Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
05-31-2019, 12:23 PM,
#51
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
इस पर संतोष हंस पड़ी ऑर कुसुम थोड़ा झेप्ते हुए मुस्कुरा दी….

संतोष…हाँ..हां..क्यूँ नहीं…शास…जब ये तुम्हे मेरे जितना प्यार करती है तो क्यूँ नहीं दिखाएगी…अपना वो स्वर्ग का रास्ता….क्यूँ कुसुम..दिखायेगी ना….

पर कुसुम ने कोई जबाब नहीं दिया…उसके गालों पर सुर्खी आ गयी थी…ऑर बड़ी बड़ी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे…जिससे पता चल रहा था…कि वो शर्मा ऑर उत्तेजना के कारण नहीं बोल पाई थी…पर उसकी मुस्कुराहट सॉफ बता रही थी…कि संतोष ऑर शास…के इस मिलन को देखकर उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी….

शास…क्या हुआ कुसुम बुआ बताओ ना क्या आप भी हमें अपना वो स्वर्ग का रास्ता दिखाएगी या नहीं….संतोष बुआ का स्वर्ग का रास्ता तो बहुत ही खुसबूदार ऑर रसीला है…आपका कैसा है….

कुसुम….शरमाते हुए …नहीं नहीं..मुझे नहीं दिखाना कुछ भी…ऑर अपने दोनो हाथों से अपना मुँह छुपा लिया….

शास…क्यों क्या हुआ…कुसुम बुआ …क्या आप हमें संतोष बुआ की तरह से प्यार नहीं करती है….

कुसुम…लजाते हुए…करती तो हूँ पर ….वो स्वर्ग का रास्ता…वो वो मुझे तो शर्म आ रही है….

संतोष…शास…चिंता मत करो….में ऑर कुसुम दोनो ही तुम्हे एक बार फिर अपना अपना स्वर्ग का रास्ता दिखाएगी…फिर तुम ही बताना कि किसका रास्ता तुम्हे ज़्यादा पसंद आया……ऑर एक बार फिर शास की गुलाबी होठ चूम लिए….

शास…संतोष बुआ…कुसुम बुआ तो इतना शरमा रही है…फिर ये हमें प्यार कैसे करेंगी…..

संतोष….थोड़ा सबर कर शास…तुम्हारी ये कुसुम बुआ तो तुम्हे…मुझ से भी ज़्यादा प्यार करेगी…बस थोड़ा इंतजार कर…..

शास…कुसुम की ओर देखते हुए…क्यूँ कुसुम बुआ…ऑर कुसुम की ओर लगातार देखता रहा…क्या हसीन चेहरा था…कुसुम का बड़ी बड़ी आँखें…गोल गोल गुलाबी गलाइयाँ..ऑर गुलाबी…मुलायम रसीले होंठ….चुचियाँ तो मानो ठोस रसीले अनार छुपाए हुए हो….गोरा चिटा रंग…मानो फुलो के बगीचे में ताज़ा गुलाब खिलने की लिए तयार हो…ऑर उसकी खुसबू से सारा बगीचा महक रहा हो….कुसुम के शरीर में हल्की हल्की सी कसमसाहट…आआआअहह धरती की जन्नत आसमान से उतर आई हो…

.शास…आज सुबह से ही…कुसुम के ख्यालों मे ही डूबा हुआ ना जाने क्या क्या अरमान सज़ा चुका था…उसके मुलायम गुलाबी होंठ…आआअहह क्या रसीले है….उसकी चुचियाँ आआहह क्या कसी हुई है…कितनी उत्तेजक है….उसका गोरा पेट…आआआहह तो उसकी चूत भी कितनी रसीली ऑर गुलाबी…भरी भरी होगी….आआआआअहह

कुसुम….शास को एक टक अपनी ओर देखता हुआ पाकर ….क्या देख रहे हो शास……किन ख्यालों में खो गये….

