Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:55 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
सभी मेहमानों के खाना खाने के बाद जीशान अनुम और लुबना अपने नये घर जिसका नाम जीशान ने ‘अनुम विला’ रखा था, वहाँ पहुँचते हैं, जो निहायत ही खूबसूरत और वेल डेकोरेटेड था। अनुम विला सारी फेसिलिटीज से लेश। 

अनुम और लुबना घर देखते ही रह जाते हैं। 

जीशान सारी फोर्मिलिटीज पूरी करने के बाद जब अनुम और लुबना के पास आकर घर की चाबियाँ अनुम के हाथों में देता है तो अनुम और लुबना दोनों माँ-बेटी जीशान के गले से लिपट कर रो पड़ती हैं। 

जीशान-“अरे बस बस अनुम लुब … अब इन खूबसूरत आँखों में मुझे आँसू नहीं , बल्की खुशी की कलियाँ खिलती हुई दिखाई देनी चाहिए…” 

अनुम-“हम सोच भी नहीं सकते थे कि हमारा जीशान इतना सब कुछ इतनी आसानी से अरेज भी कर लेगा। मुझे तुम पर फख्र है और खुशी भी कि मैंने अपने बेटे में एक सही मर्द का इंतिखाब किया। 

लुबना-“आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपने आज मुझे वो खुशी दी है, जिसकी तमन्ना मैं हमेशा से करती आई हूँ । दुनियाँ की नजर में ये एक नाजायज रिश्ता होगा, एक गुनाह होगा, मगर मेरी नजर में मोहब्बत से बड़ा रिश्ता कोई नहीं , और इस मोहब्बत की खातिर आज एक माँ और एक बहन अपनी जान से सिर्फ़ एक चीज माँगती हैं, क्या आप हमें वो देगे?” 

जीशान-जान भी माँगो दे दूँगा। 

लुबना अपने हाथों में अनुम और जीशान दोनों का हाथ लेकर धीरे से कहती है-“अपनी मोहब्बत कभी कम मत होने देना हम दोनों के लिए। आपसे हमें और कुछ नहीं चाहिए। अगर आप हमें एक छोटे से घर में भी रखेंगे तो हम खुशी-खुशी रह लेंगे, मगर आपके बिना जेशु सच कहती हूँ मर जाएँगे हम…” 

जीशान-“कसम खाता हूँ तेरी और अनुम के सिर की लुबना, जिस दिन भी दिल से तुम दोनों के लिए थोड़ी से भी मोहब्बत कम हुई, वो दिन मेरी जिंदगी का आख़िरी दिन हो गा…” 

अनुम अपने महबूब के होंठों पर उंगली रख कर उसके सीने से लिपट जाती है। 

रात का खाना खाने का किसी का भी मूड नहीं था, ख़ासकर लुबना का। उसके जज़्बात की कोई इंतिहा नहीं थी। हर एक गुजरता हुआ लम्हा उसके तन बदन में आग भड़का रहा था। 

जीशान अनुम और लुबना के हाथ में एक-एक पैकेट देता है। 

अनुम-क्या है इसमें? 

जीशान-“इसमें मेरी खूबसूरत बीवियों के लिए वो ड्रेस हैं, जिन्हें तुम दोनों बेडरूम में पहनोगी आज के बाद हर रात…” ये कहकर जीशान बाथरूम में नहाने चल जाता है। 

अनुम पैकेट खोलती है। उसमें कुछ भी नहीं था, बस एक चिट्ठि थी, जिस पर लिखा था-“तुम मुझे ऐसे ही अच्छी लगती हो अनुम बिना कपड़ों के…” 

अनुम बुरी तरह शरमा जाती है और जीशान को ढूँढती हुई बाथरूम की तरफ चली जाती है। 


अनुम के जाने के बाद जब लुबना पैकेट खोलकर देखती है तो हया की चादर उसे घेर लेती है। वो दिल में सोचती है कि आज मुझे ये पहनकर जीशान के पास जाना होगा। 

