RE: Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ
अब वो आगे आगे, और मैं पीछे-पीछे उसकी निक्कर को हाथ में लेकर सूंघते हुए चल रहा था, उसकी जांघों और योनि की गन्ध उस निक्कर में रमी हुई थी। कपड़ों के नाम पर रीटा के गले में उसका टाप एक घेरा सा बनाए पड़ा था। निक्कर मेरे हाथ में थी, ब्रा-पैन्टी पहनना शायद उसे भाता नहीं था। अन्दर ड्राइंग रूम में जाकर रीटा ने ए॰सी॰ और सारी बत्तियां जला दी, तो पूरा कमरा रोशनी से नहा गया। और जैसे ही रीटा बत्तियां जलाकर मेरी तरफ घूमी, उसने अपने गले से वो टाप निकालकर मेरे मुँह पर फ़ेंक दिया।
लेकिन मेरी नजर तो उसकी नाभि पर थी, उसमें उसने एक बाली पहनी हुई थी। उसके बाद मेरी निगाहें सरक कर नीचे गई तो देखा योनि ने घने सुनहरे-भूरे बालों का घूंघट ओऔढ़ा हुआ था।
रीटा ने मेरी तरफ अपनी बाहें फैलाते हुए कहा- “आओ ना पापा। मुझे अपने होंठों से पागल करो ना…” कहकर रीटा अपने होंठों पर जीभ फिरा रही थी, और उसके गीले होंठ मुझे निमंत्रण दे रहे थे।
मैंने उसके गालों को अपनी हथेलियों में पकड़कर उसकी गहरी आँखों में झांका और अपने होंठ उसके होंठों पर हल्के से रगड़ दिये।
उसके मुख से सिसकारी फूटी- “पापा, और करो प्लीज…”
मैं- “जानू… अब तुम्हारी बारी है…” मैं उसके नंगे चूतड़ों को अपने हाथों में सहेजते हुए फुसफुसाया।
रीटा- “पापा… प्लीज आप करो ना… प्लीज पापा करो…” वो एक छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए बोली- “जन्नत का मजा तो आप ही मुझे देंगे ना पापा?”
मैं- “ओह्ह… ठीक है। मेरे सिर को अपने हाथों में थाम लो रीटा…
बिना एक भी शब्द बोले उसने मेरा सिर पकड़कर अपने चेहरे पर झुका लिया। हमारे होंठों ने एक दूसरे को छुआ और मैं उसे अपने होंठों से सताने लगा।
रीटा का पूरा बदन कांप रहा था और उसके मुख से कामुक सीत्कारें निकल रही थीं, और तभी अचानक एकदम से उसने मेरे होंठों को चाकलेट की तरह चूसना-खाना शुरू कर दिया।
रीटा की इस हरकत ने मुझे भी पागल सा कर दिया, मैंने उसके चूतड़ों के नीचे अपने दोनों हाथ लेजाकर उसे ऊपर को उठाया तो उसने अपनी टांगें मेरे कूल्हों के पीछे जकड़ लीं। इससे उसके चूतड़ों के बीच की दरार चौड़ी हो गई और मेरी मध्यमा उंगली उसकी गाण्ड के छेद को कुरेदने लगी। लड़की मेरे बदन पर सांप की तरह लहरा कर रह गई और मेरी उंगली उसके कसे छेद को भेदते हुए लगभग एक इंच तक अन्दर घुस गई।
रीटा हांफ रही थी- “ऊह्ह… पापा… उह्ह पा… आह्ह… ना…”
मुझे याद नहीं हम कितनी देर तक इस हालत में रहे होंगे कि तभी उसका मोबाइल घनघना उठा। और इस आवाज से हमारे प्यार के रंग में भंग हो गया। उसने एक हल्के से झटके के साथ अपनी टांगें मेरी कमर से नीचे उतारी और बोली- “पापा, जरा उंगली निकालो, मैं फोन देख लूँ…”
जैसे ही मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड से निकाली उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी नाक तक लेजाकर मेरी उंगली सूंघने लगी। उसने पीछे हटकर फोन उठाकर देखा तो उसके पति यानि मेरे बेटे रमेश का फोन
था।
मैंने रीटा की आँखों में देखा तो वो शर्म के मारे मुझसे नजरें चुराने लगी। मैं उसके पास गया और रीटा से सटकर फोन पर अपना कान लगा दिया।
रमेश उससे पूछ रहा था- सुबह क्या-क्या किया?
