RE: Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ
ब्लॅकमेल पार्ट--2
गतान्क से आगे....................
"नही साले. जो तूने कर दिया है, उसके बाद तो पहले तेरी इस छमिया की चूत का भोसड़ा बनाएँगे, उसके बाद तेरी बोटी बोटी करेंगे"
अजय की समझ नही आ रहा था के क्या करे. उसने एक नज़र कमरे की टूटी हुई खिड़की से बाहर डाली.
घुप अंधेरा. कुच्छ नज़र नही आ रहा था.
"यहाँ तो बचके निकले भी तो जाएँगे किस तरफ" एक पल के लिए अजय के दिमाग़ में ख्याल आया. और फिर जो कुच्छ भी हुआ, बहुत तेज़ी के साथ हुआ.
अजय की नज़र खिड़की की तरफ देख कर पहले आदमी आगे को लपका. अजय उसको अपनी और आता देख हड़बड़ा गया और गन का ट्रिग्गर खींच दिया.
गन अब भी शिखा की तरफ ही पायंटेड थी.
गोली की आवाज़ से कमरा गूँज उठा. दूसरी आवाज़ शिखा के चीखने की थी.
अजय और दोनो आदमी अपनी अपनी जगह पर बुत बनकर खड़े हो गये. शिखा नीचे ज़मीन पर गिर चुकी थी. गोली उसके सीने में लगी थी. खून बहकर उसकी लाश के चारो तरफ जमा हो रहा था. आँखें बंद हो चुकी थी.
"वहीं खड़े रहो" उसने गन दोनो आदमियों की तरफ घूमाते हुए कहा, एक नज़र शिखा की नीचे ज़मीन पर पड़ी लाश पर डाली और खिड़की से बाहर कूद गया.
"पकड़ साले को" पीछे कमरे से आवाज़ आई पर अजय को रुक कर सुनने का होश नही था. वो बेतहाशा दौड़ रहा था.
उस मकान से दूर.
शिखा की लाश से दूर.
उन दोनो आदमियों से दूर.
उस मनहूस शहर से दूर.
"साले मेरी गांद का मार मार कर भोसड़ा तूने बना दिया है और पुच्छ उस लौंदे से रहा है" शिखा ने अपने उपेर चढ़े हुए आदमी से पुछा.
वो उल्टी पड़ी हुई थी और कोहनियों के बल अपना चेहरा उठा कर सिगरेट के कश लगा रही थी. एक आदमी उसके उपेर चढ़ा हुआ उसकी गांद मार रहा और दूसरा उसके सामने बैठा अपना लंड हिला रहा था. तीनो पूरी तरह से नंगे थे.
"क्या करूँ जानेमन" उसके उपेर चढ़ा हुआ आदमी तेज़ी से धक्के लगाता हुआ बोला "तेरी गांद है ही इतनी मस्त"
"वैसे एक बात बता. ये साले लौंदे तेरे इश्क़ में इतने बावले हो कैसे जाते हैं के अपना सब कुच्छ छ्चोड़ कर तेरे कहे पर चल देते हैं?" सामने बैठे आदमी ने पुछा
"बिस्तर पर जन्नत दिखाती हूँ ना सालो को. और बस. वहीं मेरे कदमों में बिच्छ जाते हैं" शिखा हँसते हुए बोली
"मानना पड़ेगा. ये चौथा था जो तेरे इश्क़ में पागल हो रहा था. इससे पहले के तीन भी साले मरे जा रहे थे तुझे अपनाने को"
"वो दूसरे वाले के पास से पैसे आ गये?" शिखा बोली
"हां आ गये ना. जितनी माँगे थे उतने ही आए. वो तीनो साले सोचते हैं के उनके हाथ से तुझे गोली लगी है और बचने के लिए कुच्छ भी करने को तैय्यार हैं" सामने बैठा आदमी बोला
"ये अजय नाम के लौंदे के पास भी टेप कल भिजवा दूँगा मैं. फिरौती कितनी मांगू इससे?" शिखा के उपेर चढ़े हुए आदमी ने ज़ोर से धक्का मारते हुए कहा
"आराम से बेहेन्चोद" शिखा चिल्लाई "दर्द होता है. तेरी माँ की गांद नही है ये, मेरी है. आराम से मार. और ये चौथा वाला इतना रईस नही है. इससे रकम ज़्यादा मोटी मत माँगना नही तो सारा मामला खराब हो जाएगा. पहली माँग थोड़ी कम ही रखो, अगर साले की जेब से निकल आए तो बाद में देखेंगे"
"वैसे कमाल है तू" शिखा ने सिगरेट बुझाई तो सामने बैठा आदमी आगे बढ़कर उसके करीब आ गया "मरने का नाटक ऐसे करती है के अगर हमें पता ना हो के ये सारा बना बनाया खेल है तो हमें भी यही लगेगा के मर गयी तू"
उसने आगे बढ़कर अपना लंड शिखा के मुँह की तरफ बढ़ाया.
