RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
शास…क्यूँ अपने आप को झूठी दिलाषा दे रही हू मम्मी…में जानता हूँ कि पापा का छोटा लंड होने के करें आप शायद ही संतुष्ट होती होगी…
भाभी…इसमें में क्या कर सकती हूँ….उदास होकर….
शास….मम्मी में आपका हूँ…आपने मुझे पैदा किया है…मेरी हर चीज़ पर आपका अधिकार है….ऑर फिर में एक मर्द हूँ…ऑर आप एक औरत….मुझे आपकी ऑर आपको मेरी इच्छा पूरी करने का हक़ है….इसमें बुरा ही क्या है….
भाभी…हमारा रिश्ता बहुत ही नाज़ुक है बेटे अगर किसी को पता चल गया तो…ना जाने क्या हो जाएगा…..बस बातों तक ही ठीक है…इससे आगे नहीं बढ़ना चाहिए….में जानती हूँ कि तुम्हारा लंड वाकई बलिश्त है…ऐसे लंड को पाने की चाहत हर औरत की होती है…वो किसी भी औरत को पूर्ण संतुष्ट कर सकता है….पर हम जिस समाज में रहते है…वो इसकी इजाज़त नहीं देता है….
शास….मम्मी क्या समाज आपकी या मेरी ज़रूरतो को पूरा करता है…हम उस समाज की चिंता क्यूँ करे….जो हमें आपनी इच्छाओ को दमन करने को मजबूर करता है….ऑर फिर मम्मी किसी को पता भी कैसे चलेगा…..ये बात तो मेरे ऑर आपके बीच ही रहेगी…ऑर कोई तो घर में है नहीं…..जो हमारे संबंधो को जान सके…..
भाभी…पर बेटे फिर भी…
शास…फिर भी कुछ नहीं मम्मी…आप अपनी इच्छाओं को मत मारो…ओर मेरी इच्छा भी दबाने को मत मजबूर करो…प्लीज़…मम्मी…यक़ीन मानो मम्मी में आपको कहीं भी शर्मिंदा नहीं होने दूँगा….पूरी जिंदगी…आपका सेवक बन कर रहूँगा….ये कह कर शास ने अपनी मम्मी को फिर से बाहों में भर लिया….ऑर अपने गरम तपते हुए होंठ भाभी के रसीले…गुलाबी …नाज़ुक से होंठों पर रख दिए ऑर बेतहाशा चूमने लगा…..
शास…मम्मी के होंठ बेतहाशा चूस रहा था…ऑर बाहों में भिंचे हुए ही मम्मी को बेड पर गिरा दिया….अब शास मम्मी की भारी चुचियों को अपनी छाती पर महसूस कर रहा था….शास ने मम्मी के नीचे से अपने हाथ निकाले ऑर मम्मी की चुचियों पर रख दिए……एक पल के लिए जैसे ही शास रुका ….
भाभी…ये क्या कर रहा है बेटे…ये सब ठीक नहीं है…पर खुद को छुड़ाने का कोई भी प्रयास भाभी ने नहीं किया….
शास…कुछ नहीं मम्मी…आपकी सेवा कर रहा हूँ…जो चुदाई का सुख आपको पापा अपने छोटे से लंड से नहीं दे सके….वो सुख में आपको देना चाहता हूँ…….
भाभी…नहीं बेटे…नहीं…ये नहीं हो सकता…आख़िर में तुम्हारी मम्मी हूँ…तुम्हारे इस महा लंड को अपनी चूत में कैसे ले सकती हूँ…भाभी ने लंड चूत जैसे शब्दों का प्रयोग भी किया ऑर अपने को छुड़ाने का फिर भी कोई पर्यास नहीं किया……जिससे शास का लंड ऑर भड़क उठा था…
शास…मम्मी आपकी सेवा करना ऑर आपको हर प्रकार का सुख देना मेरा प्रेम कर्तव्य है….ये कहते हुए शास ने फिर से मम्मी के होंठ अपने मुँह में भर लिए….ऑर मस्ती मे चूस्ता रहा….इसी बीच मम्मी की जीब शास के मुँह में दाखिल हुई….मानो शास को मलाई की कुलफी मिल गयी हो….वो चूस्ता रहा…ऑर मम्मी की चुचियों को मसल मस्ल कर दबाता रहा…..फिर शास ने मम्मी के गालों ऑर कान पर भी चूमना ऑर चाटना शुरू कर दिया…भाभी भी मदहोश होने लगी…उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उसके ससुर आज फिर उसे चोदने जा रहे हों…यही सोचकर भाभी की चूत मस्त होकर खुलने ऑर बंद होने लगी थी…ऑर उनकी चूत से गढ़ा…लिसलिसा पानी निकलने लगा था….
