RE: non veg kahani नंदोई के साथ
मैंने अपनी टाँगें ऊपर हवा में उठा दिए और फिर उन टाँगों को सख्ती से उस आदमी की कमर के इर्द-गिर्द लप्पेट दिया। अब वो मेरी योनि पर जोर-जोर से धक्के नहीं मार पा रहा था। मेरे मुँह से उत्तेजना भारी चीखें निकलने लगी।
मैं- “आआअहह... माआआ...” जैसी आवाजें निकालने लगी।
मैंने शादी के लिए संवारे अपने लंबे लंबे नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए और अपने दांतो से उस आदमी के कंधे को बुरी तरह से काट खाया। मैं उत्तेजना के एकदम शिखर पर थी और फिर एक जोर का रस का रेला बह निकाला। मैं अब जोर-जोर से हाँफने लगी। मुझे अपने ऊपर शर्म आ रही थी की शादी से पहले किसी गैर मर्द की चुदाई में मुझे मजा आ रहा था। जिस योनि को मैंने ताउम्र सम्हाल कर रखा था की इसे अपने होने वाले पति को सुहागरात के दिन गिफ्ट देंगी, उसे कुछ भूखे भेड़िए नोच रहे थे और सबसे बड़ी बात तो ये की इसमें मुझे मजा भी आया और जिंदगी में पहली बार मेरा वीर्यपात भी हुआ। मेरी आँखें नम हो गई और दो मोती आँखों की कोरों से लुढ़क कर बालों में खो गये।
उस आदमी ने अब मुझे उठाकर किसी गुड़िया की तरह उल्टा कर दिया। अब मैं पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसने मेरी कमर के नीचे हाथ डालकर बिस्तर से ऊपर उठाया। मैं अब बिस्तर पर हाथों और पैरों के बल किसी जानवर की तरह झुकी हुई थी। उसने पीछे से मेरी योनि की फांकों को अलग किया और अपनी जीभ से मेरी टपकती योनि को साफ करने में जुट गया। अंदर का सारा माल अपनी जीभ से समेट लेने के बाद उसने मेरी योनि को अंदर तक किसी कपड़े से पोंछ दिया।
उसकी नाक और होंठों से मेरी योनि के अंदर से समेटा या वीर्य टपक रहा था। उसने अपना लिंग भी कपड़े से पोंछ कर वापस मेरी योनि के द्वार पर रखकर एक धक्के में पूरा अंदर कर दिया।
आआअहह माआआ... मैं मर गई...” मेरी योनि और उसका लिंग सूखे होने के कारण ऐसा लगा मानो उसका लिंग मेरी योनि की दीवारों को छीलता हुआ अंदर जा रहा है। दर्द से वापस मेरी आँखें छलक आई और मैं जोर-जोर से चीखने लगी। मुझे दर्द से बिलबिलता देख सारे दरिंदे जोर-जोर से हँसने लगे।
अब आया मजा... क्या तुम लोग टपकती चूत में धक्के मार रहे थे। जब तक नीचे वाली के मुँह से चीखें ना निकले तब तक चुदाई बेकार है। देख-देख कैसे तड़प रही है। आआआ मजा आ गया... राज तूने आज हमारा दिल खुश कर दिया। क्या टाइट माल है। लगता है अपना लण्ड गन्ने की मशीन में डाल दिया हूँ। आज तो ये मेरे लिंग का सारा रस निचोड़ कर ही रहेगी...”
राज अब उठा और घुटनों के बल सरकते हुए मेरे चेहरे के सामने आया। उसका ढीला लिंग मेरे चेहरे से कुछ ही दूर पर लटक रहा था। उसमें अभी कोई हरकत नहीं थी। उसपर लगा रस अब सूख कर पपड़ी का रूप ले लिया था।
“ले इसे चूसकर खड़ा कर...” कहकर राज ने अपने ढीले पड़े लिंग को मेरे मुँह में ढूंस दिया। उसमें से अब हम दोनों के वीर्य के अलावा मेरे खून का भी टेस्ट आ रहा था। उसे मैं चूसने लगी। धीरे-धीरे उसका लिंग वापस तन गया। और तेज-तेज मेरा मुख-मैथुन करने लगा।
देख राज... देख तेरी होने वाली सलहज के चूचे कैसे झूल रहे हैं हवा में। मानो आँधी के बीच सेव के पेड़ पर सेव झूल रहे हों.." तीसरे आदमी ने हँसते हुए मेरे लटकते हुए स्तनों को मसला।
अबे इन सेवों से जूस निकालने की इच्छा है क्या...” राज भी उसकी हरकतों पर हँस पड़ा। राज मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़कर अपने लिंग से तेज-तेज धक्के देने लगा।
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