Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:40 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान रूबी की आँखों में देखने लगता है और रूबी की आँखों में उतरी हुई हवस उसे लण्ड पकड़ने पे मजबूर कर देती है। जीशान खुद को आगे सरकाता है, जिससे उसका लण्ड सीधा रूबी के मुँह के पास आ जाता है। रूबी जीशान का इशारा समझ जाती है। आँखों आँखों में कही गई ये बात हकीकत का रूप ले लेती है। जीशान अपना पैंट खोलकर जैसे ही नीचे गिराता है, रूबी जीशान के लण्ड को चूमती हुई उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

जीशान झुक के रूबी की चूत पे अपने होंठ रख देता है और दोनों एक दूसरे को चाटने लगते हैं। 

रूबी-“अह्ह… जीशान उम्ह्हने्… गलप्प्प गलप्प्प…” 

जीशान अपनी पहले कुँवारी चूत को खोलने की बात से बहुत खुश था। अब तक उसे खुली हुई चूत ही नसीब हुई थी। आज पहली बार वो ‘वो’ करने वाला था जो उसके अब्बू अमन ख़ान करते आए थे। दोनों तेल में तर-बतर हो चुके थे। दोनों से एक पल भी अकेले गुजारना मुश्किल था। 

जीशान रूबी को लेटा देता है और अपने लण्ड को जैसे ही उसकी चूत के मुँह पे लगाता है, रूबी उसके लण्ड को अपनी चूत से हटा देती है-“नहीं जीशान वहाँ नहीं यहाँ…” वो जीशान के लण्ड को पकड़कर अपनी गाण्ड के सुराख पे लगा देती है। 

जीशान-क्यूँ ? 

रूबी-“अभी वो वक्त नहीं आया कि मैं लड़की से औरत बन जाऊूँ? यहाँ डालो मेरी गाण्ड में…” 

जीशान रूबी को उल्टा करके तेल उसकी गाण्ड के सुराख पे लगा देता है और कुछ तेल अपने लण्ड पे भी। वो जानता था कि इसने चूत में नहीं लिया तो गाण्ड में लेते वक्त बहुत चिल्लाएगी। 

रूबी-“अह्ह… डालो ना जीशान शुउउउ…” 

जीशान-“तुम्हें बहुत दर्द होगा रूबी…” 

रूबी-“मैं बर्दाश्त कर लूँगी। तुम बस डाल दो अंदर…” 

जीशान के लण्ड का सुपाड़ा पतला था और बाकी हिस्सा मोटा, बिल्कुल अमन के लण्ड की तरह। वो अपने लण्ड का सुपाड़ा रूबी की गाण्ड में फँसा देता है। उतने दर्द में ही रूबी की आँखों में आँसू निकल आते हैं। जीशान पूछता है-नहीं करूँ रूबी? 

रूबी-“अह्ह… करो ना डाल दो। मैं नहीं चीखूँगी, तुम रुको मत अब अह्ह… डाल दो अंदर तक्क…” 

जीशान दोनों चूत ड़ों को पकड़कर अपने लण्ड को रूबी की गाण्ड में डालते चला जाता है। रूबी अपने मुँह पर तौलिया डालकर अपनी चीख को दबाने लगती है। मगर आँसू उसकी आँखों से लगातार बहने लगते हैं। जीशान आख़िरी कील भी ताबूत में ठोंक देता है। 

उसके आख़िरी धक्के से उसका पूरा का पूरा लण्ड रूबी कि गाण्ड में चला जाता है और रूबी नीचे ननढाल सी गिर जाती है। वो ना कुछ बोल रही थी और ना चीख रही थी, बस जोर-जोर से साँसे लेने लगती है। जीशान जानता था कि उसे कैसे होश में लाना है। वो उसके ऊपर लेट जाता है और अपनी कमर को आगे पीछे करने लगता है। 

रूबी-“अह्ह… अम्मी जी अह्ह…” 

जीशान-“तूने ऐसा क्यों किया रूबी? उम्ह्ह… अह्ह…” 

रूबी-“अह्ह… मुझे करते जाओ जीशान , रुको मत अह्ह… जैसे अम्मी को करते हो वैसे ह करो मुझे भी अह्ह…” 

जीशान को हैरानी होती है कि रूबी सब जानती है उसके और उसकी अम्मी के बारे में। पूछा -“तो क्या… तुम्हें सब पता है?” 

रूबी-“हाँने् मुझे पता है कि मेरा बायफ्रेंड मेरी ह अम्मी को चोद चुका है अह्ह…” 

जीशान-“ओह्ह… साली , तू तो तेरी अम्मी से भी बड़ी कमीनी निकल अह्ह…” 

रूबी-“हाँने् मेरी चूत उसी दिन से तुम्हें अपने अंदर लेना चाहती थी… अम्मीईई जीईई आराम से ना… अम्मी की बात सुनकर मेरी गाण्ड मत फाड़ देना अह्ह…” 

जीशान-“तुझे तो तेरी अम्मी के सामने करूँगा मैं नंगा रुबी आह्ह…” 

रूबी-“मैं भी यही चाहती हूँ जीशान कि तुम… मुझे मेरी अम्मी के सामने नंगा करके चोदो… बोलो करोगे ना? अह्ह… इससे भी ज्यादा जोर से उनकी आँखों के सामने अह्ह…” 

