RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--50
अब आगे
**********
समीर का मन तो हुआ की आगे जाए और उसके मुम्मों को पकड़ कर निचोड़ डाले...और अभी के लिए जितना भी पानी निकले उसे पीकर अपनी प्यास बुझा ले...पर बड़ी ही मुश्किल से उसने अपने आप पर कंट्रोल किया हुआ था..
काव्या ने अपनी जीन्स भी उतार दी...उसकी सुडोल टांगे और भरी हुई गांड देखकर उसके दाँत आपस मे कटकटाने लगे...मन तो उसका कर रहा था की अपने दांतो से उसके कसे हुए माँस को चबा कर उनपर लव बाइट्स बना दे...पर इसके लिए अभी काफ़ी टाइम था उसके पास...
वो उसके पूरे नंगे होने का वेट करने लगा...
अब तो काव्या को भी शरम आ रही थी..एक ही दिन में तीसरी बार वो अपने कपड़े उतार रही थी...
पहले उसने रिसोर्ट में उतारे....उसके बाद विक्की के घर पर नंगी हुई...और अब यहाँ...अपने ही घर मे...अपने सौतेले बाप के सामने..
उसने दूसरी तरफ मुँह कर लिया और शरमाते हुए अपनी वाइट कलर की पेंटी को नीचे खिसकाने लगी..
वो जब पेंटी उतारने के लिए नीचे झुकी तो उसकी उभर का पीछे आई गांड का मांसलपन देखकर समीर का दिल तो धड़कना ही भूल गया...
यार...ये जवान लड़कियों की गांड इतनी कसावट वाली कैसे होती है....ऐसी गांद का तकिया रोज रात को मिल जाए तो क्या बात है..
वो जल्दी से जाकर उस मसाज बेड पर उल्टी होकर लेट गयी...
और अपनी आँखे बंद कर ली..
कुछ ही देर में उसके शरीर पर समीर के हाथ आकर टकराए..
उसके तो सारे रोँये खड़े हो गये...मस्ती के मारे उसकी आँखे और भींच गयी और चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी..
समीर ने अपने हाथों की उंगलियों से उसकी भरी हुई गांड के उपर अपनी उंगलियाँ घोंपनी शुरू की...वो उन्हे अंदर घुसाकर देखना चाहता था की वो कितनी अंदर तक जाती हैं...
ऐसी गद्देदार गांड रोज-2 थोड़े ही मिलती है...
समीर ने ओलिव आयल की शीशी उठाई और धार बनाकर उसने काव्या की गांड की सिंचाई कर दी..
फिर उसके गुम्बदों को दोनो हाथों में समेटा और उन्हे भींचना शुरू कर दिया..पूरी गांड पर तेल लगाकर उसने चमका दिया उसे..ऐसा लग रहा था जैसे सोने से बनी हुई है गांड उसकी, इतने लश्कारे मार रही थी वो ...
और फिर उसने अपनी मजबूत उंगलियों से उसके पिछवाड़े की मसाज करनी शुरू कर दी..
''उम्म्म्मममममममममम ....... मज़ा आ रहा है पापा .................... ''
समीर : "मैने तो पहले ही कहा था...मज़ा मिलेगा... ''
इतना कहकर उसने और तेल लिया और उसकी पीठ को भी रंग डाला...और फिर उसने उपर से नीचे तक घूम-घूमकर उसकी पूरी बेक को मसल डाला...ऐसा एहसास काव्या को आज तक नही मिला था...किसी मजबूत हाथों से अपने जिस्म को रोंदवाने का क्या मज़ा होता है आज वो समझ रही थी..
समीर : "चलो, पलट जाओ अब...''
काव्या का दिल धड़क उठा...ये सोचते हुए की अब उसके बूब्स और चूत की बारी है...
वो धीरे से पलट कर पीठ के बल लेट गयी...पर उसने अपनी आँखे नही खोली....अब इतनी शरम तो उसको दिखानी ही थी ना...
समीर ने उसके नंगे बदन को उपर से नीचे तक नज़र भर कर देखा...और फिर तेल की शीशी उठा कर उसके उपर गिराने लगा..
ठंडे-2 तेल की बूंदे उसको झुलसा रही थी...उसने सिसकारियाँ मारते हुए अपना हाथ इधर-उधर चलाया तो अचानक उसके हाथ में समीर का लंड आ गया...
वो एकदम से खड़ा हुआ था...और काव्या का हाथ जब वहाँ टकराया तो हटा ही नही पाई उसको...पता नही क्या कशिश थी समीर के लंड में ...वो बंद आँखे किए हुए उसके लंड को दबाने लग गयी..और वो उसके बूब्स को
पर अचानक उसने उसे छोड़ दिया, क्योंकि अपनी चुदाई का समान वो खुद इकट्ठा करना नही चाहती थी आज के दिन...
समीर भी हंस दिया, वो जानता था की उसका 50/50 मन कर रहा है चुदाई का...
खैर, उसने तेल को उसके शरीर पर लगाना शुरू कर दिया...ख़ासकर उसके मुम्मों पर, उन्हे तेल भरे हाथों से मसलने पर अलग ही मज़ा मिल रहा था...आज वो जी भरकर उन्हे दबा पा रहा था...उनसे खेल रहा था..
और फिर धीरे-2 उसके हाथ रेंगते हुए नीचे की तरफ जाने लगे..
