RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
कुसुम…नहीं दीदी..सेक्स का आनंद तो नहीं लिया..हां एक दो बार नेट पर रिसर्च करते हुए आदमी का वो तो देखा है…वो भी नेट पर और एक बार मम्मी-पापा को सेक्स करते हुए भी देखा था….बस….
संतोष…पगली…डॉक्टरनी…अरे इतनी बड़ी हो गई…डॉक्टरी पढ़ रही है…ऑर आज तक ना सेक्स किया ऑर ना आदमी का वो ही देखा…अच्छा ये बता तुमने मम्मी-पापा को क्या केरते हुए देखा था…
कुसुम…सेक्स ऑर क्या….
संतोष…अरे पूरी तरह से बता…वो कैसे कैसे कर रहे थे….
कुसुम…ज़्यादा तो कुछ दिखाई नहीं दिया था..बस रात में मैं जब टाय्लेट जा रही थी..तो पापा मम्मी के उपर थे ऑर ज़ोर-ज़ोर से आगे पीछे हो रहे थे…मम्मी कुछ बड़बड़ा रही थी…मुझे शरम आई ऑर में टाय्लेट करके अपने कमरे में भाग गयी…बस…
संतोष…तुम भी कुछ नहीं … कुसुम…अरे जब देखा था..तो पूरा मज़ा लेकर तो देखती….अगर इस जवानी में भी मज़े नहीं लिए तो क्या फिर बुढ़िया होकर लेगी…मेने तो कई आदमियों के साथ मज़े लिए है…पर शास के साथ अनुभव उन सब से प्यारा रहा है…कुसुम जानती हो मेरे साथ शास ने पहली बार किया था…बल्कि कैसे क्या करना है सब मुझे ही सिखाना पड़ा था..पर उसके बाद उसने जो चुदाई की…बस मज़ा आ गया ऑर आज तक याद है…उसके बाद समय या मोका ही नहीं मिला…आख़िर संतोष की ज़ुबान पर चुदाई जैसा शब्द आ ही गया था...
कुसुम…क्या दीदी…आपने ही उसे सिखाया..पर कैसे…अब कुसुम को भी मज़ा आ रहा था….वो भी बड़ी उत्सुकता से सुन रही थी…
संतोष…एक बार खेत में ले गयी थी…वही पर…बड़ा मज़ा आया था…
कुसुम…पर आपको डर नहीं लगा दीदी…कहीं कुछ हो जाता या फिर कोई देखा लेता तो क्या होता..
संतोष…पगली कहीं की…जब एक बार मज़ा ले लेगी तो फिर इन सब बातो का डर अपने आप दूर हो जाएगा…फिर आजकल तो ना जाने कितनी ही टॅबलेट है…दूसरा भी डर नहीं रहता…जवानी आई है तो बस मज़े लो…ऑर जियो…..
कुसुम…दीदी सच बताओ शास का कितना बड़ा है वो…
संतोष…6-7 एंच का तो होगा ही…पर सबसे बड़ी बात तो ये थी…कि में तीन-चार बार झड चुकी थी तब वो एक बार ही झडा था…वर्ना आदमी तो लगाते लगाते ही झड जाते है…ऑर सारा मज़ा किरकिरा कर देते है….
कुसुम…अरे दीदी आप तो बड़ी चालू निकली सारे मज़े ले लिए…ऑर सेक्स के सारे अनुभव भी कर लिए….
संतोष…तुम भी अनुभव कर लो….बाद में काम आएँगे…
कुसुम…मुझे तो डर लगता है दीदी…
संतोष...अरे किस चीज़ का डर.....ये तो सभी करते है...तुमने मम्मी-पापा को तो देखा ही है....
कुसुम…दीदी कहीं कुछ हो गया तो फिर क्या होगा…फिर मुझे तो इस बारे में कोई अनुभव भी नहीं है…
संतोष…अरे कुछ नहीं होगा…ऑर फिर में हूँ ना…में सब संभाल लूँगी…अब गाओं में आई हो तो यहाँ की ऐसी याद लेकर जाओ कि उम्र भर याद रहे…ऑर डॉक्टरनी…तुम्हारी डॉक्टरी में भी तो ये सब की जानकारी ज़रूरी होती होगी….
कुसुम…प्रॅक्टिकल नहीं…बस थियरेटिकल नालेज ही होती है…बुक्स में तो सभी कुछ है…फिर नेट पर सब है…जब चाहे देखा लो…
संतोष…तुम्हारी इच्छा..फिर ये ने कहना कि गाँव गयी थी दीदी ने ख़याल नहीं रखा…तुम चाहो तो में शास से मुलाकात करवाने की कोशिस करूँगी…
कुसुम…दीदी मन तो मेरा भी होता है पर डर लगता है…
संतोष…डर किस बात का में भी तो तुम्हारे साथ ही रहूंगी…फिर ये भी तो देखना होगा कि शास अब तय्यार भी होगा कि नहीं…वो तो अचानक ही हो गया था…
बाते करते करते दोनो बेड पर आ गयी ओर संतोष ने धीरे से कुसुम की चुचियाँ दबा दी…कुसुम के मुँह से आआआअहह निकल गई…..