रीटा ने भी अभी आखिर की कुछ घटनाओं को छोड़कर उसे सब बता दिया।
रमेश ने पूछा कि वो हांफ क्यों रही है?
तो रीटा ने बताया कि वो नीचे थी और फोन ऊपर, फोन की घंटी सुनकर वो भागकर ऊपर आई तो उसकी सांस फूल गई।
सच में मेरी पुत्र-वधू काफी चतुर है। मैंने मन ही मन भगवान को इसके लिये धन्यवाद किया। मैं अपने बीते अनुभवों से जानता था कि गर्म लोहे पर चोट करने का कितना फायदा होता है। मेरे बेटे का फोन बहुत गलत समय पर आया था, बिल्कुल उस समय जब मैं अपनी बहू की योनि तक पहुँच ही रहा था और वो भी मेरी हरकतों का माकूल जवाब दे रही थी। अगर रमेश का फोन बीस मिनट भी बाद में आया होता तो मेरी बहू अपने ससुर के अनुभवी लौड़े का पूरा मजा ले रही होती। लेकिन शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं था। मैं फोन पर कान लगाए सुन रहा था।
मेरे बेट-बहू लगातार फोन पर ‘लव यू’ कह रहे थे और चुम्बनों का आदान प्रदान कर रहे थे।
और मुझे महसूस हो रहा था कि जितनी देर फोन पर मेरे बेटे बहू की यह रासलीला चलती रहेगी, मेरे लण्ड और मेरी बहू रीटा की चूत के बीच की दूरी बढ़ती जाएगी। और शायद रमेश को बातचीत खत्म करने की कोई जल्दी भी नहीं थी। मुझे आज मिले इस अनमोल अवसर को मैं व्यर्थ ही नहीं गंवा देना चाहता था, तो मैंने अपनी बहू को उसके पीछे आकर अपनी बाहों में जकड़ लिया।
रीटा मेरे बेटे के साथ प्यार भरी बातों में मस्त थी और उसने मेरी हरकत पर ज्यादा गौर नहीं किया, वो अपने पति से बिना रुके बातें करती रही, लेकिन उसकी आवाज में एक कंपकंपाहट आ गई थी
“क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?” मेरे बेटे रमेश ने थोड़ी चिन्ता जताते हुए पूछा।
थोड़ा रुकते हुए रीटा ने जवाब दिया- “उंह्ह… हाँ ठीक हूँ… जरा हिचकी आ गई थी…”
मैंने रीटा के जवाब की प्रशंसा में उसके एक उरोज को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए दूसरा हाथ उसके गाल पर फिरा दिया।
रमेश अपनी पत्नी और मेरी बहू रीटा से कुछ इधर-उधर की बातें करने लगा। लेकिन उसे लगा कि रीटा की आवाज में वो जोश नहीं है जो कुछ पल पहले था क्योंकी रीटा ‘हाँ हूँ’ में जवाब दे रही थी और अपने बदन को थिरकाकर, लचकाकर मेरी तरफ देख-देखकर मेरी हरकतों का यथोचित उत्तर दे रही थी।
इससे मुझे यकीन हो गया था कि वो वास्तव में अपने पति के साथ मेरे सामने प्रेम-प्यार की बातें करने में आनन्द अनुभव कर रही थी। जरा सोचकर देखिए जिस लड़की की शादी को अभी दो महीने ही हुए हों वो अपने पति से प्यार भरी बातें करते हुए अपने ससुर के सामने पूर्ण नग्न हो और उसका ससुर उसकी चूचियों से खेल रहा हो।
अब मैं समझ चुका था कि मेरी बहू मुझसे इसके अलावा भी बहुत कुछ पाना चाह रही है, तो मैंने भी और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया। मैंने फोन के माउथपीस पर हाथ रखा और फुसफुसाया- “बात चालू रखना, फोन बंद मत होने देना। ठीक है?”
