RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
वह ओंधे मुंह बिस्तर पर लेट गया और अपने चूतड़ हिला कर मुझे रिझाता हुआ बोला. "देख अब मेरे चूतड़ तेरे हैं, जो करना है कर, तेरी गांड तो बहुत प्यारी है यार, बिलकुल लौंडियों जैसी, मेरे चूतड़ जरा बड़े हैं, भारी भरकम. देख अच्छे लगते हैं तुझे या नहीं."
मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके चूतड़ सहलाने लगा. पहली बार किसी की गांड इतनी पास से साफ़ देख रहा था, और वह भी किसी औरत की नहीं बल्कि एक हट्टे कट्टे नौजवान की. हेमन्त के चूतड़ बहुत भारी भरकम थे पर पिलपिले नहीं थे. गठे हुए मांस पेशियों से भरे, चिकने और गोरे उन नितंबों को देख मेरे लंड ने ही अपनी राय पहले जाहिर की और कस कर और तन्ना कर खड़ा हो गया. दोनों चूतड़ों के बीच गहरी लकीर थी और गांड का छेद भूरे रंग के एक बंद मुंह सा लग रहा था.
उसमें उंगली करने का मेरा मन हुआ और मैंने उंगली अपने मुंह से गीली कर के धीरे से उसमें डाली. मुझे लगा कि मुश्किल से जाएगी पर उसकी गांड में बड़ी आसानी से वह उतर गई. उसका गुदाद्वार अंदर से बड़ा कोमल था. मेरे उंगली करते ही हेमन्त ने हुमक कर कहा. "हा ऽ य यार मजा आ गया, और उंगली कर ना, इधर उधर चला. ऐसा कर जाकर मक्खन ले आ, फ़िज़ में रखा है. मक्खन लगा कर उंगली कर, मस्त फ़िसलेगी"
मैं जाकर मक्खन ले आया. थोड़ा उंगली पर लिया और उसके गुदा में चुपड़ दिया. "दो उंगली डाल मेरे राजा, प्लीज़.!" मैंने उंगली अंदर घुमाई और फ़िर धीरे से दूसरी भी डाल दी. फ़िर उन्हें अंदर बाहर करने लगा. मेरी उंगलियां आराम से मक्खन से चिकने उस मुलायम छेद में घुस रही थीं जैसे गांड नहीं, किसी युवती की चूत हो.
न रहकर मैंने झुककर उसके नितंबों को चूम लिया. फ़िर चूमता हुआ और जीभ से चाटता हुआ उसके छेद की ओर बढ़ा. मुंह छेद के पास लाकर मैंने उंगलियां निकाल ली और उन्हें सुंघा. नहाते हुए अपनी ही गांड में उंगली कर के मैंने बहुत बार सुंघा था, आज हेमन्त की गांड की वह मादक गंध मुझे बड़ी मतवाली लगी.
"चुम्मा दे दे यार उसे, बिचारी तेरी जीभ के लिये तड़प रही है." हेमन्त ने मजाक किया. वह मेरी ओर देख रहा था कि गांड चूसने से मैं कतराता हूं या नहीं. मैं तो अब उस गांड की पूजा करना चाहता था, इसलिये तुरंत अपने होंठ उसके गुदा पर रख दिये और चूसने लगा.
उस सौंधे स्वाद से जो आनंद मिला वह क्या कहूं. हेमन्त ने भी अपने हाथों से अपने ही चूतड़ फैला कर अपना गुदा खोला. मैं देखकर हैरान रह गया. मुझे लग रहा था कि जैसा सबका होता है वैसा छोटा सकरा भूरा छेद होगा. पर हेमन्त का छेद तो किसी चूत जैसा खुल गया. उसके अंदर की गुलाबी कोमल झलक देख कर मैंने उसमें जीभ डाल दी. मक्खन से चिकनी उस गांड को चूसने में ऐसा आनंद आया जैसे कोई मिठाई खाकर भी नहीं आता.
"शाब्बास मेरे राजा, मस्त चाटता है तू गांड, जरा जीभ और अंदर डाल. जीभ से चोद दे यार." जीभ डाल डाल कर मैंने उसकी गांड को खूब चाटा और चूसा. बीच में प्यार से उसमें नाक डाल कर सूंघता पड़ा रहा. अंत में मन नहीं माना तो मुंह में उसके नितंब क मांस भरकर उसे दांतों से हल्के हल्के काटने लगा.
