Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
05-18-2019, 01:36 PM,
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
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१७० 
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जब हम दोनों को होश सा आया तो बड़े मामू सुशी बुआ के गोरे नितम्बों को चाट कर साफ़ कर रहे थे। छोटे मामू ने भी में मेरे चूतड़ों को अपने थूक से चमका दिया थे और अब मेरी सूजी लाल गांड के ढीले छल्ले के अंदर अपनी जीभ को डाल कर मेरी गांड के मथे मक्खन को तलाश रहे थे। 
सुशी बुआ ने अपने पति, मेरे छोटे मामू से कहा ,"अरे सुनिए तो। मुझे तो चखा दो मेरे प्यारी भांजी की गांड के रस को। "
छोटे मामू ने मेरी गांड के रस से लिसे लंड को सौंप दिया अपनी अर्धांगिनी के मुँह के ऊपर और मुझे मिल गया सुशी बुआ के मीठी गांड के मक्खन से लिसे बड़े मामू का लंड। हम दोनों तो स्वर्ग में थी। सुशी बुआ की गांड के रस ने मेरी लार टपका दी। हम दोनों ने दिल लगा कर दोनों लंडों को चूम चाट कर चमका दिया। 
लेकिन हम दोनों के प्यार ने दोनों लंडों को लौहे के तने जैसा तन्ना दिया ,दोनों मामा तैयार थे अपने फौलादी अमानवीय आकार के लंड हांथो में लिए। 
"छोटू चल अब जैसा अंजनी और सुन्नी के साथ किया था, कब तेरी भाभी अपने मायके गयी थी, वो पोजीशन बना दे इस बार," सुशी बुआ की आँखें चकने लगीं। मैं भी वासना की बिजली से मचल उठी। मेरी मम्मी और भाभी को मेरे दोनों मामाओं ने किसी ख़ास अंदाज़ में चोदा थे। 
छोटे मामू दिवान पे लेट गए और सुशी बुआ की विशाल गांड के चूतड़ उनके मुँह के ऊपर थे। बड़े मामू ने मेरी चूत को अपने छोटे भाई से लंड के ऊपर टिका दिया। जैसे तैसे मैंने छोटे मामू का पूरा लंड ले लिया अपनी चूत में। फिर मेरी तौबा बुलवाई बड़े मामू ने। मेरी गांड में उनका लंड मुश्किल से घुस पा रहा था। जैसे ही उनका सुपाड़ा अंदर घुस तो समझिये किला फतह हो गया। बड़े मामू ने मेरे गदराये चूतड़ों को कस के जकड़ कर पांच छह धक्कों में अपना लंड पुअर का पुअर जड़ तक ठूंस दिया मेरी नन्ही षोडसी गांड में। बड़े मामू ने मेरा मुँह दबा दिया थे बुआ की फैली गांड के ऊपर। मेरी चीखें ज़रूए बुआ की गांड के ऊपर गुदगुदी दे रहीं होंगी। 
फिर दौड़ने मामाओं ने पांच दस मिनटों में ले से बाँध ली मेरी दोहरी चुदाई की। अब आया वो मौका जिसको मैं हमेशा याद रखुंगीं। बड़े मामू ने मेरे हाथ को सुशी बुआ की घने झांटों से ढकी छूट के ऊपर टिका दिया बाकि काम मेरी कल्पना ने कर दिया। 
मैंने अपनी गांड और चूत की एक साथ दर्दीली चुदाई के दर्द को बुआ की चूत के साथ बांटने ने निश्चय कर लिया। हाथ की नोक बना कर मैंने सुशी बुआ की चूत चोदने लगी। धीरे धीरे उनकी सिसकियाँ निकलने लगीं। मैंने मौका देख कर कलाई तक ठूंस दिया अपना हाथ सुशी बुआ की चूत में। सुशी बुआ दर्द से बिबिला उठीं ,"मार देगी नेहा अपनी बुआ को। धीरे धीरे चोद तेरी माँ की तरह इस चूत में से तेरे तरह की रंडी भांजी नहीं निकली है अभी तक। "
छोटे मामू के मज़बूत फावड़े जैसे हाथों में बुआ को हिलने डुलने नहीं दिया। मैंने बुआ के कुंवारे गर्भाशय की ग्रीवा को महसूस किया। मैंने एक एक कर अपनी उँगलियों से बुआ के गर्भाशय के ग्रीवा उर्फ़ र्सर्विक्स के द्वार को खोलने लगी। जैसे ही मुझे लगा की मेरी पाँचों उँगलियों की नोक उनके गर्भाशय के नन्हे द्वार में फंस गयीं है। मैंने बेदर्दी से अपना हाथ पाँचों उँगलियों के पोरों तक ठूंस दिया। बुआ की चीख गूँज उठी कमरे में। दर्द से बिलबिलाती बुआ ने गुहार लगायी, "मर गयी बेटी धीरे धीरे मार अपनी बुआ की चूत मुट्ठी से। "
मैंने बुआ की गुहार को अनदेखा कर अपनी उंगलयों को घुमा घुमा कर बुआ के गर्भाशय के द्वार को चौड़ाने लगी।जब मुझे लगा की बुआ की चीखें सिसकारियों में बदल गयीं हैं। तभी मैंने पूरे ज़ोर से ठूंस दिया अपना पूरा हाथ बुआ के गर्भाशय में। बुआ तपड़ उठी दर्द से जैसे किसी ने उन्हें बिजली के जीवित तार से छु दिया हो। 
मेरा हाथ और कलाई अब बुआ की चूत में थे। मैंने धीरे धीरे बस के गर्भाशय की चुदाई शुरू कर दी। मेरे निर्मम मुट्ठ-चुदाई से बुआ की कोमल चूत और गर्भाशय के दीवारों से खून निकल गया था। पर अब अचानक बुआ कल्पने लगीं वासना के ज्वर से , "चोद दे अपनी बुआ की चूत नेहा बेटी। फाड़ दाल अपनी बुआ के बंजर गर्भ को। हाय मैं झड़ने लगीं हूँ। और जोर से नेहा आ आ आ आ आ। "
कमरे में अब भीषण चुदाई का माहौल बन गया। मैं अब पागलों की तरह निर्मम धक्कों से बुआ की चूत और गर्भाशय को कोहनी तक हाथ ठूंस कर चोद रही थी। मेरे दोनों मामा भी उतनी ही बेदर्दी से मेरी चूत और गांड चोद रहे थे। पता नहीं कब तक चला इस चुदाई सिलसिला। डेढ़ घंटे बाद बुआ और मैं बेहोशी के आलम में दोनों मामाओं के गरम वीर्य को सटक रहीं थीं। 
बुआ की चूत में से टपकते खून की बूंदो को चाट कर साफ़ कर दिया मैंने। 
फिर बुआ ने सुनहरी शर्बत माँगा अपने पति और जेठ से। दोनों ने बारी बारी से अपना सुनहरी गर्म शर्बत आधा आधा बाँटा हम दोनों के बीच में। हमारी संतुष्टि के बाद बुआ और मैंने भी दोनों मामाओं को अपन्ना सुनहरी शर्बत ईमानदारी से आधा आधा बाँट कर पिलाया। उस रात कितनी ही मुद्राओं में चोदा बड़े और छोटे मामू ने मुझे और बुआ को। सुबह जब मैं उठी तो बहुत देर हो गयी थी। 
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