शास….आआआहह भगवान ने तुम्हे…कितने आराम से तराशा होगा…एक एक अंग को बड़ी ही मेहनत से तराशा होगा….आप बहुत सुंदर है…कुसुम बुआ……में तो क्या कोई भी आपको तो देखता ही रह जाएगा….

कुसुम…बस बस रहने दो अब शास…ज़्यादा तारीफ मत कर…

शास…नहीं कुसुम बुआ आप वास्तव में ही सुंदर है…ओर आपका स्वर्ग का रास्ता तो बहुत ही सुंदर ओर रसीला होगा…शास ने मुस्कुराते हुए कहा…

संतोष…तो देख ले मना किसने किया है…क्यूँ कुसुम???

कुसुम…नहीं नहीं दीदी पहले आप दिखाना …में तो बाद में दिखाउन्गी….

संतोष….मेरा स्वर्ग का रास्ता तो शास पहले ही खेत में देख चुका है…

कुसुम…नहीं दीदी…पहले आप ही दिखाओ…मुझे तो शर्म आती है…में तो बाद में ही सोचूँगी….कि मुझे क्या करना चाहिए…

शास…इसमें सोचने की क्या बात है…आप भी मेरी संतोष बुआ की तरह से ही है ऑर आप भी मुझे संतोष बुआ की तरह से ही प्यार भी करती है…कुसुम के गालों का रंग शर्म से ऑर ज़्यादा गुलाबी हो चुका था…उस पर नज़र जमाते हुए शास ने कहा……….

कुसुम…समझने की कोशिस करो….तुम्हारी बात ठीक है मगर फिर भी…

संतोष…चलो छोड़ो…ये बाद में देख लेंगे….क्या लोगे शास…चाय या दूध……पहले चाय पीते है…उसके बाद बात करेंगे….

कुसुम…दीदी शास के लिए दूध बना दो ऑर अपने ऑर मेरे लिए…चाय बना लो…..

संतोष…ओह तो ये बात है….पूरी तैयारी है…दूध पिला कर….
ऑर फिर तीनो एक साथ हंस पड़े…………………..

संतोष ऑर कुसुम किचन में चली गयी…ऑर शास भी उनके पीछ पीछ किचन में ही चला गया…..

संतोष…शास तुम अंदर बैठो….हम आते है….

शास…बुआ आप तो पीछे से ऑर भी सुंदर ऑर सेक्सी हो…ये तो मेने आज ही देखा है….आपके भारी भारी चूतड़ जो चलते हुए हिलते है…..तो क्यामत ही आ जाती है….

कुसुम…क्यामत तो तुम्हारे आने से ही आ चुकी है….बस अब तो गजब ढाने का इंतजार है….

शास…में कुछ समझा नहीं…कुसुम बुआ….

संतोष….थोड़ी देर में वो भी समझ जाओगे….

शास…साफ साफ बताओ ना बुआ क्या हुआ……

संतोष…अभी कुछ नहीं हुआ…पर जो होगा वो इस डॉक्टेरनी बुआ के लिए यादगार होगा….जैसे तुम स्वर्ग के रास्ते के बारे में बोल रहे थे…वैसे ही कुसुम तुम्हारे…उसके बारे में बोल रही है…जो इसने अभी तक नहीं देखा है…..

शास…मेरे उसके बारे में…किसके बारे में बुआ…

संतोष…अब ज़्यादा बदमाश ना बनो…तुम्हे मालूम है में किसके बारे में बोल रही हूँ….

शास…नहीं बुआ में सच में नहीं समझा…शास ने अंजान बनते हुए कहा…..

संतोष…तो क्या उसका नाम भी मुझ से ही बुलवाओगे…शास तुम तो बड़े ही बेशर्म हो गये हो….पहले तो ऐसे नहीं थे….बड़े ही शर्मीले थे….
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RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला - by sexstories - 05-31-2019, 12:23 PM

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