Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ
05-16-2019, 12:05 PM,
#54
RE: Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ
और यह कह कर बिना दीदी की तरफ देखे.. बाथरूम जाने लगा।
तो माँ बोलीं- मुझे भी पेशाब लगी है.. रुक मैं भी चलती हूँ।
वो मेरे साथ आ गईं.. बाथरूम पहुँच कर हम दोनों साथ-साथ मूतने लगे।
माँ की बुर से तेज़ सीटियों जैसी आवाज़ निकल रही थी।
हम अभी शुरू ही हुए थे कि दीदी भी आ गईं।
उसे देख कर माँ ने पूछा- क्या हुआ?
तो दीदी ने कहा- मुझे भी पेशाब लगी है।
तो माँ ने हँसते हुए कहा- अच्छा बैठ जा.. लगता है तेरी बुर लंड के लिए ज्यादा खुजली मचा रही है।
वो हम दोनों के सामने ही बैठ गई.. बैठने पर उसकी जाँघें फैल गईं.. जिससे उसकी बुर की फाँकें पूरा फैल गईं और बुर के लाल-लाल छेद से निकलते हुए पेशाब की धार को देख कर मेरा लंड और तन गया।
दीदी भी मेरे लंड से पेशाब की धार निकलते हुए बड़े ध्यान से देख रही थी।
तो माँ ने मौका देख कर मुझसे पूछा- अब सुपारे पर पेशाब लगने से कल की तरह जलन तो नहीं हो रही है?
तो मैंने कहा- नहीं..
तब तक माँ पेशाब कर चुकी थीं और मैं भी और दीदी के मूतने का इन्तजार करने लगे।
जब दीदी मूत कर खड़ी हुईं तो हम सब कमरे में आ गए।
मेरा लंड अभी भी एकदम खड़ा था।
माँ पलंग पर टेक लगा कर बैठ गईं और मुझे अपने पास बैठा लिया।
दीदी भी हम दोनों के सामने बैठ गई।
फिर माँ मेरे सुपारे को हाथ में लेकर बोलीं- ठीक है.. अब कुछ दिन तक रगड़ना-वगड़ना नहीं.. लंड खड़ा होता है तो कोई बात नहीं… थोड़ी देर लंड को सहलाएगा तो ठीक हो जाएगा..
‘लेकिन माँ ज्यादा तनने के कारण मेरे लंड में अब बहुत खुजली हो रही है।’ मैंने लंड माँ की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
तो माँ बोलीं- ठीक है.. मैं इसका पानी झाड़ देती हूँ.. फिर ये थोड़ा नरम हो जाएगा.. नहीं तो चमड़ा खिंचने से और दर्द होगा।
मैंने कहा- क्या.. अभी तो माँ मेरे चूतड़ पर हाथ रख कर अपनी तरफ करते हुए लंड को दूसरे हाथ में लेकर बोलीं- तो क्या हुआ.. मेरे सामने कैसी शरम और अब तो दीदी के सामने भी शरमाने की कोई ज़रूरत नहीं है।
यह बात माँ ने उत्तेजित होकर मुझे दीदी की बुर दिखाते हुए कहा- यह देख वीनू की बुर का छेद तो लंड लेने के लिए खुद ही खुला हुआ है..
फिर मैं पलंग पर लेट गया.. माँ मेरे कमर के पास बैठी थीं और मेरा सर दीदी की जांघों के पास था.. जिससे दीदी की बुर की फैली हुई फांकें अब मुझे एकदम नज़दीक से दिखाई दे रही थीं।
माँ दीदी से बोलीं- ज़रा गरी का तेल देना।
दीदी ने तेल दिया।
माँ ने तेल हाथ में लगा कर मेरे सुपारे पर लगाया और मेरे लवड़े की मुठ मारने लगीं और मैं अपने एक हाथ से माँ की बुर के छेद में धीरे-धीरे ऊँगली करने लगा।
माँ और दीदी बहुत ज़्यादा उत्तेजित थीं जिससे उनकी बुर और गाण्ड का छेद खुल और बंद हो रहा था।
तभी दीदी अपनी बुर में अपनी ऊँगलियाँ डालते हुए माँ से बोली- माँ हाथ से ऐसे पकड़ कर करोगी तो लंड में फिर घाव हो जाएगा।
माँ भी सर हिलाते हुए बोलीं- हाँ.. तू सही कह रही है.. पर क्या करूँ इसको झाड़ना तो पड़ेगा ना..
तो दीदी जो एकदम गरम हो गई थी.. अपनी बुर दिखाते हुए माँ को इशारा करके बोली- ऐसे करो ना..