उसने मेरी तरफ वासनामयी नजरों से देखा और ‘हाँ’ में सर हिलाया। रीटा भी अब खुलकर इस खेल में घुस गई थी।
अब मैं उसके सामने आया और नीचे अपने घुटनों पर बैठकर अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसे अपने पास खींचा और अपने होंठ उसकी योनि लबों पर टिका दिए।
“ओअ अयाह ऊउह…” रीटा के होंठों से प्यास भरी सिसकारी निकली।
मैं सुन नहीं पाया कि उसके पति ने क्या कहा।
लेकिन वो उत्तर में बोली- “ना… नहीं, मैं ठीक हूँ। बस मुझे ऐसा लगा कि मेरी जांघ पर कुछ रेंग रहा था…”
एक बार रमेश ने शायद कुछ कहा जिसके जवाब में रीटा ने कहा- “शायद मेरी पैंटी में कुछ घुस गया है… चींटी या और कुछ? मैं टेनिस लान में घास पर बैठ गई थी तो…”
मेरे बेटा जरूर कुछ गन्दी बात बोला होगा, तभी तो रीटा ने कहा- “धत्त… गंदे कहीं के। अच्छा ठीक है, मैं पैंटी उतारकर अंदर देखती हूँ… तो मैं पांच मिनट बाद फोन करूँ?”
उसने हाँ कहा होगा तभी तो उसके बाद रीटा ने मेरे बेटे को फोन पर एक चुम्मी देकर फोन बन्द कर दिया और फोन को सोफे पर उछालते हुए मुझसे बोली- “पापा…”
मैं खड़ा हो गया और रीटा को अपनी बाहों में ले लिया।
रीटा भी मेरी छाती पर अपना चेहरा टिकाकर मुझे बाहों के घेरे में लेते हुए धीमी आवाज में बोली- “आप बहुत गन्दे हैं पापा…” कहकर उसने अपने कूल्हे आगे की तरफ धकेलकर मेरी पैन्ट के उभार पर अपनी योनि टिका ली थी।
मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला- “हाँ। सही कह रही हो रीटा, मैं असल में बहुत गन्दा हूँ जान। अगर मैं गन्दा ना होता तो अपनी प्यारी बहू रीटा को मजा कैसे दे पाता?”
रीटा मेरी आँखों में झांकते हुए बोली- अगर रमेश को पता लगा तो क्या होगा?
मैंने उसके चूतड़ों को थपथपाते हुए कहा- “तुम बहुत समझदार हो जानम। तुम उसे हमेशा खुश और संतुष्ट रखोगी…” कहकर मैंने उसके होंठों को फिर चूमा, और बोला- “और मैं तुम्हें हमेशा खुश और संतुष्ट रखूँगा…”
रीटा- “मुझे पता है पापा…” कहकर उसने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया, और कहा- “मैं रमेश से फोन पर बात कर रही थी और आप मुझे वहाँ चूम रहे थे। कितने उत्तेजना भरे थे ना वो पल? मैं तो बस ओर्गैस्म तक पहुँचने ही वाली थी…”
मैंने रीटा को सुझाव दिया- “अपना फोन उठाओ और बेडरूम में चलो। वहाँ जाकर आराम से रमेश से फोन पर बातें करना…”
रीटा खिलखिलाते हुए बोली- “मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रही थी पापा…” फिर उसने मेरी आँखों में झान्कते हुए कहा- “पापा, मुझे सुमन मौसी ने बताया था कि आप किसी भी लड़की के मन की बात जान सकते हैं। अब मुझे पता लगा कि मौसी सही कह रही थी…”
हम दोनों खूब हंसे और हँसते-हँसते रीटा ने मेरी पैन्ट के उभार को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए कहा- क्या मैं इस शरारती को देख सकती हूँ?
