Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:45 AM,
#79
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मुझे ओंधा पटककर उसने मेरी गांड मारना शुरू कर दी. जब हेमन्त आखिर झड़ा तो शांत होने पर मुझसे बोला.


"मजा आ गया रानी. एक बात देखी तूने? तू पैरों का दीवाना है लगता है. फूट ऐतिश है तुझे. कैसा गरमा जाता है। जब मैं तेरे पैर चूमता हूं या तू मेरे तलवे चाटता है."
उस रात हमने एक बार और संभोग किया और फ़िर सो गये. यह सिक्सटी नाइन का आसन था और इस बार मैंने उसका लंड काफ़ी हद तक मुंह में ले ही लिया. बस तीन चार इंच बाहर बचे होंगे. गले तक लंड निगलकर चूसना और खास कर गले में सुपाड़े के टाइट फ़िट होने से दम घुटना ये दोनों अनुभव बहुत मादक थे. हेमन्त ने तो आराम से मेरा लंड पूरा निगल कर चूसा. बोला. "अब जल्दी सिखाना पड़ेगा मेरी रानी को पूरा लौड़ा मुंह में लेना."
दूसरे दिन से हमारा जीवन धीरे धीरे एक कामुकता की लय में बंध गया. मैं हेमन्त की पत्नी जैसे उसकी सेवा करने लगा. उसके कपड़े धोता, सामान बटोरता और बाकी सब छोटे छोटे काम करता. सुबह हेमन्त मुझे संभोग नहीं करने देता था क्योंकि कॉलेज जाने की जल्दी रहती थी. बस एक साथ नहाना, चूमा चाटी करना, एक दूसरे के ऊपर मूतना इत्यादि बातें बाथरूम में होती थीं.
रात को खाने के बाद संभोग शुरू होता तो फ़िर तीन चार घंटे नहीं रुकता. एकाध बार हम सिक्सटी नाइन करते या
और तरह तरह से अपने यार के लंड चूस कर वीर्य पान करते पर बाकी अधिकतर समय जोर जोर से गांड मारने और मरवाने में जाता. गांड मारना हमारे लिये एक ऐसा खेल था कि उसे जोर जोर से वर्जिश सी करते हुए करने में हमें बड़ा मजा आता था. उछल उछल कर हम पूरे जोरों से एक दूसरे की मारते थे.
हां कभी कभी प्यार से गोद में बिठाकर हौले हौले चूमाचाटी करते हुए गांड चोदना भी बहुत प्यारा लगता था. इसमें अक्सर मैं हेमन्त की गोद में होता पर एक दो बार वह भी मेरा लंड अपनी गांड में लेकर मेरी गोद में बैठ जाता. इस आसन में हम कोई पाॉडी साथ साथ पढ़ते या फ़िर एक ब्लू फ़िल्म देखते.
दोपहर को कॉलेज से वापस आकर भी खाना खाने के बाद दो घंटे पढ़ाई होती थी. इस बारे में वह पक्का था. हां दो तीन घंटे की इस पढ़ाई में हम कुछ मजा कर लेते थे और वह भी ऐसी कि पढ़ाई भी तेज होती थी.
हेमन्त ने ही इस तरह की पढ़ाई की शुरुआत की. एक दिन जब मैं टेबल कुर्सी पर बैठ कर रिपोर्ट लिख रहा था तो वह उठ कर आया और मुझे चूम कर प्यार से बोला. "अगर तू हाथ न रोकने का और लिखते रहने का वायदा करेगा तो एक मस्त आसन दिखाता हूं. तू बस लिखता जा. देख क्या फ़टाफ़ट पढ़ाई होती है. लंड में होते चुदासी के सुख से पढ़ाई ज्यादा तेज होती है अगर ठीक से कान्सन्ट्रेट किया जाये. बोल है तैयार?"
मेरे हामी भरते ही वह टेबल के नीचे घुस गया और मेरे सामने आराम से बैठकर मेरा तना हुआ लंड हाथ में लेकर कुछ देर उसे मुठियाया. फ़िर अपना मुंह खोल कर पूरा लंड निगल लिया. उसके बाद बस वैसे ही बैठा रहा, मेरा लंड उसने चूसा नहीं. अपनी आंखों से इशारा किया कि मैं लिखता रहूं. उसके गरम गीले तपते मुंह का स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था. मैंने पढ़ाई शुरू कर दी.
एक घंटे में मेरी इतनी पढ़ाई हुई जैसी दो घंटों में नहीं होती. बस अपने आप पर इतना कंट्रोल करना था कि ऊपर नीचे होकर उसके मुंह को चोदने की इच्छा दबाता रहूं. घंटे भर बाद रिपोर्ट खतम होने पर आखिर जब मुझसे न रहा गया तो मैंने पेन नीचे रखकर हेमन्त का सिर अपने पेट पर दबाया और कुर्सी में बैठा बैठा उसके मुंह को चोदता हुआ
झड़ गया.
बाद में उसे चूमते हुए मैंने कहा कि मैं भी उसे वैसा ही सुख देना चाहता हूं. उसके लिये लंड पूरा मुंह में लेना सीखना बहुत जरूरी था. उसी रात उसने मुझे सिखाया. खड़ा लंड मुंह में लेने में कठिनाई होती थी इसलिये उसने मेरी गांड मारने के बाद अपना मुरझाया लंड मेरे मुंह में दिया और पलंग पर लेट गया. तीन चार इंच की वह लुल्ली मैं आराम से पूरी मुंह में लेकर चूसता रहा.
दस मिनिट बाद जब उसका खड़ा होना शुरू हुआ तो उसने मुझे आगाह किया. "अब घबराना नहीं अनिल राजा. गले में जायेगा तो गला ढीला छोड़ना. देख कैसा हलक तक उतर जायेगा."


जब उसका मोटा सुपाड़ा आखिर मेरे गले में उतरा तो कुछ देर मेरा दम घुटा और सांस लेने में भी तकलीफ़ होने लगी. जब मैं लंड निकालने की कोशिश करने लगा तो मेरा यार मुझे पटककर मेरे ऊपर अपना वजन देकर लेट गया. उसे हटाना असंभव था. आखिर मैंने हार मान ली और चुपचाप गला ढीला छोड़ने की कोशिश करने लगा.
दो मिनिट में मेरा गला एकदम ढीला पड़ गया और दम घुटना भी बंद हो गया. हेमन्त का लौड़ा अब जड़ तक मेरे मुंह में उतर चुकाथा और मेरी नाक और होंठ उसकी झांटों में समा गये थे. अब सहसा मैंने महसूस किया कि दम भी नहीं घुट रहा है और उस मोटे ताजी ककड़ी को चूसने में भी मजा आ रहा है. प्यार से मैंने अपने हाथ उसके चूतड़ों के इर्द गिर्द जकड़ लिये और गांड में उंगली करते हुए चूसने लगा.
"सीख गया मेरा यार, चल अब इनाम ले ले अपना, चूस डाल. और लगे हाथ गला चुदवा भी ले" और मेरे मुंह को उसने किसी चूत की तरह चोद डाला. चोद कर इनाम स्वरूप अपना गाढ़ा वीर्य मुझे पिलाया तभी उसने मुझे छोड़ा.
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