RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
जैसे ही भाभी की नज़र अपने ससुर की धोती पर पड़ी…भाभी का दिल धक्क से रह गया…ऑर ज़ोर ज़ोर धड़कने लगा….उसके ससुर का लंड धोती में ही तंबू बना हुआ था…भाभी की आखें शरम से नीचे झुक गई ऑर उसके गाल शर्म से गुलाबी हो गए…
ससुर…क्या हुआ बेटी…
भाभी…कुछ नहीं…पिताजी…नज़रें नीची किए हुए ही कहा….
भाभी सोच रही थी कि क्या किसी का इतना बड़ा भी लंड होता है…..भाभी को धोती में जिस तरह का तंबू नज़र आया…उससे तो यही लगा कि ससुर जी का लंड कुछ ज़्यादा ही भारी है….अब भाभी जल्दी जल्दी से सफाई करने लगी थी….
उधर उसके ससुर की निगाहें भाभी के पूरे सरीर को टटोल रही थी…वे सोच रहे थे कि उनकी बहू कितनी सुंदर ऑर भरे हुए सरीर की है…इसका एक एक अंग गदराया हुआ है…क्या भारी चुचियाँ है…ऑर चूतड़ तो गजब ही ढा रहे है…इसकी चूत कितनी प्यारी बिल्कुल डबालरोटी की तरह होगी…आआआअहह अगर इसकी चूत एक बार मिल जाए तो ये लंड तो बस निहाल हो जाए….
भाभी…पिताजी ज़रा पावं तो उपर करलीजिए….भाभी ने ससुर के पलंग के पास सफाई करते हुए कहा….ससुर जी का लंड अभी भी बिल्कुल तंबू बना हुआ था….ऑर बार बार उपर नीचे झटके मार रहा था…भाभी ने कई बार चोर निगाहों से देख लिया था…ऑर भाभी को इतने भारी लंड होने के एहशास से ही अजीब सा लग रहा था….
ससुर..मानो नींद से जागते हुए आअहहाा अच्छा…बेटी ऑर जैसे ही ससुर ने पावं उपर उठाए…तो उनका लंड बीच में फँस जाने के कारण उनके मुँह से आअहह की सिसकारी….निकल गई…
भाभी…क्या हुआ पिताजी…..
ससुर…कुछ नहीं बेटी…बस ज़रा सा पावं सो गया था…
भाभी ने अहसास किया कि उसके ससुर को उपर पावं करने में लंड की वजह से परेशानी हुई है….पर ना जाने क्यूँ भाभी को अब ससुर से डर सा लगने लगा था…इसी लिए भाभी ने जल्दी से सफाई कर कमरे से निकल गई…उसने महसूस किया कि उसकी चूत में कुछ गीलापन आ गया है…पर दूसरे ही पल ससुर के लंड के साइज़ के बारे में सोच कर वो डर गई…..ऑर दूसरे कामो में लग गयी….
उधर ससुर का लंड अब उसे बहुत ज़्यादा परेशान कर रहा था…अकड़न के कारण उसमें दर्द होने लगा था….वो पलंग से जैसे ही उठे ऑर दरवाजे में गए सामने से आती हुई अपनी बहू से टकरा गये……
आआआअहह की आवाज़ हुई…ससुर ऑर बहू के मुँह से एक साथ निकला….बहू की पीठ पर ससुर का लंड ऐसे चुभा जैसे किसी ने बाँस चुभा दिया हो….ऑर अचानक टकराने से ससुर के लंड में ऑर ज़्यादा अकड़न ऑर दर्द बढ़ गया था….
हड़बड़ाहट में ससुर जी बाथरूम की ओर चले गए…ऑर उसके बाद भाभी ने एक लंबी साँस ली…आआहह हे भगवान…कितनी ज़ोर से पीठ से टकराया है….कितना भयंकर लंड है इनका….ऑर जल्दी से बाहर जाकर अपने अन्य कामों में लग गयी….
