Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
05-21-2019, 11:24 AM,
#39
RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
यहां तक की मैने उस से खूब गंदी गंदी गालियां भी दिलवायीं, उस के भाई सुनील के नाम भी. कोई लड़की, औरत बच नहीं पा रही थी. एक ने जरा ज्यादा नखड़ा किया तो भाभी ने उसका ब्लाउज खोल के पेड पे फेंक दिया और आगे पीछे दोनों ओर गुलाल भरे कंडोम जड तक डाल के छोड दिया और बोलीं, जा के अपने भाई से निकलवाना. और जिन जिन की हम रगडाई करते थे, वो हमारे ग्रुप में ज्वाइन हो जाती थीं और दूने जोश से जो अगली बार पकड़ में आती थी उसकी दुरगत करती थीं यहां तक की भाभी लड़कों को भी नहीं बख्सती थीं. 

एक छोटा । लडका पकड में आया तो मुझसे बोलीं, खोल दे इस साल्ले का पाजामा. मैं जरा सा झिझकी तो बोलीं, अरे तेरा देवर लगेगा जरा देख अभी नूनी है की लंड हो गया. चेक कर के बता इस ने अभी गांड मरवानी शुरु की नहीं वरना तू ही नथ उतार दे साल्ले की. वो बेचारा भागने लगा लेकिन हम लोगों की पकड से कहां बच सकता था. मैने आराम से उसके पजामे का नाडा खोला, और लंड में टट्टे में खूब जम के तो रंग लगाया ही उसकी गांड में उंगली भी की और गुलाल भरे कंडोम से गांड भी मार के बोला, जा जा अपने बहन से चटवा के साफ करवा लेना. कई कई बार लड़कों का झुंद एक दो को पकड भी। लेता या वो खुद कट लेतीं और मजे ले के वापस. तीन चार बार तो मैं भी पकड़ी गयी और कई बार मैं खुद.

तिजहरिया के समय तक होली खेल के सब वापस लौट रहीं थी.चंपा भाभी और कई औरतें अपने घर रास्ते में रुक गयीं. हम लोग दो तीन ही बचे थे की रास्ते में एक मर्दो का झुंड दिखा, शराब के नशे में चूर, शायद दूसरे गांव के थे. एक तो हम लोग कम रह गये थे, दूसरा उनका भाव देख के हम डर के तितर बितर हो गये. थोडी देर में मैने देखा तो मैं अब गांव के एक दम बाहरी हिस्से में आ गयी थी. मुख्य बस्ती से थोडा दूर, चारो ओर गन्ने और अरहर के खेत और बगीचे थे. तभी मैने देखा की वहां एक कुआ और घर है. उसे पहचान के मेरी हिम्मत बढ गयी, वो मेरी कहाइन कुसमा का घर था. और उसका मरद कल्लू कूये पे पानी भर रहा था.

कुसुमा गांव में मेरी अकेली देवरानी लगती थी. उसकी शादी मेरी शादी के दो तींन । महीनेबाद ही हुयी थी. गोरी छुयी मुयी सी, छूरहरी लेकिन बहोत ताकत थी उसमें , छातियां छोती छोटी, लेकिन बहोत सख्त, पतली कमर भरे भरे चूतड. लेकिन मरद का हाथ लगते ही वो एक दम गदरा गई. कहते हैं की मरद का रस सोखने के बाद ही औरत की असली जवानी चढती है. घर में वो काम करती थी, नहाने के लिये पानी लाने से देह दबाने तक. पानी बाहर कुये पे उसका मरद भरता था और अंदर वो लाती थी. हम दोनों की लगभग साथ ही शादी हुयी थी इस लिये दोस्ती भी हो गयी थी. रोज तेल लगवाते समय मैं उसे छेड छेड के रात की कहानी पूछती, पहले कुछ दिन तो शर्मायी लेकिन्मैने सब उगलवा ही लिया. रात भर चढा रहता है वो वो बोली. मैने हंस के कहा हे मेरे देवर को कुछ मत कहना मेरी देवरानी का जोबन ही ऐसा है. क्यों दो बार किया या तीन बार. मेरी जांघे दबाती बोली,
अरे दो तीण की बात ही नहीं झडने के बाद वो बाहर ही नहीं निकालता मुआ, थोडी देर में फिर डंडे ऐसा और फिर चोदना चालू, कभी चार बार तो कभी पांच बार और घर में और कोयी तो है नहीं न पास पडोसी इस लिये जब चाहे तब दिन दहाडे भी. सुन के मैं गिन गिना गयी. उस को माला डी भी मैने ही दी. एक बार वो आंगन में मुझे नहला रही थी. मैने उसे छेडा, अरे अपने मर्द से बोल ना, एक बार उसके असली पानी से नहाउंगी. तो वो हंस के बोली, हां ठीक है मैं बोल दंगी, लेकिन वो सरमाता बहोत है.ठसके से वो बोली.
अरे मेरा देवर लगता है मेरा हक है क्या रोज रोज सिर्फ देवरानी को ही...और क्या फागुन लग गया हैपीठ मलते वो बोली. एक दम और उसको ये भी बोल देना इस होली में ना, तुम मेरी अकेली देवरानी हो परे गांव में तो मैं और भले सबको छोड़ दें, लेकिन उसको नहीं । छोडने वाली. सच में, उसने पूछा. एक दम साडी पहनते मैं बोली.सच बात तो ये थी की मैने उसे कई बार कुंये पे पानी भरते देखा था. था तो वो आबनूस जैसा, लेकिन क्या गठा बदन था, एक एक मसल नजर फिसल जाती थी. ताकत छलकती थी और उपर से जो कुसुमा ने उसके बारे में कहा की वो कैसे जबरदस्त चोदता था. मैं एक दम पास पहुंच, एक पेड की आड़ में खड़े होके देख रही थी.

लेकिन...लग रहा था जैसे होली उन लोगों के घर को बचा के निकल गयी. जहां चारो ओर फाग की धूम मची थी वहीं, उसके देह पे रंग के एक बूंद का भी निशान नहीं था. चारो और रंगों की बरसात और यहां एक दम सूखा. होली में तो कोई भेद भाव नहीं होता, कोयी छोटा बड़ा नहीं...लेकिन, मुझे बुरा तो बहोत लग पर मैं समझ गयी. फिर मैने दोनों हाथों में खूब गाढा लाल पेंट लगाया और पीछे हाथ छिपा के ...उसके सामने जा के खडी हो गयी और पूछा,
* क्यों लाला अभी से नहा धो के साफ वाफ हो के...”
“ नहीं भौजी अभी तो नहाने जा ही रहा था...” वो बोला.
* तो फिर होली के दिन इतने चिक्कन मुक्कन कैसे बचे हो रंग नहीं लगवाया...”
* रंग...होली ...हमसे कौन होली खेलेगा, कौन रंग लगायेगा...

* औरों का तो मुझे नहीं पता लेकिन ये तेरी भौजी आज तुझे बिना रंग लगाये नहीं छोड़ने वाली.” दोनो हाथों में लाल पेंट मैने कस के रगड़ रगड़ के उसके चेहरे पे लगा दिया.
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में - by sexstories - 05-21-2019, 11:24 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,549,467 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,827 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,252,969 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 947,367 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,682,251 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,104,444 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,991,523 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,189,086 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,081,301 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,578 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)