हेमन्त बोला. "गांड खाना चाहता है मेरी? खिला दूंगा यार वह भी, क्या याद करेगा तू." अपनी गांड भरपूर चुसवा कर हेमन्त ने मुझे पास खींच कर जोर जोर से मेरा लंड चूस कर गीला किया और फ़िर बोला. "चढ़ जा यार, मार ले मेरी, अब नहीं रहा जाता. मस्त गीली है गांड तेरे चूसने से, मक्खन भी लगा है, आराम से घुस जाएगा तेरा लौड़ा"
मैं हेमन्त के कूल्हों के दोनों ओर घुटने जमा कर बैठा और अपना सुपाड़ा उसके गुदा में दबा दिया. हेमन्त ने अपने चूतड़ पकड़ कर खींच रखे थे इसलिये बड़े आराम से उसके खुले छेद में सप्प से मेरा शिश्नाग्र अंदर हो गया. उस मुलायम छेद के सुखद स्पर्श से मैं और उत्तेजित हो उठा और एक धक्के में अपना लंड जड़ तक हेमन्त की गांड में उतार दिया.
मुझे बहुत अच्छा लगा, थोड़ा आश्चर्य भी हुआ. मुझे लगा था कि गांड में लंड डालने में थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. यहां तो वह आसानी से पूरा अंदर हो गया था. मैं समझ गया कि मेरा यार काफ़ी मरवा चुका है.
अब उसने चूतड़ छोड़े और अपना छल्ला सिकोड़ कर मेरा लंड गांड से पकड़ लिया. अब मजा आया मुझे. उसकी गांड ने कस कर ऐसे मेरे लंड को पकड़ा हुआ था जैसे मुट्ठी में दबा लिया हो. मैं हेमन्त के ऊपर लेट गया और बेतहाशा उसकी चिकनी पीठ और मांसल कंधे चूमने लगा.
"मेरे राजा, बहुत प्यारा है तेरा लंड, बड़ा मस्त लग रहा है गांड में, है थोड़ा छोटा पर एकदम सख्त है, लोहे जैसा. मार यार, गांड मार मेरी" उसके कहते ही मैं धीरे धीरे मजे लेकर उसकी गांड मारने लगा. मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि किसी मर्द की गांड मारना इतना सुखद अनुभव होगा. उसकी गांड एकदम कोमल और गरम थी और मेरे लंड को प्यार से पकड़े हुए थी. मैंने अपनी बाहें हेमन्त के शरीर के नीचे घुसा कर उसकी छाती को बांहों में भर लिया और जोर जोर से गांड मारने लगा.
"शाबास मेरे राजा, मार और जोर से, और मेरे निपल दबा यार प्लीज़, समझ औरत के हैं. मुझे मजा आता है यार निपल मसले जाने पर, और देख झड़ना नहीं साले नहीं तो मार खाएगा." हेमन्त के चमड़ीले बेरों जैसे निपल दबाता
और उंगलियों में लेकर मसलता हुआ में एक चित्त होकर उसकी गांड को भोगने लगा. मख्खन से चिकनी गांड में लंड इतना मस्त फ़िसल रहा था कि मैं जल्द ही बिलकुल झड़ने के करीब आ गया. किसी तरह अपने आप को मैंने रोका और हांफ़ता हुआ पड़ा रहा.
मेरे इस संयम पर खुश होकर हेमन्त ने अपना सिर घुमाया और अपना हाथ पीछे करके मेरी गर्दन में डालकर मेरे सिर को पास खींच लिया. "इनाम मिलना चाहिये तुझे मेरी जान, चुम्मा दूंगा मस्त रसीला, अपने मुंह का रस चखाऊंगा तुझे. चुम्मा लेते हुए गांड मार अपने यार की."
मैमे अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और पास से उसकी वासना भरी आंखों में एक प्रेमी की तरह झांकता हुआ उसका मुंह चूसने लगा. उसके मुंह के रस का स्वाद किसी सुंदरी के मुंह से ज्यादा मीठा लग रहा था. जल्द ही खुले मुंह में घुस कर हमारी जीभे लड़ने लगीं और एक दूसरे की जीभ चूसते हुए हमने फ़िर संभोग शुरू कर दिया. गांड में मेरे लंड के फ़िर गहरे घुसते ही हेमन्त चहक उठा. "मार साली को जोर से, फुकला कर दे, मां कसम, इतना मजा बहुत दिन में आया मेरी जान. घंटा भर मार मेरी राजा प्लीज़.."
घंटे भर तो नहीं पर बीस मिनट मैंने जरूर हेमन्त की गांड मारी होगी. अपने चूतड़ उछाल उछाल कर पूरे जोरों से हेमन्त की गांड में मैं लंड पेलता और फ़िर सुपाड़े तक बाहर खींच लेता. मेरी जांघे उसके नितंबों से टकराकर 'सट 'सट सट आवाज कर रही थीं. आखिर कामसुख के अतिरेक से मेरा संयम जवाब दे गया और उसकी जीभ चूसते हुए मैं कस कर झड़ गया.
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