मैं- “हाँ बिल्कुल, यह तुम्हारा ही तो है…” कहकर मैंने फटाफट अपनी पैंट उतारी।
रीटा ने लपक कर नीचे बैठकर मेरा अन्डरवीयर नीचे खींच दिया। एक झटके से अन्डवीयर उरतने से मेरा सात इन्च लम्बा तने हुये लिंग ने जोर से उठकर सलामी दी, तो वो सामने बैठी रीटा के नाक से जा टकराया। रीटा जैसे घबरा कर पीछे हटी, फिर तुरन्त आगे बढ़कर उसने एक हाथ से मेरे लटकते अण्डकोषों को सम्भाला और बहुत हल्के से अपने होंठ लिंग की नोक पर छुआ दिए।
काफी समय से खड़े लण्ड को गीला तो होना ही था, उसके होंठ छुआने से मेरे लण्ड का लेस उसके होंठों पर लग गया और एक तार सी उसके होंठों और मेरे लण्ड की नोक के बीच बन गई।
रीटा ने दूसरे हाथ से मेरे लण्ड की लम्बाई को पकड़ा और अपने होंठों पर जीभ फिराती हुए बोली- “अम्मांह… बहुत प्यारा है…”
मैं- “जानू, तुम्हें पसन्द आया?” मैं थोड़ा आगे होकर फिर से अपने लण्ड को उसके होंठों पर रखते हुए बोला।
रीटा- “हाँ पापा…” कहते हुए उसने अपनी जीभ मेरे लिंग के अगले मोटे भाग पर फिराई। फिर एक लम्बी सांस भरकर उसे सूँघते हुए बोली- “और इसमें से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है…”
मैंने उसे कन्धों से पकड़कर उठाया और कहा- चलो बिस्तर पर चलते हैं।
रीटा- “एक मिनट…” रीटा ने मेरी शर्ट ऊपर उठाकर उतार दी, फिर मेरे लण्ड को पकड़कर मुझे बिस्तर की तरफ खींचते हुए बोली- “अब चलो…”
अब हम दोनों बिल्कुल प्राकृतिक अवस्था में थे, मैंने उसके कूल्हे पर एक हाथ रखकर उसे बिस्तर की तरफ धकेलते हुए कहा- चलो।
हम दोनों बिस्तर पर आ गए, रीटा के हाथ में फोन था, वो बिस्तर पर अपनी टाँगें थोड़ी फैलाकर पीठ के बल लेट गई और अपनी जांघों के बीच में उंगली से इशारा करते हुए मुझसे बोली- “पापा, थोड़ा चाटो ना प्लीज…”
मैंने अपना चेहरा उसकी चिकनी जाँघों के बीच में टिका लिया और अपने होंठों में उसकी झाँटे दबाकर खींचने लगा।
रीटा- “ओह्ह… पापा, आप बाद में खेल लेना, मेरी… गीली हो रही है, एक बार मेरे अन्दर से चाट लीजिए…”
मैं थोड़ा सीधा हुआ और अपनी उंगलियों से बालों के जंगल में उसकी योनि के लबों को खोजने लगा, कहा- “तुम इन्हें साफ क्यों नहीं करती रीटा?”
रीटा- “रमेश को ऐसे ही पसंद है ना…”
मैंने रीटा को जांघों से पकड़कर ऊँचा उठाया तो उसकी योनि मेरे होंठों के पास थी और वो खुद अपने कन्धों के ऊपर टिकी हुई थी, उसका सिर और कन्धे बिस्तर पर शेष बदन मेरी बाहों में मेरे ऊपर था। मैंने अपने दोनों अंगूठों और दो साथ वाली उंगगियों से उसकी योनि के लबों को अलग-अलग किया तो अन्दर गुलाबी भूरी पंखुड़ियां कामरस से भीग कर आपस में चिपक गई थी। मैंने अपनी जीभ से उनपर लगे रस को चाटा और उनकी चिपकन हटाकर जीभ अन्दर घुसा दी। मेरी जीभ एक इन्च से ज्यादा अन्दर चली गई थी।
रीटा के मुख से निकला- “पापा… ओ पापा… आपका जवाब नहीं अम्मंअह…”
मेरी बहू रीटा के बदन और योनि की मिली-जुली गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी।
तभी रीटा ने रमेश का नम्बर मिला दिया। रमेश ने एकदम से फोन उठाया, जैसे वो रीटा के फोन का ही इन्तजार कर रहा था, वो भी अपनी पत्नी से काम-वार्ता को उत्सुक लग रहा था। मेरी चतुर बहू ने फोन का लाउडस्पीकर आन कर दिया ताकि मैं भी उन दोनों की पूरी बात सुन सकूँ।
रमेश ने पूछा- बताओ कि क्या हुआ था?