काव्या के पैर चौड़े हो गये, अपने आप ही , जैसे समीर का हाथ नही,बल्कि वो खुद उसके उपर लेटकर उसके अंदर घुस रहा हो...
समीर ने अपने हाथ नीचे लाते हुए उसकी जांघे पकड़ी और दोनो हाथों से बड़ी ही मजबूती से उन्हे रगड़ने लगा...
ऐसा मर्दानी मसाज पाकर सच मे उसकी थकान मिटने लगी थी...हर अंग में उसे नयी उर्जा महसूस हो रही थी..
पर जिसमें होनी चाहिए उसमे नही हो रही थी..
उसकी चूत में .
जो सुबह से ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी...उसके अंदर से एक बार फिर से पानी निकलवाना आज की डेट में थोड़ा मुश्किल काम था..
अब देखना ये था की समीर ये काम कर पाता है या नही.
समीर काफ़ी देर तक उसकी पूरी टाँग की मालिश करता रहा...वो उपर तक जाता पर चूत के करीब पहुँचते ही वापिस यू टर्न ले लेता..
काव्या बेचारी साँस रोके उस पल की प्रतीक्षा कर रही थी जब उसके हाथ उसकी चूत को रगडेंगे..
फिर समीर ने दूसरी टाँग पर भी 5 मिनट लगाए...उसे भी अच्छी तरह से मसाज देकर उसके गिल्लट निकाल दिए..
और फिर दोनो टाँगो पर उसने हाथ रखकर उपर की तरफ खिसकाना शुरू किया और एक ही झटके में उसने अपने तेल से सने हुए हाथ उसकी चूत के उभार पर रखकर उसे भींच दिया..
''आआआआआअहह ................... उम्म्म्ममममममममममममममममम ..... ओह पापा ............''
और फिर उसने उस अधखिले गुलाब की पंखड़ियों को फैलाया और अपनी उंगलियाँ अंदर घुसेड डाली...और दूसरे हाथ से तेल की शीशी उठा कर और तेल उड़ेल दिया सीधा उसकी चूत पर..
अंदर तो पहले से इतनी आग जल रही थी, इस तेल ने उसे और भी ज़्यादा भड़का दिया..
वो जल उठी..
''अहह हह ...ओह ... माय गॉड ...............'
और उसके हाथ फिर से एक बार अपने आप ही समीर के लंड पर जा चिपके और उसने उसके लंड को पकड़ कर ज़ोर से उमेठ दिया..
अब चीखने की बारी समीर की थी
''अहह ....... धीरे पकड़ो काव्या......दर्द होता है ....''
काव्या की भी हँसी निकल गयी उसका चेहरा देखकर और मज़ाक भरे स्वर में वो बोली : "अच्छा जी...मर्द को भी दर्द होता है...उम्म्म... ही ही ..''
समीर ने कुछ नही काया और अपनी उंगलियों को और अंदर खिसका कर सीधा उसकी क्लिट की मसाज करने लगा..
''ओह पापा........यू आर सो गुड ........... कहाँ से सिखी ये मसाज करनी आपने .....''
समीर : "ये तो तुम्हे देखकर अपने आप ही आ गयी.............''
काव्या (सिसकारी मारते हुए ) : "लायर..........''
और फिर से एक प्यारी सी हँसी देकर उसने आँखे बंद कर ली...
समीर ने अपनी उंगलियों का जादू उसकी चूत पर चलाना शुरू कर दिया..
एक तो माहौल इतना गर्म हो चुका था की काव्या को पता ही नही चला की कब उसने समीर के लंड को बाहर निकाला और उसे आगे-पीछे करना शुरू कर दिया...और कब उसके अंदर एक ओर्गास्म का निर्माण होना शुरू हो गया..
ये शायद उसके लिए एक रिकॉर्ड था...एक ही दिन में वो शायद पाँचवी बार झड़ने की तैयारी कर रही थी...और जब वो चुदाई करवानी शुरू कर देगी तो इस आँकड़े को भी पार कर लेगी एक ना एक दिन...
ये सोचते हुए उसके होंठ अपने आप गोल होते चले गये...और उसके हाथ की स्पीड भी तेज हो गयी..
समीर ने भी अपनी उंगलियों से उसकी चूत में पिस्टल की तरह चलना शुरू कर दिया...और लगभग एक ही समय पर दोनो बाप बेटी झड़ने लगे...
''आआआआआआआआआहह .... उम्म्म्ममममममममममममममम ......आई एम कमिंग पापा ..........''
पापा भी चिल्लाए : "मैं भी ................''
और समीर का सारा माल उसके दाँये मुम्मे पर पूरा बिखर गया....
दोनो गहरी साँसे लेने लगे ..
चुदाई ही रह गयी थी उनके बीच करनी अब...बाकी सब तो हो ही चुका था उनके बीच...
समीर : "चलो बेबी, अब तुम नहा कर कपड़े पहन लो....मैं नीचे जाकर देखता हू तुम्हारी माँ को ....''
उसका शायद अभी मन नहीं भरा था, रश्मि की चूत मारकर ही वो शांत होगा आज तो
काव्या ने मुस्कुरा कर हाँ में सिर हिलाया...और समीर टावल से हाथ पोंछता हुआ नीचे चल दिया..
और काव्या अपने शरीर पर मलाई लपेटे बाथरूम की तरफ..
पर वो शायद नही जानती थी की अगले एक घंटे मे क्या होने वाला है...
|