आअहह दीदी कुछ होता है….आआअहह धीरे से दीदी……..कसमसाती हुई कुसुम की आह एक बार फिर निकल गई……
संतोष…कैसा लगा मेरे जान..छोटी बहना……
कुसुम…बड़ा मीठा मीठा दर्द होता है दीदी, पर मज़ा भी बहुत आया….थोड़ा धीरे से करो ना दीदी…..
संतोष…अरे जब आदमी मस्त हो जाता है तो फिर तो वो मस्त होकर ही दबाता है….मज़ा भी बहुत ही आता है उस दर्द में…मन करता है…कि वो बस दबाता ही रहे ऑर मस्ती में ऑर मस्ती में….ऑर जब निप्पल्स को चूमता है तो सिसकारिया ही निकलती रहती है अह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह …संतोष ने कुसुम की चुचि नंगी करके अपने होठों के बीच चुचि के निप्पल को दबा कर बोली….
कुसुम की आआआहहुउऊईइससस्शहिईिइ के साथ एक कामुक आह निकल गई….उउस्स्स्सिईई दीदी फिर से करो ना….अच्छा लगता है…आज पहली बार किसी ने किया है…..
संतोष ने कुसुम की दोनो चुचियों को नंगा कर दिया ऑर फिर धीरे धीरे सहला कर निप्पल को मुँह में भर लिया….संतोष उसकी चुचियों को सहला सहला कर चूमने ऑर चाटने लगी थी… उसे भी इन कसी हुई चुचियों को सहलाकर चूसने में मज़ा आ रहा था…ऑर कुसुम की हल्की हल्की सिसकारिया लगतार निकल रही थी…संतोष ने धीरे धीरे कुसुम को पूरा नंगा का दिया ऑर खुद भी सारे कपड़े उतार कर कुसुम के उपर लेट गई ऑर उसके पूरे बदन को सहलाने लगी थी….कुसुम के हाथ भी संतोष के शरीर पर लगातार घूम रहे थे….पूरा कमरा मदहोश होकर कामुक सिसकियो से गूज़्ने लगा था…दोनो की चूत गीली होने लगी थी…संतोष का हाथ घूमते घूमते उसकी चूत तक चला गया ऑर वो कुसुम की चूत को हल्के हल्के सहलाने लगी थी…फिर ने जाने उसे क्या सूझा…कि उसने अपना मुँह कुसुम की चूत पर रख दिया ऑर चूत के क्लिट को जीब से चाटने लगी……कुसुम मुमयाने लगी…और उसके चूतड़ अपने आप ही उपर नीचे होने लगे जैसे कि वो वासना के समुंदर में लहरे बन कर तैर रही हूँ….
संतोष की जीब कुसुम की पूरी चूत में घूमने लगी ऑर कुसुम लगातार सिसकियाँ भर रही थी…कि अचानक संतोष ने अपनी जीब को फोल्ड कर कुसुम की चूत के छेद में घुसा दिया….आआआआवउुुुउउईईईईइससस्स्स्स्शह के साथ कुसुम सिहरः उठती…..संतोष की जीब अब लगातार कुसुम की चूत को चोद रही थी…बीच बीच में वो कुसुम की चुचियों को भी मसल रही थी तभी एक तूफान कुसुम के सरीर में आया…उसका पूरा सरीर ऐंठने लगा….उसकी चूत सूनी होने लगी…मानो उसका पूरा सरीर उसकी चूत में नीचूड़ने जा रहा हो… उसके हाथ संतोष के सिर पर ज़ोर से कसने लगे…ऑर संतोष का पूरा मुँह कुसुम की चूत मे फँस गया….उूुुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममाआआआऐईईएईईएईहहाआआआआआअहह का सुर रूम में गूंजने लगा….कुसुम उन्ही लहरो में पूरी तरह से अब डूबने के लिए तय्यार थी….ऑर संतोष कुसुम की चूत को चोद चोद कर पूरा मज़ा ले रही थी…एक प्यासी कुँवारी चूत का पानी भी कुछ अजीब स्वाद दे रहा था…कि अचानक ज्वरभाटा आया ऑर संतोष का पूरा मुँह पानी से भर गया…मस्त संतोष उस पानी को गटगत् पीने लगी ऑर उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउईईईईईईईईएम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्स्स्स्स्स्स्स्सीइह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआआआअईईईईए के साथ कुसुम ने अपना पूरा पानी छोड़ दिया….चरम उत्कर्ष के साथ….वो आनंद जिसके बारे में सिर्फ़ सुना था….कुछ देर चूतड़ ज़ोर से उछालने के बाद कुसुम अब शांत होने लगी थी…शान्ती…एक प्रेम सुख…एक नया अनुभव…….वो…क्या सुख था….कुसुम का सरीर शांत होता गया ऑर संतोष उसकी चूत का पूरा पानी पीकर अब उसे जीब से सॉफ करने में लगी थी……
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