Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:51 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान अपने लैपटाप पर काम कर रहा था-“अरे वाह क्या बात है? आज जन्नत की हूर खुद चलकर हमारे ग़रीब के रूम में आई हैं, बात क्या है?” 

अनुम-“बस-बस… दिन भर कहाँ रहने लगे हो तुम?” वो सीधा पॉइंट के बात करती है 

जीशान अपना ध्यान वापस लैपटाप में लगा देता है। 

अनुम-मैं कुछ पूछ रही हूँ जीशान ? 

जीशान-फॅक्टरी और कहाँ? 

अनुम-“नहीं तुम फॅक्टरी के अलावा भी और कहीं रहने लगे हो। मैंने काल की थी 5: बजे पता चला तुम वहाँ नहीं हो। कहाँ थे?” 

जीशान-“उफफ्फ़हो… आप तो किसी बच्चे की तरह मेरी परीक्षा लेने लगी? अपने दोस्तों के साथ था मैं और कहाँ होऊूँगा?” 

अनुम का ध्यान जीशान के पास में पड़े एक डब्बे पर जाता है। वो लपक के उसे उठा लेती है। 

जीशान-“ये क्या है? लाइए मेरी चीज वापस करिये…” 

मगर उससे पहले अनुम उसे खोल देती है। उस डब्बे में एक हीरे की रिंग थी बेहद खूबसूरत और बेशकीमती। अनुम की आँखें चमक उठती हैं। 

जीशान उससे वो डब्बा छीन लेता है-“बिना इजाजत किसी दूसरे की चीज को हाथ नहीं लगाया करते…” 

अनुम-“रिंग किसकी है? मुझे साफ-साफ बताओ जीशान , और हाँ झूठ बोलने की कोशिश भी मत करना…” 

जीशान अनुम की बात सुनकर बेड से टेक लगाकर लंबे पैर करके लेट जाता है और ऐसे ढीठ बन जाता है कि अनुम के लाख पूछने पर भी उसके मुँह से एक लफ़्ज नहीं निकलता। 

आखिरकार, अनुम झुजलाकर वहाँ से अपने रूम में चली जाती है। उसके जाने के बाद जीशान दिल ही दिल में मुश्कुरा देता है। 

रात के 1:00 बजे 

अनुम अपने रूम में जाग रही थी और लुबना गहरी नींद में सो चुकी थी। अनुम के रूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला था के तभी उसे बाहर किसी का साया नजर आता है, और वो साया सीधा जीशान के रूम की तरफ तेजी से जा रहा था। कुछ देर बाद अनुम को दरवाजा बंद होने की आवाज़ सुनाई देती है। वो उठकर बाहर आ जाती है मगर वहाँ कोई नहीं था। वो दबे पाँव जीशान के रूम के बाहर खड़ी हो जाती है। अंदर से उसे जानी पहचानी आवाज़ सुनाई देती है। 

रज़िया नाइटी पहनकर जीशान के रूम में आई थी, उसने ना ब्रा पहनी थी और ना पैंट । बूढ़ी चूत जवान लण्ड का रस पीने आई थी। 

जीशान रज़िया को देखकर लैपटाप साइड में रख देता है-“क्या हुआ, मेरी जान को नींद नहीं आ रही क्या दादी ?” 

रज़िया-“रज्जो बोलो जीशान, दादी मत बोला करो। कितनी बार कहा है…” 

जीशान-इधर आओ यहाँ मेरी बाहों में। 

रज़िया जीशान के पास पहुँच जाती है। 

जीशान-“क्या बात है बहुत दिनों बाद मेरी याद आई?” 

रज़िया-“याद तो रोज आती है मुझे भी और मेरी चूत को भी। मगर क्या करें किस्मत खराब चल रही है आजकल। हट्टा-कट्टा जवान पोता होने के बाद भी उसकी रज्जो सूखी-सूखी सो रही है। तुम्हें पता है ना मुझे गीली चूत रहने पर ही नींद आती है…” 

जीशान-आज तेवर कुछ ज्यादा ही ख़तरनाक लग रहे हैं आपके? 

रज़िया-“मैं क्या चीज हूँ , ये तुम्हें अब पता चलेगा जीशान ख़ान? जवान बेटी घर में थी इसलिए ये रज़िया भी खामोश थी, मगर अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि क्यों तुम्हारे अब्बू मेरी चूत में दिन रात पड़े रहते थे?” और रज़िया जीशान को नीचे गिराकर उसके होंठों को चूसती चली जाती है और दोनों हाथों से जीशान को नंगा करने लगती है। 

रज़िया-“आज के बाद ये मेरी चूत में रहना चाहिए। रात में सारा पानी अंदर गिराना होगा, वरना जीना मोहाल कर दूँगी आपका…” 

जीशान भी अपनी रज़िया की बातें सुनकर भड़क उठता है और दोनों हाथों से पहले तो रज़िया की नाइटी उतारकर फेंक देता है। उसके बाद दोनों हाथों में रज़िया की कमर पकड़कर उसे दबाने लगता है। दोनों दादी पोते नंगे हो जाते हैं चूत लण्ड पर घिसने लगती है। 

रज़िया-“जीशान मेरे मुँह में तुम्हारा लौड़ा डालो ना…” 

जीशान-ये ले। 

रज़िया झुकती है और जीशान के लण्ड को अपने गले में गायब कर देती है-गलपप्प-गलपप्प-गलपप्प। 

जीशान-मेरी तरफ अपनी कमर कर मेरी जान। 

रज़िया 69 की पोजीशन में आ जाती है और जीशान अपनी रज़िया की चूत से लेकर गाण्ड तक चाटने लगता है-गलपप्प-गलपप्प। दोनों एक दूसरे को खा जा ने वाले अंदाज में चूम और चाट रहे थे। जवान लण्ड अपनी जवान होती जा रही रज़िया की चूत में घुसने को बेचैन था। वहीं रज़िया भी तड़प रही थी जीशान के नीचे पिसने को। रज़िया जीशान के ऊपर से उठकर बेड पर लेट जाती है और अपनी दोनों टाँगे खोल देती है। जीशान एक पैर को अपने कंधे पर रख कर अपना लण्ड रज़िया की चूत पर घिसने लगता है। 

रज़िया-“डाल दे जीशान और देर मत कर…”

जीशान-कहाँ? 

रज़िया हाथ में लण्ड पकड़कर चूत के मुहाने पर लगा देती है-“ यहाँ न्न…” 

जीशान जोर से धक्का लगाता है। 

रज़िया-“आह्ह… मर गई र ईई… इतने जोर से पहला धक्का ना दिया कर आह्ह…” और रज़िया जीशान को अपने ऊपर खींच लेती है, और दोनों टाँगे उसकी कमर से लपेट लेती है-“आह्ह… ऐसे ही एक बार मेरी अनुम को भी मेरे ऊपर नंगी लेटाकर कब चोदोगे? आह्ह…” 

जीशान-ऐसे? 

रज़िया-“हाँ। मैं अनुम को अपने ऊपर नंगी लेकर तुमसे अपनी चूत और मेरी अनुम की चूत मरवाना चाहती हूँ । मेरी ये ख्वाहिश जल्दी पूरे कर दो जीशान आह्ह…” 

जीशान के धक्के अनुम का नाम सुनकर बढ़ जाते हैं, और रज़िया समझ जाती है कि जीशान की चार्जिंग कैसे करनी है।
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