Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:45 AM,
#78
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
कुछ देर बाद वह खुद ही चलकर दीवार से मुंह के बल सट कर खड़ा हो गया और मुझसे खड़े खड़े गांड मरवायी.
आखिर इसी आसन में मैं झड़ गया.
थक कर मैं पलंग पर लेट गया. हेमन्त मेरे पास बैठ गया और मेरे पैर उठाकर अपनी गोद में रख लिये. मेरे पैरों और तलवों को सहलाता हुआ हेमन्त बोला. "यार तू तो बड़ा सुंदर है ही, तेरे पैर भी बड़े खूबसूरत हैं. एकदम चिकने और
कोमल, तलवे तो देख, बच्चों जैसे गुलाबी हैं." और मेरे पैर उठाकर वह उन्हें चूमने लगा.
मैं सुख से सिकर उठा. मेरे पैरों को वह बार बार चूम रहा था. बीच में मेरे तलवे चाट लेता. मेरी उंगलियों को भी उसने मुंह में लकर चूसा. उसका एकदम तन्नाकर खड़ा हो गया था.
मुझसे न रहा गया. मैंने हेमन्त के पैर खींचकर अपने मुंहसे लगा लिये और उन्हें वेताशा चूमने और चाटने लगा. उसके पैर बड़े थे, पर एकदम चिकने और साफ़. मुझे उसके गोरे तलवे चाटने में बहुत मजा आया.
हम दोनों फ़िर मस्त हो गये थे. चुदाई का एक नया दौर शुरू होने ही वाला था. पर फ़िर हेमन्त ने उठकर कहा, "अभी नहीं यार, अब बाद में शाम को मैं तेरे पैरों को चोदूंगा. अभी सो ले. नहीं तो चोद चोद कर हम दोनों बुरी तरह थक जायेंगे."
एक दूसरे के लंड हमने चूस कर साफ़ किये और फ़िर कुछ देर आराम किया. घंटे भर सो भी लिये.
था. शाम तक वह खुद पढ़ता रहा और मुझे भी
मैं सो कर उठा तो वह पढ़ रहा था. वह पढ़ाई का भी पक्का पढ़वाया.
रात को हमने वहीं खाना बनाया. खाना खाकर फ़िर पढ़ाई की और नहाकर हम फ़िर कामक्रीड़ा में जुट गये.
हेमन्त मुझसे बोला. "इधर आ यार चप्पल पहनकर और इस स्टूल पर खड़ा हो जा, दीवाल का सहारा ले कर." मुंह दीवाल की ओर करके मैं खड़ा हो गया. बड़ी उत्सुकता थी कि मेरा यार अब क्या गुल खिलायेगा!


१६
वह खुद स्टूल के पास नीचे घुटने टेक कर बैठ गया. "अब अपने पंजों के बल खड़ा हो जा." मेरी ऐड़ियां अब मेरी चप्पलों से ऊपर उठ गयी थीं. बड़े प्यार से उसने अपना लंड मेरे पांव के तलवे और चप्पल के बीच घुसेड़ा. फ़िर बोला. "अब नीचे हो जा. खड़ा हो जा मेरे लौड़े पर अपने तलवे और चप्पल के बीच दबा ले."
उसके कड़े लंड के मेरे तलवों पर होते स्पर्श से मुझे मजा आ गया. मैं पैर हिला कर उसकी मालिश करने लगा. मेरे पैर पकड़कर हेमन्त अब अपना लंड मेरे तलवों और चप्पल के बीच पेलने लगा. "देख इसे कहते हैं पैरों को चोदना. बहुत मजा आता है, खास कर जब तेरे जैसे चिकने पैरों वाला कोई मिल जाये."
मेरे दोनों पैरों और चप्पलों को हेमन्त ने मन भर कर चोदा. झड़ने के करीब आकर रुक गया और बोला. "अब बंद करते हैं या नहीं तो यहीं तेरी चप्पलों में झड़ जाऊंगा. वैसे उसमें भी मजा है, पर अब मैं तो तेरी गांड मारूंगा."
