RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
थोड़े-थोड़े छलकाव के बाद शाजिया अपने मूत के बहाव को नियंत्रित करने लगी ताकि उसकी सहेली मुँह भर-भर कर उसका गर्म सुनहरी रस पी सके। और नशे में चूर नजीबा बेसब्री से अपने मुँह में छलकता मूत पी रही थी। इस सब की विकृतता उन दोनों में उनमाद और जुनून सा भर रही थी। शाजिया का मुत्राशय लबालब भरा था और उसका मूत लगातार बह रहा था। थोड़ी देर में नजीबा शाजिया के मूत के बहाव के सामने पिछड़ने लगी और साँस लेने के लिये उसने अपना मुँह शाजिया की चूत से हटा लिया। वो गर्म पेशाब फिर उसके चेहरे और गले पर बहने लगा।
शाजिया भी अब अपने मूत पर नियंत्रण नहीं रख पा रही थी। उत्तेजना में उसके मूत का बहाव नजीबा के चेहरे पर और भी तेज़ हो गया और नजीबा की आँखों में और नाक में भी भर गया। नाक में मूत जाने से नजीबा का दम घुटने लगा तो वो खांसने और अपने मुँह में भरा मूत बाहर थूकने लगी।
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नजीबा को खाँसते और छटपटाते देख शाजिया अपने घुटनों के बल आगे को झुक गयी और उसकी चूचियों और पेट पर गरम मूत बरसाने लगी। नजीबा जल्दी ही संभल गयी और उसने शाजिया के चूतड़ पकड़ कर अपने मुँह की तरफ खींचे और फिर से नमकीन मूत का स्वाद लेने लगी। शाजिया अब इस स्थिती में थी कि उसका मुँह नजीबा की चूत के ऊपर था। वो अपना चेहरा नजीबा की चूत पर झुका कर चाटने लगी।
ऊऊआआआआहहह, शाजिया की जीभ को अपनी चूत पर अचानक महसूस करके । नजीबा जोर से किकयाई। फिर मूत से आधे भरे मुँह से गरगराते हुए बोली, “ओह गॉड... मज़ा आ गया... धीरे-धीरे मूत रंडी... ऑय वांट टू ड्रिक एवरी ड्रॉप ऑफ योर पिस' और फिर उसने पहले की तरह ही अपना मुँह शाजिया की मूत छलकाती चूत पर चिपका दिया।
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शाजिया के मूत की धार पहले से मंद हो गयी थी और वो भी पागलों की तरह नजीबा की चूत चाट रही थी। जिस तरह नजीबा उसकी चूत पर होंठ चिपकाये अपनी जीभ चलाती हुई मूत पी रही, उससे शाजिया भी कामोन्माद के उत्कर्ष की तरफ अग्रसर हो रही थी। दोनों औरतों के मुँह से ‘ओंओंओं... आऔंआऔं' जैसी मस्ती भरी सिसकरियाँ फूट रही थीं।
शाजिया के मूत की धार धीरे-धीरे छितरा कर रिसाव में तबदील हो गयी। “आआआआआआआआओओओह... फक... यो...गिताआआआआआ अचानक शाजिया की कर्ण विदारक चींख निकली और वो अपनी चूत और चूतड़ नजीबा के चेहरे पर कुचलते हुए झनझना कर झड़ने लगी और मूत के अंतिम कतरों के साथ उसकी चूत ने बहुत सारा कामरस नजीबा के मुँह में छोड़ दिया।
- शाजिया की चूत के नीचे चेहरा कुचलने से नजीबा की नाक भी शाजिया की गाँड की दरार में
धंस कर दब गयी तो साँस लेने के लिये नजीबा का मुँह और चौड़ा खुल गया और शाजिया की चूत से स्खलित पूरा कामरस नजीबा की हलक में बह गया। अगले ही क्षण शाजिया की गाँड में से ‘पट-पट करके बहुत ही तेज़ और तीखी गंध वला गरम हवा जा झोंका निकल कर सीधे नजीबा की नाक में समा गया।
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वो तीक्षण गंध नजीबा के दिमाग में जोर से टकरायी और क्षणभर के लिये तो वो कुलबुला गयी पर फिर उसकी विकृत कामवासना भड़क उठी और साथ ही अपनी चूत में शाजिया की जीभ की हरकतों से वो भी झड़ने के कगार पर पहुँच गयी। उसने अपने घुटने मोड़ लिये और उसकी कमर और गाँड भी ज़मीन से ऊपर उचक गयी और पूरा जिस्म अकड़ गया। उसने अपने निचले होंठ अपने दाँतों में दबा कर जोर से चींख मारी और अगले ही पल उसकी चूत में से गाढ़े कामरस के साथ कामोन्माद के प्रैशर के कारण छूटा मूत का फव्वारा झरने की तरह ऊपर उछल कर शाजिया के चेहरे से टकराया और फिर बाढ़ की तरह उसका गुनगुना मूत शाजिया के चेहरे और उसके स्वयं के पेट पर बहने लगा।
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