RE: Hindi Sex Kahaniya प्यास बुझती ही नही
प्यास बुझती ही नही--22 end
एक सुबह सभी डिन्निंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे….रश्मि, राज & कमला…कमला कुच्छ अस्वस्थ थी….पर वो दूध पी रही थी….तभी इनस्पेक्टर शर्मा का फोन आया….रश्मि ने फोन उठाया….
रश्मि: हेलो????
इनस्पेक्टर शर्मा: गुड मॉर्निंग मेडम….
रश्मि: गुड मॉर्निंग इन्स्प. शर्मा जी…कैसे है?
इनस्प शर्मा: ठीक हू मेडम…पर आपके लिए एक गुड न्यूज़ है…
रश्मि: अच्छा….गुड…वो क्या….शर्मा जी.
इनस्पेक्टर शर्मा: राजेश और रंभा का पता चल गया है…इस समय दोनो देहरादून मे देखे गये है…..अभी अभी वन्हा से लोकल पोलीस का फोन आया था….हम वही जा रहे है….तो सोचा की आपको खबर कर दू…..
रश्मि: मे भी चलूंगी……और वो राज को खबर सुनाने लगी….
राज ने उसे इज़ाज़त दे दी…..
इनस्प. शर्मा: अभी थोड़ी देर मे चलना है…आप तैयार रहो…..
रश्मि तैयार होने के लिए चली गयी…उसे पता था कि स्मृति की शादी है…वो अगर जिंदा है तो ज़रूर आएगा……तभी वो देहरादून जाने के लिए तैयार हो गई…..रश्मि ने एक सूट और सलवार पह्न लिया और एक छोटे से बॅग मे समान रखा और बाहर इनस्प. शर्मा का वेट करने लगी…तभी इनस्पेक्टर शर्मा एक टाटा सूमो लेकर आ गये…रश्मि उसमे बैठ गयी…तभी पिछे से राज भी आया…..बोला: मे भी चलूँगा…..हो सकता है कोई मुसीबत हो…..? रश्मि खुस हो गयी….चलो…2 से भले 3.
आगे वाली शीट पर इनस्पेक्टर शर्मा, रश्मि और राज बैठे हुए थे…और पिछे 3 पोलीस गार्ड्स. गाड़ी हवा मे बाते कर रही थी….रश्मि के दाई साइड इनस्पेक्टर शर्मा बैठे थे और बाई साइड राज…जो उसका जेठ था…..
करीब 5 घंटे के ड्राइव के बाद देहरादून पहुच गये….रश्मि अपने घर चली गयी स्मृति के पास और इनस्पेक्टर शर्मा और राज पोलीस स्टेशन चला गये…..वन्हा उसने देखा कि एक सख्श एक ब्लॅक कोलूर की ब्लंक्केट पहने हुए लॉक-अप के पिछे खड़ा था…….राज ने गौर से उसे देखा…और बोला…राजेश??
राजेश का नाम लेते ही वो आदमी पिछे की ओर ताका…जिसे देखकर राज बुरी तरह चौंक गया…ये उसका भाई ही था……
राज: ओह..माइ गोद……ये क्या हाल बना रखा है….भाई??????
राजेश: भैया….मे बुरी तरह फस गया हू…और ये देखो चेहरे पर…..और अपना कंबल हटा दिया……राजेश 60% जला हुआ था……..और फिर राजेश ने जो बयान पोलीस और राज को दिया…..उससे सभी सन्न रह गये………………………………
राज: पर रंभा कहाँ है….तुमने उसे क्यो जाने दिया….? और फिर तुमने एक बार भी हमे और रश्मि को फोन करना उचित नही समझा….
राजेश: भैया….मेने कई बार कोसिस की पर मेरे पिछे कुच्छ लोग पड़े थे…..और फिर हम नही चाहते थे कि कोई आपलोगो को कष्ट दे.
राज; रश्मि भी आई है पर वो तुम्हारी ससुराल गयी है….अभी आती होगी…मेने फोन कर दिया है….तुम चिंता मत करो…….सब ठीक हो जाएगा…और फिर इनस्पेक्टर से बात करने लगा…..इनस्पेक्टर शर्मा ने भी काफ़ी तहकीकात की……………
राजेश: सर….मे एक प्राइवेट केमिकल कंपनी के लिए काम करता था…उसमे जॉब के साथ साथ शेर पार्ट्नर भी था….जिसका हेडऑफिस देल्ही मे था…..बतोर मार्केटिंग ऑफीसर मेने काफ़ी काम किए….मेरे ग्रूप मे 3 लोग थे…मे, मेरा बॉस, और रंभा…मेरी सेक्रेटरी….मेरे बॉस और मेने साथ साथ काम किया…पर जब रिज़ल्ट पास हुआ तो वो मुझे धोका दिया गया……मे रंभा से प्यार करने लगा था…और उससे शादी भी करना चाहता था…….सेक्स भी किया…पर वो भी बॉस के साथ मिल गयी…और एक सुबह जब मे और रंभा देल्ही की स्पाज़ रिवर के किनारे टहल रहे थे…तो बॉस ने पीछे से बार किया और मुझे मार दिया….और फिर मेरे शरीर पर मिट्टी का तेल छिड़क कर जला दिया…..और वन्हा से भाग गया…..पोलीस को कोई शक़ ना हो तो उसने एक अग्यात शख्स को मेरे कपड़े पहना कर नदी मे डाल दिया…और मेरी शॅक्ल दे दी….