रीटा हँसते हुए बोली- वही हुआ था जानू। मेरी पैंटी में चींटी घुस गई थी, वो तो शुक्र है कि काली वाली थी, अगर कहीं लाल चीटी होती तो पता नहीं मेरा क्या हाल होता?
रमेश- “तुम्हारा या तुम्हारी चूत का?” मेरे बेटे ने पूछा।
रीटा- “हाँ हाँ… चूत का। पता है कि मैंने चीटी को कहाँ से निकाला?”
रमेश- “कहाँ से?”
रीटा- “बिल्कुल क्लिट के ऊपर से…”
रमेश- “ओह्ह… साली चीटी, मेरी घरवाली की चूत का मजा ले रही थी? रीटा… तुमने अच्छी तरह देख तो लिया था ना कि वो चीटी ही थी? कहीं चीटा हुआ तो? और उसने तुम्हें… हाँ… हाँ…”
रीटा- “सुनो रमेश, इस समय मैं बिल्कुल नंगी बिस्तर में लेटी हुई हूँ और उस जगह को रगड़ रही हूँ जहाँ उस चीटी… ना… ना… उस चीटे ने मुझे काटा था…”
रमेश- “ओअह्ह… तो तुम अपने हाथ से अपनी क्लिट मसल रही हो? अपनी फुद्दी में उंगली कर रही हो?”
रीटा- “हाँ मेरे यार… अगर तुम होते तो उंगली की जगह तुम्हारा लौड़ा होता, और तुम्हारा लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटा रहा होता…” मेरी चालू बहू ने कहा- “लेकिन अभी तो मुझे सिर्फ़ उंगली से ही गुजारा करना पड़ेगा…”
रमेश- “और वो डिल्डो कब काम आएगा जो हमने पेरिस में खरीदा था? तुम उसे इश्तेमाल करो ना…” मेरे बेटे ने सुझाव दिया।
रीटा- “अरे हाँ… वो तो मैं भूल ही गई थी। अभी निकालती हूँ उसे…” रीटा ने मुश्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर फोन के माइक को हाथ से ढकते हुए मुझसे फुसफुसाई- “आप ही मेरे डिल्डो हो आज। घुसा दो अपना डिल्डो मेरे अन्दर। मैं आपके बेटे से कहूँगी कि मैंने डिल्डो ले लिया अपने अन्दर…” कहकर मेरी समझदार बहू ने कनखियों से मुझे देखा और फिर कुछ देर बाद फोन में बोली- “हाँ जानू, ले आई मैं। डाल लूँ अन्दर?”
रमेश- “हाँ… हाँ… घुसा ले ना। पूरा बाड़ना…”
रीटा ने मुझे इशारा किया कि अब घुसाना शुरू करो।
रीटा- “लेकिन रमेश, यह तो बहुत बड़ा है। मेरी चूत जरा सी है, यह कैसे पूरा जाएगा अन्दर?” उसने सिसियाते हुए कहा।
रमेश- “अरे चला जाएगा रानी… पूरा जाएगा… तू कोशिश तो कर। बड़ा है तभी तो तुझे असली मजा आएगा ना… घुसाकर देख। सुमन मौसी के पास तो इससे भी बड़ा डिल्डो है। तुमने तो देखा है कि वो कैसे चला जाता है मौसी की चूत में…”
रीटा- “अरे, सुमन मौसी की चूत को तो तुम्हारे पापा ने चोद-चोदकर फुद्दा बना रखा है। मौसी बता रही थी ना कि तुम्हारे पापा का तुमसे भी बड़ा है। चलो… फिर भी कोशिश करके देखती हूँ…”
मैं तो रमेश और रीटा का वार्तालाप सुनकर हतप्रभ रह गया। मैं तो खुद को ही चुदाई का महान खिलाड़ी समझ रहा था, पर यहाँ तो सभी एक से बढ़कर एक निकल रहे हैं। लेकिन परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं कुछ ना कह पाया और चुपचाप मैंने बिल्कुल शान्ति से बिना कोई आवाज किए रीटा की जाँघों को फैलाया और अपने लिंगमुण्ड को योनि के मुख पर टिका।
तो रीटा ने लिंगदण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे अपने अन्दर सरकाने का यत्न करने लगी। रीटा की चूत खूब गीली होकर चिकनी हो रही थी, उसने मेरे लिंग के सुपाड़े को अपनी योनि-लबों के बीच में रगड़कर उन्हें फैलाया और मेरे हल्के से दबाव से मेरा सुपाड़ा अन्दर फिसल गया।
रीटा- “अओह… हाँ… आ… अई…” रीटा ने जोर से एक चीख मारी।
उधर से आवाज आई रमेश की- “वाह रीटा… बहुत अच्छे, कितना अन्दर गया?
