Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:20 PM,
#74
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
***** *****सुबह 8:00 बजे-

अमन फ्रेश होकर सीधा रज़िया के रूम में चला जाता है। रज़िया अभी-अभी नहाकर बाथरूम से निकल थी और आईने के सामने खड़ी बाल सुखा रही थी। अमन पीछे से जाकर रज़िया को बाहो में जकड़ लेता है। 

रज़िया-“उऊचह ओह्ह… तुम हो? रात में कहाँ गायब थे जनाब? हम तो तरसते ही रह गये…” 

अमन रज़िया को अपनी तरफ मोड़ते हुये उसके होंठों पे किस कर देता है-“गुड मॉर्निंग मेरी जान, शीबा ने ऐसा पकड़ा की रूम से निकलने ही नहीं दिया, और थकान भी बहुत थी इसलिये…” 

रज़िया-“ह्म्म्म्म… कोई बात नहीं । शीबा का भी तुम पे उतना ही हक है जितना मेरा और अनुम का…” 

अमन-“पर मैं जिससे सबसे ज्यादा मोहब्बत करता हूँ वो तुम हो, उसके बाद अनुम, तुम दोनों की जगह मेरे दिल में इतनी है की तीसरे की जगह बनते ही नहीं है। अगर नाना जान मरते वक्त शीबा से मेरा रिश्ता नहीं करवाते तो मैं कभी उससे शादी नहीं करता… कोई कुछ भी कहे, पर तुम दोनों की जगह कोई तीसरा नहीं … कभी नहीं …” 

रज़िया अपने अमन की बातें सुनकर उसपे निहाल हो जाती है और दोनों एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले सुबह की मीठी-मीठी सलाइवा की चुस्कियाँ लेने लगते हैं। 

शीबा बाहर खड़ी ये सब तमाशा देख रही थी और दिल ही दिल में रज़िया को जान से मार देने तक पहुँच गई थी। वो पैर पटकते हुई जीशान के रूम के सामने से गुजरती है कि तभी उसकी नजर, अंदर रूम में पड़ती है। जीशान अपने बेड पे बड़े सकून की नींद सो रहा था। उसके चेहरे पे मासूमियत और भोलापन साफ नजर आता था। 

शीबा कुछ सोचते हुये उसके रूम में कमर हिलाती हुई घुस जाती है। जीशान के चेहरे पे हाथ फेरते हुये शीबा की नजर उसकी जाँघो के बीच पे पड़ती है, जहाँ कुछ उभार सा दिखाई दे रहा था। बेडशीट होने की वजह से जीशान का लण्ड उसे साफ-साफ नजर नहीं आ रहा था। वो जीशान के चेहरे पे झुकती है कि तभी जीशान नींद से जाग जाता है और अपने इतने करीब शीबा को इस हालत में देखकर थोड़ा सहम सा जाता है। 

जीशान-“अरे अम्मी आप?” 

शीबा-“उठो भी बेटा, कितना सोओगे? चलो फ्रेश हो जाओ…” 

जीशान-ओके अम्मी। 

शीबा उठकर बाहर जाने ही वाली थी कि उसे अनुम दरवाजे के पीछे छुपी हुई नजर आती है। 

अनुम भी जीशान को उठाने के लिए उसके रूम में आई थी, पर शीबा को वहाँ देखकर वो दरवाजे के पास ही रुक गई थी। 

शीबा का शैतानी दिमाग़ कुछ सोचता है और वो वापस पलटकर बेड पे बैठ जाती है। 

जीशान-क्या हुआ अम्मी, आप ठीक तो हैं ना? 

शीबा-नहीं बेटा, कल रात से सर बहुत दर्द कर रहा है चक्कर से आ रहे हैं। 

जीशान घबराकर शीबा के पास आ जाता है और उसके बगल में बैठाकर उसे सहारा देता है-“आपने डाक्टर को बताया?” 

शीबा-“नहीं , मैं ठीक हूँ जीशान बेटा तुम परेशान मत हो…” 

जीशान-“कैसी बात कर रही हैं आप अम्मी? परेशानी की क्या बात है, आप चलिए मैं डाक्टर को फोन करके बुलाता हूँ …” 

शीबा-“नहीं नहीं जीशान, मैं ठीक हूँ …” और ये कहते हुये वो जीशान के सीने से लिपट जाती है-“कितना ख्याल रखता है मेरा बेटा, तू अपनी अम्मी का?” 

जीशान-“मैं आपका ख्याल नहीं रखूँगा तो कौन रखेगा अम्मी? 

शीबा नजरें उठाकर जीशान की तरफ देखती है और उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लेती है। 

जीशान के लिए ये बात एकदम नई थी। वो तो सोच भी नहीं सकता था कि शीबा, उसकी अम्मी ऐसी कोई हरकत भी कर सकती है। 

कुछ देर बाद शीबा अपने होंठ जीशान के होंठों से अलग करके खड़ी हो जाती है-“ओह्ह… मुझे माफ कर दो बेटा पता नहीं ये सब… आई एम सो सारी …” और वो रूम से बाहर निकल जाती है। 

जीशान हैरतजदा सा उसे जाता देखता रह जाता है, और फिर फ्रेश होने बाथरूम में चला जाता है। 

जब शीबा जीशान के रूम से निकलकर अपने रूम में जाती है तो अनुम उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचती है-“क्या हरकत कर रही थी तुम जीशान के रूम में?” 

शीबा-“कुछ भी तो नहीं …” उसके चेहरे पे कातिल मुस्कान थी। 

और अनुम की आँखें शोला बनी हुई थीं-“सच-सच बता दो, वरना अच्छा नहीं होगा शीबा?” 

शीबा आगे बढ़ती है और अनुम के रसीले होंठों को चूम लेती है। कुछ पलों के लिए अनुम की आँखें बंद हो जाती हैं और वो पता नहीं किस दुनियाँ में खो जाती है। पर अगले ही पल वो शीबा को पीछे धकेल देती है। 

शीबा-“ये हरकत कर रही थी मैं, अब पता चल गया?” 

अनुम-“तुम्हारी ये जलील हरकत मैं अभी अमन को बताने वाली हूँ …” 

शीबा-“ओके जाओ, तो मैं भी जीशान से कह देती हूँ की तुम्हारी फुफु ने क्या-क्या गुल खिलाए हैं अपने भाई अमन के साथ और उसी का नतीजा जीशान और लुबना की शक्ल में हमारे सामने है…” 

अनुम सहम जाती है-“तुम ऐसा कुछ नहीं कहोगी जीशान से…” 

शीबा-“एक शर्त पे कि तुम अपनी ये नाक मेरे और जीशान के बीच में अड़ाना बंद कर दोगी। मैं जीशान के साथ कुछ भी करूँ, तुम चुपचाप सब देखोगी और अगर तुमने अपनी चोंच खोलने के कोशिश भी की ना अनुम बेगम तो मैं अपना ये बड़ा सा मुँह खोल दूँगी , सारी दुनियाँ के सामने…” 

अनुम उसे कुछ कहने वाली थी कि उन्हें अमन उनकी तरफ आता हुआ नजर आता है वो दोनों चुप हो जाती है। 

जीशान तैयार होकर कालेज जाने के लिए पोर्च के नीचे खड़ा था। उसे इंतजार था लुबना का और लुबना हमेशा की तरह तैयार हो रही थी। जीशान हॉर्न पे हॉर्न बजा रहा था कि तभी लुबना अपना छोटा सा कालेज बैग लिए वहाँ आती है। 
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