भाभी घर के कामों में ज़रूर लगी थी..पर उनके ध्यान में ससुर जी का भारी भरकम लंड अब भी घूम रहा था…बीच बीच में उनकी चूत पानी छोड़ रही थी…बीच बीच में उन्हें लंड के बारे में सोच कर झुरजुरी सी आ जाती थी…
ससुर कमरे से निकल कर सीधे बाथरूम में गये ऑर दरवाजा बंद कर जल्दी से लंड को धोती से बाहर निकाल कर जल्दी जल्दी से हिलाने लगे…उन्हें लग रहा था…कि उनका लंड उनकी बहू की दोनो भारी चुचियों के बीच फँसा है…यही सोच सोच कर उनके हाथ से लंड को सहलाने की स्पीड बढ़ती जा रही थी…उनके मुँह से आआआअहहुउऊुुउउईईएइससस्स्स्सिईइ है बहू…..की आवाज़ें निकल रही थी…जब काफ़ी देर हो गई..तो भाभी..उधर गई…तो उन्हें बाथरूम से इसी प्रकार की आवाज़ें सुनाई दी….
भाभी सोचने लगी…कि उनके ससुर उसी के बारे में सोच कर कुछ कर रहे है…कुछ पल के लिए वो भी उत्तेजित हो गई…पर फिर उस भारीभरकम लंड की याद आते ही…उनकी उत्तेजना छुमन्तर हो गई…उनके सरीर में सिहरन सी दौड़ गई…. ये सोच कर वो ऑर डर गयी कि कहीं ससुर का लंड उसकी चूत में घुसा तो उसकी चूत को ज़रूर फाड़ डालेगा…. जब पहली चुदाई में उसे उसके पति के साथ इतना दर्द हुआ था.. तो ससुर का लंड तो मार ही डालेगा….
आख़िर ससुर अपने लंड को हिलाने में व्यस्त थे….अब उनका सरीर अकड़ गया…उनकी आखें बंद हो गई…पूरा सरीर मानो एक जगह सिकुड गया हो…ऑर उन्होने एक आआआआअहह के साथ लंड से पिचकारी छोड़ दी….लंड से निकलती वीर्य की पिचकारी दूर दूर तक जा गिरी थी….आज ससुर के लंड से इतना वीर्य निकला था..कि इतना तो उनकी सुहागरात वाले दिन भी नहीं निकला था……..
कुछ देर के बाद ससुर अपने होश में आए उनका लंड अब सुस्त होने लगा था…उन्हें आज इतना मज़ा आया था…कि शायद पहले कभी आया हो…कुछ देर के बाद वे अंदर से बाथरूम को धोकर बाहर निकल आए…उस समय भाभी आँगन में थी…बहू ऑर ससुर की अचानक आँखे चार हुई…तो भाभी ने शरमा कर आँखें नीची कर ली….ऑर ससुर अपने कमरे में चले गाए…..पर बहू पर नज़र पड़ते ही उनके लंड में फिर से सुरसूराहट होने लगी थी…..
ससुर के दिमाग़ में बहू की फिगर अब घर चुकी थी…बहू की चुचियाँ…उसके चूतड़…बहू की चूत निश्चित रूप से डबलरोटी की तरह से फूली हुई होगी…पता नहीं बहू की चूत पर घने बाल होंगे या फिर सॉफ कर रखी होगो …..यही सोच कर उनका लंड झटके मारता रहा….ऑर ना जाने कब उन्हें नींद आ गई….लगभग एक घंटे के बाद भाभी ससुर जी के कमरे में गई तो ससुर जी सो रहे थे ऑर उनका लंड धोती को खोलकर बाहर निकलने की तय्यारी कर रहा था…
भाभी कुछ देर तक ससुर के लंड को निहारती रही…उनकी हालत भी खराब हो चुकी थी…भाभी अभी नहीं सोच पा रही थी….कि ससुर के साथ नज़दीकी बनाई जाए या फिर दूर ही रहे….कभी उस भयंकर लंड को देखने की इच्छा फिर चूत फटने का डर….यही सोच कर वो परेशान सी हो गयी…पर ये तो पक्का था…कि उनके दिमाग़ में अब ससुर जी का लंड समा चुका था…
भाभी को कभी चूत में उंगली डालने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई थी….उन्होने कभी चूत को सहलाया भी नहीं था…अपने पति के अलावा किसी ऑर से चुदाई भी नहीं करवाई थी…ऑर ना कोई ऑर लंड देखा ही था…पर आज ना जाने भाभी को क्या हुआ था…कि उनका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पर चला गया…जो अभी तक गीली थी….ऑर खुल-बंद हो रही थी…भाभी सोचने लगी कि मुझे आज ये क्या हो रहा है….पैंटी भी चूत से लगातार पानी आने से गीली हो चुकी थी……..
