RE: Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ
मेरा मूह तकिये मे घुसा हुआ था. राजू ने फिर पुश किया. मुझे साफ लगा कि लंड मेरी गंद मे जा रहा है. पर मैं चिल्लाई न्ही. इसी तरह पुश करते करते 5 मिनिट बाद राजू रुक गया. मेने पूछा क्या हुआ तो उसने मेरा एक हाथ मेरी गंद पर रखवाया . मेने महसूस किया कि राजू का लंड न्ही मिल रहा है. उसके लंड की बाल तो टच हुई पर लंड न्ही मिला.
राजू ने कहा- सायरा,, आज तूने पूरा लंड ले लिया है. सारा तेरी गंद के भीतर है,
मैं- क्या? पूरा 8 इंच चला गया?
राजू- हां सायरा. इतने दिन की मेहनत आज सफल हुई. इसी तरह एक दिन चूत मे भी जाएगा.
मैं- ह्म्म्म भैया, अब क्या करना है.
राजू- तुझे कुछ नही करना, मुझे करना है.
कहकर राजू ने मेरी गंद मारनी शुरू की. उसके धक्को से मेरा पूरा सरीर हिल रहा था. 15/20 मिनिट बाद उसने जूस गंद मे निकाला और लंड बाहर खींच लिया. फिर मुझे किस किया और प्यार किया.15/20 दिन बाद तो अब बिना तकलीफ़ के मेरी गंद चुदने लगी, अब तो राजू बैठा रहता और मैं उसके लंड पर बैठ जाती और लंड भीतर चला जाता. खूब चुदाई होती. इस बीच मेरे एग्ज़ॅम हुए, अच्छे नंबर आए. अम्मी बहुत खुस हुई.
राजू को शुक्रिया कहा और मुझे और भी मन लगा कर ट्यूशन करने को कहा. एग्ज़ॅम के बाद छुट्टी हो गयी . विंटर सीज़न था. राजू ने पिक्निक का प्रोग्राम बनाया.अम्मी को बताया कि सब बच्चो को पिक्निक पर ले जाएगा वो. अम्मी राज़ी हो गयी. 40 किमी दूर झरना था, वहाँ जाना था सबको. हमारे यहा टोटल 5 बच्चे थे चाचा ताऊ मिला कर, राजू के पास इडिका कार थी. राजू ने मुझे फ्रॉक पहनने को कहा. फिर हम पिक्निक को निकल पड़े.
कार छ्होटी थी. हम 6 प्लस ड्राइवर. जगह कम लग रही थी. राजू ने मुझे अपनी गोदी मे आने को कहा जिससे सब आराम से बैठ गये.मैं राजू की गोदी मे थी. थोड़ी देर बाद राजू ने मेरी फ्रॉक मे हाथ घुसाया और पैंटी नीचे खिचने लगा. मेने थोड़ा सा उठकर ये होने दिया. राजू ने पॅंट की ज़िप खोल कर लंड बाहर कर लिया. ठंड थी, हम शॉल ओढ़ के बैठे थे. किसी को कुछ मालूम न्ही क्या हो रहा था मेरे साथ.
राजू की लंड को पकड़ा, एकदम टाइट. थोड़ा सा उठ कर अपनी गंद पर लगाया. धीरे धीरे लंड पूरा गंद मे चला गया.अब मैं राजू के सहारे पीठ लगा कर बैठ गयी. राजू मेरी छाती दबा रहा था अब मेरी छाती पर उभार आने लगा था, राजू वो ही दबा रहा था. अब सफ़र का आनंद आने लगा था. पूरे रास्ते इसी तरह बैठी रही. जब झरना आ गया तो मैं उठी. लंड भी खिचता हुआ बाहर निकल गया, राजू ने उसको ज़िप मे डाला और हम उतर गये.
झरने मे मेरे अलावा सब बच्चे किनारे पर नहाते रहे. मुझे राजू थोड़ा भीतर ले गया. मेने पैंटी तो पहनी न्ही थी. राजू ने भी टवल उतार के अपने गले मे डाल लिया. मेने पानी के भीतर राजू का लंड पकड़ लिया और हिलाने लगी. वो टाइट हो गया. मेने लंड की तरफ पीठ कर दी. राजू ने मेरी कमर पकड़ कर अपना लंड मेरी गंद मे घुसा दिया. पानी मे मेरी गंद मारी जा रही थी. किनारे पर मेरी छ्होटी बहन शबनम ने हमे पानी मे देखा.
शबनम- बाजी, वहाँ क्या कर रही हो?
मैं- स्विम्मिंग सीख रही हूँ. राजू भैया सिखा रहे हैं.
शबनम- मुझे भी सीखनी है स्विम्मिंग.
राजू- अभी सायरा को सीखा रहा हूँ. आधा सीखा है इसने.
