RE: Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ
तभी मैने कमरे मैं एंट्री कर दी और बोली," साले बाबूजी, इतने कामीने
निकले के अपनी ही बेटी को चोदने के लिए तैयार हो गये, बेटीचोड़ साले मैं
क्या मर गयी थी, मुझे कौन चोदे गा बेहन्चोद, तेरा बेटा तो बेहन्चोद मुझे
छ्चोड़ कर चला गया और तू भी साले अपनी बेटी को ही चोद रहा है, मेरा क्या
हो गा, " बाबूजी मुझे देख कर घबरा गये और फिर संभाल कर बोले," बेटी तू भी
आ जा मेरी बेटी, मेरा लंड मेरी बहू और बेटी के लिए काफ़ी है, मैं तुम
दोनो को चोद कर शांत कर दूँगा, आजा मेरी रानी बहू, अगर बेटा चला गया है
तो क्या हुया, बाप तो ज़िंदा है, मेरे पास आ मैं तेरी चुचि को भी चूस्ता
हूँ, आ मेरी बेटी तू भी कोई कम सेक्सी नहीं हो, तेरा जिस्म भी चुदाई की
आग में जल रहा होगा, ला मेरे पास आ मैं तुझे भी तृप्त कर्दून्गा," मैने
फटाफट अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और बिस्तर पर आके बाबूजी के जिस्म
को चाटने लगी और राधिका की चुचि दबाने लगी. बाबूजी ने अपना हाथ मेरी गांद
पर फिराना शुरू कर दिया. मैने बाबूजी का लंड हाथ में ले लिए और उससे
सहलाना शुरू कर दिया. उनका लंड पूरी तरह कड़ा हो चुका था. मैने उसे चाटना
शुरू कर दिया, मेरी चूत भी पनिया गयी थी. मैने कहा " आप पहले राधिका को
चोद कर शांत कर दो, इसकी चूत अभी कुँवारी है, लेकिन ज़रा, प्यार से चोदना
अपनी बिटिया को," ये कहते हुए मैने राधिका की टांगे चौरी कर दी और उसकी
चूत पर बाबूजी का लंड टीका दिया, उनके टट्तों पर हाथ फिराया जिस कारण
बाबूजी के मुह्न से आह निकल गयी, मैने उनका लंड राधिका की चूत पर रगड़ा
जिस में से पहले ही पानी निकल रहा था. उसकी खुजली इतनी बढ़ गयी के वो
अपने आप पर काबू ना रख सकी" पापा अब और मत तद्पाओ, मेरी चूत में आग लगी
हुई है, आप का लंड रगड़ना मुझे पागल बना रहा है, पापा मेरी चूत के अंदर
पेल दो अपना लोड्ा, पापा मेरे साथ सुहागरात माना लो, मुझे मम्मी की तरह
चोद डालो मेरे प्यारे पापा, मुझे पेल दो पापा, प्लीएज, भाबी मेरी चूत में
पापा का लंड पेल दो, मेरी प्यारी भाबी, उसके बाद तुम मज़े ले लेना पापा
के लंड के साथ, मैं तेरी विनती करती हूँ, मेरी आग बुझा दो, प्लेआस्ीईए."