जीशान-“हाँ रूबी। तेरी चूत अब तेरी अम्मी के सामने ही खुलेगी, चाहे इसके लिए वो मुझे जेल में है क्यों ना डाल दें अह्ह…” 

रूबी-“अह्ह… नहीं डालेंगी, बल्की तुम्हारा अपनी चूत में डालेंगी। मुझे पता है कि मेरी अम्मी कितनी बड़ी अह्ह… मेरी गाण्ड फट जाएगी ना जीशान…” 


वो रूबी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर जीशान इतने जोश में आ चुका था कि वो ये भूल गया था कि वो जिसे मार रहा है वो चूत नहीं गाण्ड है… वो भी कुँवारी गाण्ड। जब वो नीचे देखता है तो हैरान रह जाता है। रूबी की गाण्ड सच में फट चुकी थी और उससे थोड़ा-थोड़ा खून भी बाहर निकलने लगा था। 

मगर जीशान और रूबी का जोश कम नहीं हुआ था। जहाँ रूबी अपनी अम्मी के सामने जीशान से चुदवाने के सपने भी देखने लगी थी, वहीं अब जीशान अपने पुराने अंदाज में वापस आ गया था। उसे भी घर जाकर सबसे पहले शीबा की चूत ठोंकने का दिल कर रहा था। 

तकरीबन 20 मिनट तक रूबी की लगातार गाण्ड मारने के बाद जब जीशान अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर निकालता है तो उसके लण्ड पे बहुत सारा खून लगा हुआ था और खून के साथ-साथ जीशान का गाढ़ा गाढ़ा पानी जो उसने अंदर ही छोड़ दिया था, रूबी की गाण्ड से बहता हुआ बाहर गिरने लगता है। उस रात जीशान रूबी को और कुछ नहीं करता, क्योंकी रूबी बात करने की हालत में भी नहीं रही थी । 

जीशान अपने कमरे में जाकर सो जाता है। 

सुबह सभी अपने-अपने बैग पैक करके बस के पास जमा हो जाते हैं। जीशान के पास लुबना खड़ी थी। कुछ देर बाद रूबी लगड़ाते हुये उनके पास आती है। जीशान आँखों ही आँखों में उससे ख़ैरियत पूछता है तो रूबी बुरी तरह शरमा जाती है। 

जीशान पानी की बोतल लेने चला जाता है और सभी बस में चढ़ जाते हैं। रूबी जीशान के लिए अपने पास एक सीट वाली रखती है। जैसे ही जीशान बस में चढ़ता है उसे लुबना आवाज़ देकर अपने पास बैठने के लिए बुला लेती है और उसे मजबूर न उसके पास जाकर बैठना पड़ता है। 

लुबना-“बड़ा उतरा-उतरा सा चेहरा नजर आ रहा है जनाब का। कहीं वहाँ बैठने का इरादा तो नहीं था आपका?” 

जीशान-“चुप कर… सर दर्द कर रहा है मेरा…” 

लुबना-“कहो तो दबा दूँ जनाब…” 

जीशान उसे घुरकर रह जाता है। वैसे भी बस में कोई सीन क्रियेट नहीं करना चाहता था। बस और मुसाफिर अपने-अपने आशियानों की तरफ बढ़ जाते हैं। 

जीशान और लुबना थका देने वाले सफर के बाद आखिरकार अमन विला पहुँच जाते हैं। जैसे ही जीशान और लुबना घर में दाखिल होते हैं। सबसे पहली नझर उन दोनों की अमन पे पड़ती है जो उस वक्त हाल में बैठा पेपर पढ़ रहा था। 

जीशान-अब्बू आप आ गये? 

लुबना भी अमन को देख खुश हो जाती है। अमन दोनों को अपने सीने से लगा लेता है-“अरे भई मैं तो कब का घर आ चुका हूँ । यहाँ आया तो पता चला घर की रौनक है घर से समर कैम्प चले गई है। कैसा रहा तुम्हारा समर कैम्प का ट्रिप? 

जीशान-“क्या अब्बू , अम्मी ने छिपकली साथ चिपका दिया था। कहाँ से अच्छा जाता?” 

लुबना-“अच्छा छिपकली … बताऊँ अब्बू को आपके कारनामे?” 

जीशान लुबना को आँखें दिखाता है। 

अमन-“अरे बस बस तुम दोनों आते ही शुरू हो गये…” 

रज़िया और अनुम दोनों हाल में से आती आवाज़ सुनकर बाहर चले आते हैं। 

रज़िया-“जीशान , लुबना मेरे बच्चों तुम आ गये?” 

दोनों अपनी दादी से मिलते हैं। 

लुबना अनुम को गले मिलकर वहाँ की बातें करने लगती है कि उसने वहाँ क्या किया, क्या-क्या देखा। मगर अनुम की निगाहें तो जीशान पे टिकी हुई थीं। जीशान अनुम से नहीं मिला था, ना उसने उसे सलाम किया था। जिससे अनुम का दिल रुआंसा सा हो गया था। आखिरकार जीशान उसका अपना खून था और उसे देखने के लिए तो वो उस दिन से बेचैन हो रही थी जिस दिन से वो समर कैम्प गया था।
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