RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
संतोष…ले आज जी भर कर मेरी चुचियों को पी ले ऑर चूत को फाड़ तो तुम चुके ही हो आज इसकी चुदाई का भी पूरा आनंद ले लो..मेरी चूत का चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना…. पिला दो मेरी चूत का पूरा पंनी अपने मस्टंड लंड को जिससे ये ऑर मोटा तगड़ा हो जाए…ऑर मेरी चूत को एक बार फिर से फाड़ सके…आज जी भर ले मेरे शास…कूद ले…पूरी ताक़त से…लोथडे लटका दे मेरी चूत के….फिर ना कहना बुआ मज़ा नहीं आया….अब मेरे दर्द की परवाह मत कर जितना दर्द देगा…जितना जम की चोदेगा…उतना ही मज़ा तेरी बुआ को भी आएगा…चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना….बस आज इतना चोदो इतना चोदो कि जनम जनम की प्यास बुझा जाए….आज अपनी बुआ को इतना तृप्त कर दे कि फिर चुदने की तमन्ना ना रहे….बाकी….चोद शास चोद…लगा धक्के पे धक्के….हो जा मस्त…बिना दर्द के चुदाई का मज़ा ही कहाँ है…..
कुसुम…दीदी आपको इतना दर्द हो रहा है…चूत से खून निकल रहा है…आप फिर भी शास को खुलकर चोदने के लिए कह रही है…..
संतोष…मेरी बन्नो डॉक्टरनी…चूत को जितना दर्द होगा…मज़ा भी फिर उतना ही आएगा….लंड हमेशा चूत पर भारी पड़ना चाहिए…तभी चूत की प्यास तृप्त होती है….जो लंड चूत को फाड़ ना सके…भला वो चूत में रगड़ क्या देगा…वो चूत को कैसे अपना अहसास कराएगा….फिर मज़ा भी कहाँ से आएगा….
दोस्तों…ये तो आपने सुना भी होगा…कि हर औरत मोटा…लंबा…ऑर मस्टंड लंड चाहती है…पर कभी सोचो…कि वो महा लंड जब चूत फाड़ता है तो कितना दर्द होता है….मेरी महिलाए साथी…जानती होगी…या मुझसे सहमत होगी…जब तक लंड चूत में फँस कर ना जाए…चूत को दर्द का अहसास ना कराए…जब तक औरत…लंड के चूत में घुसते ही गान्ड ना भिंचे तो पूरा मज़ा नहीं आता….ये फिर असली चुदाई तो वही है…जिसके लिए औरतें तड़पती है…नाजायज़ रिश्ता बनाती है….अगर लंड का अहसास चूत को पूरी तरह से ना हो तो…चुदाई नहीं बस पानी निकालना ही तो है….वो तो अपनी उंगली से भी निकाला जा सकता है…..
कुसुम…बस दीदी आज समझ में आया कि हर औरत मोटे..लंबे..भारी लंड के पीछे क्यूँ दौड़ती है….आज तो में भी अपनी चूत को फडवा कर ही रहूंगी…फिर चाहे अंजाम जो भी हो….
शास…हाँ…बुआ…आज में तुम दोनो को जम कर मस्त होकर चोदुन्गा….आपकी चूत का मस्त पानी जी भर कर लंड को पिलाउन्गा…जिससे ये ऑर मस्त हो जाए….
कुसुम…हाँ शास…संतोष दीदी की चूत का पानी पिलाकर इसे ऑर मस्त कर लो….फिर मेरी चूत पर बिल्कुल रहम मत करना….फाड़ डालना….चोद चोद कर साली को कुआँ बना देना….
शास…हाँ बुआ तुम चिंता मत करो…तुम्हारी चूत को में बड़े ही प्यार से चोद चोद कर फाड़ुँगा…इस कुँवारी चूत को चोदने में तो आनंद भी अलग ही होगा…में तो तुम्हें हर जगह से चोदुन्गा….
संतोष…बस बस शास…अब मत रूको…हो ज्जाओ शुरू…आज इतना चोदो इतना चोदो…कि कोई अरमान बाकी ना रहे….