रीटा- “ऊओह… रमेश, अभी तो बास आगे का मोटा सा नाब ही अन्दर घुसा है… उफ़्फ़् कितना मोटा है यह? तुम्हारे लण्ड से तो डेढ़ गुना मोटा और शायद डेढ़ गुना ही ज्यादा लम्बा है यह…” रीटा मेरी आँखों में झांकते हुए बोली।
और फिर एक बार माइक को हाथ से ढकते हुए फुसफुसाई- “मैं सही कह रही हूँ पापा। आपका सच में रमेश के से ड्योढ़ा तो है ही…”
इस बात से बिल्कुल बेखबर कि उसकी पत्नी उसके पिता के लण्ड की बात कर रही है, रमेश ने उसे और अंदर तक घुसाने के लिये उकसाया- “और अन्दर तक ले ना रीटा। पूरा अन्दर घुसा ले…”
रीटा- “हाँ मेरे राजा हाँ…” रीटा हांफते हुए से बोली और मुझे अपना लण्ड उसकी चूत में और अन्दर घुसाने के लिए इशारा किया।
मैंने अपनी जांघों को एक झटका दिया और मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा मेरी बहू रीटा की चूत के अन्दर था।
रीटा- “ओह्ह माँ… मर गई मैं… पापा जी आह्ह… मम्मा…” रीटा जोर से सीत्कारते हुए असली दर्द से चिल्लाई तो उसके मुँह से पापा निकल गया। और शायद अपनी इस भूल को छिपाने के लिये बाद में मम्मा बोली थी।
उधर मेरे बेटा खिलखिलाकर हँसते हुए बोला- “अपने मम्मी-पापा को क्यों बुला रही हो? बुलाना है तो मेरे पापा को बुला ले ना… तेरी फाड़कर रख देंगे वो…”
रीटा- “हट बेशरम… गन्दे कहीं के। तुम्हारे पापा क्या फाड़ेंगे मेरी चूत। अब तो बुड्ढे हो गये वो…” मेरी तरफ तिरछी नजर से देखकर आँख मारते हुए रीटा बोली।
रमेश- “अरे, इस गलतफहमी में मत रहना। मेरे पापा का लौड़ा इस डिल्डो का भी बाप है…”
रीटा- “तो सुनो रमेश। अब मैं यह कल्पना कर रही हूँ कि मेरी चूत में यह डिल्डो नहीं, तुम्हारे पापा का लौड़ा है…”
रमेश खिलखिलाया- “ठीक है। तुम यही सोचकर डिल्डो से चुदो कि तुम मेरे पापा से चुद रही हो। मैं भी सुनूँ कि मेरी रानी कैसे चुदती है अपने ससुर से?” रमेश इस मजाक पर मजा लेकर खूब जोर से हँसा।
रीटा ने एक वासना भरी सिसकारी लेते हुए कहा- “अब मैं अपनी आँखें बन्द करके तुम्हारे पापा को अपने अन्दर महसूस कर रही हूँ। वो अब मेरे नंगे बदन के ऊपर लेटे हुए हैं, उनका लण्ड मैं अपनी चूत में महसूस कर रही हूँ, पापा के हाथ मेरी चूचियों पर हैं…”
अब रीटा ने मेरी तरफ अधीरता से देखा- “हाँ पापा, और पेलिये ना… रुक क्यों गये? घुसाइए, पूरा बाड़ दीजिए… अपने मोटे लौड़े से अपने बेटे की पत्नी की चूत की धज्जियां उड़ा दीजिए…”
मुझे फोन पर अपने बेटे की वासना भरी सिसकारती आवाज सुनाई दी- “ओह्ह… मेरी रानी, तुमने मेरा लण्ड पूरा सख्त कर दिया। क्या कल्पना की है तुमने?”