"और तू साले" शिखा इशारा समझते हुए लंड मुँह में लेते हुए बोली "वो रंग थोड़ा कम डाला कर पिछे से. मेरे जिस्म में भी आम इंसानो जितना खून है, कोई 4-5 लीटर ज़्यादा नही है. इतना रंग बिखेर देता है के देखने वाले को लगेगा के जैसे कोई भैंस मरी हो यहाँ"
उसने लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. पहला वाला अब तेज़ी के साथ उसकी गांद पर धक्के लगा रहा था.
"गांद में मत झड़ना. बाहर निकालना" शिखा ने एक पल के लिए लंड मुँह से निकाल कर कहा.
"वैसे एक बात बता" जिसका लंड वो चूस रही थी उस आदमी ने कहा "इन चारो लौंदो से चुदवाया तूने?"
"हां और क्या यूँ ही मेरे इश्क़ में मरे जा रहे थे ये?" शिखा हँसकर बोली "इन चारो के हिसाब से ये पहले मर्द थे जिन्होने एक सीधी सादी, पाक शरीफ लड़की के जिस्म को च्छुआ था"
तीनो ज़ोर से हंस पड़े.
"और गांद? वो भी मरवाई?" जो आदमी गांद मार रहा था उसने पुछा
"नही मेरे राजा" शिखा पिछे हाथ करके उसके चेहरे को थपथपाते हुए बोली "ये तो सिर्फ़ तेरी है. बुक करा रखी है ना तूने. पेटेंट है तेरा. ये कोई कैसे मार सकता है?"
तीनो फिर ज़ोर से हँसे.
"गांद नही मरवाई. वरना फिर सालो को शक हो सकता था के मैं बिस्तर पर खेली खाई हूँ. उनके लिए मैं एक मासूम लड़की हूँ जिसकी ज़िंदगी में वो सब पहले मर्द थे.
थोड़ी देर के लिए तीनो चुप हो गये और चुदाई पुर ज़ोरो पे चल पड़ी. उसके उपेर चढ़े हुए आदमी ने हाफ्ना शुरू कर दिया था और पूरी जान से गांद पर धक्के मार रहा था. सामने वाला आदमी अपने घुटनो पर खड़ा शिखा के मुँह में लंड अंदर बाहर कर रहा था.
"गांद में निकाल दिया क्या साले?" धक्के पड़ने बंद हुए तो शिखा ने चौंक कर पुछा
"नही अभी निकाला नही है. ज़रा साँस तो पकड़ लूँ"
"अब अगला पड़ाव कहाँ?" सामने वाले आदमी ने पुछा
"फिलहाल तो टेप उस अजय को टेप भिजवओ और फिर इस शहर से निकलते हैं. देखते हैं अगला शिकार कहाँ मिलता है" कहकर शिखा फिर लंड चूसने लगी.
"आज सॅंडविच स्टाइल हो जाए? चूत और गांद में लंड एक साथ?" मुस्कुराते हुए शिखा ने सामने वाले आदमी से कहा और आँख मार दी.
दोस्तो आपने देखा इस दुनिया मे ये भी होता है इसलिए सोच समझ कर किसी लड़की की चुदाई करे आपका दोस्त राज शर्मा समाप्त
|