RE: Real Chudai Kahani किस्मत का फेर
पर समीर ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने तने हुए लंड को, आँचल की चूतरस से भीगी हुई चूत में पीछे से घुसेड़ दिया ।
आँचल तो कुछ और ही सोच रही थी , हुआ कुछ और ।
समीर ने पूछा , " तुमने नहीं क्यों कहा ?"
" कुछ नहीं , मैंने सोचा तुम आज फिर मेरे बदन की कुटाई करने वाले हो । " आँचल ने शरारत भरी मुस्कान से समीर को देखा ।
समीर मुस्कुरा दिया , उसे अच्छी तरह से पता था कि आँचल ने “ नहीं “ क्यों कहा था। वो जानता था अब आँचल उसके मोटे लंड को अपनी टाइट गांड में डालने नहीं देगी । वो तो बस मज़े में आँचल के मुंह से सुनना चाह रहा था । पर आँचल ने भी सीधे कहने की बजाय इशारों में जवाब दिया था ।
अब समीर ने दोनों हाथों से आँचल की कमर पकड़कर पीछे से धक्के लगाने शुरू कर दिए । आँचल भी अपने भाई का पूरा साथ देते हुए पीछे को गांड दबाकर लंड अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अंदर भरने की कोशिश करने लगी । समीर बीच बीच में आँचल की मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगता । कभी आगे हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे को लटक के हिलती हुई मुलायम चूचियों और निप्पल को हाथ में दबाकर मसलने लगता और आँचल को तड़पाने के लिए धक्के रोक देता ।
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