Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:52 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान पहले रज़िया की चूत को चूमता है, और फिर अपने जीभ बाहर निकालकर उसे रज़िया की चूत में घुसा देता है-गलपप्प-गलपप्प। 

रज़िया-“हाय रे ईई जालिम… गलपप्प-गलपप्प…” वो भी जीशान के लौड़े को मुँह में लेती चली जाती है-“बुखार से लौड़ा गरम हो गया है आपका गलपप्प-गलपप्प…” 

जीशान-“तेरी चूत की ठंडक देने पड़ेगी इसे अब…” 

रज़िया-“दीजिए ना… गलपप्प रोका किसने है गलपप्प…” 

जीशान का लण्ड पूरी तरह तन चुका था, उसके सामने रज़िया की ठंडी चूत से आती सर्द हवाएँ लग रह थीं। जीशान रज़िया को नीचे ले लेता है और पीछे से दोनों चुचियों को पकड़कर लण्ड रज़िया की चूत पर घिसने लगता है। 

रज़िया-“आह्ह… डाल दो जी अंदर… मुझे भी गरम होना है अंदर से उन्ह…” 

जीशान रज़िया के चेहरे को पकड़कर होंठों को मुँह में लेकर लण्ड चूत में घुसा देता है। रज़िया कमर को पीछे की तरफ करती है और जीशान अपने लण्ड को रज़िया की चूत के अंदर तक घुसाता चला जाता है। 

रज़िया-“आह्ह… जान , मेरी बेटी को मत तड़पाओ… आह्ह… उसे भी ये खुशी दे दो…” 

जीशान-“नहीं … उसने मुझे तड़पाया है, मैं उसे हाथ भी नहीं लगाउन्गा आह्ह…” 

रज़िया-“आह्ह… नहीं ना उन्ह… आह्ह… इतने जोर सीईई…” 

जीशान सटासट रज़िया की चूत पेलने लगता है। रज़िया जानती थी ये जोश दुगुना क्यों हो गया है। अनुम का नाम सुनते ही जीशान का लण्ड फौलाद की तरह सख़्त हो जाता था, और पिस्टन की तरह चूत को उधेड़ के रख देता था। 

रज़िया-“आह्ह… अनुम की चूत में भी डाल दो ना… मेरी बच्ची को कब तक तड़पाओगे आप्प?” 

जीशान बिना कुछ बोले सटासट रज़िया को चोदता रहता है और रज़िया कमर आगे पीछे करती हुई अपने पोते और होने वाले जमाई के लण्ड से चुदवाती जाती है। दो घंटे बाद थकी हारी रज़िया खुले बालों का जूडा बाँधती हुई जीशान के रूम से बाहर निकलती है, और सीधा अपने रूम के बाथरूम में घुस जाती है। 

जीशान रात का हल्का फुल्का खाना खाकर सो जाता है। 

रात के करीब 2:00 बजे-

जीशान का दरवाजा खुलता है और अनुम ब्लैक नाइटी में उसके रूम में दाखिल होती है। जीशान को बुखार की वजह से नींद नहीं लग रही थी, वो अनुम को अंदर आता देखता है, मगर खुद को सोता हुआ जाहिर करता है। 


अनुम जीशान के पास आकर बैठ जाती है। वो गौर से जीशान के चेहरे को देखने लगती है, और फिर झुक के जीशान के माथे को चूम लेती है। उसकी आँखों से एक आँसू निकलकर जीशान के गाल पर गिर जाता है। अनुम उस आँसू को अपने होंठों में जज़्ब कर लेती है। 

उस वक्त जीशान के लिए खुद को कंट्रोल कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था। 

अनुम-“आइ लव यू । मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ । मगर आपकी नाराजगी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती। देखो मैंने आपकी दी हुई रिंग भी पहन ली है, अब इसे मुझसे कोई अलग नहीं कर सकता। आप मुझसे नाराज मत रहा करो, चाहे तो मुझे दो थप्पड़ मार दो, मगर ऐसी नाराजगी मुझसे नहीं सही जाएगी जान्न…” वो जीशान को गहरी नींद में सोता देखकर खुद से बातें कर रही थी। 

एक पल के लिए जीशान का दिल किया कि अनुम को अपनी बाहों में समेट ले। मगर वो ऐसा नहीं करता। 
और अनुम उसके माथे को एक बार और चूमकर अपने रूम में चली जाती हैं। 

सुबह 7:00 बजे-

जीशान अपने रोजाना की एक्सरसाइज ख़तम करके नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ जाता है। रोज की तरह लुबना भी वहीं मौजूद थी। जीशान एक नजर लुबना पर डालकर कुस़ी खींचकर बैठ जाता है। अनुम भी अपनी प्लेट लेकर वहीं रज़िया के पास आकर बैठ जाती है। 

रज़िया-जीशान कैसा चल रहा है फॅक्टरी का काम? 

जीशान-ठीक चल रहा है। बस कुछ दिन और जाना पड़ेगा, उसके बाद तो बेफिकर ही बेफिकर है। 

रज़िया के साथ-साथ अनुम और लुबना भी जीशान की तरफ देखने लगती हैं-क्या मतलब? 

जीशान-मैंने फॅक्टरी बेचने का फैसला किया है। 

अनुम और रज़िया के मुँह से बेसाख्ता एक साथ निकलता है-क्या? 

जीशान-“जी हाँ… और मैं इंडिया छोड़कर भी हमेशा-हमेशा के लिए जा रहा हूँ । 

अनुम-“ये क्या कह रहे हो तुम जीशान ? ऐसे कैसे तुम इतना बड़ा डिसीजन ले सकते हो? हमें इस बारे में पूछना भी गँवारा नहीं समझा तुमने?” 

जीशान कोई जवाब नहीं देता और अपना नाश्ता ख़तम करके अपने रूम में चला जाता है। उसके पीछे-पीछे रज़िया, अनुम और लुबना भी चले आते हैं। तीनों जीशान के बेड पर बैठकर उससे सवाल करने लगते हैं 

जीशान-“बस मैं डिसीजन ले चुका हूँ , अब मैं यहाँ नहीं रह सकता। और मैं यहाँ रहूँ भी तो किसके लिए? 

आपके लिए लुबना जो मुझसे नफरत करती है। 

आपके लिए अनुम की तरफ इशारा करते हुये-“जिसने कभी अपनी मोहब्बत की दरिया में से मुझे कभी एक कतरा भी पीने नहीं दिया। अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता…” 

अनुम की आँखों में आँसू आ जाते हैं, और रज़िया उठकर अपने रूम में चली जाती है। 

जीशान-“तुम भी जा सकती हो लुबना…” 

लुबना-“कितनी आसानी से अपने कह दिया जीशान कि आप हमेशा के लिए हमें छोड़कर जाना चाहते हैं। मगर एक बार भी आपने ये नहीं सोचा कि इस फैसले से हम पर क्या गुजरेगी? और मोहब्बत की बात आप ना करें तो बेहतर होगा। मोहब्बत जैसे पाकीजा जज़्बात को आप समझ ही नहीं सकते…”
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