मैं झूठे ही हाथ चलाने लगी. पीछे राजू दनादन पंपिंग कर रहा था. शबनम को यही लगा होगा कि राजू स्विम्मिंग सीखा रहा हे. अब राजू ने मुझे पानी मे सीधा लिटा दिया. मेरी कमर को पकड़ा. मेरे पैर अपने कंधे पर रखे और चोद्ने लगा. शबनम ने देखा.
शामनाम- बाजी, ये कैसी स्विम्मिंग है?
मैं- क्यू क्या हुआ.
शबनम- तुम सीधी लेटी हुई हो, तुम्हारे पैर भैया के कंधे पर हैं.
मैं- ये नयी स्टाइल की स्विम्मिंग है.
राजू- हां शबनम, ये स्टाइल मे बहुत मज़ा आता है.
शबनम- अच्छा बाजी.
आधे घंटे तक मेरी गंद मारने क बाद जूस निकल गया. हम दोनो अलग हुए, राजू ने टवल लपेट लिया. हम दोनो बाहर आ गये. शबनम ज़िद करने लगी कि उसको भी पानी के बीच जाना है एक बार. राजू उसको मजबूरी मे ले गया. वहाँ राजू ने शबनम को पानी पर उल्टा लेटा दिया और उसके पेट के नीचे हाथ रख कर उसको स्विम्मिंग सिखाने लगा. दूर से तो यही दिख रहा था. शबनम थोड़ी मोटी थी.
मैं अपने कपड़े चेंज करने लगी और नाश्ता लगाने की तैयारी मे लग गयी. राजू ने एक हाथ शबनम की छाती पर और दूसरा उसकी चूत पर रख कर उसको पानी पर टीकाया हुआ था. एक बार शबनम का बॅलेन्स खराब हुआ, वो पानी मे डुबकी लगाने लगी, फिर राजू का सहारा पा कर ठीक हो गयी. पर उसके दोनो हाथ पानी मे थे. आधे घंटे बाद राजू और शबनम बाहर आ गये.
हमने नाश्ता किया. थोड़ा हसी मज़ाक किया. फिर वापस घर को चले. रास्ते मे राजू ने कहा- शबनम की चूत तेरे से ज़्यादा फूली हुई और मोटी है.. मेने पानी मे चेक किया. जब एक बार उसका बॅलेन्स बिगड़ा तो वो मेरे लंड को पकड़ का संभली थी. उसको मालूम न्ही हुआ कि उसने क्या पकड़ा है. वो काफ़ी देर तक उसको पकड़े रही. शायद उसको न्ही मालूम वो क्या पकड़ी थी.
मैं- भैया आज मज़ा बहुत आया, पानी मे काफ़ी अच्छे से गंद मारी आपने.
राजू- एक आध दिन मे मैं तुम्हारी चूत की चुदाई करूँगा.
मैं- क्या??? लंड चला जाएगा उसमे.?
राजू- ट्राइ करेंगे. देखना वहाँ ज़्यादा मज़ा आएगा.
मैं- ह्म्म्म, कब करेंगे?
राजू- आज तो शायद टाइम न्ही मिलेगा.. कल तैयार रहना.
मैं- ओके भैया.
नेक्स्ट डे राजू ने मुझे नंगा करके मेरी चूत की खूब मालिश की. खूब फिंगर की. आयिल लगाया. मुझे पीठ के बल लिटा दिया. कमर के नीचे तकिया लगाया. मेरी चूत उपर हो गयी. मेरे दोनो पैरो को फैला कर दूर किया जिससे मेरी चूत फेल गयी. अब उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा. कहा
राजू- सायरा चिल्लाना नही, दर्द हो तब भी, समझ ले ये तेरा एग्ज़ॅम है.
मैं- ओक भैया, पर कुछ होगा तो नही ?
राजू- नही, बस जैसा मैं कहता जाऊ वेसा करते रहना. देखना पूरा लंड जाएगा भीतर.
राजू मेरे उपर झुका, मेरे कंधे पकड़े और लंड को पुश किया, लंड भीतर घुसा. और पुश, और भीतर. और पुश, मुझे दर्द होने लगा पर मैं चिल्लाई नही. गर्दन उठा कर लंड को धीरे धीरे भीतर घुसते देखती रही. काफ़ी दर्द हुआ. एक वक़्त ऐसा आया कि पूरा 8 इंच लंड भीतर समा गया. अब राजू रुक गया. जब दर्द कम हुआ तो उसने चोद्ना शुरू किया.. थोड़ी
देर बाद रियल मे मज़ा आने लगा.अब तो मैं भी अपनी कमर नीचे से उठा उठा कर लंड भीतर लेने लगी. राजू मेरी कमर पकड़े हुए था और ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था. करीब 25 मिनिट की चुदाई के बाद राजू के लंड ने जूस छोड़ा. बहुत मज़ा आया.
तो दोस्तो ये थी मेरी पहली चुदाई. आशा करती हू कि आपको मेरी चुदाई पसंद आई होगी..
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