दोस्तों….आप सभी अडल्ट है…ऑर लंड चूत के इस खेल से सभी अच्छी तरह से वाकिफ़ है….जब किसी लंड को एक कसी हुई चूत का अहसास होता है तो वो अपना आपा खो देता है ऑर उस चूत में जाने के लिए बेताब हो जाता है ठीक इसी तरह से जब एक चूत को बेताज भारी भरकम लंड का अहसास होता है तो वो उसे अपने अंदर लेने की लिए लालायित हो जाती है…भले ही अंजाम कुछ भी हो…कुछ इसी तरह का खेल भाभी ऑर ससुर के बीच अब शुरू हो चुका था…इसका अंत क्या होगा….आओ आगे बढ़ते है…..
क्यूंकी भाभी ने कभी अपनी चूत को उंगलियों से नहीं सहलाया था…ऑर किसी दूसरे से चुदाई भी नहीं करवाई थी…इसलिए उसके लिए ये नया अनुभव ही था. ऑर वो इस नये अनुभव से रोमांचित हो रही थी…
दिन किसी तरह से गुजर गया…रात आई तो सब लोग खाना खाने के बाद अपने अपने बेडरूम में चले गए…भाभी अपने प्लांग पर अपने पति के साथ थी…तो ससुर अपनी पत्नी के साथ अपने कमरे में थे…..
ससुर आज जल्दी ही भाभी की सास के पलंग पर आ गये ऑर उसकी चुचियों को भाभी की चुचियाँ समझ कर सहलाने लगे…आज ससुर ने जो चुदाई का खेल खेला वो मानो भाभी के साथ ही खेल रहे हो…उनकी पत्नी बार बार चीख उठती थी…वो जान नहीं पा रही थी…कि आख़िर आज ऐसा क्या हुआ कि उनका पति उनको इतने भयन्कर तरीके से चोद रहा है….भाभी की सासू माँ की आज जो हालत हुई…वो आप जान सकते है…वो बेचारी कराहती रही..सिसकती रही चिल्लाती रही…पर ससुर का लंड तो आजकुछ भी मानने तो तय्यार ही नहीं था…आख़िर 3 घंटे की चुदाई के बाद वो चुदाई लीला समाप्त हुई…तब तक सासू माँ निढाल हो चुकी थी …ऑर उसी अवस्था में सो गई…..
उधर…भाभी अपने पति के साथ अपने पलंग पर धीरे धीरे सरक कर अपने पति के सरीर से सॅट गई ऑर एक हाथ पति की छाती पर रख दिया….पति ने भी करवेट भाभी की तरफ ली ऑर उसे बाहों में भर लिया…..
पति…क्या हुआ….क्या आज चूत ज़्यादा पानी छोड़ रही है….
भभी….हैं ना जाने क्यों…शादी के बाद आज पहली बार कुछ अजीब सा लग रहा है…ऑर इसमें से पानी भी कुछ ज़्यादा ही निकल रहा है….
पति…ओह तो लो आपकी चूत की मस्त चुदाई कर देते है…इसी लिए तो यह पानी छोड़ रही होगी…ये कह कर उन्होने भाभी की चुचियों को हल्के हल्के से सहलाना शुरू कर दिया…भाभी का हाथ अपने पति के लंड पर चला गया ऑर भाभी महसूस करने लगी कि शायद मेरे पति का लंड तो ससुर के लंड का आधा ही है…भाभी के पति ने धीरे धीरे भाभी के सभी कपड़े उतार दिए ऑर पूर्णतया नंगी पत्नी के शरीर के सब हिस्सों को सहलाने ऑर मसलने लगे….भाभी के जेहन में ससुर का लंड ही घूमता रहा…ऑर उसके पति उसके शरीर से खेलते रहे…भाभी की चूत पानी पर पानी छोड़ती रही…आख़िर पति ने अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ना शुरू किया….ऑर कुछ ही देर में पूरा लंड भाभी की चूत में पेल दिया….उसके पति के धक्को की रफ़्तार बढ़ती गई…ऑर भाभी भी चुदाई में ना जाने कैसे एक मशीन की तरह से सहयोग करती रही…पर उसके मन में तो ससुर जी का भारीभरकम लंड बस चुका था…कुछ देर के बाद उसके पति ने भाभी की चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया…ऑर गरम..गरम..वीर्य अपनी चूत में गिरने से भाभी…की चूत ने भी पानी छोड़ दिया कुछ देर एक दूसरे से चिपके हुए दोनो झड़ते रहे…पर कुछ ही देर में भाभी की तेज तेज चलती साँसों से मानो ससुर के लंड की चाहत की ही आवाज़ निकल रही थी…
