RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
बुआ…हाँ शास…मेने इसको भी बता दिया था… कि मेरा शास बहुत ही अच्छा है…ऑर बुआ को खूब मज़े दिए हैं….ऑर हंस दी…
शास….मुस्कुराते हुए…चुप हो गया….
कुसुम… बुआ का बड़ा ध्यान रखते हो शास….
शास…हाँ वो मेरी बुआ है…ये जो भी कहेंगी…वो मानना तो मेरा फ़र्ज़ है….फिर उस खेल में तो मुझे भी मज़ा आया था…शास ने फिर मासूमियत से कहा…जैसे उसके बाद वो सब भूल गया हो….
कुसुम…में भी तो तुम्हारी बुआ ही लगती हूँ…मेरा कहना मानना भी तो तुम्हारा फर्ज़ है….या नहीं….
शास… तो मेने कब मना किया है…बताओ क्या करना है….
ऑर तीनो एक साथ हंस पड़े….फिर कुछ सोच कर कुसुम खुद ही अपने ऊपर झेप गयी……ऑर सिर झुका लिया…..
संतोष…हाइ शास तुम्हे कभी फिर हमारी याद नहीं आई….
शास…भला बुआ आप कैसी बात करती हैं…भला आपने जो मज़ा मुझे मेरी जिंदगी का पहला मज़ा दिया था उसे में कैसे भूल सकता हूँ….
संतोष…फिर कभी तुमने हमसे मिलने की कोशिस क्यूँ नहीं की…क्या फिर मज़ा लेने की इच्छा नहीं हुई थी….
शास….नहीं बुआ आप मुझे बहुत याद आती रही…पर समय ही नहीं मिला…भला क्या कभी में आप को भी भूल सकता हूँ….
संतोष….क्यूँ मुझे क्यूँ नहीं भूल सकते हो क्या कोई खास बात है मुझ मे….
शास…हाँ बुआ….एक तो आप मुझे बहुत प्यार करती हो…दूसरे आप तो मेरी स्वर्ग में सैर कराने वाली गुरु हो…आपने ही तो वो स्वर्ग का द्वार दिखाया था…फिर में आपको कैसे भूल सकता हूँ…यक़ीन मानो बुआ….में आपको इस जीवन में कभी भी नहीं भूल सकता हूँ…..
संतोष…सच कह रहे हो शास….तुम भी मुझे इतना ही प्यार करते हो जितना में तुम्हे करती हूँ….
शास…उसे भी ज़्यादा बुआ…मेरा यक़ीन करो….
ऑर इस पर संतोष ने आगे बढ़कर शास को अपनी बाहों में भर लिया…ऑर उसके गुलाबी सुंदर होंठ चूम लिए….बुआ की गठीलि भारी ठोस चुचियाँ शास की छाती में चुभ रही थी…जिससे शास के लंड ने एक ज़ोर दार सलामी मार ही दी…ऑर बुआ की उभरी हुई चूत पर पहली थपकी दे दी…….बुआ ने शास को बाहों में लिए हुए ही…उसके गालों ऑर होंठो पर कई किस कर दिए…शास की छाती पर बुआ की चुचियों का दबाव ऑर गर्माहट से शास के लंड ने दूसरी जोरदार सलामी देकर एक ऑर थाप बुआ की चूत पर मार दी….
संतोष….शास तुम्हारा वो तो मेरी उस पर थपकी मार रहा है….क्या इरादा है…लगता है तुम्हारा वो तो बड़ा ही उतावला हो रहा है….
शास…ये तो तुम्हारे प्यार का कमाल है बुआ…वो स्वर्ग का रास्ता ढूँढ रहा होगा…..
संतोष…अच्छा…बड़े बदमाश हो गये हो…तुम्हारा वो गले लगते ही स्वर्ग का रास्ता ढूढ़ने लगता है….
शास…आपने जो स्वर्ग का रास्ता दिखाया है वो बड़ा ही मजेदार है बुआ…भला उसके लिए कोन देर करेगा….
संतोष…लगता हैइसे उस दिन के बाद स्वर्ग का मज़ा नहीं मिला है…
शास….हाँ बुआ ऑर किसी ने हमें वो रास्ता दिखाने की कोशिस ही नहीं की है….
कुसुम…अरे शास…उस स्वर्ग के रास्ते को देखने के लिए लड़कियों को पटाया जाता है…खुद कोई नहीं दिखाता है….
शास…पर संतोष बुआ ने तो खुद ही दिखा दिया था…
कुसुम…वो तुम्हे बहुत प्यार करती है ना….इसलिए….
शास…. आप भी तो मेरी बुआ ही है…क्या आप भी मुझे प्यार करती है….
कुसुम…हाँ क्यूँ नहीं. में भी तुम्हे उतना ही प्यार करती हूँ जितना…संतोष दीदी करती है….
शास…तब तो आप भी हमें अपना वो स्वर्ग का रास्ता ज़रूर दिखाएगी….
इस पर संतोष हंस पड़ी ऑर कुसुम थोड़ा झेप्ते हुए मुस्कुरा दी….
संतोष…हाँ..हां..क्यूँ नहीं…शास…जब ये तुम्हे मेरे जितना प्यार करती है तो क्यूँ नहीं दिखाएगी…अपना वो स्वर्ग का रास्ता….क्यूँ कुसुम..दिखायेगी ना….
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