जीशान बाथरूम में नंगा नहा रहा था कि पीछे से दरवाजा खुलता है और जब जीशान पलटकर देखता है तो अनुम उसे पलटने नहीं देती है और उसकी पीठ से चिपक जाती है। 

अनुम-“आप ना दिन-बा-दिन और बेशर्म होते जा रहे हैं…” 

जीशान जोर से हँसता है-“मैंने तो तुझे बेडरूम में ऐसे रहने के लिए कहा था अनुम…” 

अनुम-“ मेरी जान को जब ऐसी ही मैं अच्छी लगती हूँ तो मुझे कोई ऐतराज नहीं । हमेशा आपके साथ ऐसे रहने का…” 

जीशान पलटकर अनुम की आँखों में देखते हुये उसके लबों को चूम लेता है और अनुम अपने नाजुक हाथों में जीशान का कड़क लण्ड पकड़ लेती है। धीरे-धीरे जीशान अपनी कमर को अनुम की चूत की तरफ बढ़ाने लगता है। मगर अनुम उसे रोक लेती है। 

अनुम-“रुकिये सरकार… आज इस पर सबसे पहला हक लुब का है, और मैं अपनी बेटी के साथ ना- इंसाफी नहीं होने दूँगी …” 

जीशान-“अच्छा तो चलो बाहर। मुझे भी देखना है कि मेरी लुबना मेरे दिए हुये तोहफे में दिखती कैसी है?” 

जीशान और अनुम वैसे ही नंगे बाहर चले आते हैं, और लुबना के रूम से बाहर आने का इंतजार करने लगते हैं तकरीबन 5 मिनट बाद लुबना जब बाहर आती है तो जीशान के चेहरे पर मुस्कान और अनुम के चेहरे पर खुशी झलक जाती है। 

लुबना वहीं खड़ी उन दोनों को देख रही थी। 

जीशान-इधर आओ जान… शरमाओ मत इधर आओ, 

लुबना अपने नंगे भाई और नंगी अम्मी की तरफ धीरे-धीरे चलते हुई आ जाती है। 

जीशान-“देखो अनुम कितनी खूबसूरत लग रही है मेरी लुब , अपनी सुहागरात वाले ड्रेस में?” 

लुबना का चेहरा शर्म से झुकता चला जाता है। 

मगर जीशान उसे झुकने नहीं देता है, वो उसे अपने हाथ से ऊपर उठाता है और लुबना की आँखों में झाँकते हुये कहता है-“मेरी लुब मेरी जान, आज से मेरी हो जा। मैं तुझे वो सारी खुशियाँ देना चाहता हूँ , जो तू चाहती थी। शायद तू नहीं जानती, मगर मैंने एक बार तेरे कंप्यूटर में मेरे लिए लिखा हुआ वो पेज पढ़ा था, जिसमें तूने 
अपनी होने वाली सुहागरात के बारे में कुछ ख्यालात लिखी थी कि तू कैसे अपनी सुहागरात मनाना चाहती है। देख जैसे तूने सोची थी वैसे ही अरेज किया है ना मैंने?” 

लुबना हैरत से जीशान की तरफ देखने लगती है। 

जीशान लुबना और अनुम को अपने नये घर के बेडरूम में ले आता है। बेड पर लेटाकर जीशान लुबना की पैंटी उतार देता है और उसके होंठों को चूमने लगता है। 
अनुम अपनी लुबना की चूत पर अपने होंठों को लगाकर उसकी कुँवारी चूत का पहला पानी पीने लगती है। 

देखते ही देखते लुबना का जिस्म भट्ठी की तरह गरम हो जाता है और वो जोर-जोर से आहें भरने लगती है-“आह्ह… अम्मी जी वहाँ नहीं ना उन्ह… बस भी करिए ना जी अम्मी…” 

शायद अनुम अपनी जीभ से अंदर जाने की कोशिश कर रही थी जिसकी वजह से लुबना खुद को चीखने से रोक नहीं पा रही थी।
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