RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
आपको उनके साथ रहने में कोई दिक्कत तो पेश नही आ रही..?
मे – नही मुझे कोई दिक्कत नही आ रही, लेकिन मेरी कुछ ग़लत आदतों की वजह से शायद उनको कुछ प्राब्लम होती होगी…!
प्राची – आपकी क्या ग़लत आदतें हैं जिनसे उनको प्राब्लम होती होगी…?
मे – वही जैसे गेट खुला रखकर सोने की…!
प्राची – अरे तो इससे उनको क्या प्राब्लम होती होगी भला.., उनका रूम अलग है आपका अलग…!
मे – फिर भी ये आदत ग़लत ही है, जैसा आज हुआ…, झोंक-झोंक में मेरे मुँह से ये बात निकल तो गयी, लेकिन जैसे ही रीयलाइज़ हुआ मे एकदम चुप हो गया…!
लेकिन प्राची ने एकदम से बात पकड़ ली और मेरी ओर देखते हुए बोली – क्या हुआ आज…?
प्राची – क्या हुआ आज, बताइए ना भैया.., प्लीज़..
मे – नही प्राची..वो सॉरी मेरे मुँह से अचानक निकल गया, ऐसी कोई बात नही है.., तुम खम्खा इसे सीरियस्ली मत लो…!
प्राची – ऐसी कोई बात नही है तो बताइए ना.., मुझसे क्या छुपाना.., आपको मेरी कसम बताइए, क्या मम्मी ने आपसे कुछ कहा…?
मे – छोड़ो ना यार तुम तो नहा धोकर पीछे ही पड़ गयी, और ये कसम-वसम देने की क्या ज़रूरत है.., मेने कहा ना ऐसी कोई बात नही है, और ना ही उन्होने मुझसे कुछ कहा है..!
प्राची – ज़रूर कोई ऐसी बात है जो आप मुझसे छुपा रहे हैं, ठीक है मत बताइए, वैसे भी मे होती ही कॉन हूँ आपकी,
मे – प्लीज़ प्राची, ऐसा मत कहो, ये तुम्हें भी पता है कि मेरे लिए तुम्हारी क्या एहमियत है, बस ऐसा ही कुछ इन्सिडेंट हो गया जिसे मे तुम्हारे साथ शेर नही कर सकता…!
ख्हम्खा तुम अपनी मम्मी के बारे में कुछ ग़लत सलत सोच बैठोगी…!
ये सुनकर प्राची का शक़ और बढ़ गया, ज़रूर ऐसी कोई बात हुई है उसकी मम्मी की तरफ से जिसने मुझे दुख पहुँचाया है…
उसके चेहरे पर गुस्से की लकीरें खींच गयी, तमतमाते हुए मुझे घूरकर बोली-
गाड़ी रोकिए…., मेने उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखा.., वो फिर तेज आवाज़ में बोली – मेने कहा गाड़ी रोकिए आप.., मुझे नही जाना आपके साथ कहीं शॉपिंग-वोपपिंग..
मेने उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर उसे समझाने की कोशिश की, उसने फ़ौरन मेरा हाथ झटक दिया और बोली.., वापस घर ड्रॉप करदो मुझे…!
मेने झुँझलाकर कहा – ये क्या हठ लेकर बैठ गयी तुम, ग़लती से मेरे मुँह से क्या निकल गया, तुम तो उसी बात के पीछे पड़ गयी..,
समझने की कोशिश करो प्राची, ऐसा कुछ नही हुआ जिसकी वजह से तुम इतनी पेसेसिव हो रही हो, जस्ट इट वाज़ आन इन्सिडेंट…!
प्राची – मुझे अब कुछ नही सुनना, बस मुझे वापस घर छोड़ दीजिए…!
मे – नही मानोगी तुम हां..! तो सुनो.. और मेने सुबह की घटना उसे डीटेल में कह सुनाई, कैसे उसकी मम्मी मेरे कमरे में चाय लेकर आई,
फिर मेरे सुबह के एरेक्षन को देखकर कैसे सम्मोहित होकर उन्होने मेरे शॉर्ट में हाथ डालकर मेरे हथियार को पकड़ लिया…!
प्राची बड़े ध्यान से सारी बातें सुनती रही, जब मेने उसका रिक्षन जानने के लिए उसकी तरफ देखा…!
उसके चेहरे पर एक शरारती सी मुस्कान थी.., अपने एक्सप्रेशन पर काबू करते हुए वो बोली – इससे आपने क्या नतीजा निकाला…?
मे – क्या मतलब..? मे क्या नतीजा निकालूँगा..? ये जस्ट एक ऑपोसिट सेक्स का अट्रॅक्षन था बस, जो वक़्त के साथ गुजर गया.. और क्या..?
प्राची ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया, उसे उठाकर अपने होठों से चूमकर बोली – मम्मी बेचारी भी क्या करे,
कब्से पापा से अलग रह रही है.., शरीर की ज़रूरत तो उनको भी महसूस होती ही होगी, उपर से आपका ये रूप और सोने पे सुहागा वो आपका घोड़ा पछाड़, मन बहक गया होगा बेचारी का…
मेने आश्चर्य के साथ प्राची की तरफ देखा, उसके चेहरे पर सिर्फ़ एक मीठी सी मुस्कान खेल रही थी..,
मे – तुम्हें देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हें इस बात से कोई खास फरक नही पड़ा, आज जो हुआ क्या वो सही था…?