तो माँ अपनी बुर को फैलाते हुए बोलीं- हाँ.. तू सही कह रही.. मैं इसके लंड पर बैठ कर इसका लंड अपनी बुर में डाल लेती हूँ और ऊपर-नीचे करती हूँ.. मेरी बुर में लंड जाते ही झड़ जाएगा.. पर चुदाई में मेरी इन बड़ी-बड़ी पुत्तियों से रगड़ कर कहीं फिर से छिल ना जाए? एक काम करती हूँ.. इसका सुपारा मुँह में लेकर हल्के-हल्के से चूस कर झाड़ देती हूँ।
यह कह कर तुरंत अपने चूतड़ दीदी की तरफ उठाते हुए मेरे लंड पर झुक गईं और लंड चूसने लगीं।
लेकिन मैंने अपनी ऊँगली माँ की बुर से नहीं निकाली और दूसरे हाथ से बुर की पुत्तियों को फैलाते हुए और तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।
तभी ये देख कर दीदी ने भी अपना कंट्रोल शायद खो दिया और झुक कर माँ के चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर माँ की चूतड़.. गाण्ड और बुर का छेद चाटने लगी।
जैसे ही दीदी ने माँ की 4 इंच लंबी और 2 इंच चौड़ी पुत्तियों को अपने मुँह ले लिया, माँ ने भी अपनी जाँघों को और फैला दिया और उसके मुँह पर अपनी बुर को दबाते हुए मेरे लौड़े को चूसने लगीं।
मैं भी इसी इंतजार में था और अपनी ऊँगलियाँ माँ की बुर से निकाल कर दीदी के चूतड़ जो मेरी तरफ थे, अपने हाथ से फैला कर उसकी गाण्ड और बुर में ऊँगली डाल कर चोदने लगा।
दीदी भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी बुर में ऊँगली डलवा रही थी कि मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने माँ से कहा- माँ एक काम करो.. तुम थोड़ा सा आगे बढ़ जाओ.. जिससे दीदी मेरे और तुम्हारे बीच में आ जाएगी.. फिर तुम मेरे लंड को चूसना.. दीदी तुम्हारी बुर चाटेगी और मैं दीदी की बुर चाटूंगा।
तो माँ और दीदी तुरंत उसी तरह लेट गईं और फिर हम तीनों एक-दूसरे की बुर और गाण्ड चाटने लगे।
मैंने अपनी एक ऊँगली दीदी की गाण्ड में थूक लगा कर डाल दीं और उसकी बुर को मुँह में भर लिया।

कुछ ही देर में मैं अपना लंड माँ के मुँह में और अन्दर घुसाते हुए दीदी की बुर को पूरा मुँह भर कर चाटते हुए झड़ गया।
माँ दीदी को दिखाते हुए मेरे पूरे वीर्य को जीभ से चाट कर पीने लगीं।
जब उसने मेरा लंड पूरा सुखा दिया.. तो सीधी होकर आराम से लेट गईं और दीदी से अपनी बुर चटवाने लगीं और फिर झड़ कर शांत हो गईं।
इधर मैंने भी दीदी की बुर चाट कर उसे झाड़ दिया था।
थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हम तीनों उठ कर बैठ गए।
मेरा लंड उस समय सिकुड़ा हुआ था तो दीदी माँ को मेरा लंड दिखाते हुए बोली- अरे वाहह.. माँ तुम्हारा ये चूसने वाला तरीका तो ज्यादा बढ़िया था.. भाई को झाड़ भी दिया और लंड पर भी कुछ नहीं हुआ।
माँ बोलीं- हाँ.. पर तूने तो आज कमाल कर दिया.. ओह क्या बुर चाटी है..
तो दीदी बोली- हाँ.. माँ मुझे भी अच्छा लगा।
माँ बोलीं- चल अच्छा है.. अब जब इसका लंड थोड़ा ठीक हो जाए.. तो तुझे भी इसे अपनी बुर में लेने में मज़ा आएगा.. तब तक अपना छेद फैला ले।
ये कह कर माँ ने मुझे आँख मारी.. तो हम तीनों हँसने लगे और हम लोग इसी तरह थोड़ी देर तक आपस में हँसी-मज़ाक करते रहे और चाय पी.. पर दीदी की बुर देख-देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और झटके लेने लगा.. तो मैं अपना लंड हाथ में लेकर दीदी और माँ को दिखाते हुए धीमे-धीमे मुठ मारने लगा।
यह देख कर दीदी माँ से बोली- माँ देखो भाई का लंड फिर से फूल गया है.. लगता है इसका फिर से झड़ने का मान कर रहा है।
तो माँ बोलीं- मैं तो अब थक गई.. हाँ.. तुम दोनों को जो करना है.. करो मैं सिर्फ़ लेट कर देखूँगी।
यह कह कर माँ लेट गईं.. उसकी कमर मेरी तरफ थी और जाँघें फैली हुई थीं जिससे उसकी मेरी दोनों हथेलियों जितनी बड़ी और चिकनी बुर एकदम खुल गई थी और उसकी लंबी और चौड़ी पुत्तियाँ बाहर निकल कर लटकी हुई थीं।
ये देख कर मैं अपने एक हाथ से उन्हें मसलने लगा… ये देख कर दीदी जो बड़ी ललचाई नज़रों से मेरे लंड को देख रही थीं.. झुक कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।
ओह क्या मस्त लग रहा था.. दीदी गपागप मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसे जा रही थी.. और मैं भी अपनी ऊँगलियां माँ की बुर में तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।
माँ भी धीरे-धीरे अपनी कमर ऊपर उछाल कर चुदवा रही थीं और खूब ज़ोर से हिलते हुए झड़ गईं।
तभी मैं अपना लंड दीदी के मुँह में अन्दर तक घुसड़ेते हुए झड़ गया।
दीदी भी मेरे लंड का पानी पूरा चाट गई.. फिर हम सब थक कर सो गए।
अब ये हमारे घर का नियम बन गया था और हम तीनों जन हर काम साथ-साथ करते.. बाथरूम साथ जाते.. कोई लेट्रीन करता.. कोई मंजन करता.. कोई नहाता.. कभी-कभी हम सब एक-दूसरे को अपने हाथों से ये काम करवाते। मंजन करते और नहलाते और जब मौका मिलता अपनी बुर और लंड एक-दूसरे में घुसाए रहते।
Reply


Messages In This Thread
RE: Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ - by sexstories - 05-16-2019, 12:05 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,465,502 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,411 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,217,727 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,854 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,632,736 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,064,041 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,922,464 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,962,648 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,995,374 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,483 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)