भाभी…अभी भी रुक जा बेटे नहीं तो फिर बहुत देर हो जाएगी….शायद फिर में अपने आप को ना रोक पाऊ….ऑर ये अनर्थ हो जाएगा….
शास…आप अपने आप को क्यूँ रोक रही है….मम्मी…कोई अनर्थ नहीं होगा….जिस लंड के लिए आप आज तक तडपी है…वो आज से तुम्हारा है…वो छोटा सा लंड आपको क्या मज़ा देता होगा….आज वो सारी प्यास पूरी कर लो मम्मी…आख़िर में आपका बेटा ही तो हूँ कोई गैर नहीं…आपकी ही संतान…जब आपने ये पेड़ लगाया है तो इसके फल खाने का अधिकार भी है तुम्हारा….आआहह मम्मी….आप कितनी सुंदर है…आपकी ये चुचियाँ ऑर ये कसा हुआ मुलायम बदन…आपकी रसीले होंठ….मदहोश हो जाने दो अपने बेटे को…आप भी आज मदहोश हो जाओ…..आज आपकी सुहागरात के बाद वास्तव में तो पहली चुदाई है….इतने प्यारे बदन को एक मस्त…मोटा…लंबा…ऑर जोरदार लंड ही चाहिए…जो आज आपकी सेवा में तैयार है….मम्मी….
ये कहते कहते हुए शास ने भाभी के ब्लाउस के हुक खाल दिए थे…..ऑर ब्लाउस को बाहों से बाहर करते हुए….आआहह क्या चुचियाँ है मम्मी…इनको उम्र भर भी चूस्ता रहूं तो भी मन नहीं भरेगा…..
भाभी….अपने आप को अभी भी छुड़ाने का कोई भी प्रयास नहीं कर रही थी…फिर भी शास को लगातार यही कह रही थी….आआआअहह उूुुउउम्म्म्ममममाआईईईई सस्स्स्स्सिईईईई…..बेटे रुक जा….रुक जा….ये मुझे क्या कर दिया तुमने बेटे….ये पाप है…तुम अपनी मम्मी को बेश्या की तरह से इस्तेमाल कर रहे हो…इस लंड पर तुम्हारी बीवी का हक़ है इसे उसी के लिए संभाल कर रखो बेटे….
शास….हां मम्मी…आज से दुनिया के सामने तुम मेरी मम्मी ही हो पर वैसे आज से तुम मेरी बेवी भी हो….में तुम्हे….एक बेवी की ही तरह से चोदुन्गा मम्मी….ऑर शास ने भाभी की ब्रा का भी हुक खोलकर उसे भी भाभी के शरीर से अलग कर दिया…..गोरी चिट्टी भारी चुचियों को देखा कर चुचियों को चूसने का दीवाना शास उन पर टूट पड़ा….उन्हें…दबा दबा कर मसल मसल कर मदहोशी की हालत में चूसने लगा था…..पूरे रूम में मम्मी ऑर शास की सिसकारिया…गूज़्ने लगी थी….