ऑर शास ने अब संतोष बुआ को कस कर बाहों में लिया…उनके होंठ चूमते हुए पूरा लंड चूत से बाहर खींचा…ऑर फिर एक जोरदार धक्का लगा दिया…बुआ….इस धक्के से लगभग 1 फिट ऊपर को सरक गयी…ऑर उनकी ज़ोर की चीख शास के मुँह में घुट कर रह गयी…अब तो शास शैतान बन चुका था…बेरहम चोदु शैतान…वो लंड को बाहर खींचता ऑर धक्के के साथ चूत में पेल देता….संतोष का पूरा शरीर दर्द से कर्राह रहा था…वो पसीने पसीने हो चुकी थी…पर शास पर तो अब चुदाई का वो भूत सवार हो चुका था…कि उसे अब ना बुआ की चिंता थी…ना उसकी चूत की…आज तो वो उस चूत को वास्तव में एक खुला हुआ कुआँ बनाने में लगा गया था…जिसमें आम लंड का तो कुछ पता भी ना चले….
शास…के ज़बरदस्त धक्को से संतोष की चूत अब कुछ ढीली पड़ चुकी थी…चूत की पकड़ लंड पर हट चुकी थी…ऑर शास के धक्को की स्पीड बढ़ती जा रही थी….अब संतोष बुआ को दर्द भी कम होने लगा था…चूत एक बार फिर पानी छोड़ने लगी थी…जिससे लंड एक पिस्टन की तरह से अंदर बाहर हो रहा था…हर धक्के के साथ बुआ उचक जाती थी…पर अब वो भी चुदाई का आनंद लेने लगी थी…हर धक्के के साथ….शास के लंड का उपरी हिस्सा बुआ की चूत के क्लिट को मसल देता था…जिससे चूत का क्लिट अब पूरी तरह से खड़ा होकर चूत को ऑर ज़्यादा पानी चोदने के लिए तैयार कर रहा था….चूत की चुदाई चूत के क्लिट की धुनाई…वो क्या मस्त चुदाई थी….संतोष अब हर धक्के पर आनंद से सिसक उठती थी…चूत से फूच…फूच की मधुर..कामुक धुन…चूत पानी से लाबा लब…फुकू फूच….ऑर सिसकारिया…उउउउउउउआआआ…….आआआहह…आआईइसीई…आह शास….तू मस्त है…तेरा लंड मस्त है…तू तो किसी भी औरत की चूत को एक बार तो फाड़ ही सकता है…आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्चोद बेटे चोद….आआअहह उूउउम्म्म्म…ऑर संतोष की चूत के अंदर बच्चेदानी भी अब तक ज़ख्मी हो चुकी थी…इस सब की परवाह से दूर…संतोष…अब चूतड़ उछाल उछाल कर शास का साथ दे रही थी….
इस चुदाई के विहंगम दृश्य…को देखकर तो किसी बूढ़े का सूखा हुआ लंड भी झटके मारने लगे….आआआहह…उूउउ…..आआऐईईइससस्स्स्सिईइ…की सिसकारिया…गूँज रही थी…शास के हर धक्के पर संतोष सिसक उठती थी…ऑर कुसुम की उंगलियाँ उसकी चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रही थी…दोनो की सिसकारियो ने रूम के महॉल को बड़ा ही उत्तेजक बना दिया था…जिससे शास के लंड की ताक़त ऑर बढ़ गयी थी…ऑर उसके धक्को की रफ़्तार..ऑर ज़्यादा ऑर ज़्यादा होती जा रही थी…
दर्द के कारण संतोष की भींची हुई जांघे कुछ कुछ खुलने लगी थी…ऑर अब शास का लंड पूरी चूत की गहराई नाप कर बच्चेदानी पर लगातार चोट कर रहा था….जिससी संतोष की सिसकारिया तेज हो चली थी……उूउऊएउउईईई आआहह…म्म्म्ममाआअरर्र्ररर डााालल्ल्ल्लाआा उूऊउईएइसीई की धुन ऑर शास के लंड के स्पीड मादक महॉल को ऑर ज़्यादा…उत्तेजित कर रही थी…जिससे कुसुम की अब तीन उंगलियाँ उसकी चूत में लबालब पानी से भरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी…..ऑर उसके मुंहाने की आवाज़ संतोष के मुंहाने की आवाज़ से सुर मिला रही थी….