हमने अब अपने लंड और गुदा मख्खन से चिकने कर लिये कि बीच में न रुकना पड़े. मुझे गोद में लेकर हेमन्त मुझे प्यार करने लगा.
कुछ देर की चूमाचाटी के बाद उसने मुझे चित बिस्तर पर लिटाया और मेरे सीधे खंबे से खड़े लंड को प्यार से चूसा. चूसते चूसते वह उलटी तरफ़ से मेरी छाती के दोनों ओर घुटने टेक कर मेरे ऊपर आ गया. मुझे लगा कि लंड चुसवाना चाहता है पर थोड़ा सिमटकर जब वह उकडू हुआ तो उसके चूतड़ मेरे मुंह पर लहरा रहे थे. गांड का छेद खुल और बंद हो रहा था.
मैं समझ गया कि मुझसे गांड चुसवाना चाहता है. मैंने उसके नितंबों को दबाते हुए उसका गुदा चूसना शुरू कर दिया. उसे इतना मजा आया कि वह अपना पूरा वजन देकर मेरे मुंह पर ही बैठ गया.
दस मिनिट बाद वह उठा और झुक कर मेरे पेट के दोनों ओर पैर जमा कर तैयार हो गया. मेरी ओर मुंह कर के मेरा लंड उसने अपने गुदा पर जमाया और उसे अंदर लेता हुआ नीचे बैठ गया. मेरा लौड़ा उसकी चिकनी खुली गांड में आसानी से घुस गया. पूरा लंड अंदर लेकर उसके चूतड़ मेरे पेट पर टिक गये. हेमन्त ने फ़िर दोनों पैर उठाकर मेरे चेहरे पर रखे और हाथ बिस्तर पर टेक कर ऊपर नीचे होते हुए खुद ही अपनी गांड मराने लगा.
उसके पैर मेरे मुंह पर थे. अपने तलवे मेरे गालों और मुंह पर रगड़ता हुआ वह बोला. "ले अब यार, जरा मन भर कर मेरे पैरों को चाट और चूस. मुंह में ले. मजा कर. मैं भी मन भर कर आराम से अपनी गांड से तेरे लंड को चोदता हूं."
मेरे लिये तो मानों खजाने का दरवाजा खुल गया. यहां हेमन्त की गांड का मुलायम तपता घर्षण मेरे लंड को अपूर्व सुख दे रहा था उधर मेरे मुंह पर टिके उसके पैर मुझे मदहोश कर रहे थे. मैंने हाथों से पकड़कर उन्हें मुंह से लगा लिया और बेतहाशा चूमने और चाटने लगा. बीच में उसके पैरों की उंगलियां और अंगूठा मुंह में लेकर चूसने लगता.
हेमन्त ने तरसा तरसा कर आधे घंटे मुझे इस मीठी छुरी से हलाल किया और फ़िर जोर जोर से अपनी गांड से चोदते हुए मुझे झड़ाया. मैं इतनी जोर से झड़ा कि मेरा शरीर कांप गया.
इस बार हेमन्त ने एक और करम मेरे ऊपर किया. मेरा स्खलन होने के बाद भी मुझे चोदना बंद नहीं किया, बल्कि ऊपर नीचे उछलता हुआ मेरे लंड को अपने गांड में लिये मरवाता रहा. लंड अब भी खड़ा था पर झड़ने के बाद सुपाड़ा बहुत संवेदनशील हो गया था. इसलिये उसपर गांड का घर्षण मुझे सहन नहीं हुआ. जब भी वह ऊपर नीचे होता, मैं सिसकारी भरते हुए तड़प तड़प जाता पर वह हरामी हंसते हुए मेरे लंड को अपनी गांड की म्यान से रगड़ता रहा. मुझे ऐसा निचोड़ा कि मैं किसी काम का नहीं रहा, करीब करीब बेहोश की हो गया. वह तभी रुका जब मेरा लंड बिलकुल मुरझा कर उसकी गांड से बाहर आ गया.
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