उूुउउम्म्म्ममाआआऐयईईईइससस्सिईईई. वो मम्मी की चुचियाँ भी पी रहा था ऑर एक अनुभवी चोदु की तरह से उसके हाथ मम्मी के शरीर के हर भाग को टटोल रहे थे….अब शास मम्मी के पेट ऑर नाभि को भी छू लेता था…..कुछ ही पलों में शास के कलाकार हाथो ने भाभी के पेटिकोट का नाडा खोल दिया ऑर उसे थोड़ा नीचे खिसका दिया था….भाभी इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि उसे आभास भी नहीं हुआ कि उसकी चूत कब कपड़ों से बाहर होकर खुली हवा में पानी टपका रही थी……
शास ने धीरे धीरे मम्मी पर पूरा नियंत्रण कर लिया था…..भाभी उत्तेजना में सब कुछ भूल चुकी थी…अब उसने पूरी तरह से अपने को शास के हवाले कर दिया था…शास के हवाले तो वो पहले ही कर चुकी थी…पर अभी तक जो शब्दों से दिखावटी रुकावट डालने का दिखावा कर रही थी….अब उसको भी छोड़ कर चुदाई के हर भाग का आनंद लेने लगी थी…उनकी आँखें बंद हो चुकी थी…चूत लगातार….लंड पाने के लिए लार छोड़ रही थी…अनुभवी चोदु शास अब समझ चुका था….कि अब उसकी मम्मी पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार हो चुकी है….इसी बीच शास ने मम्मी के पैरों (टाँगों) को उपर नीचे करके मम्मी की धोती ऑर पेटिकोट शरीर से पूरी तरह से अलग कर दिया था….
शास…मम्मी तुम्हारा पूरा का पूरा शरीर ही इतना सुंदर ऑर रसीला है…जी करता है अंग अंग को चूस लूँ…ऑर चूस्ता ही रहूं…..हर समय..हर पेल उस समय तक….जब तक ये दुनिया रहे……
भाभी….आआआहह…त्त्त्तूऊ किसने रोका है बेटे….पी जाओ….चूस लो…पर मेरी भी प्यास भुजा दो….में भी बरसों की प्यासी हूँ बेटे….आज जी भर कर रस निकाल ले इस शरीर का…आज जी भर के चोद ले अपनी मम्मी को…आज जी भर के चोद डाल उस चूत को जिससे तू पैदा हुआ था…फाड़ डाल उसे….ऑर ना जाने क्या क्या…बड़बड़ाती रही भाभी…
आख़िर धीरे धीरे शास वहाँ पर पहुचने लगा था…जहाँ पर चुदाई का आखरी पड़ाव होता है…उसके होंठ भाभी के पूरे शरीर को चूम चाट रहे थे….ऑर अब शास भाभी की दोनो भारी मांसल जांघों को चूमने लगा था……ऑर भाभी की मादक सिसकियाँ बढ़ती ही जा रही थी…उनका शरीर इस तरह से कपकपा रहा था…जैसे आज उनकी पहली सुहागरात हो….लाखों हज़ारों बिजलियाँ उनके शरीर में दौड़ दौड़ कर तरंग पैदा कर रही थी…
शास….भाभी की चुचियों को मसल रहा था….उन्हें सहला रहा था…ऑर जाँघो को चाट रहा था….पर कुछ ही देर बाद शास….ने पोज़िशन बदल ली ओर 69 की मुद्रा में आ गया….भाभी की कल्पना फिर ससुर पर जा टिकी….वही पोज़िशन….वही भयंकर मोटा लंबा लंड उसके होंठों को छू रहा था…ऑर भाभी की जीब फिर से लंड के सुपाडे को चाटने लगी….लंड का सुपाडा इतना मोटा हो चुका था कि भाभी के मुँह में तो जा नहीं सकता था…..
उधर शास ने अब अपनी मम्मी की टाँगो तो चोडा किया….ऑर भाभी की चूत पर अपना मुँह रख दिया…..आआआआअहह के साथ भाभी की सिसकारी निकल गयी….शास की गरम गरम साँसे…चूत पर टकराकर उसे पिघला रही थी…ऑर चूत में जमा पानी पिघल कर टपकने लगा था….
शास मम्मी की चूत को मज़े ले लेकर चूसने चाटने लगा था…वो तो पहले से ही चूत का मज़ा लेने का आदि था….भला वो उस चूत का पानी पीए बगैर कैसे छोड़ सकता था….जो उसकी तम्माना रही हो….जो उसकी जननी हो….हल्की गंध से भरा हुआ पानी….शास की मस्ती को ऑर बढ़ा रहा था….मम्मी की चूत के पानी की गंध से शास ऑर ज़्यादा मदहोश होता जा रहा था….
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