RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
शास…मम्मी अब ये कैसे हो सकता है….भला वो दोनो अगर इस लंड को परेशान करने लगी तो इसको खाली तो करना ही पड़ेगा…नहीं तो ये फट नहीं जाएगा……फिर आपकी चूत का क्या होगा….
भाभी…ठीक है…ठीक है….कर लेना पर काम करना…ये ध्यान रखना कि तुम्हारी मम्मी आज ना जाने क्या क्या सोच कर सो नहीं पाएगी…..तुम्हारी मम्मी को तुम्हारे लंड का इंतजार रहेगा…..
ऑर इसी तरह की बातों में…दिन ढलने लगा था….ऑर भाभी ने शास को मलाई ऑर देशी घी डालकर दूध पिला दिया था…जिससे उसके बेटे को थकान महसूस ना हो…..
ab aage......................
आख़िर दिन ढल गया ऑर शास….अपने पापा की एज़ाज्त् से संतोष बुआ के घर चला गया….जहाँ पर दो खूबसूरत परी उसका इंतजार कर रही थी….ऑर शास का लंड उन तितलियों की चूत का पानी पीने के लिए पूरी तरह से तयार था…….
शाम ढलने के बाद थोड़ा थोड़ा ही अंधेरा हुआ था….ऑर शास ने संतोष बुआ के घर का दरवाज़ खटखटाया……
कौन…अंदर से आवाज़ आई…..
में हूँ शास बुआ…दरवाज़ खोलो….
संतोष….दरवाजा खोलते हुए…आज तुमने कितनी देर लगा दी शास कब से तुम्हारा इंतजार कर रही है…..
शास…वो पापा कुछ देर से आए…फिर खाना खाकर आने में कुछ देर हो गयी….पर इतनी भी देर नहीं हुई है बुआ….
संतोष….तुम क्या जानो शास कि इंतजार का एक एक पाल कितनी मुश्किल से कटता है…..
शास…इसमें इंतजार की क्या बात है….
बुआ…तुम्हें नहीं होगी….हमें तो इंतजार था ना….
शास…पर क्यूँ बुआ…क्या ज़्यादा देर हो गयी है….
बुआ….नहीं तुम्हे तो ज़्यादा देर नहीं हुई है….पर हमारे लिए तो देर है…हम तो आज सुबह से इंतजार मे है…
शास…आश्चर्य से…सुबह से….
बुआ…हाँ सुबह से…भाभी ने तुम्हे बताया नहीं कि हम सुबह तुम्हारे घर तुम्हे बुलाने ही तो गये थे…..
शास….हाँ ये तो मालूम है…कि आप सुबह मुझे बुलाने गयी थी….पर रात को सोने के लिए ही ना….
बुआ….बुध्धु…कहीं का…
शास….क्या हुआ बुआ…जो हमे बुध्धु बता रही हैं…
बुआ…अरे तो ऑर क्या कहूँ…जब तुम समझने की कोशिस ही नहीं कर रहे हो…
शास…क्या कोशिस नहीं कर रहा हूँ बुआ….आपने रात में सोने के लिए बुलाया था…सो में सोने के लिए आ गया हूँ…शास ने पूरी तरह से अंजान बनते हुए कहा…..
बुआ…बेवकूफ़….अरे शास कहीं रात सोने के लिए होती है…
शास…फिर अंजान बनते हुए…क्या….रात सोने के लिए नहीं तो ऑर किस बात के लिए होती है….में तो रोज रात में आराम से सोता हूँ….
बुआ…शास…जब मर्द के पास औरत या लड़कियाँ हो तो वो भला कहीं सोता है…क्यों कुसुम में ठीक कह रही हूँ ना….
कुसुम…हां दीदी …ना वो खुद सोता है ऑर ना लड़कियों को सोने देता है….
शास…में तो समझा नहीं बुआ आप क्या कह रही हैं…मुझे तो बड़ी नींद आ रही है…अब ये बताओ…कि कहाँ सोना है…
बुआ…शास तुम इतने बुध्धु तो हो नहीं….जितना जता रहे हो…सुबह तो कुसुम को घूर घूर कर देख रहे थे….
कुसुम…हाँ दीदी…मुझे तो बड़ी शरम आ रही थी…इन्होने तो पलक भी नहीं झपकी…बस एक टक मुझे ही देख रहे थे….
शास…तो देखने से क्या हुआ…देखते तो हम सभी को हैं…तो क्या सोना छोड़ दे…..
बुआ…कुसुम का मतलब है…सेक्सी निगाहों से….
शास…वो कैसी होती हैं बुआ…ये तो मुझे मालूम नहीं…हां ये मुझे अच्छी लग रही थी…इस लिए देख लिया था…
बुआ…इसका तुम्हे क्या अच्छा लगा…अब ज़रा ये बताओ तो ज़रा…
शास…बस अच्छी लगी देखने में…ऑर क्या
कुसुम…दीदी ये हमारा उल्लू बना रहा है….में तो सुबह ही जान गयी थी…कि ये बहुत ही तेज है…
शास…क्या किसी को देखना पाप है…इसमें मेने क्या बुरा किया…
बुआ…पर किसी लड़की को इस तरह से देखने का मतलब कुछ ऑर होता है…
शास…क्या मतलब…
बुआ…याद है एक दिन हम दोनो खेत में गये थे…ऑर वहाँ पर खूब मज़े लिए थे…सुंदर लड़की को देखने का मतलब वही होता है….
शास…आपको अभी तक याद है…वो बात बुआ…में तो भूल ही गया था…
कुसुम…इतना सब होने के बाद भी भूल गये…क्या तुम्हे संतोष की याद नहीं आई…या फिर से वही मज़ा लेने को मन नहीं किया….
शास…बुआ आपने इसे भी बता दिया था क्या…
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