प्राची – सही ग़लत का तो मुझे नही पता, इस बारे में मम्मी मुझसे ज़्यादा समझती होंगी, लेकिन अगर आपको देखकर उनकी सोई हुई इच्छाए फिरसे जाग उठी हैं और सही या ग़लत से उपर उठकर उन्होने आपके साथ ये सब किया है,
भले ही वो आपको सोते हुए समझकर ही सही, इससे तो लगता है कि उनको इस चीज़ की कितनी ज़्यादा ज़रूरत है…,
मे आपसे ये तो नही कहूँगी कि आप इस बारे में कुछ करो, आगे आप मुझसे ज़्यादा समझदार हैं…, इतना कहकर वो एकदम से चुप हो गयी…!
प्राची ने इनडाइरेक्ट्ली ये कह दिया था कि अगर उसकी मम्मी आगे कुछ पहल करती हैं, तो मे उनकी इच्छाओं का सम्मान करते हुए उनकी प्यास बुझाऊ…!
इसके बाद हमारे बीच और कुछ ज़्यादा बातें नही हुई, उसे शॉपिंग कराकर घर छोड़ा, और अपने फ्लॅट को निकलने लगा…,
तभी प्राची ने मेरे गाल पर एक किस किया और मेरी आँखों में देखते हुए बोली – मुझे पूरा विश्वास है आप मेरी मम्मी की भावनाओं की कद्र ज़रूर करेंगे…!
इतना कहकर वो अपने बॅग उठाकर अपने घर के भीतर चली गयी, मेने मुस्कुरा कर गाड़ी अपने घर की तरफ बढ़ा दी…!
प्राची खुद एक नारी होते हुए समझ सकती थी कि उसकी मम्मी उम्र के इस पड़ाव पर किस दौर से गुजर रही होगी.., इसलिए उसने इशारों इशारों में मुझे बता दिया कि मुझे क्या करना चाहिए…!
लौटते हुए मुझे काफ़ी अंधेरा हो गया था, जब मे घर पहुँचा तो संजू और आंटी को खाने पर मेरा इंतेज़ार करते हुए पाया…!
मेने झटपट अपना बॅग पटका, फ्रेश हुया, और 10 मिनिट में उनके साथ डाइनिंग टेबल पर आ गया…!
आंटी खाना सर्व करते हुए बोली – आज काफ़ी लेट हो गये अंकुश बाबू.., इतना काम क्यों करते हो…?
झुक कर खाना सर्व करते वक़्त उनके कसे हुए वक्षों की गोलाइयाँ मेरी आँखों के सामने आ गयी, सच में अभी भी उनकी चुचियाँ एक दम गोलाई लिए हुए थी…
उनकी झलक पाते ही मेरे पाजामे में उभार आ गया.., मेने उनकी बात का जबाब देते हुए कहा – आप लोग खाने के लिए मेरा इंतेज़ार मत किया करो, मेरा क्या ठिकाना, कभी सीधा घर भी निकल सकता हूँ…!
मे अपनी नज़रें उनके उभारों पर जमाए हुए आगे बोला - अब काम थोड़ा ज़्यादा फैला लिया है तो समेटने में वक़्त तो लग ही जाता है…!
आंटी शायद मेरी नज़रों को भाँप चुकी थी, इसलिए उन्होने बैठते हुए अपना गाउन आगे से अड्जस्ट कर लिया जिससे उनकी गोलाईयों के बीच के दरार भी ढक गयी…!
खाना खाकर संजू अपने रूम में चला गया, आंटी मुझसे नज़र चुरा रही थी, वो कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन संकोच बस कुछ बोल नही पा रही थी…
तो मेने ही बात शुरू करते हुए कहा – क्या बात है आंटी जी, कुछ परेशान सी लग रही हो आप…? कोई समस्या है तो बताइए मुझे…!
वो नज़र झुकाए बैठी पैर के अंगूठे से फर्श को कुरेदने लगी, कुछ कहने को होठ खुलते लेकिन बस थर-थरा कर रह जाते…!
बहुत हिम्मत जुटाकर वो बोली – मुझे माफ़ कर देना अंकुश बाबू… मे उस बात से बहुत शर्मिंदा हूँ…!
मे – किस बात की माफी माँग रही हैं आप ? किस बात के लिए शर्मिंदा हो…?
आंटी – व.व्वूओ…स्सूबहह…मी…
मे – क्या हुआ था सुबह में, किस बात को लेकर परेशान हैं आप…?
वो – व.वववूओ..म्मईए…सुबह..तुम्हें.. जगानी…गाइइ…
मे – अरे तो इसमें क्या हो गया, अब मे लेट हो गया तो आप मुझे जगाने चली गयी, अब इसमें ऐसी तो कोई बात नही जिसके लिए आपको माफी माँगनी पड़े…!
वो – नही वो, तुम्हें ऐसी हालत में देखकर मुझे वहाँ रुकना नही चाहिए था, पता नही मुझे क्या हो गया था कि मे वो देखने …
मे – ओह्ह्ह…तो आप उस बात को लेकर दुखी हो रही हैं, देखिए आंटीजी ये सब तो नॉर्मल सी बातें हैं, घरों में ये सब होता रहता है,
अब आपने मुझे इस हालत में देखा ही तो था, कुछ किया तो नही ना, फिर आप क्यों परेशान होती हैं, जस्ट रिलॅक्स…!
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