रीटा ने बोलना जारी रखा- “नील… तुम सही कह रहे थे… तुम्हारे पापा का लण्ड सच में लाजवाब है। इसने मेरी बुर फैलाकर रख दी है, और यह अभी भी थोड़ा मेरी फुद्दी से बाहर दिख रहा है…”
तब रीटा ने मुझे देखते हुए कहा- “पेलिये ना अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत के अन्दर पापा। यह बाकी क्या मेरी ननदों के लिए बचा कर रखा हुआ है? पापा आप बड़े हरामी हैं। आपने अपनी दोनों सालियों की चूत फाड़ी और
अब अपनी बहू की फुद्दी को भी नहीं छोड़ा। आपको शर्म आनी चाहिए पापा। आप बहूचोद बन गए…”
उधर रमेश सुन-सुनकर पागल हुए जा रहा था। फोन पर उसकी आह्ह… ऊह्ह… साफ-साफ सुनाई दे रही थी।
रीटा- “जब आपने अपने बेटे की दुल्हन पर हाथ साफ कर ही दिया तो अब अपना पूरा लौड़ा दे दीजिए ना उसे…”
रमेश उधर से बोला- “अरे रीटा, दरवाजे खिड़कियां तो अच्छी तरह बन्द कर लिए थे ना? पापा घर में ही होंगे। कहीं उन्होंने यह सब सुन लिया तो वे सच में ही ना…”
रीटा- “घबराओ मत डार्लिंग…” मेरी शातिर बहू ने उत्तर दिया- “कोई भी गैर मर्द हमारी बातें नहीं सुन सकता…”
रमेश- “रानी… तुम्हारी कल्पना शक्ति नायाब है। मेरा लौड़ा तो तुम्हारी बातें सुनकर ऐसे टनटना गया कि क्या बताऊँ…”
रीटा- “अरे रमेश राजा… यह तो अभी शुरूआत है। आगे-आगे देखो कि तुम्हारा चुदक्कड़ बाप अपनी बहू को कैसे-कैसे चोदता है…”
रमेश- “ठीक है रीटा… अपनी कल्पना चालू रखो, और चुदो मेरे पापा से। उनसे कहो कि तुम्हारी पूरी तसल्ली कर दें…”
अब रीटा ने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए कहा- “पापा मेरी चूचियां अपने मुँह से चूसो ना…”
मैंने रीटा की चूचियों को आपस में इस तरह दबाया कि उनके निप्पल पास पास हो जाएं और फिर मैंने दोनों चुचूकों को एक साथ अपने मुँह में ले लिया।
रीटा चहकी- “अबे ओ रमेश, देख तेरा बाप कैसे मेरे दोनों निप्पल एक साथ चूस रहा है। देख कैसे सालीचोद अपनी बहू की चूचियां चूस-चूसकर उसे चोद रहा है अपने मोटे लौड़े से…”
रमेश से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, बोला- “आज तुम मुझे मार ही दोगी रीटा। मैं यहाँ अपने आफिस में बैठकर मुट्ठ मार रहा हूँ। पर रुकना मत। तुम बहुत बढ़िया ड्रामा कर रही हो…”
रीटा- “आई पापा, काटो मत… दुखता है…” जैसे ही मैंने रीटा के एक निप्पल को अपने दाँतों से काटा तो वो चिल्लाई- “पापा… ये अक्षरा या सुमन मौसी के नहीं मेरे चुचूक हैं। इन्हें प्यार से चूसो, और मेरे होंठों को भी तो चूसो पापा। अपनी जीभ मेरे मुंह में डालकर मेरे मुँह की चुदाई करो…”
