RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
एक बात और जितनी जोर से उसकी गांड मारी जा रही थी उतना ही उसके लंड की सख्ती और चुदाई का जोश बढ़ गया था. हम दोनों के बीच वो अच्छी तरह सैंड्विच बन गया था. लंड उसका भले ही मेरे उनके या ननदोयी की तरह लंबा मोटा ना हो पर देर तक चोदने और ताकत में कम नहीं था. जब लंड उसकी गांड में घुसता तो उसी तेजी से वो मेरी चूत में पेलता और जब वो बाहर निकालते तो साथ में वो भी...थोडी देर में मेरी देह कांपने लगी. मैं झडने के कगार पे थी और वो भी ..जिस तरह उसका लंड मेरी चूत में हो रहा था...
* ओह्ह ओह्ह हां हाआआआं बस ओहह ..झड्ड्ड रही हूँउउउं... कस कस के मैं चूतड उचका रही थी और उसकी भी आंखे बंद हुई जारही थीं तब तक ननद ने एक बाल्टी पानी हम दोनों के चेहरे पे कस के फेंका और हम दोनों के चेहरे का रंग भी कुछ धुल गया और नशा भी हल्का हो गया.
“ अरे ये ये ...तो मेरा भाई है...” मैने पहचाना लेकिन तब तक हम दोनों झड़ रहे थे और मैं चाह के भी उस को हटा नही पा रही थी. सच पूछिये तो मैं टाना भी नहीं चाह रही थी मेरी रात भर की प्यासी चूत में वीर्य की बारिश हो रही थी. और उपर से ननदोयी अभी भी। कस के उसकी गांड मार रहे थे. हम लोगों के झड़ने क थोडी देर बाद जब झड कर हटे तब वो मुझ से अलग हो पाया.
* क्यों भाभी मेरे भैया से तो रोज चुदवाती थीं कैसा लगा अपने भैया से चुदवाना. चलिये कोयी बात नही बुरा ना मानो होली है अब जरा मेरे सैंया से भी तो चुदवा के देख लीजिये.” ननद ने छेडा.
• चल देख लेंगी उनको भी..." रस भरी निगाहों से ननदोई को देखते हुए मैं बोली. तब तक मेरी छोटी ननद भी आ गई थी. वो और जेठानी जी उसे लेके अंदर चली गयीं और मैं बडी ननद और ननदोइ जी बचे. कसरती देह, लंबा तगडा शरीर और सबसे बढ के लंबा और खूब मोटा लंड, जो अभी भी हल्का हल्का तन्नाया था. तब तक एक और ...ननद ने बताया की ये उनके जीजा लगते हैं इसलिये वो भी मेरे ननदोयी लगेंगें. हंस के मैने चिढाया,
* अरे ननद एक और ननदोयी दो...बडी ना इनसाफी है.”
“ अरे भाभी, आप हैं ना मुकाबला करने के लिये मेरी ओर से...” वो बोली.
* आज तो होली हम लोग अपनी सलहज से खेलने आये हैं.” दोनो एक साथ बोले.
मैने रंग से जवाब दिया, पास रखी रंग खी बाल्टी उठा के सीधे दोनों पर एक साथ और दोनो नन्दोयी रंग से सराबोर हो गये. दूसरी बाल्टी का निशाना मैने सीधे उनके खूटे पे ...पर तब तक वो दोनो भी सम्हल गये तेह. एक ने मुझे पीछे से पकड़ा और दूसरे ने पहले गालों पे फिर मेरी लपेटी देह से चिपकी साड़ी के उपर से ही मेरे जोबन पे रंग लगाना शुरु कर दिया.
“अरे एक साथ दोनो लोग डालियेगा क्या ...” मैने हंस के पूछा.
* मन मन भावे...अरे भाभी मन की बात जुबान पे आ गयी. साफ साफ क्यों नहीं कहती की एक साथ आगे पीछे दोनो ओर का मजा लेना चाहती हैं.” ननद ने हंस के चिढाया.
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