आज पहली बार इतनी लंबी चुदाई के बाद भी ना ही भाभी चुदाई से संतुष्ट हुई थी…ऑर ना जाने क्यूँ ससुर जी भी आज अपने आप को संतुष्ट नहीं पा रहे थे…जबकि उन्होने आज जम कर सासू माँ की चुदाई की थी…सासू माँ का हाल बुरा था…वो समझ नहीं पा रही थी कि आज उसके पति को क्या हुआ जो इतनी भयंकर चुदाई की है… उनका अंग अंग तोड़ कर रखा दिया……उस बेचारी को क्या मालूम था कि आज तो उसके पति बहू के ख़याल में चुदाई कर रहे है…
उस रात में भाभी के पति ने भाभी की दो बार जमकर चुदाई की पर भाभी भी आज कुछ संतुष्ट नज़र नहीं आ रही थी…उसके ख़याल में भी शायद इस समय भी ससुर का भारीभरकम लंड ही घूम रहा था…जिस लंड से वो डर भी रही थी ऑर पाने की चाहत भी थी…
आख़िर पिछली रात में चुदाई का अंत हुआ ऑर सभी सो गये…सुबह को सभी देर से उठे…ऑर अपने अपने कामो में लग गये…
भाभी का पति डेली की तरह अपने खेतो में चला गया ऑर सासू माँ…दूसरे कामों में लग गई…ऑर बहूरानी….
बहूरानी ने घर की सफाई शुरू कर दी…आज भाभी ने ढीले ढाले कपड़े ही पहने थे…उधर ससुर जी भी इसी समय का एंतजार कर रहे थे कि उनकी बहू उसके रूम में सफाई करने आए ऑर वो उसे जी भर कर निहार सके…..
भाभी ससुर जी के रूम में जब सफाई करने के लिए गई तो उनका सरीर कुछ सामान्य नहीं था…उनकी साँसे ज़ोर ज़ोर चल रही थी…ऑर सरीर में बार बार सिहरन से दौड़ जाती थी…..पर अब तो उनका सारा ध्यान ससुर जी के लंड की ओर आकर्षित हो चुका था….बस एक नज़र उसे देख ले तो शायद करार आए…
भाभी ने रूम की सफाई शुरू कर दी…पर अपने साड़ी के पल्लू पर जान बुझ कर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया…ब्लाउज ढीला होने के कारण भाभी की भारी गोरी चिटी चुचिया अंदर से बाहर निकलने की कोशिस कर रही थी…ऑर ससुर उन्हें देख देख कर पागल हुए जा रहे थे….ससुर का लंड धोती में ही उछल कूद कर रहा था…पर ससुर की निगाहे भाभी की चुचियों से नहीं हट पा रही थी…
एक बार भाभी ने ससुरजी को चोर निगाहों से देखा…तो उनका दिल ज़ोर से धड़कने लगा…ससुरजी की आँखें एक टक बहू की चुचियों पर ही जमी थी….
कि अचानक भाभी के मुँह से ना जाने कैसे निकल ही गया….
भाभी…क्या देख रहे है पिताजी….
ससुर…हड़बड़ाते हुए…आआआ हह ईईए वववववूऊओ कुछ नहीं बहू……
भाभी…नहीं कुछ देख तो रहे थे….
ससुर …नहीं बेटी…कुछ भी तो नहीं…बस सोच रहा था…
भाभी…मुस्कुराते हुए ..क्या सोच रहे थे पिताजी….
ससुर…कुछ नहीं..ना जाने क्यूँ आज कच्चा दूध पीने की इच्छा हो रही थी…पर सोच रहा था…कि वो तो तूने गरम कर दिया होगा….
भाभी…हाँ पिताजी आज तो गरम कर दिया है…पहले क्यूँ नहीं बताया….
ससुर…कोई बात नहीं बहू…बस इच्छा हुई तो कह दिया….
भाभी…कोई बात नहीं पिताजी…दूध तो घर का ही है…जब मन करे कच्चा ही पी लेना….में सासू माँ को बोल दूँगी कि वो कल आपको कच्चा दूध देदे..
