Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:38 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
इतने में डोरबेल बजी, कामिनी ने एक बार फिर उठकर गेट खोला… इस बार जो शख्स कमरे में दाखिल हुआ वो एक काला सा लंबा तगड़ा.. पहलवान सरीखा आदमी था..

उस्मान – जग्गा ! ये जोसेफ है, आज से उस मिशन का सारा काम इनकी देख रेख में ही होगा… ये जैसा कहे वैसा ही करना है तुम्हें…

इनको अपने साथ ले जाओ, और सारी बातें डीटेल में समझा दो, उसके बाद इनके हिसाब से काम करवाना है तुम्हें… समझ गये…

जग्गा गर्दन हिलाकर वापस लौटने लगा… तभी उस्मान मुझसे से बोला – जाओ जोसेफ, जग्गा.. तुम्हें सब कुछ समझा देगा…

याद रखना… इस काम में कोई ढील नही होनी चाहिए… ये डील जितनी शांति और गोपनीया तरीके से निपट जाए, उतनी ही तुम्हारी काबिलियत साबित होगी…

मे – अब आप निश्चिंत हो जाइए चाचा जान… किसी को कानों कान भनक भी नही होगी… और ये डील हो चुकी होगी…इतना कह कर मे भी जग्गा के पीछे – 2 चल दिया…

कामिनी गेट बंद करने हमारे साथ गेट तक आई…, मेरे हाथ में एक कार्ड थमा कर बोली – कल इस पते पर आ जाना…

मे उसकी तरफ देखने लगा, तो उसने एक सेक्सी मुस्कान अपने चेहरे पर बिखेर दी…

मेने उसके हाथ से कार्ड लिया, और चुप चाप कमरे से बाहर निकल गया……..!



प्लान के मुतविक, विदेशियों को देशी ड्रग्स और हथियार हमें सप्लाइ करने थे, जिसके एवज में कुछ विदेशी ड्रग्स और पैसा वो देने वाले थे…

ये डील उसी होटेल के बेसमेंट में होनी थी, जहाँ मे पहली बार गया था…

जग्गा के साथ मिलकर मेने उस जगह को अच्छी तरह से रेकी किया, तब मुझे पता लगा कि पोलीस की रेड के बाद अब सारा माल असबाब कहाँ छुपा रखा था…

दरअसल रेड के दौरान जो माल पकड़ा गया था, वो तो कुछ भी नही था, सारा माल तो दूसरी जगह पर सुरक्षित ही था, जिसकी शायद खबर असलम और उसके दोस्तों को भी नही थी…

जग्गा मुझे उसी बेसमेंट वाले हॉल से एक गुप्त अंडरग्राउंड के रास्ते से ले गया…

वहाँ से कोई आधा – पोना किमी की दूरी पर ही एक अंडर ग्राउंड बहुत बड़ा सा गोडाउन जैसा था, जिसमें ये सारा दो नंबर के धंधे वाला समान भरा पड़ा था,

यहाँ बस कुछ ही लोग थे जो सिर्फ़ इन चीज़ो को अरेंज करते थे… यहीं से सारा माल उन लोगों को सप्लाइ होना था…

वहाँ की सारी व्यवस्था चेक करने के बाद जग्गा उसी रास्ते से आगे ले गया…

ये काफ़ी लंबा और सकरा सा रास्ता था, जिसमें से एक साथ में एक ही आदमी कुछ समान के साथ ही आ-जा सकता था…

चलते – 2 हमे कोई 10 मिनिट निकल गये… तब जाकर उपर को जाने के लिए सीडीयाँ नज़र आई…

गोडाउन के बाद से इधर के रास्ते में ज़्यादा रोशनी भी नही थी, बस कहीं – 2 छोटे -2 बल्ब टिम टीमा रहे थे, जिससे रास्ता देखने में परेशानी ना हो…

उन सीडीयों को चढ़ कर हम उपर पहुँचे… जहाँ एक छोटा सा प्लेटफॉर्म था, जिसपर एक साथ 4 आदमी से ज़्यादा खड़े नही हो सकते थे…

सामने की दीवार पर जग्गा ने एक बटन जैसा दवाया…. हल्की सी गड़गड़ाहट के साथ ही सामने की दीवार एक तरफ को सरकती चली गयी… और अब उसमें 4 फीट चौड़ा दरवाजा सा बन गया…

उस दवाजे को पार करके हम जैसे ही बाहर निकले… मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी….

ये उसी फॅक्टरी का सबसे पीछे वाला हिस्सा था, जो वहाँ काम करनेवाले

मजदूरों का चेंजिंग रूम के तौर पर इस्तेमाल होता था…

उस रूम में आते ही दरवाजे के साइड में ही एक पुरानी सी लकड़ी की अलमारी जैसी थी, जिसमें एक पुराना सा ताला लगा हुआ था…

जग्गा ने जेब से चाबी निकाल कर वो ताला खोला… और उस अलमारी में हाथ डाल कर कुछ बटन जैसा दबाया…और वो दरवाजा फिरसे बंद हो गया…

अब पहली नज़र में कोई भी नही कह सकता था, कि यहाँ कोई दरवाजा भी हो सकता है…
मेने जग्गा से पुछा… मेरी नालेज के मुतविक, ये फॅक्टरी तो पोलीस ने सीज़ कर दी थी, फिर यहाँ अभी भी कैसे ये सब चलता है ?