बाबू जी का लंड पकड़ कर मैने राधिका की चूत के मुख पर टीकाया और कहा"
बाबूजी पेल दो अपना लंड अपनी बेटी की बर में, देखो कैसे तड़प रही है
साली, कैसे दाहक रही है इसकी चूत, अब तो इसकी आग आपका लंड ही शत कर सकता
है, उड़ा दो इसकी चूत की धज़ियाँ, पेल दो अपनी बेटी को, डाल दो अपना लंड
रस इस की प्यासी चूत में, " बाबूजी ने देर करना मुनासिब नहीं समझा और
धक्का मार के लंड पेल दिया, और उनका आधा लंड पहले धक्के में चूत में समा
गया. राधिका चिल्लाई" पापा बहुत दर्द हो रहा है, लगता है मेरी सील टूट
गयी है, बाहर निकाल लो अपना लंड, दर्द बर्दाशत नहीं हो रहा पापा,
प्लीज़." लेकिन बाबूजी ने धक्के मारना जारी रखा. उनका लंड अपनी बेटी की
चूत के अंदर बाहर हो रहा था. राधिका की चूत से लहू बहने लगा. बाबूजी भी
पुराने खिलाड़ी थे, " बेटी दर्द थोड़ी देर में ख़त्म हो जाएगा, ऋतु, तू
राधिका की चुचि चूसना शुरू कर दो और इस की चूत को भी सहलाओ, साली बहुत
टाइट है इसकी चूत, लेकिन मैं आज इसे चोद कर ठंडी कर दूँगा, ले बेटी ले लो
अपना पापा का लंड अपनी प्यासी बुर में और मिटा दो इसकी प्यास.'
मैने अपनी जीभ से राधिका की चुचि चाटना शुरू कर दिया और अपनी उंगलिओ से
उसकी चूत के आसपास का इलाक़ा उतेज़ित करना शुरू कर दिया. उसका दर्द कम हो
गया और उसे मज़ा आने लगा, और वो चूतर उच्छाल कर बाबूजी के धक्कों का
ज्वाब देने लगी," पापा मेरा दर्द ख़त्म हो गया है, आपके लंड से मुझे
जन्नत का मज़ा आ रहा है, आपका लंड मेरी चूत को स्वर्ग दिखा रहा है, पेलो
अपना लंड मेरी चूत के अंदर, चोद दो अपनी बेटी को, ले लो मेरी कुंवाई चूत
के मज़े, ज़ोर से चोदो मुझे," मैने बाबूजी के लंड पर उंगलियाँ फेरी और
उनके चूतर पर थपकी दी और कहा" बाबूजी, चोदो अपनी हरामी बेटी को साले,
ज़ोर से लगा धक्के बेहन्चोद, देखता क्या है साले तुझे आज अपनी जवान और
कुँवारी बेटी की चूत का मज़ा मिल रहा है, साले बन गया है तू बेटीचोड़ और
थोड़ी देर में बहुचोद भी बन जाएगा, साले चोद डाल इसको, चोद डालो अपनी
बेटी को, वो कब से प्यासी है लंड की, मिटा तो इसकी प्यास, छोड़ दो अपना
पानी इसकी चूत मैं.' बाबूजी भी पागलों की तरह धक्के मारने लगे. कमरे में
घचा घच की आवाज़ें आने लगी, राधिका के मुह्न से अहह, ओह की आवाज़ आ रही
थी.
बाबूजी ने अपनी बेटी के चूतरो को कस के पकड़ रखा था और उसे पेल रहे थे,"
अहह, बेटी मेरा भी टाइम नज़दीक आ रहा है, मैं भी झड़ने वाला हूँ, हां मैं
सच में बेटीचोड़ बन गया हूँ, और मुझे ख़ुसी है के तुमने अपनी कुँवारी चूत
,मेरे लिए संभाल के रखी हुई थी, हाँ बेटी चुदवा ले मुझ से मेरी प्यारी
बेटी, कसम तेरी जवानी की आज तक इतना मज़ा नहीं आया, क्या चूत है तेरी, ले
लो मेरा पानी तेरी चूत में जा रहा है, मेरा पानी तेरी कोख में गिर रहा
है, तेरा बाप झाड़ रहा है, मैं गय्ाआआआ," यह कहते हुए बाबूजी ने पिचकारी
राधिका की चूत में छ्चोड़ दी और उनका लंड छपक की आवाज़ से चूत से बाहर
निकल आया. मैने पहले उनका लंड चूस कर सॉफ किया और फिर अपनी ननद की चूत को
चटा और हम दोनो ही बाबूजी की बगल में लेट गयी. थोड़ी देर बाद बाबूजी ने
मेरी भी चुदाई की और ऐसी चुदाई की की मैं आज भी अपने आपको जन्नत मे महसूस
करती हू
समाप्त.....
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