ससुर…आरे नहीं बहू…बस वो तो ऐसे ही…जब मन होगा में फिर बता दूँगा…सासू माँ को कहने की ज़रूरत नहीं है…
भाभी…क्यूँ पिताजी..क्या अब मन नहीं है…
ससुर…मन तो है..पर बस अब रहने दो….ससुर ने भाभी की भारी भारी चुचियों पर नज़र डालते हुए कहा….
भाभी…लगता है पिताजी आपको दूध पसंद ही नहीं है…
ससुर..नहीं बेटी…पसंद तो बहुत है…पर वो कच्चा दूध नई गाय (काउ) का हो तो बात ही कुछ ऑर होती है….
भाभी…हाँ ये बात तो हो सकती है….तो पिताजी एक नई गाय ले आओ ना….बाते करते हुए भाभी इतनी लापरवाह हो चुकी थी..कि उसकी आधे से ज़्यादा चुचियाँ बाहर झाँक रही थी…ऑर ससुर के लंड की हालत खराब होती जा रही थी…
भाभी अब ये तो जान ही चुकी थी…कि ससुर जी किस दूध की बात कर रहे है….पर वो अभी भी अंजान बनते हुए…ससुर जी को जानबूझ कर परेशान करने में लगी थी…जैसे ही भाभी सफाई करते करते ससुर के पास पहुँची…तो उनकी चुचियाँ ससुर जी को ऑर सॉफ सॉफ नज़र आने लगी…जिससे ससुर जी ऑर परेशान होने लगे….ससुर जी का लंड अब धोती से बाहर निकलने की कोशिस कर रहा था…ऑर ज़्यादा टाइट के कारण ससुर के मुँह से आहह निकल गई……
भाभी….क्या हुआ पिताजी…
ससुर…कुछ नहीं बहू…बस पैरो (लेग्स) में कुछ दर्द सा है….
भाभी….थोड़ा टहल लिया कीजिए…बैठे बैठे भी हो जाता है….
ससुर…हाँ ये तो है….
तभी…अचानक भाभी की नज़र ससुर जी के लंड पर पड़ी…भाभी को इस वक़्त अपनी उम्मीद से ज़्यादा बड़ा नज़र आया…ऑर भाभी के सरीर में एक बार फिर से सिहरन सी दौड़ गई……तभी भाभी को बेड के नीचे चलता हुआ सा प्रतीत हुआ…भाभी की चीख निकल गई……
ससुर ..क्या हुआ बहू….
भाभी…घबराहट से काँपते हुए…पिताजी पलंग के नीचे साँप है….ऑर दूर हट गई….
ससुर नीचे उठे ऑर चारों तरफ देखा….उन्हें कुछ भी नज़र नहीं आया…उन्होने सोचा कि चूहा वेग़ैरह होगा पर कुछ सोच कर….यहाँ तो कुछ भी नहीं है बहू….
भाभी…नहीं पिताजी साँप था…मेने खुद देखा है…उधर बेड के नीचे…
ससुर …. नहीं बहू यहाँ तो कुछ भी नहीं है…
भाभी ने हिम्मत करके बेड के नीचे देखा…कुछ ना होने पर…पर मेने अभी तो देखा था…पिताजी…काफ़ी मोटा ऑर लंबा था…
ससुर - पर अब तो कुछ भी नहीं है…ससुर का लंड अब कुछ शांत हो गया था…फिर भी धोती में गधे के लंड की तरह से हिलता नज़र आ रहा था….
भाभी…शायद कहीं छुप गया है….पिताजी…पर था..बेड के नीचे….
ससुर ने एक बार फिर गौर से बेड के नीचे देखा…उन्हें कुछ भी नज़र नहीं आया…तो वे बोले बहू कहीं तुमको…वहम हो गया है…यहाँ तो कुछ भी नहीं है…..फिर तुम बता रही हो कि काफ़ी मोटा ऑर लंबा था…फिर कहाँ गया…..
भाभी…ने बेड के नीची झाँकते हुए…हां अब तो कुछ नहीं है…फिर भाभी को दीवार में एक छोटा सा छेद नज़र आया….ऑर बोली..पिताजी..वहाँ पर छेद है…कहीं उसमें तो नहीं घुस गया..फिर खुद ही झेन्पते हुए …महसूर किया कि इतने छोटे छेद में वो कैसे घुस सकता है….
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