जग्गा – अरे भाई… पब्लिक और प्रशाशन की नज़र में तो फॅक्टरी अभी भी सीज़ ही है, और अब हमारा भी यहाँ कोई माल नही रखा जाता,

अब तो बस इसे हम समान गोडाउन तक पहुँचने तक के रास्ते के तौर पर ही इस्तेमाल करते हैं, जो इसके मेन गेट की वजाय, पीछे वाले गेट से होता है…

वहाँ का सब जयजा लेकर हम फिर वापस उसी रास्ते से होटेल के बेसमेंट में लौट आए…

बेसमेंट से एक और सीक्रेट रास्ता था, जो सीधा होटेल की पार्किंग में निकलता था, ये वही रास्ता था, जिससे कामिनी उस दिन एंटर हुई थी…

सारे रास्तों का डीटेल और फोटो वगरह लेने के बाद मेने जग्गा को बुलाया… और उसे कुछ दिशा निर्देश देने के बाद, मे अपने घर लौट आया…

अब मे अपने घर से कुछ दूर पहले ही अपने सीक्रेट नंबर को इनॅक्टिव कर देता था, जिससे कोई मेरी लोकेशन ट्रेस ना कर सके…


घर लौटते – 2 मुझे काफ़ी रात हो चुकी थी, फिर भी मेने उसी समय कृष्णा भैया को फोन लगाया…!

रात के 11:30 को मेरा कॉल देख वो समझ गये कि कुछ तो अर्जेंट है, सो बिना समय गँवाए उन्होने मेरा फोन पिक कर लिया…

मेने उनसे इसी समय मिलने को कहा… उन्होने मुझे अपने घर पर ही बुला लिया…

मुझे अपने असली रूप में आने के बाद उनके घर जाने में कोई प्राब्लम नही थी, सो फटाफट गाड़ी ली और 10 मिनिट के बाद मे उनके बंगले पर था…

मेने उन्हें सारी डीटेल्स बता दी, और डील वाले दिन कैसे, कब, क्या करना है वो सब डिसकस करने के बाद मेने थोड़ा मूड फ्रेश करने की गर्ज से भैया को छेड़ते हुए कहा…

मे – भैया ! वैसे आजकल आप काफ़ी खुश रहने लगे हो… क्या कोई खास वजह..?

वो कुछ देर मेरे चेहरे की तरफ देखते रहे, फिर अचानक से उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी, और बोले –

खुश रहने की तो बहुत बड़ी वजह है भाई… क्या तुझे नही पता…?

मे – मुझे कैसे पता होगा, आपने कभी कुछ बताया ही नही ना !

वो – देख सबसे बड़ी वजह ये है, कि अब मे उस चुड़ैल से हमेशा के लिए छुटकारा पा रहा हूँ…! ये वजह ही काफ़ी है खुश होने के लिए…

मे – फिर भैया… उसके बाद का भी कुछ सोचा होगा ना आपने… कोई और लड़की है जो मेरी भाभी बन सके…

वो – नही अभी तो नही है, वो बाद में देखा जाएगा… पहले एक बार उसका मामला सुलट जाए फिर देखेंगे… जल्दी क्या है यार…!

उनकी बात सुन कर मेरे चहरे पर मुस्कान तैर गयी… जिसे देख कर वो बोले..

अब तू क्यों मुस्करा रहा है..? कोई बचकानी बात करदी क्या मेने…?? या यहाँ भी अपना वकीलों वाला दिमाग़ चलाने की फिराक में है…!

मेने कहा - मे ये सोच कर मुस्करा रहा हूँ… कि आप नानी के आगे ही ननिहाल की बातें कर रहे हो…!

वो – क्या मतलब….? कहना क्या चाहता है तू…?

मे – छोड़िए ये बातें, और ये बताइए…प्राची को तो जानते होंगे ना आप..?

प्राची का नाम सुनते ही उन्होने झटके से मेरी तरफ देखा, मेरी मुस्कान और गहरी हो गयी… जिसे देख कर उनकी धड़कनें और बढ़ गयी…

अपनी धड़कानों को संयत करते हुए बोले – वहीं प्राची ना जो रेखा की छोटी बेहन है… !

मे – हां ! मे उसी प्राची की बात कर रहा हूँ.., और आपको तो पता ही है, कि उसने अपनी बेहन के क़ातिलों को अजाम तक पहुँचाने में कितनी एहम भूमिका निभाई थी… मेरे साथ..

वो – हां ! हां ! मुझे सब पता है, लेकिन अब उससे तेरा क्या मतलब है.. ?

मे – वैसे वो कैसी लगती है आपको…?

वो – अच्छी है, सुन्दर है… लेकिन तू ये सब क्यों पुछ रहा है, वैसे वो आई थी, मुझे थॅंक्स बोलने…!

मे – उसे मेने ही भेजा था, आपके पास… थॅंक्स कहने को…! तो बस उसने थॅंक्स ही कहा आपको, और कुछ नही…?

वो – और क्या कहेगी… ? क्या कुछ और कहने वाली थी…?

मे – नही वो नही…! आप उससे कहने वाले थे… है ना ! और कह भी चुके हैं…!

वो झटके से बोले – क्या…? क्या कह चुका हूँ… ?

मे – यही कि वो आपको अच्छी लगती है, आप उससे शादी करना चाहते हैं… मेरी भाभी बनाना चाहते हैं… हहहे…. ब.बोलीईए…सही कह रहा हूँ ना मे..?
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 01:38 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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