RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
गधे ने अपनी गर्दन के बाल लहराते हुए अपना सिर जोर से ऊपर झटका। उसकी आँखें बिल्कुल सफ़ेद और पाश्विक लग रही थीं। उसके पुठे जोर से हिलने लगे और वो अपना लंड इंधन की तरह नजीबा की मलाईदार भट्ठी में ठेलने लगा। नजीबा भी झड़ती, फिर संभलती और फिर बार-बार झड़-संभल रही थी। गधे का शीर्ष नज़दीक आने लगा तो उसका लंड और भी फूल गया। नजीबा को ऐसा लग रहा था जैसे लकड़ी के लट्टे से चुद रही हो, जैसे कि तोप की नाल उसकी चूत में ठेल दी गयी हो और वो अब बेसब्री से उस तोप के विस्फोट का इंतज़ार कर रही थी।
“चोद मुझे... गधे.. फ़क मी.. चोद’ नजीबा चिल्लायी, “भर दे मेरी चूत अपनी मलाई ।
से... क्रीम मॉय कन्ट यू फकिंग डॉन्की ।
- गधा जोर से रेंका और उसके जबड़े से थूक के छींटे उड़ गये। गधे के टट्टों में विस्फोट हुआ और नजीबा की चूत में कूटती हुई लंड-शाख में से प्रबल ज्वार-भाटे की तरह उसका वीर्य दौड़ पड़ा।
|
आआआआईईईईईईईईईईईई...” नजीबा की कर्णवेधी चींख निकली जब उसे अपनी चूत की गहराइयों में गधे का वीर्य बर्बरता से बहता महसूस हुआ। उसकी चूत भी अपनी मलाई छोड़ने लगी। अपना सिर और कंधे ज़मीन पर टिकाये हुए नजीबा ने अपनी टाँगें। ऊपर उछाल कर अपनी जंघे गधे के इर्द-गिर्द लपेट लीं और अपनी चूत में दफन उसके वीर्य छिड़कते लौड़े पर झटकती और ऐंठती हुई वो उस हलब्बी लंड पर तांडव सा करती हुई सवारी करने लगी। गधे ने अपने लंड के छिद्र से वीर्य दागते हुए अंदर धक्का लगाया और नजीबा की गाँड और ऊची उठा दी। फिर गधे ने अपना लंड पीछे खींचा तो नजीबा के कुल्हे नीचे ढलक गये और उसकी चूत लंड के सिरे तक नीचे फिसल गयी। गधे ने फिर जोर से अंदर ठेला और नजीबा की चूत फिर झटके के साथ ऊपर चढ़ गयी और लंड के छिद्र से गाढ़े वीर्य की नयी धार फूट पड़ी।
गधे का वीर्य-कोष अनन्त लग रहा था और उसके आँड कभी ना सूखने वाले प्रतीत हो रहे। थे। गधे के लंड के हर धक्के के साथ गरम वीर्य नजीबा की चूत में बह रहा था और नजीबा भी अपनी चूत में फूटते वीर्य के प्रत्येक फव्वारे को महसूस करके झड़ रही थी। अंत में गधे का लंड डगमगाने लगा और नजीबा की चूत में वीर्य की एक आखिरी धार दाग कर ढीला पड़ गया। गधा अपनी टाँगें चौड़ी फैलाये हुए खड़ा था और उसका पुष्ट जिस्म थरथरा रहा था। उसका लंड ऊपर-नीचे झूमने लगा तो नजीबा भी उसके सिरे से जुड़ी ऊपर-नीचे हिलने लगी। गधे के लोहे जैसे विराट लंड के मुकाबले नजीबा का वजन तुच्छ था।
गधे का लंड फिर नीचे लटक गया और नर्म पड़ना शुरू हो गया। नजीबा की चूत धीरेधीरे उसके लंड के सुपाड़े की तरफ नीचे फिसलने लगी। नीचे फिसलते हुए उसकी चूत लंड-शाख के हर भाग पर चिपकती हुई चूस रही थी। लंड के सिरे तक फिसलने के पश्चात वो कुछ क्षण उससे लटकी रही। उस फड़कते लंड पर उसने अपनी गाँड ऊपर नीचे झटकायी और फिर धीरे से वो उसके लंड से अलग हो गयी।
नजीबा की गाँड धप्प से ज़मीन पर टकरायी और उसकी खुली चूत में से उसका चूतरस और गधे का बहुत सारा वीर्य प्लावित होकर ज़मीन पर फैलने लगा। उसकी सहेली, - शाजिया भी अपनी चूत को अंगुलियों से चोदती हुई कुछ ही देर पहले झड़ी थी और नशे में अचेत सी पड़ी हुई वो नजीबा को देख कर मुस्कुरा रही थी।
अपनी सहेली की चूत से मलईदार रस ज़मीन पर बहता देख, शाजिया एक झटके में खिसककर चित्त पड़ी नजीबा की बुरी तरह चुदी चूत पर मुँह लगा कर वीर्य-पान करने लगी। वो नजीबा की चूत में से चूस-चूस कर वीर्य पी रही थी। कुछ देर बाद जब नजीबा ने अपनी आँखें खोलीं तो देखा की शाजिया उसकी चूत में से सारा वीर्य चूस लेने के बाद अब उसकी टाँगों, पैरों और सैंडलों पर लिसड़ा गधे का वीर्य भी चाट रही थी।
|