Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-01-2019, 02:12 PM,
#72
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अब रागिनी का मन ग्लानि से भरने लगा था… और अंत में उसने फ़ैसला कर लिया कि वो कल सबसे पहले जाकर अंकुश से माफी माँगेगी… !

जैसे ही रागिनी ने मन ही मन ये फ़ैसला लिया कि वो कल जाकर अंकुश से माफी माँगेगी, उसका मन अप्रत्याशित रूप से शांत हो गया…

अब उसके मन मस्तिष्क में, नफ़रत की जगह अंकुश के लिए दूसरी ही भावनाएँ पनपने लगी, और वो उसका प्यार पाने की कल्पना करने लगी.

उसकी पर्सनॅलिटी उसके दिलो-दिमाग़ पर छाती जा रही थी, इन्ही ख्वाबों ख़यालों में ना जाने कब उसका हाथ उसके नाज़ुक अंगों के साथ खेलने लगा, और उपसर मस्ती भरी खुमारी छाने लगी.

कभी वो अपनी चुचियों को मसलकर फील करती कि ये अंकुश उनको मसल रहा है, तो कभी उसका हाथ अपनी चूत पर महसूस करती, और उसे अपने हाथ से सहलाने लगती.

रागिनी की खुमारी कब वासना में बदल गयी, उसे पता ही नही चला और उसकी उंगलियाँ चूत के अंदर जाकर एक्सर्साइज़ करने लगी…

वो अपनी उंगलियों को चूत में अंदर बाहर करती हुई, फील करने लगी, जैसे अकुश का लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा हो…

उसके मुँह से मादक सिसकियाँ निकलने लगी…. आअहह…अंकुशह….और जोरी सीए…चोद्द्द….बोलते हुए उसकी उंगलियों की रफ़्तार तेज होती चली गयी…

आख़िरकार वो लम्हा भी आ पहुँचा जिसकी चाहत हर शरीर को होती है,

उसकी कमर किसी धनुष की तरह बिस्तेर से ऊपर उठती चली गयी, और एक चीख मारते हुए उसकी चूत ने अपना कामरस छोड़ दिया…

अपने गीले हाथ को वो काफ़ी देर तक देखती रही, फिर उसे बेडशीट से पोन्छ कर साँसों को इकट्ठा करते हुए उसके चेहरे पर एक सुकून भरी स्माइल खेल गयी..

अपने खुद के हाथों से अपना चूतरस निकालने में आज उसे एक अलग सा ही मज़ा आया था, जो इससे पहले कभी नही मिला..,
इसी खुमारी में ना जाने कब उसकी आँखें बंद होती चली गयी…
उधर अपना हीरो… अंकुश शर्मा यानी कि मे.. जब घर पहुँचा…

आज कॉलेज मे जो कुछ भी उसके साथ हुआ था, उसे तो वो बुलेट की आवाज़ में ही भूल चुका था, ऊपर से मस्त हवा के झोंके अपने साथ उसके गुस्से को भी उड़ा ले गये थे..

इससे पहले की मे घर तक पहुँचता, कि रेखा दीदी जो भैया की शादी के बाद से अभी तक यहीं जमी हुई थी.. मेरे घर से अपने घर की ओर जा रही थी..

मुझे रास्ते में ही रोक कर एक अर्थपूर्ण स्माइल करते हुए बोली - क्यों रे हीरो.. सवारी कहाँ से चली आ रही है…?

मे – कॉलेज गया था.. आप सूनाओ क्या चल रहा है..?

वो तंज़ कसते हुए बोली – हमारा क्या चलेगा..? दिन काट रहे हैं, तू तो कभी बात भी नही करता…और क्यों करेगा हमारे जैसे छोटे लोगों से…

मे – ऐसा क्यों बोल रही हो दीदी..? वैसे और किसी से बात करते देखा है आपने मुझे..? अब समय ही नही मिलता है, … अब मे कोई जान बूझकर तो ऐसा नही करता ना…!

वो – हां भाई ! वैसे भी दूसरों से फ़ुर्सत मिले तभी तो हमारी तरफ ध्यान जाए भी जनाब का.. क्यों..?

मे – किसकी बात कर रही हो.. ?

वो – क्यों अपनी साली के पीछे -2 नही घूम रहा था जब तक वो यहाँ रही..? और उस रात शांति बुआ के साथ….???

उसने जान बूझकर बात अधूरी छोड़ दी… मेने उसके चेहरे की ओर देखते हुए पूछा.. शांति बुआ क्या..? क्या कहना चाहती हो आप…?

वो – मुझे सब पता है बच्चू.... उस रात क्या हो रहा था… लेकिन मुझे ये भी पता है, कि उसमें तेरी कोई ग़लती नही थी..

मे तो एकदम सन्न रह गया उसके मुँह से ये सब बातें सुनकर, और मन ही मन सोचने लगा.. तो क्या इस भेन्चोद ने सब कुछ देखा था उस रात…?

मुझे चुप देख कर वो बोली – देख भाई.. तू चिंता ना कर, मे किसी को कुछ नही बताउन्गी.. तू ना थोड़ा सा हमारे ऊपर भी नज़रें इनायत कर्दे बस…

मेने फिर भी बचाव की आख़िरी कोशिश करते हुए कहा – मेरी समझ में नही आ रहा दीदी, कि आप क्या बोल रही हो…?

वो तुनक कर बोली – अच्छा ! तो साफ साफ सुन, जिस रात बारात लौट कर आई थी, उस रात तू शांति बुआ के बगल में ही सो गया था… ये तो याद होगा…?

मे – हां ! जगह नही बची थी कहीं, तो सो गया उसमें क्या…?

वो – तो ! रात में शांति बुआ ने मौके का फ़ायदा उठाया, और तेरे ऊपर चढ़ कर चुद रही थी… अब आया कुछ याद…?

और अगर फिर भी तू मुझे चूतिया समझ रहा हो तो, उसके बाद तूने बुआ को पीछे से जबरजस्ति चोदा था… अब बोल !

मेने उस रात की तेरी चुदाई लाइव देखी थी, और सच कहूँ तो तभी से मेरी चूत भी तेरा ख़याल आते ही पानी छोड़ने लगती है यार,

ये कहकर वास्तव में ही वो साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत को मसल्ने लगी…

मे हथियार डालते हुए बोला – ठीक है दीदी आप जो चाहती हैं, वो मे करने को तैयार हूँ.. बोलिए कब और कहाँ करवाना है..?

वो – अभी आजा ना ! घर में, मे और आशा ही हैं, उसको में अभी खेतों पर भेज देती हूँ…

मे – ठीक है, तो फिर चलिए, मे अभी आधे घंटे में आता हूँ आपके पास…

उधर जब मे घर पहुँचा तो मुझे देखते ही भाभी बोली –लल्ला जी थोड़ा समय निकाल कर पंडित जी से बड़े देवर जी के गौने का मुन्हुर्त निकलावाके लाना है.. बाबूजी बोलके गये हैं..

मेने कहा ठीक है भाभी.. मे चला जाउन्गा… उसके बाद मे फ्रेश हुआ, और अपने कपड़े चेंज कर के खाना खाया और निकल लिया रेखा दीदी के घर की तरफ..
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-01-2019, 02:12 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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