RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दोनो बहनें एक दूसरे के सामने खुल चुकी थी, जो एक तरह से मेरे लिए अच्छा ही रहा… अब मे किसी को भी किसी के सामने पकड़ कर चोद सकता था….!
धीरे – 2 मेरी वकालत जमती जा रही थी, एक-दो छोटे बड़े केस मिलने लगे थे.. तो अब मुझे घर से पैसे लेने की ज़रूरत नही पड़ती थी…!
जस्टीस धिन्गरा की वजह से छोटे-मोटे केस तो कॉन्फिडेंट्ली हाल हो ही जाते थे,
धीरे -2 कोर्ट परिसर में मेरा भी नाम अन्य वकीलों के साथ लिया जाने लगा…
फिर एक दिन भाग्यवश, एक बड़ा क्लाइंट मिल गया,
भगवान दास गुप्ता, शहर में रियल एस्टेट का अच्छा ख़ासा नाम, लेकिन थोड़ा सीधा-सादा डरपोक किस्म का इंशान…
गुप्ता जी की शहर के बीचो-बीच एक बहुत बड़ी ज़मीन पर कुच्छ गुंडा तत्वों ने कब्जा जमा रखा था, और फर्दर कन्स्ट्रक्षन ना हो इसके लिए स्टे डाल के रखा था…!
गुप्ता जी बेचारे सीधे सादे बिज्निस, काफ़ी दिनो से इस ज़मीन को लेकर परेशान थे, उनको किसी ने मेरा नाम सुझाया इस मसले को हल करने के लिए….
जब वो आकर मुझसे मिले, अपना केस बताया…मुझे लगा कि ये वाकई में परेशान हैं….
मेने उनका केस ले लिया, और जल्दी से जल्दी उनकी ज़मीन से स्टे हटवाया,
कोर्ट का ऑर्डर लेकर जब साइट पर पहुँचे, उस समय 8-10 मुस्टंडे वहाँ चरस और गांजे की महफ़िल जमाए हुए थे…
वहाँ पहुँचने से पहले ही मेने एसपी ऑफीस को फोन कर दिया था, लेकिन पोलीस को पहुँचने में अभी वक़्त था…
मेरे साथ गुप्ता जी का मॅनेजर और दो उसके असिस्टेंट थे, मेने उन गुण्डों को कोर्ट का ऑर्डर दिखाया और कहा –
भाई लोगो, अपना ये मजमा यहाँ से हटाओ और ये जगह खाली करो, कोर्ट ने यहाँ कन्स्ट्रक्षन की पर्मिशन दे दी है…
उनमें से उनका सरगना आगे आया, बड़ी-बड़ी ऐंठी हुई मूँछे भारी भरकम शरीर, नशे से सुर्ख लाल-लाल आँखें,
अपनी कमर पे हाथ रखकर बोला – जाओ वकील साब, अपना काम करो, हम ऐसे किसी कोर्ट के आदेश से नही डरते…, बहुत बार देखे हैं ऐसे कागज…
मे – देखो, मे प्यार से तुम्हें समझा रहा हूँ, चुप-चाप ये जगह खाली करके निकल जाओ…तुम लोगों की सेहत के लिए अच्छा रहेगा…वरना…!
वो अपने बाजू उपर करते हुए अकड़ कर बोला – वरना क्या कर लेगा तू.. कल का लौंडा मुझे तडी देता है, तेरे जैसे 36 काले कोट वाले हमारी जेब में पड़े है….
वो अपनी बात पूरी करता कि तदददाअक्कक…मेरा भरपूर तमाचा उसके गाल पर पड़ा…, पाँचों उंगलियाँ उसके गाल पर छाप दी…
वो अपना गाल सहलाते हुए भिन्नाता हुआ, मेरी तरफ झपटा, मेने लपक कर बाए हाथ उसका गला जाकड़ लिया, और सीधे हाथ का एक भरपूर मुक्का उसकी नाक पर मारा…!
उसकी नाक से खून बहने लगा, दर्द से वो तिलमिला उठा, और चीख कर अपने नशेड़ी चम्चो से बोला –
देख क्या रहे हो मदर्चोदो, मारो सालों को, वो लोग जैसे नींद से जागे हों, नशे की वजह से वो गिरते पड़ते अपनी जगह से उठे, कि तभी…
इससे पहले कि वो उसकी मदद के लिए आते, मैदान में पोलीस साइरन की आवाज़ गूंजने लगी…
वो जहाँ के तहाँ खड़े रह गये..
कृष्णा भैया अपने दल-बल के साथ समय पर पहुँच गये, और उन सबको ड्रग्स के साथ अरेस्ट करके जैल में डाल दिया…
इस तरह से उनकी मदद से पोलीस के द्वारा उन गुण्डों को वहाँ से हटाया… और उनकी ज़मीन उनको दिलवा दी…!
दरअसल वो गुंडे उनके राइवल्री बिल्डर योगराज के बिठाए हुए थे, गुप्ता जी को परेशान करने के लिए..., ये बात मुझे पोलीस से ही पता चली…
इससे पहले पोलीस बड़े-बड़े प्रेशर की वजह से उन पर हाथ ही नही डालती थी, क्योंकि योगराज की दोस्ती यहाँ के कमिशनर और एमएलए के साथ थी…
अब वो गुंडे अवैद्य कब्ज़े और ड्रग बेचने के जुर्म में दो-चार साल तक बाहर आने वाले नही थे…
जब ये बात मेने गुप्ता जी को बताई, तो उन्हें बड़ा दुख हुआ, लेकिन भले आदमी ने योगराज के खिलाफ एक शब्द नही कहा,
बस प्रभु उन्हें सद्बुद्धि दे, ये कहकर बात को टाल दिया…
लेकिन इस सब से खुश होकर उन्होने उस ज़मीन से एक बंगले के लायक ज़मीन मेरे नाम करदी,
मेने उन्हें बहुत माना किया… लेकिन वो नही माने, और अपनी फर्म का मुझे लीगल आड्वाइज़र ही बना दिया…..
