RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
शास…चिंता क्यूँ करती हो डार्लिंग बुआ…तुम्हारी चूत को तो ज़रा आराम से सहला सहला कर चोदुन्गा….रानी….
कुसुम…पर कब…अभी तो ये अंदर ही नहीं जा रहा है…..
संतोष…हाँ शास…बस अब निपटा दो काम लगातार दर्द बर्दास्त नहीं हो रहा है….बस एक बार अंदर चला जाए…उसके बाद देखा जाएगा….
शास…पर बुआ…जल्दी में आपकी चूत ज़्यादा फट सकती है….
संतोष…वो तो मुझे भी मालूम है…पर क्या किया जाए…फॅटनी तो इसको है ही…ये घोड़े से भी बड़ा लंड कहीं कोई चूत झेल पाएगी…बिना चूत फाडे तो अंदर ही नहीं जा सकता है…..
शास…जो अभी तक बुआ की चुचियाँ सहला रहा था…ठीक है बुआ…कोशिस करता हूँ…ऑर फिर आपकी चूत भी तो बहुत ज़्यादा टाइट है…मेरे लंड को ऐसे भींच रखा है…जैसे दोनो हाथों से पकड़ कर भींच रखा हो….
संतोष…तो अपने इस मोटे लंड से फाड़ डाल ऑर आज इतनी छोड़ी कर दे कि कभी बाद में दिक्कत ना हो….
शास…पर बुआ आपको दर्द ज़्यादा होगा ना…इसीलिए…में जल्दी से अंदर नहीं कर रहा हूँ…..
संतोष…परवाह मत कर चुदाई में जब तक खुलकर ना चोदो मज़ा नहीं आता है…आज दर्द होगा तो क्या…बाद का रास्ता तो खुल ज्जाएगा…..
शास…ठीक है बुआ…लो फिर आज इस लंड का चमत्कार देखो…कि ये अपनी जगह किस प्रकार से बना लेता है….ऑर ये कहकर शास ने तीन चार जबर्दास्त धक्के मार दिए…ऑर पूरा लंड चूत की आखरी सीमा तक पेल दिया…बुआ की बच्चे दानी कोट 2-3 इंच ऑर अंदर सरक गयी थी…
संतोष बुआ की कई जोरदार चीख निकल गयी…पर उसने अपने पर नियन्त्रण करते हुए अपना हाथ अपने मुँह पर रख लिया….बुआ के गहरे दर्द की झलक उसके चेहरे ऑर शरीर की कसमसाहट से लगाया जा सकता था….बुआ के खुले हुए पैर अब सिकुड रहे थी…ऑर बुआ ने दर्द के कारण गान्ड को भी ज़ोर से भींच रखा था था…जैसे जैसे लंड पर दबाव ऑर बढ़ा रहा था….ऑर शास ने लंड पर दबाव कम करने के लिए जल्दी जल्दी कई बार बाहर भीतर किया ऑर फिर लंड को शांत छोड़ दियाआ….
संतोष बुआ की आँखों से पानी बह रहा था…ऑर उसकी चूत से खून निकल कर चादर पर बह रहा था….संतोष अभी भी नहीं समझ पा रही थी…कि आख़िर शास के लंड को क्या हुआ…कुछ ही समय पहले तो वो उसे चुदि थी…ऑर पूरा मज़ा भी लिया था…उसे ट्रैनिंग भी उसी ने दी थी…पर कुछ ही दिनो में इसके लंड में क्या हुआ जो आज उसकी चूत भी फाड़ डाली ऑर अभी भी दर्द उसे बर्दास्त नहीं हो पा रहा है…..
शास…लो बुआ…अब तो ठीक है ना मेने ये पूरा का पूरा लंड अब आपकी चूत में पेल दिया है……अब तो आप खुश हैं ना…
संतोष…अभी दर्द बहुत है…शास…कुछ देर तक मेरी चुचियाँ चूस लो…ऑर लंड को मत छेड़ना…कुछ देर के बाद जब में नॉर्मल हो जाऊ…फिर चाहे जो करना….
शास…ठीक है बुआ…ऑर शास ने बुआ की भारी भारी..चुचियों की निप्पल अपने मुँह में भर लिए…ऑर दबा दबा कर चुचिय्याँ पीने लगा था…..
संतोष…कुसुम तुम तब तक अपनी चूत में तेल लगाकर उसमें उंगली डालो जिससे वो कुछ ढीली हो सके…नहीं तो तुम्हे ज़्यादा दर्द होगा….
