धकेल दिया और खुद लग गयी उनका दूध पीने..!

मे भाभी के पैरों की तरफ बैठ गया, और उन दोनो घोड़ियों की गान्ड मसलने लगा, वो गुउन्ण..गुउन्न्ं… करके अपनी अपनी गान्ड इधर से उधर को मटकाने लगी.., लेकिन चुचि मुँह से नही निकली…!

मेने दोनो के गाउन कमर से उपर तक चढ़ा दिए, छोटी-छोटी कच्च्छियो में उनके नंगे चूतड़ चमक रहे थे.., उनपर थपकी देकर मेने भाभी से कहा-

भाभी कोई गाना गाओ ना, मे तबला बजाता हूँ.., देखो क्या मस्त टेबल की जोड़ी है सामने, ये कहकर मे वास्तव में ही ताल देने लगा..,

उन दोनो ने दूध पीना छोड़ दिया और अपने-2 गाउन नीचे करके गान्ड रख कर बैठ गयी, इसपर भाभी और मे खिल-खिलाकर हँसने लगे…!

निशा ने मुझे धक्का देकर पलंग पर लिटा दिया, फिर मेरा शॉर्ट खींचकर नीचे फेंक दिया और मेरे घोड़ा पछाड़ को पकड़कर बोली-

आपने तो हमारे टेबल पर थाप दे ली, अब मुझे बीन बजाकर इस नाग को मनाने दो, उसे चूमकर बोली..उउंम्म…पूउक्च..कितना प्याला है मेला बाबू..हहूऊंम…!

मेने उसकी गान्ड मसल्ते हुए कहा – देखा भाभी, खाली-पीली झूठा लाड दिखाती है ये..मेला बाबू..मेला बाबू करके, लेकिन उसे जो चाहिए वो देने को कभी राज़ी नही होती…!

निशा अपना मुँह उपर करके बोली – हान्ं…मेने किस चीज़ के लिए मना किया इसको, जब जी करता है अपनी मन पसंद सुरंग में घुस जाता है…!

मे – देखा भाभी, भूल गयी अपना वादा, क्या प्रॉमिस किया था उस दिन..? आज तक तूने इसे अपनी पीछे वाली सुरंग में जाने दिया कभी…!

निशा अपने होठ काट’ते हुए बोली – डर लगता है कही मेरी पीछे वाली सुरंग धारसाई ना कर दे ये..,

भाभी ने उसे ताना देते हुए कहा – बस इतना ही ख़याल है इसका, अपने मतलब के लिए प्यारा लगता है, उसकी इच्छा का कोई ख्याल नही…!

तभी दीदी ने भी उसे उकसाते हुए कहा – अब अपनी किसी प्यारी चीज़ का ख़याल तो रखना ही चाहिए, हां कर दे निशा… कम ऑन…!

भाभी और दीदी के उकसाने पर निशा हिम्मत जुटाकर बोली – ठीक है मे इसे अपनी पीछे वाली सुरंग में जगह देने को तैयार हूँ, लेकिन मेरी भी एक शर्त है…!

हम तीनों के ही मुँह से एक साथ निकला…क्या…?

निशा ने मुस्कराते हुए दीदी की एक चुचि मसल दी और बोली – पहले हमारी ननद रानी इसे अपनी पीछे वाली सुरंग का रास्ता दिखा देंगी तो मे भी ले लूँगी…!

दीदी ने उसका हाथ पकड़कर अपनी चुचि से हटाया और उसकी गान्ड में उंगली डालते हुए बोली –

साली छिनाल, वो तेरी गान्ड में जाना चाहता है, मुझे बीच में क्यों घसीट रही है…!

भाभी ने बीच-बिचाव करते हुए कहा – कोई बात नही रामा, तुम बड़ी हो, पहले तुम डलवा के दिखा दो उसे कैसे लेते हैं, फिर वो भी सीख लेगी…!
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 01:48 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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