यही नही, अपनी ही एक बिल्डिंग में 3बीएचके फ्लॅट भी मुझे रहने के लिए दे दिया, जिससे मे एमर्जेन्सी पड़ने पर शहर में रुक सकूँ…
गुप्ता जी जैसा बड़ा क्लाइंट मिलने से मेरी खुद की फाइनान्षियल प्राब्लम काफ़ी हद तक पटरी पर आने लगी…!
कभी कभार कोर्ट के काम से कृष्णा भैया से भी मुलाकात हो जाती थी,
वो अपने एसपी आवास पर आने के लिए मुझे बोलते थे, लेकिन मे उन्हें मना कर देता, क्योंकि जब तक कामिनी भाभी उनके साथ रह रही है, तबतक मे उनके यहाँ नही जाना चाहता था…!
उधर कामिनी को जब पता चला कि उसका मोहरा निशा के मामले में बुरी तरह से पिट गया है, और उपर से कृष्णा भैया ने मेरे साथ राज़ीनामा कर लिया है, तो वो और बुरी तरह से भिन्ना उठी…
जिसका असर उन दोनो के संबंधों पर और ज़्यादा पड़ने लगा,
अब वो आए दिन उनके साथ बुरे से बुरा वार्ताव करने लगी, भैया की मजबूरी थी, कि वो उसके खिलाफ कोई कड़ा फ़ैसला नही ले सकते थे…
बस लहू का सा घूँट पीकर वर्दास्त कर रहे थे…!
एक दिन उन्होने मेरे ऑफीस में आकर अपनी दुख भरी दास्तान सुनाई, उनकी आँखों में मजबूरी के आँसू थे..
मेने उन्हें हिम्मत बाँधते हुए कहा – हौसला रखिए भैया, हर बुराई की अपनी समय सीमा होती है, उसके बाद उतना ही सुखद सबेरा भी आता है…
आप देखना एक दिन खुद ही नियती ऐसा कोई खेल खेलेगी कि आप उसके चंगुल से आज़ाद हो जाओगे…!
और वाकाई में नियती धीरे-2 इस दिशा में आने वाले समय की पटकथा लिख रही थी…
दिनो-दिन कामिनी की गति-विधियाँ रहस्यमयी होती जा रही थी…, अब उन्होने उसपर ध्यान देना ही बंद कर दिया था…!
कृष्णा भैया अपनी पोलीस की ड्यूटी में व्यस्त रहने लगे और कामिनी अपनी दुनिया में…
पति-पत्नी का रिस्ता तो जैसे नाम मात्र का ही रह गया था…
खैर.. इन्हें अपने हाल पर छोड़ देते हैं…, और अपने रास्ते लगते हैं…
क्योंकि जो जैसा करता है, फल भी उसे उसी हिसाब से मिलता है…, इन्हें भी मिलेगा……,
हां थोड़ा समय ज़रूर लग सकता है…
हेरा फेरी फिल्म के इस गाने की लाइन्स की तरह……
दरबार में उपरवाले के अंधेर नही पर देरी है…!
तक़दीर का सारा खेल है ये, और वक़्त की हेरा फेरी है…..!!
राजेश की रिहाई और फिर कृष्णा भैया के फिरसे घर के साथ संबंध सुधरने के बाद, घर का माहौल थोड़ा रिलॅक्स हो गया था, फिलहाल मुसीबतों का दौर गुजर गया था…
हमारी शादी बहुत ही नॉर्मल तरीक़े से आनन-फानन में हुई थी,
निशा और मे एक तरह से सही मैने में ये भी नही जान पाए कि नयी शादी का एंजाय्मेंट क्या होता है…
भाभी ने हम दोनो को कहीं अच्छी जगह जाकर हनिमून मनाने की सलाह दी..
मेने उन्हें टालना चाहा, तो उन्होने ये बात भैया और बाबूजी के सामने रख दी, जिसे उन्होने भी सही ठहराते हुए मुझे कहीं घूमने जाने के लिए मजबूर कर दिया…
मेने सोचा ! क्यों ना देल्ही जाया जाए, एक पन्थ दो काज, रामा दीदी के साथ-साथ अपने गुरु और नेहा से भी निशा को मिला लाउन्गा…
मेने अपना प्लान घर में सबको बताया, और टिकेट बुक कराकर एक दिन हम दोनो देल्ही निकल लिए…
एक अच्छे से होटेल में कमरा लिया, कमरे में पहूचकर फ्रेश हुए और उसके बाद रामा दीदी को फोन लगाया…
पहले तो वो मेरी आवाज़ सुनकर बहुत खुश हुई, और जब मेने बताया कि मे और निशा यहीं देल्ही में ही हैं…तो वो तुरंत बोली..
ये तो बहुत ही अच्छी बात है, तुम लोग जल्दी आ जाओ, तब तक मे तुम्हारे खाने-पीने का इंतेज़ाम करके रखती हूँ..
लेकिन जब मेने उसे ये बताया कि हम होटेल में ठहरे हुए हैं, तो वो बहुत नाराज़ हुई, मेने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा,
हमारी वजह से तुम्हारी प्राइवसी खराब होगी, 2 बीएचके फ्लॅट में जगह ही कितनी होती है… इसलिए हमने सोचा कि हम बाद में तुम्हारे घर आते हैं…
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