फिर रीटा ने रमेश से कहा- “सुनो रमेश, तुम्हारे पापा अब मेरी चुम्मी ले रहे हैं…” और सच में रीटा ने ऐसी आवाजें निकाली जैसी चूमा-चाटी में आती हैं। और मैं यह सोच रहा था कि कितनी शैतान दिमाग की है मेरी बहू। अपने ससुर से सच में चुद रही है और अपने पति को फोन पर अपनी चुदाई का आँखों देखा हाल सुना रही है। कैसे बाप बेटे दोनों को एक साथ सेक्स का मजा दे रही है। अब वो खुलकर सिसकारियां भर रही थी, आनन्द से चीख रही थी, खुलकर मुझसे चुद रही थी बिना किसी डर के।
मुझे लग रहा था कि वो अब उस शिखर पर पहुँच रही है जिसे प्राप्त करने के लिये उसने इतने पापड़ बेले थे। अपनी बहू के चरमोत्कर्ष का भान होते ही मेरे अन्दर भी जैसे एक ज्वालामुखी फटने को हुआ और मेरा लण्ड और गर्म हो गया और फूलने लगा।
मेरे लण्ड की यह हलचल मेरी बहू रीटा ने भांप ली और वो फोन पर बोली- “रमेश, तेरे पापा मेरी चूत में झड़ना चाहते हैं, क्या करूँ? झड़ने दूँ अन्दर या बाहर निकालने को कहूँ?”
मेरे बेटे ने आनन्द से कहा- “रीटा, झड़ने दे पापा को अपनी चूत में ही…”
रीटा- “मगर मेरे को बच्चा ठहर गया तो?” फिर आगे बोली- “फिर तो मेरी चूत से तुम्हारा भाई पैदा हो जाएगा। सोच लो?”
रमेश खुलकर हंसा, फिर बोला- कोई बात नहीं। तू अपनी चूत से मेरा भाई पैदा कर या मेरा बेटा। जोरू तो तू मेरी ही रहेगी ना…”
रीटा- “तो ठीक है…”
फिर रीटा मुझे देखते हुए और अपने पति को सुनाते हुए बोली- “पापा, आपके बेटे ने मुझे इजाजत दे दी कि मैं अपनी फुद्दी में से उसका भाई पैदा करूँ। आप मेरे गर्भ में अपना बीज बो दीजिए। मेरी चूत अपने वीर्य के सराबोर कर दीजिए। मुझे गर्भवती कर दीजिए, मुझे मेरे पति के भाई की माँ बना दीजिए…” ऐसा कहते हुए रीटा ने अपने पैर बिस्तर पर टिकाकर अपने कूल्हे ऊपर झटकाए ताकि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत की पूरी गहराई में जाकर अपना बीज छोड़ सके।
फिर जानबूझ कर जोर से चीखते हुए भद्दी आवाज में बोली- “आह्ह… पापा, आपने मुझे चोद दिया आज। चुदाई का इतना मजा मुझे कभी नहीं मिला। मुझे आपसे प्यार हो गया है पापा। मुझे आपके लौड़े से प्यार हो गया है पापा। अब से रमेश के सामने मैं आपकी बहू हूँ और रमेश के पीछे आपकी रखैल…” यह बोलते-बोलते रीटा एक बार फिर झड़ गई।
और साथ ही मेरे लण्ड ने अपना झरना उसकी योनि के सबसे गहरे स्थान में बहा दिया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया और चिल्लाई- “रमेश… देखो… तुम्हारे पापा ने अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया। तेरे बाप ने मुझे चोद दिया…”
मैं फोन की दूसरी तरफ से अपने बेटे की वासना भरी सिसकारियां सुन पा रहा था, जाहिर था कि वो मुट्ठ मार रहा था। मैं बड़े आराम से यह अनुमान लगा सकता था कि आज का दिन मेरे लिए, मेरे बेटे के लिये और सबसे ज्यादा मेरी बहू रीटा के लिए पूरे जीवन में कभी ना भूलने वाला दिन होगा।
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***** THE END समाप्त *****
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