चप.फूच…चुप..फूच की धुन ऑर जोरदार चुदाई…संतोष अब चूत का दर्द पूरी तरह से भूल चुकी थी…उसकी चूत का भोसड़ा जो बन चुका था…फटा हुआ भोसड़ा…..ऑर ऊपर से पानी ऑर तेल से लबालब चूत में पिस्टन की तरह चप-फूच की आवाज़ के साथ जोरदार तरीके से अंदर बाहर होता हुआ लंड….आआहह
शास…बुआ…अब कैसा लग रहा है….
संतोष…चोद बेटा चोद…अब तो ये भोसड़ा बन चुका है…आज इतना चोद की आज की चुदाई उम्र भर यादगार बन जाए….
शास…लो फिर बुआ…ऑर शास ने कई जोरदार धक्के फील दिए…संतोष की सिसकारी निकल गाइइ….उूुुउउईईईउउम्म्म्ममममाआआहीईएइससस्सिईईई के साथ ही संतोष का शरीर अकड़ने लगा था…ऑर उसकी आँखें बंद हो चुकी थी….
संतोष…शास…पेल बेटा पेल…में तो जा रही हूँ…आआअहह….उूुउउंम्म………ये ले में तो गाइिईईईईआआईएइसीईईईईईईई के साथ संतोष ने शास को ज़ोर से जक्ड लिया…ऑर उसकी चूत के पानी का फॉवरा फुट पड़ा……उूुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममम के साथ…संतोष का शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया…..ऑर उसकी चूत लगातार शास के लंड पर गर्म पानी की बौछार कर रही थी…..पर शास तो अभी काफ़ी दूर था……उसके लंड में तो अभी तक सुरसूरहट तक नहीं हुई थी…ऑर फिर से बुआ की चूत का पानी….पीकर वो ऑर अकड गया….
फूच..फूच…फूच….के साथ लंड अंदर बाहर होता रहा…
थोड़ी देर के बाद संतोष की पकड़ ढीली पड़ने लगी थी…वो फिर होश में लोटने लगी थी…जन्नत के द्वार से …असीम आनंद से चूर संतोष….आज जीवन का जो सुख संतोष ने भोगा था…उसकी तो शायद उसने कल्पना भी नहीं की थी….
संतोष…शास…बस अब उठ जाओ…में तो थक चुकी हूँ….तुमने तो आज अंग अंग तोड़ डाला…
शास…बुआ…पर अभी तो मेरा लंड प्यासा ही है….अभी तो इसे जी भर कर अपनी गुलाबी चूत का अमृत पानी पी लेने दो….शास ने एक बार फिर संतोष का दूध ऑर होंठ पीने शुरू कर दिए थे….उसका लंड अभी भी संतोष की चूत में पूरी तरह से फँसा हुआ था…ऑर ज़ोर दार तरीके से झटके मार रहा था….
कुसुम…भी एक बार फिर पानी छोड़ चुकी थी…अभी वो भी शांत थी…
कुसुम…शास…आ जाओ अब मेरी चूत को भी फाड़ कर भोसड़ा बना दो…दीदी तो थक चुकी है……मेरी चूत के अंदर की खुजली बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है….
संतोष…हाँ शास…अब ज़रा कुसुम की चूत का एंतजाम करो…..
शास…नहीं बुआ अभी नहीं…एक बार तुम्हारी चूत में पानी निकाल दूं उसके बाद कुसुम बुआ की चूत को ज़रा तस्सली से चोदुन्गा…कुसुम की चूत अभी पूरी तरह से कुँवारी है…ऑर नाज़ुक भी है…लगता है…कुसुम बुआ अपनी चूत पर फेर आंड लव्ली क्रीम लगती है…वो चिकनी ऑर गोरी भी है…उसे तो पहले मस्ती से चाट चाट कर चुदाई करूँगा…..
कुसुम…पर शास अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो पा रहा है…बस मुझे भी जल्दी से चोद दूं….
शास…बुआ हम बचपन में एक कविता बोला करते थे….
“या इलाही ,दे लुगाई…उमर सोलह साल”
“छोटी छोटी चुचियाँ…चूत बगैर बाल”””
बस आज तुम्हारी उसी चूत को जो आज मेरे लिए तैयार है…ज़रा मस्ती में आराम से चोदुन्गा…बुआ…बस थोड़ा इंतजार करो….
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