उसके चले जाने के बाद पास के कुच्छ नाविको ने मुझे जलने से बचाया…लेकिन तब तक 60% जल चुक्का था…तभी रश्मि भी आ गयी….उसे देख कर वो ज़ोर से चीखने लगी……….तीनो चौंक गये….सामने रश्मि और स्मृति थी…………दोनो बहने सहमे सहमे राजेश के लॉक-उप की तरफ आई…….और घूर घूर कर देखने लगी…..रश्मि को तो अपनी आँखो पर अभी भी यकीन नही हो रहा था…और ना ही स्मृति को.
रश्मि और राजेश दोनो की आँखो से आँसू की धार रुक ही नही रही थी….उसने लोहे के सलाखो को पकड़ते हुए कहा…
रश्मि : ऐसी क्या मजबूरी थी जो तुमने मुझसे च्छुपाया…दुनिया की शायद मे एक अभागन औरत हू जो कि अपने मर्द से दूर हू…इस वक़्त तुम्हे मेरी ज़रूरत है…पर मेरा दुर्भाग्य है कि मे तुम्हारा साथ नही दे रही……..हे भगवान…मे क्या करू…
राजेश: जो होना होता है हो कर ही रहता है….मे ऐसे चक्र्बुय्ह मे फँसा हू कि कुच्छ कर भी नही सकता…मे रंभा के प्यार मे ऐसा फँसा कि अपनेआपको बचा नही सका…सोचा कि तुम्हे सब कुच्छ बता दू…पर तुम्हे बताने का अवसर नही मिला….स्मृति…जब मे तुम्हारे रूम से निकला तो उस समय रंभा का फोन आया था…….ऑफीस से..उसने कहा कि बॉस अभी अभी तुम्हे एरपोर्ट पर बुला रहे है…उन्हे यूएसए जाना है……मे आनन-फानन बिना तुम्हे बताए एरपोर्ट चला गया…वन्हा मुझे पिछे से कोई मारा और फिर मुझे एक बोरे मे बंद कर ले कर चला गया…..जब आँख खुली तो खुद को एक फार्महाउस पर पाया…चारो तरफ सेक्यूरिटी गार्ड का पहरा था…मेने दो बार भागने की कोशिश की…पर घरेलू कुत्तो ने मुझे ढूँढ कर मुझे ज़ख्मी कर दिया….उस जगह पर कोई मोबाइल नेटवर्क नही काम करता है……..और फिर एक बार जब मे रंभा से मिलने गया तो वो मुझे घासलेट से जला दिया. और वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगा…..मे अब तुम्हारे काबिल नही हू…मुझे इसी हाल पर छोड़ दो….तुम अब दूसरी शादी कर लो…मे तुम्हे……डाइवर्स दे देता हू………रश्मि बुत की तरह खड़ी सिर्फ़ सुन रही थी……और राजेश बोले जा रहा था….अंत मे इनस्पेक्टर ने पूछा कि….ये बॉस है कौन?????
राजेश ने जब बॉस के बारे मे बताया तो सभी को यकीन नही हुआ…ये था नेहा का हज़्बेंड डॉक्टर. धर्मेंडर गर्ग……………………………….जो सीधा साधा दिखने वाला एक साधारण सा डॉक्टर……..आगे बोला…सुरू सुरू मे मुझे भी यकीन नही हुआ…क्योकि जब भी वो मेरे पास आता था उसके चेहर पर एक मास्क लगा रहता था……पर एक सुबह वो मुझसे बात कर रहा था…तभी जोरो की आँधी आई और मॉस्क नीचे गिर गया…मेने उसे पहचान लिया …डॉक्टर. नेहा की एंगेज्मेंट मे उसे देखा था…..तभी से वो मुझे रास्ते से हटाना चाहता था…..पर मे तुमलोगो के उप्पर कोई परेसानि नही देखना चाहता था….अगर मे तुमसे मिलता तो हो सकता है वो तुम्हे भी निशाना बना सकता था….
भैया…वो बहुत बुरा आदमी है…….मुझे बचा लो……
राज: तुम चिंता मत करो…अपना कन्फेशन पोलीस को लिखा दो…बाकी का सब मे देख लूँगा….
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