कुसुम…दीदी मेरी चूत तो काबू से बाहर हो रही है…इसमें से तो पानी ही रुकने का नाम नहीं ले रहा ही…बहुत ज़्यादा चिपचिपी हो गयी है….इसलिए वैसे ही उंगली डालकर अंदर बाहर करती हूँ…
संतोष…ठीक है…पहले एक उंगली फिर दो उंगली ऑर फिर तीन…चार उंगली अंदर बाहर कर तुझे मज़ा भी आएगा…ऑर चूत थोड़ी खुल भी जाएगी…..
मगर शास तो बुआ के गठीले बदन को चूस चूस कर मज़ा लेने में व्यस्त था….वो बुआ की चुचियाँ पीता…उन्हे दबाता ऑर कभी कभी बुआ के रसीली होंठों को भी चूस रहा था….
कुछ देर यही सिलसिला चलता रहा…कुसुम अपने में मस्त थी…उसने अपनी चूत को सहला सहला कर दो बार पानी निकल चुकी थी…ऑर अब तो एक उंगली उसने चूत में डाल रखी थी…ऑर बड़ी तेज़ी से उंगली चूत में अंदर बाहर हो रही थी…ऐसे सॉफ जाहिर था कि वी फिर सा पानी छोड़ने की तैयारी में थी….
शास…के हाथ बुआ के पूरे शरीर की मालिश कर रहे थी…वो चुचियाँ चाट चाट कर पी रहा था…
धीरे धीरे संतोष बुआ का दर्द अब कम हो रहा था…ऑर उसके शरीर में कुछ हलचल शास ने महसूस की…शास को समझते देर नहीं लगी कि बुआ का दर्द कम हो चुका है…ऑर उसकी चूत भी अब लंड पर सिकुड़ने ऑर खुलने का संकेत दे रही है….शास के लंड ने चूत को सलामी दी….जिससे बुआ के मुँह से आआआहह निकल गयी…..
शास…क्या हुआ बुआ….क्या दर्द अभी भी ज़्यादा है….
संतोष…नहीं अब उतना दर्द नहीं है…पर तुम्हारा लंड अभी भी अंदर उछल कूद करता है…जिससे दर्द होता है….
शास एक बात तो बताओ….इस भयंकर लंड को तुम संभालते कैसे हो…
शास…बुआ…मेरे लंड को आपकी चूत का चस्का लग गया है…जिस दिन से आपने इसे अपनी चूत का दर्शन कराया था….ऑर चूत का मीठा पानी पिलाया था…उसी दिन से ये कुछ एंठा एंठा सा रहता है….आपने बहुत दिनो से इसको चूत में नहीं लिया था…इसी लिए तो ये नाराज़ था…ऑर आपको दर्द दिया…यदि लगातार अपनी चूत में लेती रहती…तो आज दर्द नहीं होता ऑर तुम्हारी चूत भी बिना फटे ही काफ़ी खुल चुकी होती…..
संतोष ने शास के होंठ चूम लिए….तुम्हे बुआ की चूत की बहुत याद आती थी शास….
शास…हाँ बुआ मुझे भी ऑर मेरे लंड को भी आपकी चूत ऑर चुचियों की काफ़ी कमी महसूस हुई है….
संतोष…ले आज जी भर कर मेरी चुचियों को पी ले ऑर चूत को फाड़ तो तुम चुके ही हो आज इसकी चुदाई का भी पूरा आनंद ले लो..मेरी चूत का चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना…. पिला दो मेरी चूत का पूरा पंनी अपने मस्टंड लंड को जिससे ये ऑर मोटा तगड़ा हो जाए…ऑर मेरी चूत को एक बार फिर से फाड़ सके…आज जी भर ले मेरे शास…कूद ले…पूरी ताक़त से…लोथडे लटका दे मेरी चूत के….फिर ना कहना बुआ मज़ा नहीं आया….अब मेरे दर्द की परवाह मत कर जितना दर्द देगा…जितना जम की चोदेगा…उतना ही मज़ा तेरी बुआ को भी आएगा…चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना….बस आज इतना चोदो इतना चोदो कि जनम जनम की प्यास बुझा जाए….आज अपनी बुआ को इतना तृप्त कर दे कि फिर चुदने की तमन्ना ना रहे….बाकी….चोद शास चोद…लगा धक्के पे धक्के….हो जा मस्त…बिना दर्द के चुदाई का मज़ा ही कहाँ है…..
कुसुम…दीदी आपको इतना दर्द हो रहा है…चूत से खून निकल रहा है…आप फिर भी शास को खुलकर चोदने के लिए कह रही है…..
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